tag:blogger.com,1999:blog-88757552939260426552024-03-13T15:33:42.634+05:30Punjab Screen Blog TVRector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.comBlogger1468125tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-7116338438240748152024-02-11T17:10:00.008+05:302024-02-11T17:46:25.856+05:30 सर्दियों की सर्द रात को लुधियाना में रही गीत संगीत की गर्माहट<p><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">Sunday 11th February 2024 at 3:16 PM</span></b></p><p><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">5000 से अधिक संगीत प्रेमी और प्रशंसक पहुंचे हीरो होम लुधियाना में </span></b></p><p><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzhakX0SDDVoakhnP5HPcg5rDErWKtX1bsoyOWEherWUiW5ybxndeoOC-56cNaspA_fTyr54jCn9anHpKugIk6MYHdBOLHdrf6Vri3EufHUeBdV9RetZxpPF9VWcTM6_IJ7S-a0Xg9G7xHa4q-n9_s9pzeglhu2AnT2Mk4AcFPOgqfprcAE2ltr_j_lwI/s1080/B%20Praak%20News%20Details%20in%20Punjab%20Screen.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="809" data-original-width="1080" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzhakX0SDDVoakhnP5HPcg5rDErWKtX1bsoyOWEherWUiW5ybxndeoOC-56cNaspA_fTyr54jCn9anHpKugIk6MYHdBOLHdrf6Vri3EufHUeBdV9RetZxpPF9VWcTM6_IJ7S-a0Xg9G7xHa4q-n9_s9pzeglhu2AnT2Mk4AcFPOgqfprcAE2ltr_j_lwI/w640-h480/B%20Praak%20News%20Details%20in%20Punjab%20Screen.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />लुधियाना</span>: <span style="color: #444444;">11 फरवरी 2024</span>: (<span style="color: #660000;">शीबा सिंह</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन</span> <span style="color: #444444;">ब्लॉग टीवी</span>)::</b><p></p><p><b>सर्दियों की सर्द रात को रोशन करते हुए </b>लुधियाना में बी प्राक और हीरो रियल्टी ने सिधवां कैनाल रोड पर हीरो होम्स लुधियाना में एक भव्य संगीत कार्यक्रम का आयोजन कर लुधियाना में गर्माहट ला दी। प्रसिद्ध गायक <b>बी प्राक</b> ने <b>हीरो रियल्टी के दूसरे चरण </b>के लॉन्च से पहले देश भर से 5000 से अधिक संगीत प्रेमियों और प्रशंसकों की मेज़बानी की। कुल मिला कर यह सारा आयोजन बहुत ही यादगारी रहा।</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-20906348492440963162023-12-30T20:43:00.016+05:302023-12-31T15:43:53.003+05:30बिछ्ड़ी आत्मा ही निरंतर प्रेरणा बनी हुई है फिल्म मेकर परिवार की <p style="text-align: justify;"><span style="background-color: #660000; color: white; font-size: medium;"><b>शार्ट फिल्म ''पिंक लिटिल सांता'' ने हिमाचल फिल्म फेस्टिवल में भी बिखेरा अपना रंग</b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">जीवन संगिनी के नाम पर ही रखा प्रोडक्शन हाउस का नाम</span></b></p><p style="text-align: justify;"><span><b><span style="color: white; font-size: medium;"><span style="background-color: #cc0000;">पत्नी के साथ बिताये 26 वर्षों के साथ को आज भी बरक़रार रखे हुए एस. पी. सिंह </span></span></b></span></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjErn4dW5297hflWue4B1nVmKKc4J9PFjG7AIhmU4SRkExpXI4xHw8BheTx6py9J9Op13ghSbuBWApD_w1U9HT9tPY-4tcKa9LkZ0ES_46nP0yhJkvalKJYKmmtLGJsJvqHXcNoLEBj6Jtr1M2iYWT_EsY461CEEUfomSaLzJ_mWyh0VNzIwVNcABrcz48z/s2800/L26%201a.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="2800" data-original-width="2800" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjErn4dW5297hflWue4B1nVmKKc4J9PFjG7AIhmU4SRkExpXI4xHw8BheTx6py9J9Op13ghSbuBWApD_w1U9HT9tPY-4tcKa9LkZ0ES_46nP0yhJkvalKJYKmmtLGJsJvqHXcNoLEBj6Jtr1M2iYWT_EsY461CEEUfomSaLzJ_mWyh0VNzIwVNcABrcz48z/w640-h640/L26%201a.jpg" width="640" /></a></div><p style="text-align: justify;"><b style="font-family: georgia;"><span style="color: #2b00fe;">चंडीगढ़</span>: <span style="color: #444444;">30 दिसंबर, 2023</span>: (<span style="color: #4c1130;">कार्तिका कल्याणी सिंह</span>/<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन</span><span style="color: #666666;"> ब्लॉग टीवी</span>)::</b></p><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;">हम चीज़ों को, दुनिया को और लोगों को अपनीं आँखों और अपनी समझ के अनुसार देखते हैं। जैसे हम अंदर से होंगे, वैसे ही हमें दुनिया नज़र आएगी। जैसे अध्यात्म में वो कथन है-जो ब्रहमंडे, सोई पिंडे; जो खोजै, सो पावै ॥ अर्थात वो सब कुछ जो इस ब्रह्माण्ड में है वो हमारे अंदर भी है। जिन चीज़ों को हम बाहर ढूंढ रहे हैं, वो असल में हमारे भीतर ही मौजूद हैं। जिस खुशी और आनंद को हम दूसरों में खोजते हैं, वो हमारे अंदर ही समाया हुआ है। ये सारे सुख, खुशियां, आनंद, सारे ही ब्रह्माण्ड, अनगिनत सूरज, तारे, धरतियां सब हमारे अंदर ही है। बस ज़रुरत है तो खुद को खोजने की। खुद को जानने की। खुद को समझने की। इसे जानने और समझने की प्रक्रिया साधना बन जाती है। वही कोशिश ध्यान बन जाती है। तब उस गीत का मर्म भी समझ में आने लगता है जो वर्ष 1963 में आई फिल्म ताजमहल में था। गीत का मुखड़ा था-जब वायदा किया वो निभाना पड़ेगा..!