Narinder Modi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Narinder Modi लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

आज दुनिया की दृष्टि भारत पर है:प्रधानमंत्री

 प्रधानमंत्री कार्यालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 28 March 2025 at 6:53 PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने टीवी9 शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित किया

*भारत के युवा तेजी से कौशल प्राप्त कर रहे हैं और नवाचार को गति दे रहे हैं: प्रधानमंत्री

*‘भारत प्रथम’, भारत की विदेश नीति का मंत्र बन गया है: प्रधानमंत्री

*आज भारत न केवल विश्व व्यवस्था में भाग ले रहा है, बल्कि भविष्य को आकार देने और सुरक्षित करने में भी योगदान दे रहा है: प्रधानमंत्री

*भारत ने एकाधिकार नहीं, बल्कि मानवता को प्राथमिकता दी है: प्रधानमंत्री

*आज भारत न केवल सपनों का देश है, बल्कि ऐसा देश भी है, जो अपने लक्ष्य को पूरा करता है: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली: 28 मार्च 2025:(PIB Delhi//पंजाब स्क्रीन Blog TV)::


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में टीवी9 शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने टीवी9 की पूरी टीम और इसके दर्शकों को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि टीवी9 के पास बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय दर्शक हैं और अब वैश्विक दर्शक भी तैयार हो रहे हैं। उन्होंने टेलीकॉन्‍फ्रेंस के जरिए कार्यक्रम से जुड़े भारतीय प्रवासियों का भी स्वागत और अभिनंदन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज दुनिया की दृष्टि भारत पर है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर के लोग भारत को लेकर जिज्ञासा से भरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला भारत 7-8 साल में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आईएमएफ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने पिछले 10 साल में अपनी जीडीपी को दोगुना किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने पिछले दशक में अपनी अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ डॉलर जोड़े हैं। उन्होंने कहा कि जीडीपी को दोगुना करना सिर्फ आकड़ों के बारे में नहीं है, बल्कि इसके बड़े प्रभाव हैं, जैसे 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, जिससे नया 'मध्यम वर्ग' बना है। उन्होंने आगे कहा कि नव-मध्यम वर्ग सपनों और आकांक्षाओं के साथ एक नया जीवन शुरू कर रहा है और अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है और इसे जीवंत बना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है", उन्होंने कहा कि युवा तेजी से कौशल प्राप्त कर रहे हैं, जिससे नवाचार को गति मिल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत प्रथम, भारत की विदेश नीति का मंत्र बन गया है।" उन्होंने कहा कि जहां भारत ने एक समय सभी देशों से समान दूरी बनाए रखने की नीति का पालन किया था, वहीं वर्तमान दृष्टिकोण सभी के साथ समान रूप से निकटता पर जोर देता है - एक "समान निकटता" नीति। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समुदाय अब भारत के विचारों, नवाचारों और प्रयासों को पहले से कहीं अधिक महत्व देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया आज भारत को देख रही है और यह समझने के लिए उत्सुक है कि "आज भारत क्या सोचता है।"

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल विश्व व्यवस्था में भाग ले रहा है, बल्कि भविष्य को आकार देने और सुरक्षित करने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा में, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संदेह को दरकिनार करते हुए, भारत ने अपने स्वयं के वैक्सीन विकसित किए, तेजी से टीकाकरण सुनिश्चित किया और 150 से अधिक देशों को दवाइयों की आपूर्ति की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक संकट के समय में, भारत के सेवा और करुणा के मूल्य दुनिया भर में गूंजे और इसकी संस्कृति और परंपराओं का सार प्रदर्शित हुआ।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वैश्विक परिदृश्य के बारे में श्री मोदी ने उल्लेख किया कि किस तरह अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर कुछ देशों का प्रभुत्व था। उन्होंने कहा कि भारत ने एकाधिकार नहीं, बल्कि मानवता को हमेशा प्राथमिकता दी है तथा समावेशी और सहभागी वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत ने 21वीं सदी के लिए वैश्विक संस्थाओं की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे सामूहिक योगदान और सहयोग सुनिश्चित हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती का समाधान करने के लिए, जो दुनिया भर में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाती हैं, भारत ने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) की स्थापना की पहल की। उन्होंने कहा कि सीडीआरआई आपदा तैयारी और सहनीयता को मजबूत करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने पुलों, सड़कों, भवनों और बिजली ग्रिडों सहित आपदा रोधी अवसंरचना निर्माण को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें और दुनिया भर के समुदायों की सुरक्षा कर सकें।

