गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

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18-दिसंबर-2014 18:07 IST
भारत में अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-lll की प्रथम प्रायोगिक उड़ान सफल रही 

Courtesy:Ministry of Information & Broadcasting//YouTube//PIB
भारत में अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-lll की प्रथम प्रायोगिक उड़ान (जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर) का सफल संचालन आज सुबह श्रीहरिकोटा स्‍थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर से किया गया। एलवीएम3-एक्‍स/केयर के नाम से भी प्रचलित इस उप कक्षीय प्रायोगिक मिशन का उद्देश्‍य उसकी उड़ान के महत्‍वपूर्ण वायुमंडलीय चरण के दौरान यान के प्रदर्शन को आंकना था। 

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारतीय समयानुसार प्रात: 9:30 बजे दूसरे लांच पैड से जीएसएलवी एमके-lll की लांचिंग के साथ इस मिशन का शुभारंभ हुआ और इसके तकरीबन साढ़े पांच मिनट बाद यह अपने पेलोड को 126 किलोमीटर की लक्षित ऊंचाई पर ले गया। यह पेलोड दरअसल 3775 किलोग्राम के वजन वाला क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनर्प्रवेश प्रयोग (केयर) है। केयर इसके बाद जीएसएलवी एमके-lll के ऊपरी चरण से अलग हो गया तथा वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया और फिर तकरीबन 20 मिनट 43 सेकेंड के बाद अपने पैराशूटों की मदद से बंगाल की खाड़ी के ऊपर सुरक्षित ढंग से स्‍थापित हो गया। 

यान के प्रक्षेपण के वक्‍त दो विशाल एस-200 ठोस पट्टायुक्‍त बूस्‍टर प्रज्‍वलित हुए और सामान्‍य ढंग से कार्यरत होने के 153.5 सेकेंड के बाद अलग हो गए। हर पट्टायुक्‍त बूस्‍टर के साथ 207 टन का ठोस प्रणोदक जुड़ा हुआ था। प्रक्षेपण के 120 सेकेंड के बाद एल110 तरल चरण प्रज्‍वलित हुआ। वहीं, दोनों एस200 उस समय भी कार्यरत थे तथा वे अगले 204.6 सेकेंड तक आगे बढ़ते रहे। प्रक्षेपण के 330.8 सेकेंड के बाद जीएसएलवी एमके-lll के सी25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण से केयर अलग हो गया और उसने वायुमंडल में फिर से प्रवेश के लिए अपने निर्देशित अवतरण की बाकायदा शुरुआत कर दी। 

फिर से प्रवेश का चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद केयर मॉड्यूल के पैराशूट खुल गए। इसके बाद यह श्रीहरिकोटा से तकरीबन 1600 किलोमीटर दूर अंडमान सागर के ऊपर आहिस्‍ता-आहिस्‍ता स्‍थापित हो गया। इसके साथ ही जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया। 

आज जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर मिशन को सफलता मिलने के साथ ही यह यान अब कार्यरत सी25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ अपनी प्रथम विकास उड़ान के और करीब पहुंच गया है। 
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वि.कासोटिया/एएम/आरआरएस/एसकेपी –7813

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