</span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div><div style="text-align: justify;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><span style="font-family: georgia;"><b>इसका संगीत तैयार किया था जानेमाने संगीतकार रोशन साहिब ने</b> और गीत लिखा था ख्यालों की दुनिया तक जादुई उड़ान भरने में माहिर समझे जाने वाले शायर जनाब साहिर लुधियानवी साहिब ने। </span></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><span style="background-color: white;">उस पर आवाज़ का जादू था जनाब मोहम्मद साम्राज्ञी लता मंगेशकर साहिबा का। </span></div></span><span style="color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><span style="background-color: white;">गीत की शुरुआत में ही इश्क का दावा था। एक पुकार भी थी। वह पुकार जिसमें एक आदेश जैसा भाव भी। था </span></div></span></span><div style="text-align: justify;"><br /></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><b>जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">रोके ज़माना चाहे, रोके खुदाई, तुमको आना पड़ेगा</div></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-family: georgia;"><b>इसके बाद इस पुकार में तड़प और मिन्नत भी है जब गीत के बोल सुनाई देते हैं:</b></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><b>तरसती निगाहों ने आवाज दी है</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">मोहब्बत की राहों ने आवाज दी है</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जान-ए-हया, जान-ए-अदा छोड़ो तरसाना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">तुमको आना पडेगा...</div></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-family: georgia;"><b>इसके बाद हुसन और मोहब्बत वायदा भी सुनवाया जाता है:</b></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white;"><div style="text-align: justify;"><b>हम अपनी वफ़ा पे ना इलज़ाम लेंगे</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">तुम्हें दिल दिया है, तुम्हें जां भी देंगे</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जब इश्क का सौदा किया, फिर क्या घबराना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">हमको आना पड़ेगा</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जो वादा किया वो...</div></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #444444;">इससे आगे वाले अन्तरे में भी इसी वायदे को दृढ़ शब्दों में दोहराया गया है, ज़रा देखिए कुछ बोल:</span></b></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><b>चमकते हैं जब तक ये चाँद और तारे</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">ना टूटेंगे अब ऐह दो पैमां हमारे</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">एक दूसरा जब दे सदा, हो के दीवाना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">हमको आना पड़ेगा</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जो वादा किया वो...</div></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>लेकिन मौत तो हर बंधन तोड़ देती है।</b> ज़िंदगी में कही सुनी बातें मौत के अंधेरों में अक्सर गुम हो जाती हैं। कौन लौट कर आता है उस जहां से? शायद कोई नहीं लौटता। अध्यात्म की दुनिया में ऐसी यकीन भरी सच्ची बातें ज़रुर मिलती हैं लेकिन वे भी बहुत कम। जो साथी जीवित भी रह जाता है दुनिया केवल उनकी तड़प ही देख पाती है। यह एक ऐसी कड़वी हकीकत होती है जिसे जीवित बचा साथी हर पल तड़पने के बावजूद उसे स्वीकार नहीं कर पाता। शायद यही होती है मुहब्बत के करिश्मे को दर्शाने वाली जादू भरी शक्ति। चिता की अग्नि में सब कुछ अपने सामने राख हो चुका देखने के बाद भी एक उम्मीद कायम रहती है। अस्थि-कलश को बहते पानी में बहा देने के बावजूद भी एक यकीन सा बना रहता है। प्रकृति के नियम को चुनौती की ही देती है। यमराज से टकराने की हिम्मत भी इसी से आती है। दरअसल कुछ बहुत ही कम विवाह ऐसे होते हैं जिन में रेडियो की तरह सच्चे प्रेमी की फ़्रीकुएंसी जुड़ जाती है। तब कहीं जा कर ऐसे प्रेमी और प्रेमिका सच्चे पति पत्नी बन पाते हैं। वर्ण तो दुनिया नफे नुकसान और औपचारिकताओं में उलझ कर ही समाप्त हो जाती है। शायद यही होता है मानव जीवन का मिलना भी और व्यर्थ भी चले जाना। फ़्रीकुएंसी मिले बिना बने संबंध सचमुच जीवन को व्यर्थ जैसा कर देते हैं। जब फ्रीकवेंसी मिल जाती है, तो अलौकिक शक्तियां भी सहायक बन जाती हैं। इसका अहसास ऊपर दिए गीत के दूसरे भाग में है। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><b>हम आते रहे हैं, हम आते रहेंगे</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">मुहब्बत की रस्में निभाते रहेंगे</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जान-ए-वफ़ा तुम दो सदा होके दीवाना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">हमको आना पड़ेगा</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जो वादा किया वो...