भविष्य की चुनौतियों, विशेष रूप से ऊर्जा संसाधन, से निपटने में वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने सबसे छोटे देशों के लिए भी स्थायी ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के समाधान के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की भारत की पहल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रयास न केवल जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों की ऊर्जा जरूरतों को भी सुरक्षित करता है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि 100 से अधिक देश इस पहल में शामिल हो चुके हैं। व्यापार असंतुलन और लॉजिस्टिक्स मुद्दों की वैश्विक चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, श्री मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) सहित नई पहलों की शुरुआत के लिए दुनिया के साथ भारत के सहयोगी प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह परियोजना वाणिज्य और परिवहन-संपर्क के माध्यम से एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व को जोड़ेगी, आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देगी और वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करेगी। उन्होंने रेखांकित किया कि यह पहल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगी।

वैश्विक व्यवस्थाओं को अधिक सहभागी और लोकतांत्रिक बनाने के भारत के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान उठाए गए ऐतिहासिक कदम पर टिप्पणी की, जहाँ अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की अध्यक्षता में लंबे समय से चली आ रही यह मांग पूरी हुई। श्री मोदी ने वैश्विक निर्णय लेने वाली संस्थाओं में वैश्विक दक्षिण देशों की आवाज़ के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित किया तथा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के लिए वैश्विक व्यवस्था का विकास समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिप्पणी की कि इन प्रयासों ने नई विश्व व्यवस्था में भारत की मजबूत उपस्थिति स्थापित की है। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ शुरुआत है, क्योंकि वैश्विक मंचों पर भारत की क्षमताएँ नई ऊंचाइयों को छू रही हैं।"

श्री मोदी ने उल्लेख किया कि 21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं, जिनमें से 11 साल उनकी सरकार के तहत राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित रहे हैं। उन्होंने "आज भारत क्या सोचता है" को समझने के लिए पिछले सवालों और जवाबों पर चिंतन करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने निर्भरता से आत्मनिर्भरता, आकांक्षाओं से उपलब्धियों और हताशा से विकास की ओर बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने याद दिलाया कि एक दशक पहले गांवों में शौचालयों की समस्या के कारण महिलाओं के पास सीमित विकल्प थे, लेकिन आज स्वच्छ भारत मिशन ने इसका समाधान प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि 2013 में स्वास्थ्य सेवा के बारे में चर्चा महंगे उपचारों के इर्द-गिर्द घूमती थी, लेकिन आज आयुष्मान भारत ने इसका समाधान प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसी तरह गरीबों की रसोई, जो कभी धुएं से भरी रहती थी, अब उज्ज्वला योजना से लाभान्वित हो रही है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि 2013 में बैंक खातों के बारे में पूछे जाने पर महिलाएं अक्सर चुप रहती थीं, लेकिन आज जन धन योजना के कारण 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के पास अपने खाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पीने के पानी की समस्या, जिसके लिए कभी कुओं और तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता था, को हर घर नल से जल योजना के जरिये हल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दशक नहीं है, जो बदल गया है, बल्कि लोगों के जीवन में भी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत के विकास मॉडल की पहचान कर रही है और इसे स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा, "भारत अब केवल 'सपनों का राष्ट्र' नहीं है, बल्कि 'ऐसा राष्ट्र है जो लक्ष्य पूरा करता है'।"

श्री मोदी ने कहा कि जब कोई राष्ट्र अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तो इससे राष्ट्र की दिशा बदल जाती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज ठीक यही अनुभव कर रहा है। उन्होंने पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलावों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पहले पासपोर्ट प्राप्त करना एक बोझिल कार्य था, जिसमें लंबा इंतजार, जटिल दस्तावेज और सीमित पासपोर्ट केंद्र शामिल थे, जो ज्यादातर राज्यों की राजधानियों में स्थित थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छोटे शहरों के लोगों को अक्सर प्रक्रिया पूरी करने के लिए रात भर रुकने की व्यवस्था करनी पड़ती थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये चुनौतियाँ अब पूरी तरह से बदल गई हैं। उन्होंने बताया कि देश में पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या 77 से बढ़कर 550 से अधिक हो गई है। इसके अतिरिक्त, पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा समय, जो पहले 50 दिनों तक का होता था, अब घटकर केवल 5-6 दिन रह गया है।