</div></span></span><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></span></div><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;"><b>हमारी कहानी तुम्हारा फ़साना</b></div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">हमेशा हमेशा कहेगा ज़माना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">कैसी बला, कैसी सज़ा, हमको है आना</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">हमको आना पड़ेगा</div></span><span style="background-color: white; color: #444444;"><div style="text-align: justify;">जो वादा किया वो...</div></span></span></div><div><span style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></span></div><div><div><span style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><span style="background-color: white;"><b>यह एक गहरी मेडिटेशन की अनुभूति है जिसे कहना, सुनना और समझना-समझाना शायद नामुमकिन जैसी कठिन बात हो सकती है। यह अनुभूति भी किस्मत से ही हो पाती है। </b> बस<span style="color: #444444;"> </span></span>इसी ध्यान रुपी गंगा में डुबकी लगाने की एक विधि है, अपने काम में ही खो जाना। इस डुबकी के आनंद और इसकी उपलब्धि को एक बार फिर कर दिखाया है फिल्म मेकर सम्राट सिंह। मां ला बिछड़ना सम्राट सिंह के लिए असहनीय था। उसके प्रेरणा स्रोत पिता बब्बू सिंह के लिए भी नामुमकिन था जिन्हें हम स्नेह और सम्मान से एस पी सिंह जानते हैं। </span></span></div><div><span style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></span></div><div><span style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>इस हद तक मगन हो जाना कि</b> न दुनिया की सुध रहे और न खुद की सेहत की। ऐसा ध्यान अपने काम में पूर्ण एकाग्रता के साथ ही आता है। जब आप में और आप जो कर रहे हैं, दोनों भेद न रहे। दोनों एक दूसरे में इतना संयोजित हो जाये कि कोई दोनों में भेद ढूंढ न पाए। चाहे आप को देखे या आप के काम को, दोनों ही अभिन्न लगें। जैसे नृत्य को नृत्यकार से अलग नहीं किया सकता। जैसे किसी कलाकार को उसकी कला से अलग नहीं सकता। ऐसी साधना, ऐसा ध्यान ही साधने योग्य है। </span></span></div><p style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>ऐसा ही ध्यान, कला जगत और रचनात्मकता से जुड़ा तकरीबन हर इंसान करता है। </b>इसी कला जगत में फिल्में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। तमाम तरह के बैनर्स और बहुत बड़े बजट में बनने वाले फिल्मो से इतर शार्ट मूवीज का ट्रेंड आज कल बढ़ता है। कम बजट, दुगनी क्रिएटिविटी के साथ बनने वाली इन फिल्मों में समाज के कई मुद्दों से लेकर, अनदेखी कर दी जाने चीज़ें और ऑफ बीट टॉपिक्स को पहल दी जाती है। कोरोना के दौरान इन फिल्मों का दायरा काफी फ़ैल गया है। ये फिल्में और डॉक्यूमेंटरीज, OTT प्लेटफॉर्म्स की ताकत बन गयी है। इन्ही शार्ट फिल्मों में फिल्म निर्मातों और निर्देशकों को प्रोत्साहित करने के तमाम राज्य की सरकारों और प्राइवेट आर्गेनाईजेशन द्वारा फिल्म फेस्टिवल्स आयोजित करवाए जाते हैं। जिन में से अलग अलग कैटेगरी और सिलेक्शन प्रोसेस के बाद उस साल की बेस्ट शार्ट फिल्म्स का चयन किया जाता है। जिस से इन फिल्ममकेर्स और एक्टर्स को अपने काम और अपनी कला को जारी रखने की प्रेरणा मिलने के साथ साथ उनका उत्साहवर्धन भी होता है। </span></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaKsBbcfOii9MRYW-6nbUpnfsvEi-cUH7kdxSWtUR_SinNfaxOZ2S-bFXAr8ya2wGmaqcSCR_ydZEZF_bt8D__3RfLqtDu3k4Rc1Q72GgHsslarUQWoyG1GT445uenC5ST87CTWyIhbq0Ojfngu1uNsYE_an8iLRIdeyPgJ5fjAlhayonKXntAh3BbXy8z/s568/HSFF%20LOGO.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><img border="0" data-original-height="543" data-original-width="568" height="306" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaKsBbcfOii9MRYW-6nbUpnfsvEi-cUH7kdxSWtUR_SinNfaxOZ2S-bFXAr8ya2wGmaqcSCR_ydZEZF_bt8D__3RfLqtDu3k4Rc1Q72GgHsslarUQWoyG1GT445uenC5ST87CTWyIhbq0Ojfngu1uNsYE_an8iLRIdeyPgJ5fjAlhayonKXntAh3BbXy8z/s320/HSFF%20LOGO.jpg" width="320" /></span></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>अभी हाल ही में हिमाचल शार्ट फिल्म फेस्टिवल 2023 दिसंबर महीने में हुआ।</b> ये फेस्टिवल मनाली के अटल बिहारी वाजपेयी मॉउंटरिंग थिएटर में आयोजित किया गया था। इस फेस्टिवल में देश भर के तमाम शार्ट फिल्म मेकर्स ने अप्लाई किया और एक काढ़े सिलेक्शन प्रोसेस के बाद कुछ चुनिंदा फिल्मों को बेस्ट अवार्ड्स की केटेगरी में जगह दी गयी है। इन में एक बेस्ट चिल्ड्रनस फिल्म अवार्ड हाल ही में बनी शार्ट फिल्म ''पिंक लिटिल सांता'' को भी दिया गया। ये फिल्म पिछले साल यानी 2022 क्रिसमस वाले दिन यूट्यूब के परदे पर पाई। इस फिल्म के निर्माता व् निर्देशक सम्राट सिंह द्वारा निर्मित व् निर्देशित 6 मिनट 39 सेकंड की ये फिल्म एक उम्मीद की किरण है। ये फिल्म इस बात पर जोर देती है, कि खुशी बांटने से ही बढ़ती है। दूसरों के चेहरों की मुस्कान, हमारा पूरा दिन, क्या पूरी ज़िन्दगी भी बना सकती है। एक छोटी सी बच्चा का किरदार आपको पूरी फिल्म देखने के लिए विवश कर देगा। एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर ऐसी एक्टिंग आपको अपने अंदर के बच्चे से प्यार करना सीखा देगी। </span></div><p></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEO4zsDKaY9LvopGP7unsNTWesFvqaWu7HPl0O_EFLmqUTwNSxve-m4d6qh25B1K597t3tXSZXpyDe_pk9u6rLMYNY9xV4pzcFq89Psh3c7z0cWdcjrITGP8B4eYg8uRC7z25sNyzCcvczowmBsfv4U79zQ_UFd9P1QGoIf25JYaOuWOlBeCgLTXBTLddp/s2800/L26%202.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><span style="font-family: georgia;"><img border="0" data-original-height="2800" data-original-width="2800" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEO4zsDKaY9LvopGP7unsNTWesFvqaWu7HPl0O_EFLmqUTwNSxve-m4d6qh25B1K597t3tXSZXpyDe_pk9u6rLMYNY9xV4pzcFq89Psh3c7z0cWdcjrITGP8B4eYg8uRC7z25sNyzCcvczowmBsfv4U79zQ_UFd9P1QGoIf25JYaOuWOlBeCgLTXBTLddp/w640-h640/L26%202.jpg" width="640" /></span></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b>मोटी मोटी जानकारी के तौर पर</b> आपको बता दें कि <b>ये फिल्म लकी 26 प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी है।</b> इस प्रोडक्शन हाउस के नाम के पीछे भी एक बैकग्राउंड स्टोरी है। इस प्रोडक्शन हाउस के फाउंडर एस.पी. सिंह (अभिनेता व् निर्देशक) ये नाम अपनी <b>पत्नी लकी (स्व: जसपाल कौर) के नाम पर रखा है।</b> </span><span style="font-family: georgia;">उनकी याद में रखा है। वो ही उनकी पहली मोहब्बत थी, प्रेमिका थी, वही पत्नी बनी, जीवन संगिनी बनी और जब वह पत्नी भी न रह सकी, तो एक याद बन कर रह गई। इसी याद को संजो कर उन्होंने इस प्रोडक्शन हाउस को खड़ा किया है। दूसरों के लिए ये एक प्रोडक्शन हाउस हो सकता है, लेकिन उनके लिए ये उनका प्रेम है। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #4c1130;">यह फ़िल्में तो केवल उस जुड़ाव से मिल रही प्रेरणा का ही परिणाम हैं जो मौत के बाद भी लगातार बना हुआ है। इन संबंधों में बिछड़ने का दर्द भी दिखाई देता है और अलौकिक मिलन के आनंद की अनुभूति भी। बहुत सी बातें और भी हैं जिन्हें फर्क कभी किसी अलग पोस्ट में आपके सामने रखा जाएगा। </span></b></span></div><p></p></div><p style="text-align: justify;"><b style="text-align: left;"><span style="color: #0b5394;"> निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।</span></b></p><div><p></p></div>Kartika Singhhttp://www.blogger.com/profile/03656661489635897147noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-19413101158992538522023-03-14T16:32:00.001+05:302023-03-14T23:17:49.947+05:3052 वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मलेन की तैयारियां पूर्ण<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666;">Tuesday </span><span style="color: #666666; font-size: x-small;">14th <span style="background-color: white; font-family: "Google Sans", Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif;">March 2023 at 3:54 PM</span></span></b></p><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: white; font-size: large;"><span style="background-color: #660000;"><span>52 वें वार्षिक आयोजन का शानदार आगाज 17 मार्च से टैगोर में </span></span> </span></b></div><p></p><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxOHYRvgsbHDVmECW2Qrji1W3uoXVrHdU5fp6g0tJ4t_3SsJPg2Zs3jzVv-iXh6hx2BTeAKCQQvN-KAQmhH4mYUNnfMQV6YwMD8btesvVV2-bdkZHqRlN4GdNzLcIYd-sg4fWxZJNIDvjj-P7nWHjHU9-P6LbJRhUmbuoEh61VRyRsPftBMhsZgADW/s917/PKK%20Event%20News%20Pic%20details%20in%20Music%20Screen.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="613" data-original-width="917" height="428" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxOHYRvgsbHDVmECW2Qrji1W3uoXVrHdU5fp6g0tJ4t_3SsJPg2Zs3jzVv-iXh6hx2BTeAKCQQvN-KAQmhH4mYUNnfMQV6YwMD8btesvVV2-bdkZHqRlN4GdNzLcIYd-sg4fWxZJNIDvjj-P7nWHjHU9-P6LbJRhUmbuoEh61VRyRsPftBMhsZgADW/w640-h428/PKK%20Event%20News%20Pic%20details%20in%20Music%20Screen.jpg" width="640" /></a></div><div style="color: #2b00fe; text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="color: #2b00fe; font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">चंडीगढ़</span>: <span style="color: #444444;">14 मार्च 2023</span>: (<span style="color: #660000;">कार्तिका सिंह</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन </span><span style="color: #444444;">ब्लॉग टीवी</span>)::</div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>कलम, कला और संगीत से जुड़े लोगों का संगम</b> प्राचीन कला केंद्र नियमित तौर पर आयोजित करता आ रहा है। बिना किसी शोरशराबे के लगातार करता आ रहा है। इस आयोजन में पहुंचने वाले अधिकतर लोग अपने अपने क्षेत्र में पूरी तरह से समर्पित भी होते हैं। जब समाज और मीडिया सनसनी और मुनाफागिरि पर ही आधारित हो गया हो तब इस तरह के आयोजनों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। <b>इसी मकसद की औपचारिक घोषणा को लेकर आज सेक्टर 27 के प्रेस क्लब में</b> एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन प्राचीन कला केंद्र द्वारा