भारत की बैंकिंग अवसंरचना हुए बदलाव पर टिप्पणी करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 50-60 साल पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण सुलभ बैंकिंग सेवाओं के वादे के साथ किया गया था, लेकिन लाखों गाँवों में अभी भी ऐसी सुविधाओं का अभाव था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब यह स्थिति बदल गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन बैंकिंग हर घर तक पहुंच गई है और आज देश में हर 5 किलोमीटर के दायरे में एक बैंकिंग सुविधा केंद्र है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न केवल अवसंरचना ढांचे का विस्तार किया है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली को भी मजबूत किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में काफी कमी आई है और उनका मुनाफा 1.4 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि जनता का पैसा लूटने वालों को अब जवाबदेह ठहराया जा रहा है, उन्होंने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है, जिसे कानूनी तौर पर उन पीड़ितों को वापस किया जा रहा है, जिनसे यह ले लिया गया था।

इस बात पर जोर देते हुए कि दक्षता से प्रभावी शासन बनता है, प्रधानमंत्री ने कम समय में अधिक हासिल करने, कम संसाधनों का उपयोग करने और अनावश्यक खर्चों से बचने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिप्पणी की कि "लालफीताशाही पर लाल कालीन" को प्राथमिकता देना एक राष्ट्र के संसाधनों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों से यह उनकी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है।

मंत्रालयों में अधिक व्यक्तियों को समायोजित करने की पिछली प्रथा का उल्लेख करते हुए, जिसके कारण अक्सर अक्षमताएं पैदा होती थीं, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान राजनीतिक मजबूरियों पर देश के संसाधनों और जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए कई मंत्रालयों का विलय किया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शहरी विकास मंत्रालय तथा आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को आवास और शहरी कार्य मंत्रालय में विलय कर दिया गया था। इसी तरह, विदेशी मामलों के मंत्रालय को विदेश मंत्रालय के साथ एकीकृत किया गया था। उन्होंने जल संसाधन और नदी विकास मंत्रालय को पेयजल मंत्रालय के साथ विलय कर जल शक्ति मंत्रालय बनाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये निर्णय देश की प्राथमिकताओं और संसाधनों के कुशल उपयोग से प्रेरित थे।

नियमों और विनियमों को सरल और कम करने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि लगभग 1,500 पुराने कानून, जो समय के साथ अपनी प्रासंगिकता खो चुके थे, को उनकी सरकार ने समाप्त कर दिया। इसके अतिरिक्त, लगभग 40,000 अनुपालन हटा दिए गए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन उपायों से दो महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हुए: जनता को परेशानियों से राहत मिली और सरकारी तंत्र के भीतर ऊर्जा का संरक्षण हुआ। प्रधानमंत्री ने जीएसटी की शुरूआत के माध्यम से सुधार का एक और उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि 30 से अधिक करों को एक कर में समेकित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण के मामले में पर्याप्त बचत हुई।

अतीत में सरकारी खरीद में व्याप्त अक्षमताओं और भ्रष्टाचार को रेखांकित करते हुए, जिसकी अक्सर मीडिया द्वारा रिपोर्ट की जाती थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफ़ॉर्म पेश किया। उन्होंने बताया कि सरकारी विभाग अब इस प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करते हैं, विक्रेता बोलियाँ लगाते हैं और पारदर्शी तरीके से ऑर्डर को अंतिम रूप दिया जाता है। इस पहल ने भ्रष्टाचार को काफी कम किया है और सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। प्रधानमंत्री ने भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली की वैश्विक मान्यता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डीबीटी ने करदाताओं के 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को गलत हाथों में जाने से रोका है। उन्होंने आगे बताया कि 10 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थियों, जिनमें गैर-मौजूद व्यक्ति भी शामिल हैं, जो सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे थे, को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।