किया गया। इस प्रेस मीट का आयोजन केंद्र के आगामी वार्षिक महोत्सव 52 वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मलेन का शानदार आगाज से सम्बंधित था जोकि 17 मार्च से टैगोर थिएटर में शुरू होने जा रहा है। तीन दिवसीय इस सम्मलेन में देश भर से जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुतिया पेश करेंगे। इस अवसर पर सम्मलेन और प्राचीन कला केंद्र की भावी योजनाओं के बारे में भी चर्चा की गई। इस प्रेस कांफ्रेंस को केंद्र की रजिस्ट्रार एवं वरिष्ठ कत्थक गुरु शोभा कौसर, सचिव सजल कौसर एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री एस डी शर्मा ने संबोधित किया। गौरतलब है कि श्री शर्मा इस संस्थान से करीब चार दशकों से जुड़े हुए हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>प्राचीन कला केन्द्र की पिछले 51वर्षो से निरंतर चली आ रही संगीत </b>एवं नृत्य से परिपूर्ण सम्मेलन को आयोजित करने की परम्परा इस वर्ष 52 वें वर्ष में प्रवेश कर गई । इस संगीतिक जमावड़े में देश के लगभग सभी कलाकारों ने अपनी मंच प्रस्तुतियों से इस सम्मेलन की शोभा बढ़ाई है। प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में इस वर्ष भी सधे हुए कलाकारों का जमावड़ा है और हरेक कलाकार का अपना एक विशेष महत्व है। इस बार चंडीगढ़ के कला प्रेमियों को अपनी कला के जादू जगाने प्रसाद खापरदे (गायन) , गीता महालिक (ओडिशी नृत्य ), उस्ताद शाहिद परवेज़ खान (सितार), रुक्मिणी विजयकुमार (भरतनाट्यम), पंडित सतीश व्यास (संतूर ) , श्री चेतन जोशी (बांसुरी), पंडिता अनुराधा पाल (तबला ) एवं कुमार शर्मा (कत्थक नृत्य ) जैसे प्रतिभावान एवं सधे हुए कलाकार अपनी चुनिंदा प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। </p><p style="text-align: justify;"> <b>इसके अलावा केन्द्र की पुरानी परंपरा के अनुसार</b> केन्द्र कला जगत की दो महान हस्तियों को भी सम्मानित करने जा रहा है । इनमें पंजाब क्षेत्र के जाने माने सितार वादक एवं गुरु श्री सुरिंदर कुमार दत्ता को पीकेके लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड एवं शायदा जोकि दैनिक भास्कर की डिप्टी एडिटर भी हैं , को पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने विशिष्ट योगदान के लिए पीकेके अवार्ड ऑफ़ एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा। </p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">इसके पश्चात सम्मेलन के पहले दिन नासिक से आये जाने माने शास्त्रीय गायक श्री प्रसाद खापरदे और ओडिशी नृत्यांगना श्रीमती गीता महालिक अपने समूह के साथ खूबसूरत नृत्य प्रस्तुतियां पेश करेंगे। </span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-24159980177173264832023-01-02T19:30:00.008+05:302023-03-13T11:14:58.557+05:30राज्यपाल ने लोकायुक्त का वार्षिक केलेण्डर-2023 जारी किया<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;"> 2nd <span style="background-color: white; font-family: "Google Sans", Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif;">January 2023 at 6:22 PM</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">इस बार का कैलेंडर भी यादगारी रहा </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFdOUfvbaX2t7d8iV3SeAFiEIMe2QhgF6U5W7pqiKEvgQSlFy_1_i_Rou5gmuUltLbdLdTupggB6lnJmXg1f-bI8h8QipGn9NdmED8ML9fM-ujf5I9_EekLHbCzh5GgSfRhACrXFbrKRBzqGdKrpNB15xHwZ5gN7XauxxYXAccSiHc913XZXurX9O9/s1280/Shri%20Chander%20Bhushan%20Barowalia,%20Lokayukta%20with%20Governor.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="853" data-original-width="1280" height="426" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFdOUfvbaX2t7d8iV3SeAFiEIMe2QhgF6U5W7pqiKEvgQSlFy_1_i_Rou5gmuUltLbdLdTupggB6lnJmXg1f-bI8h8QipGn9NdmED8ML9fM-ujf5I9_EekLHbCzh5GgSfRhACrXFbrKRBzqGdKrpNB15xHwZ5gN7XauxxYXAccSiHc913XZXurX9O9/w640-h426/Shri%20Chander%20Bhushan%20Barowalia,%20Lokayukta%20with%20Governor.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />शिमला</span>: <span style="color: #444444;">02 जनवरी, 2023</span>: (<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन</span> <span style="color: #444444;">ब्लॉग टीवी</span>)::</b><p></p><div class="yj6qo"></div><div class="adL" style="text-align: justify;"><b>ज़मीन पर खिंची गई रेखाएं</b> नए नक्शे बनाने में में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं लेकिन दिल में जो एकता होती है वह इन रेखयों के खींचने से भी नहीं मिटती। प्रेम, सौहार्द और सदभाव का रंग हमेशा गहरा रहता है। इसका अहसास उस समय भी हुआ जब हिमाचल का नया राजकीय कैलंडर जारी किया गया। </div><div class="adL"><div style="text-align: justify;"><b>राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने </b>आज राजभवन में लोकायुक्त हिमाचल प्रदेश का वार्षिक केलेण्डर-2023 जारी किया। कैलेंडर इस बार भी आकर्षक बन पड़ा। इसे रिलीज़ करते समय इस बार भी पारम्परिक उतुस्कता और उत्साह महसूस किए गए। इस अवसर पर लोकायुक्त चंद्र भूषण बरोवालिया भी उपस्थित थे।</div><div style="text-align: justify;">----</div></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-62379669268386986282022-12-03T17:15:00.006+05:302023-03-13T09:32:43.628+05:30गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना भी बेहद ज़रूरी<div class="ReleaseDateSubHead text-center" style="background-color: white; box-sizing: border-box; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; text-align: justify;"><span style="color: #666666; font-size: x-small;">Posted On: 03rd December 2022 at 3:40 PM</span></div><div><span style="color: white;"><b style="font-family: Mangal, serif; font-size: x-large; text-align: justify;"><span style="background-color: #660000;">मन के गहरे कोने में भी गुलामी का कोई अंश तक न हो-मोदी</span></b><span style="background-color: #660000; font-family: Mangal, serif; font-size: x-large; text-align: justify;"> </span></span></div><p><span style="background-color: white; color: inherit; font-family: inherit; text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;"><u>ज़रा समझिए कि नया भारत:औपनिवेशिक अतीत के प्रतीकों को क्यूं हटा रहा है</u></span></b></span></p><div class="MinistryNameSubhead text-center" style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; text-align: center;"></div><div class="ReleaseDateSubHead text-center" style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; text-align: justify;"><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">नई दिल्ली: 3 दिसंबर 2022: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::देश की जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा अक्सर देश के बहुत से स्थानों और इमारतों के नाम उनके नाम पर देखता रहा है जिनके बार में उनके मन की छवि नायक की नहीं खलनायक की रही है। उसके मन में सवाल उठते रहे कि इनका इतना महिमामंडन क्यूं? स्वतंत्रता के बाद भी उन्हींका गुणगान क्यूं जिन्होंने देश को लम्बे समय तक गुलाम बनाए रखा। क्या ये सब वोटबैंक की सियासत का परिणाम है?</span></div><div class="ReleaseDateSubHead text-center" style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; text-align: justify;"><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">15 अगस्त, 2022 को भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने</span><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> </span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px; font-weight: 700;">आने वाले 25 वर्षों (अमृत काल) के लिए 'पंच प्राण'</span><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">के बारे में बात की थी। ‘दूसरे प्राण’ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, "हमारे अस्तित्व के किसी भी हिस्से में, यहां तक कि हमारे मन या आदतों के किसी गहरे कोनें में भी गुलामी का कोई अंश नहीं होना चाहिए। हमें इसे वहीं समाप्त कर देना चाहिए। हमें अपने आप को गुलामी की उस मानसिकता से मुक्त करना होगा जो हमारे भीतर और हमारे आस-पास मौजूद असंख्य चीजों में दिखाई देती है। यही हमारी दूसरी प्राण शक्ति है।</span></div><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">आधुनिक भारत का इतिहास दो शताब्दियों के ब्रिटिश उपनिवेशवाद के साथ गहराई से जुड़ा है, और स्वतंत्रता प्राप्ति के दशकों बाद भी, हमारे देश ने विभिन्न रूपों में, कुछ विशिष्ट और कुछ सूक्ष्म रूप में अपने औपनिवेशिक बोझ को ढोने का क्रम जारी रखा है। पिछले कुछ वर्षों से, सरकार धीरे-धीरे भारत को ब्रिटिश शासन के इन प्रतीकों से दूर कर रही है, और एक नए भारत की पहचान को मजबूती से स्थापित करने के लिए उसने अनेक क्षेत्रों में कई कदम उठाए हैं और वास्तव में देश को उसकेऔपनिवेशिक अतीत से मुक्त कराया है।</span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">इस नए अभियान के अंतर्गत राजपथ का नाम बदल कर कर्तव्य पथ रखा गया</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: "Times New Roman", "serif";"><img src="https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00206XV.jpg" style="border: 0px; box-sizing: border-box; height: 189px; vertical-align: middle; width: 353px;" /></span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"> <span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">अमृत काल में 'औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को हटाने' के अपने संकल्प के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 08 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में </span></span><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">'कर्तव्य पथ'</span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">का उद्घाटन किया। नामकरण में यह परिवर्तन पूर्ववर्ती राजपथ से परिवर्तन करने का प्रतीक है।<span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">कर्तव्य पथ के लिए शक्ति का एक प्रतीक होना</span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"> </span></span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का उदाहरण</span></span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> है</span><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">।