प्रत्येक करदाता के योगदान के ईमानदारी से उपयोग और करदाताओं के प्रति सम्मान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कर प्रणाली को करदाताओं के लिए अधिक अनुकूल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की प्रक्रिया अब पहले के समय की तुलना में बहुत सरल और तेज है। उन्होंने कहा कि पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद के बिना आईटीआर दाखिल करना चुनौतीपूर्ण था। आज, व्यक्ति कुछ ही समय में अपना आईटीआर ऑनलाइन दाखिल कर सकते हैं और दाखिल करने के कुछ दिनों के भीतर उनके खातों में रिफंड जमा हो जाता है। प्रधानमंत्री ने आयकर अधिकारी से मिले बिना कर निर्धारण योजना (फेसलेस असेसमेंट स्कीम) की शुरुआत पर भी प्रकाश डाला, जिसने करदाताओं के सामने आने वाली परेशानियों को काफी कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के दक्षता-संचालित शासन सुधारों ने दुनिया को एक नया शासन मॉडल प्रदान किया है।

पिछले 10-11 वर्षों में भारत में हर क्षेत्र और क्षेत्र में हुए बदलाव पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने मानसिकता में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक भारत में एक ऐसी मानसिकता को बढ़ावा दिया गया, जो विदेशी सामान को बेहतर मानती थी। उन्होंने कहा कि दुकानदार अक्सर यह कहकर शुरू करते थे, "यह आयात की हुई वस्तु है!" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब यह स्थिति बदल गई है और आज लोग सक्रिय रूप से पूछते हैं, "क्या यह भारत में बना (मेड इन इंडिया) है?"

विनिर्माण उत्कृष्टता में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित करते हुए तथा देश की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन विकसित करने की हाल की उपलब्धि पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह मील का पत्थर भारत में चिकित्सा निदान की लागत को काफी कम कर देगा। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहलों के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया, जिसने विनिर्माण क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया है। उन्होंने कहा कि जहां दुनिया कभी भारत को वैश्विक बाजार के रूप में देखती थी, वहीं अब वह देश की एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में पहचान करती है। प्रधानमंत्री ने भारत के मोबाइल फोन उद्योग की सफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि निर्यात 2014-15 में एक बिलियन डॉलर से भी कम से बढ़कर एक दशक के भीतर बीस बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। उन्होंने वैश्विक दूरसंचार और नेटवर्किंग उद्योग में एक शक्ति केंद्र के रूप में भारत के उभरने पर प्रकाश डाला। वाहन (ऑटोमोटिव) क्षेत्र पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने घटकों के निर्यात में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पहले भारत मोटरसाइकिल के पुर्जे बड़ी मात्रा में आयात करता था, लेकिन आज भारत में निर्मित पुर्जे यूएई और जर्मनी जैसे देशों में पहुंच रहे हैं। श्री मोदी ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सौर सेल और मॉड्यूल के आयात में कमी आई है, जबकि निर्यात में 23 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने रक्षा निर्यात में वृद्धि पर भी जोर दिया, जो पिछले एक दशक में 21 गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ये उपलब्धियां भारत की विनिर्माण अर्थव्यवस्था की ताकत और विभिन्न क्षेत्रों में नए रोजगार सृजित करने की इसकी क्षमता को दर्शाती हैं।

प्रधानमंत्री ने टीवी9 शिखर सम्मेलन के महत्व का उल्लेख किया तथा विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिखर सम्मेलन के दौरान साझा किए गए विचार और दृष्टिकोण देश के भविष्य को परिभाषित करेंगे। उन्होंने पिछली सदी के उस महत्वपूर्ण क्षण को याद किया, जब भारत ने नई ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता की ओर एक नई यात्रा शुरू की थी। उन्होंने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने में भारत की उपलब्धि का उल्लेख किया और कहा कि इस दशक में राष्ट्र एक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के महत्व पर जोर दिया और लाल किले से दिए गए अपने संबोधन को दोहराया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। प्रधानमंत्री ने इस शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए टीवी9 की सराहना की, उनकी सकारात्मक पहल को स्वीकार किया और शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मिशन मोड में विभिन्न संवादों में 50 हजार से अधिक युवाओं को शामिल करने और चयनित युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए टीवी9 नेटवर्क की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि 2047 में युवा ही विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे।    