</span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"> <span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px; font-weight: 700;">इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा अब नए भारत की बात करती महसूस होती है। </span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: "Times New Roman", "serif";"><img src="https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003N6M9.jpg" style="border: 0px; box-sizing: border-box; height: 252px; vertical-align: middle; width: 232px;" /></span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><b>इसी तरह</b> <span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">इंडिया गेट के पास लगी किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को हटाकर उस स्थान पर राष्ट्रीय नायक और प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><u style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक विशाल प्रतिमा स्थापित</span></u></span> की गई है। “यहां गुलामी के समय, ब्रिटिश राज के प्रतिनिधि की एक मूर्ति थी। आज उसी स्थान पर </span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">नेताजी की प्रतिमा स्थापित</span><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> कर देश ने एक आधुनिक, मजबूत भारत को जीवंत किया है। नेताजी की ग्रेनाइट की मूर्ति उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस (23 जनवरी) को नेताजी की एक<b> </b></span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><b><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">होलोग्राम प्रतिमा</span> का अनावरण किया था।</b></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"> <span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px; font-weight: 700;">नई नौसेना पताका औपनिवेशिक अतीत के प्रस्थान का प्रतीक है</span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: "Times New Roman", "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #0f1419;"><img src="https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004DLJO.jpg" style="border: 0px; box-sizing: border-box; height: 311px; vertical-align: middle; width: 311px;" /></span></span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">औपनिवेशिक अतीत से दूर जाने के लिए किये जा रहे राष्ट्रीय प्रयास के गुंजायमान, एक <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">नए नौसैनिक ध्वज में परिवर्तन</span>की आवश्यकता अनुभव की गई जिसने हमारी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा ली है। पिछली पताका में सेंट जॉर्ज का क्रॉस लगा था, जो स्वतंत्रता से पहले ध्वज का उत्तराधिकारी था, जिसमें शीर्ष बाएं कोने पर यूनाइटेड किंगडम के यूनियन जैक के साथ एक सफेद पृष्ठभूमि पर रेड क्रॉस बना था। </span><a href="https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1856230" style="background-color: transparent; box-sizing: border-box; color: #055193; font-size: 16px; text-decoration-line: none;" target="_blank"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">नई पताका</span></span></a><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> में दो मुख्य घटक शामिल हैं - ऊपरी बाएं कैंटन में राष्ट्रीय ध्वज, और फ्लाई साइड के केंद्र में एक नेवी ब्लू - गोल्ड अष्टकोना (डंडे से दूर) है। प्रधानमंत्री ने यह <u style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">पताका </span></u></span><a href="https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1856215" style="background-color: transparent; box-sizing: border-box; color: #055193; font-size: 16px; text-decoration-line: none;" target="_blank"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित की</span></span></a><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> है, <span style="box-sizing: border-box;">जिसने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया था</span><span style="box-sizing: border-box;">, जो भारत की स्वदेशी शक्ति का प्रतीक है।</span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"> <span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px; font-weight: 700;">"बीटिंग द रिट्रीट" समारोह में भारतीय जोश के साथ धुन</span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: "Times New Roman", "serif";"><img src="https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/045X8Y.jpg" style="border: 0px; box-sizing: border-box; height: 178px; vertical-align: middle; width: 340px;" /></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"> <span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">2022 के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान,</span><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> </span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह में कई </span><u style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">नई धुनें जोड़ी गईं</span></u><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> </span><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">हैं।