**//एमजी/केसी/जेके//(रिलीज़ आईडी: 2116526)

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना भी बेहद ज़रूरी

Posted On: 03rd December 2022 at 3:40 PM
मन के गहरे कोने में भी गुलामी का कोई अंश तक न हो-मोदी  

ज़रा समझिए कि नया भारत:औपनिवेशिक अतीत के प्रतीकों को क्यूं हटा रहा है

नई दिल्ली: 3 दिसंबर 2022: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::देश की जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा अक्सर देश के बहुत से स्थानों और इमारतों के नाम उनके नाम पर देखता रहा है जिनके बार में उनके मन की छवि नायक की नहीं खलनायक की रही है। उसके मन में सवाल उठते रहे कि इनका इतना महिमामंडन क्यूं? स्वतंत्रता के बाद भी उन्हींका गुणगान क्यूं जिन्होंने देश को लम्बे समय तक गुलाम बनाए रखा। क्या ये सब वोटबैंक की सियासत का परिणाम है?
15 अगस्त, 2022 को भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आने वाले 25 वर्षों (अमृत काल) के लिए 'पंच प्राण'के बारे में बात की थी। ‘दूसरे प्राण’ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, "हमारे अस्तित्व के किसी भी हिस्से में, यहां तक ​​कि हमारे मन या आदतों के किसी गहरे कोनें में भी गुलामी का कोई अंश नहीं होना चाहिए। हमें इसे वहीं समाप्त कर देना चाहिए। हमें अपने आप को गुलामी की उस मानसिकता से मुक्त करना होगा जो हमारे भीतर और हमारे आस-पास मौजूद असंख्य चीजों में दिखाई देती है। यही हमारी दूसरी प्राण शक्ति है।

आधुनिक भारत का इतिहास दो शताब्दियों के ब्रिटिश उपनिवेशवाद के साथ गहराई से जुड़ा है, और स्वतंत्रता प्राप्ति के दशकों बाद भी, हमारे देश ने विभिन्न रूपों में, कुछ विशिष्ट और कुछ सूक्ष्म रूप में अपने औपनिवेशिक बोझ को ढोने का क्रम जारी रखा है। पिछले कुछ वर्षों से, सरकार धीरे-धीरे भारत को ब्रिटिश शासन के इन प्रतीकों से दूर कर रही है, और एक नए भारत की पहचान को मजबूती से स्थापित करने के लिए उसने अनेक क्षेत्रों में कई कदम उठाए हैं और वास्तव में देश को उसकेऔपनिवेशिक अतीत से मुक्त कराया है।

इस नए अभियान के अंतर्गत राजपथ का नाम बदल कर कर्तव्य पथ रखा गया

 अमृत ​​काल में 'औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाने' के अपने संकल्प के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 08 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में 'कर्तव्य पथ'का उद्घाटन किया। नामकरण में यह परिवर्तन पूर्ववर्ती राजपथ से परिवर्तन करने का प्रतीक है।कर्तव्य पथ के लिए शक्ति का एक प्रतीक होना सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का उदाहरण है

 इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा अब नए भारत की बात करती महसूस होती है। 

इसी तरह इंडिया गेट के पास लगी किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को हटाकर उस स्थान पर राष्ट्रीय नायक और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। “यहां गुलामी के समय, ब्रिटिश राज के प्रतिनिधि की एक मूर्ति थी। आज उसी स्थान पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित कर देश ने एक आधुनिक, मजबूत भारत को जीवंत किया है। नेताजी की ग्रेनाइट की मूर्ति उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस (23 जनवरी) को नेताजी की एक होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था।

 नई नौसेना पताका औपनिवेशिक अतीत के प्रस्थान का प्रतीक है

औपनिवेशिक अतीत से दूर जाने के लिए किये जा रहे राष्ट्रीय प्रयास के गुंजायमान, एक नए नौसैनिक ध्वज में परिवर्तनकी आवश्यकता अनुभव की गई जिसने हमारी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा ली है। पिछली पताका में सेंट जॉर्ज का क्रॉस लगा था, जो स्वतंत्रता से पहले ध्वज का उत्तराधिकारी था, जिसमें शीर्ष बाएं कोने पर यूनाइटेड किंगडम के यूनियन जैक के साथ एक सफेद पृष्ठभूमि पर रेड क्रॉस बना था। नई पताका में दो मुख्य घटक शामिल हैं - ऊपरी बाएं कैंटन में राष्ट्रीय ध्वज, और फ्लाई साइड के केंद्र में एक नेवी ब्लू - गोल्ड अष्टकोना (डंडे से दूर) है। प्रधानमंत्री ने यह पताका छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित की है, जिसने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया था, जो भारत की स्वदेशी शक्ति का प्रतीक है।

 "बीटिंग द रिट्रीट" समारोह में भारतीय जोश के साथ धुन

 2022 के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान, 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में कई नई धुनें जोड़ी गईं हैं।इन धुनों में'केरल', 'हिंद की सेना ' और 'ऐ मेरे वतन के लोगों ' शामिल हैं। 'सारे जहां से अच्छा ' की धुन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ था। सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों को भी संगीत कलाकारों की टुकड़ी से जोड़ा गया है। इस प्रकार रिट्रीट में भारतीय सुगंध और देशभक्ति का जोश भर दिया गया है, ताकि देश के नागरिकों के साथ अधिक से अधिक संपर्क स्थापित किया जा सके।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) का निर्माण और अमर जवान ज्योति और एनडब्ल्यूएमकी ज्योतियों का विलय

प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में अंग्रेजों द्वारा निर्माण किया गया,इंडिया गेट (जिसे पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाना जाता था) भारत के औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के ऊपर भारत की विजय के प्रतीक अमर जवान ज्योति को बाद में तदर्थ व्यवस्था के रूप में उपरोक्त स्थान से जोड़ा गया, क्योंकि देश में युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले भारतीय सैनिकों के लिए कोई अन्य स्मारक नहीं था। स्वतंत्र भारत के प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 फरवरी, 2019 को उद्घाटन किया गया था और इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसमें 1971 से पहले और बाद में हुए सभी युद्धों में शहीदहुए सभी भारतीय सैनिकों के नाम हैं। इस प्रकार एनडब्ल्यूएमउन सभी सैनिकों का स्मारक हैजिन्होंने स्वतंत्र भारत की सेवा में या तो अपना जीवन लगा दिया है या भविष्य में यह कार्य करेंगे। इसके उद्घाटन के बाद, सभी श्रद्धांजलि और स्मरण समारोह केवल एनडब्ल्यूएममें आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय दिवसके मौके भी शामिल हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की उपस्थिति में, शाश्वत ज्योति का इस नए स्थल पर स्थानांतरण करना इसलिए उचित समझा गया क्योंकि यह सभी बहादुरशहीदों के सम्मान में ज्योति स्थापित करने के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदला

30 दिसंबर, 2018 को, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि रॉस द्वीप का नाम बदलकरनेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया जाएगा, नील द्वीप को शहीदद्वीप के नाम से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया जाएगा। स्वतंत्र भारत में भी इन द्वीपों का नाम ब्रिटिश शासकों के नाम पर रखा गया था। सरकार नेभारतीय नाम और भारतीय पहचान देकर गुलामी की इन निशानियों को मिटा दिया।

रेल बजट का वार्षिक केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया

ब्रिटिश युग की प्रथाओं से एक अन्यप्रथा को बदलते हुए, सरकार ने बजट वर्ष 2017-18 से रेल बजट का केंद्रीय बजट के साथ विलय कर दिया। एकवर्थ समिति (1920-21) की सिफारिशों के बाद 1924 में रेलवे वित्त को सामान्य वित्त से अलग कर दिया गया था।

ब्रिटिश शासन के दौरान प्रतिबंधित साहित्यिक कार्यों का पुनरुद्धार

स्वतंत्रता के आंदोलन के दौरानब्रिटिश सरकार द्वारा क्रांतिकारी साहित्यिक कृतियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि इन्हें भारत में उनके शासन की 'सुरक्षा' के लिए 'खतरनाक' माना जाता था। साहित्य के इस निकाय का उद्देश्य लोगों के मन में देशभक्ति की भावना जगाना और स्वतंत्र भारत के लिए खड़े होने का आह्वान करना था। आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में, सरकार ने ऐसी कविताओं, लेखों और प्रकाशनों की पहचान की है जिन पर ब्रिटिश राज ने प्रतिबंध लगा दिया था और उन्हें भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित एक सूची के रूप में एक साथ रखा था।हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं, इच्छाओं और उनके संकल्पों का प्रतिनिधित्व करने वाले ये अनूठे संग्रह विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।

औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने के लिए की गई अन्य पहलें:

  • सरकार ने उन कुछ प्रमुख सड़कों के नाम बदल दिये हैं जिनके मूल नाम ब्रिटिश काल में प्रतिष्ठित थे।
  1. 2016 में लुटियन की दिल्ली में रेस कोर्स रोड काबड़ा नाम थाजिसे बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया है। प्रधानमंत्री का प्रसिद्ध आवासीय पता 7, रेस कोर्स रोड इस प्रकार 7, लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया है।
  2. वर्ष 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड कर दिया गया।
  • 2019 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लंबे समय से चली आ रही औपनिवेशिक युग की प्रथा से अलग हटकर, केंद्रीय बजट पेश करते समय ब्रीफकेस के स्थान पर पारंपरिक भारतीय 'बही खाता'का विकल्प चुना। इतने दशकों तक ब्रिटिश संसद के समय का पालन करके भारतीय बजट को प्रस्तुत करने के समय और तिथि में भी परिवर्तन किया गया है।
  • मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश के युवाओं को विदेशी भाषा सीखने की बाध्यता से भी मुक्ति दिलाई जा रही है।
  • पिछले आठ वर्षों में, सरकार ने 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया है, जिनमें से अधिकांश औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के प्रतीक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि इस आजादी के अमृत काल में हमें गुलामी के समय से चले आ रहे कानूनों को खत्म कर नए कानून बनाने चाहिए।
  • भारत ने एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर लिया है, और वह आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता से सराबोर भविष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश को अपने औपनिवेशिक अतीत की बेड़ियों से मुक्त करने से ही संविधान द्वारा परिकल्पित अपनी संप्रभु पहचान की नींव को और सुरक्षित किया जा सकेगा, एवं राष्ट्र को अधिक शक्ति के साथ आगे बढ़ाया जा सकेगा क्योंकि यह वैश्विक क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम तैयार करता है।

*****

 AG/HP/RC/KG/MZ//एमजी/एएम/आईपीएस/सीएस

(Features ID: 151231)

रविवार, 12 दिसंबर 2021

प्रधानमंत्री ने बैंक जमा बीमा कार्यक्रम में जमाकर्ताओं को संबोधित किया

12 DEC 2021 at 3:44PM by PIB Delhi

 दिल्ली में हुआ बैंक जमा बीमा कार्यक्रम में जमाकर्ताओं का आयोजन 

नई दिल्ली: 12 दिसंबर 2021: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::


“पिछले कुछ दिनों में, एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को वर्षों से फंसा उनका पैसा वापस मिल गया है, यह धनराशि 1300 करोड़ रुपये से अधिक है

"आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर देता है, आज का भारत समस्याओं को टालता नहीं है”

बैंक जमाकर्ताओं के पहले कार्यक्रम में महाराष्ट्र से 8 केंद्रीय मंत्री शामिल हुए -  मुंबई से श्री नितिन गडकरी, पुणे से श्री पीयूष गोयल, ठाणे से श्री परषोत्तम रूपाला व अन्य

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में "जमाकर्ता पहले: गारंटी के साथ व तय समयसीमा में बैंक जमा पर 5 लाख रुपये तक का बीमा भुगतान" विषय पर आयोजित एक समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री, आरबीआई गवर्नर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कुछ जमाकर्ताओं को चेक भी सौंपे।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन, बैंकिंग क्षेत्र और देश के करोड़ों बैंक खाताधारकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन गवाह है कि कैसे दशकों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'जमाकर्ता पहले' की भावना बहुत अर्थपूर्ण है। श्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में, एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को वर्षों से फंसा उनका पैसा वापस मिल गया है। यह धनराशि 1300 करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके  ही उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि, वर्षों से एक प्रवृत्ति रही कि समस्याओं को टाल दो। आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर देता है, आज का भारत समस्याओं को टालता नहीं है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में बैंक जमाकर्ताओं के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी। फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था। यानि अगर बैंक डूबा, तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलता था, लेकिन वो भी गारंटी नहीं कि कब मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “ गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया है। यानि आज की तारीख में यदि कोई भी बैंक संकट में आता है, तो जमाकर्ताओं को, 5 लाख रुपए तक तो जरूर वापस मिलेगा।” कानून में संशोधन करके एक और समस्या का समाधान किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जहां पैसा वापसी की कोई समय सीमा नहीं थी, हमारी सरकार ने 90 दिन अर्थात् 3 महीने के भीतर पैसा वापसी (रिफंड) की समय सीमा निर्धारित कर दी है। उन्‍होंने कहा कि बैंक अगर डूबने की स्थिति में भी है, तो 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की समृद्धि में बैंकों की बड़ी भूमिका है और बैंकों की समृद्धि के लिए जमाकर्ताओं की राशि सुरक्षित होना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि हमें बैंक बचाने हैं, तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी ही होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में अनेक छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मर्ज करके, उनकी कैपेसिटी, कैपेबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी हर प्रकार से सशक्त की गई है। जब आरबीआई, को-ऑपरेटिव बैंकों की निगरानी करेगा तो उससे भी इनके प्रति सामान्य जमाकर्ता का भरोसा और बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि समस्या सिर्फ बैंक अकाउंट की ही नहीं थी, बल्कि दूर-सुदूर तक गांवों में बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की भी थी। आज देश के करीब-करीब हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट की सुविधा पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि आज भारत का सामान्य नागरिक कभी भी, कहीं भी, सातों दिन, 24 घंटे, छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटली कर पा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अनेक सुधार हैं जिन्होंने 100 साल की सबसे बड़ी आपदा में भी भारत के बैंकिंग सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने में मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब दुनिया के समर्थ देश अपने नागरिकों तक मदद पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब भारत ने तेज़ गति से देश के करीब-करीब हर वर्ग तक सीधी मदद पहुंचाई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में किए गए उपायों से बीमा, बैंक ऋण और वित्तीय सशक्तिकरण जैसी सुविधाओं को गरीबों, महिलाओं, रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे किसानों के बड़े वंचित वर्ग तक पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले किसी भी विशेष तरीके से देश की महिलाओं तक बैंकिंग व्यवस्था नहीं पहुंची थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इसे प्राथमिकता के तौर पर लिया है। जन धन योजना के अंतर्गत खोले गए करोड़ों बैंक खातों में से आधे से अधिक महिलाओं के खाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर इन बैंक खातों का प्रभाव पड़ा है और हमने हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में भी इसे देखा है।”

कई केंद्रीय मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए

महाराष्ट्र से जमाकर्ताओं के पहले कार्यक्रम में 8 केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। मुंबई से श्री नितिन गडकरी, पुणे से श्री पीयूष गोयल और ठाणे से श्री परषोत्तम रूपाला शामिल हुए।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा, “बीमा कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के सरकार के फैसले से वरिष्ठ नागरिकों और मध्यम वर्ग के जमाकर्ताओं को सबसे ज्यादा लाभ होगा। देरी से ही सही, लेकिन उपभोक्ताओं को अंतत: न्याय मिल गया है।”

वाणिज्य एवं उद्योग और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा था।

श्री गोयल ने आगे कहा, “पहले जमाकर्ताओं को उनका पैसा 8-9 साल बाद मिलता था जिसे जमा बीमा ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत घटाकर 90 दिन कर दिया गया है। इससे लोगों का बैंकों पर भरोसा बढ़ाने में मदद मिलेगी।”

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और जवाबदेही को प्रदर्शित किया है।

केंद्रीय मंत्रियों ने जमा बीमा योजना के आमंत्रित लाभार्थियों से उनके संबंधित स्थानों पर बातचीत की और रिफंड राशि के चेक भी वितरित किए।

***

एमजी/एएम/जेके/आरके/एमएस/एसके/डीए