</span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">इन धुनों में</span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">'</span><em style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">केरल</em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">', '</span><em style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">हिंद की सेना</em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> ' और '</span><em style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">ऐ मेरे वतन के लोगों</em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> ' शामिल हैं। </span><em style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">'सारे जहां से अच्छा</em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> ' की धुन के साथ </span><em style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">कार्यक्रम का समापन </em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">हुआ था</span><span style="font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">। सितार, संतूर और तबला जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों को भी संगीत कलाकारों की टुकड़ी से जोड़ा गया है। इस प्रकार रिट्रीट में भारतीय सुगंध और देशभक्ति का जोश भर दिया गया है, ताकि देश के नागरिकों के साथ अधिक से अधिक संपर्क स्थापित किया जा सके।</span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम</span></span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">) का निर्माण और अमर जवान ज्योति और एनडब्ल्यूएमकी ज्योतियों का विलय</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: "Times New Roman", "serif";"><img src="https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006DIDL.jpg" style="border: 0px; box-sizing: border-box; height: 280px; vertical-align: middle; width: 421px;" /></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में अंग्रेजों द्वारा निर्माण किया गया,इंडिया गेट (जिसे पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाना जाता था) भारत के औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के ऊपर भारत की विजय के प्रतीक अमर जवान ज्योति को बाद में तदर्थ व्यवस्था के रूप में उपरोक्त स्थान से जोड़ा गया, क्योंकि देश में युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले भारतीय सैनिकों के लिए कोई अन्य स्मारक नहीं था। <span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px; font-weight: 700;">स्वतंत्र भारत के प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक</span> का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 फरवरी, 2019 को उद्घाटन किया गया था और इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसमें 1971 से पहले और बाद में हुए सभी युद्धों में शहीदहुए सभी भारतीय सैनिकों के नाम हैं। इस प्रकार एनडब्ल्यूएमउन<b> </b></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><b><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">सभी सैनिकों का स्मारक</span> है</b></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;">जिन्होंने स्वतंत्र भारत की सेवा में या तो अपना जीवन लगा दिया है या भविष्य में यह कार्य करेंगे। इसके उद्घाटन के बाद, सभी श्रद्धांजलि और स्मरण समारोह केवल एनडब्ल्यूएममें आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय दिवसके मौके भी शामिल हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की उपस्थिति में, शाश्वत ज्योति का इस नए स्थल पर स्थानांतरण करना इसलिए उचित समझा गया क्योंकि यह सभी बहादुरशहीदों के सम्मान में ज्योति स्थापित करने के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है।</span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का नाम बदला</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">30 दिसंबर, 2018 को, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा <u style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की </span><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">75वीं वर्षगांठ को चिह्नित</span></u> करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि रॉस द्वीप का नाम बदलकर<span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप</span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"> </span>कर दिया जाएगा, नील द्वीप को <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">शहीदद्वीप</span> के नाम से जाना जाएगा और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">स्वराज द्वीप</span> कर दिया जाएगा। स्वतंत्र भारत में भी इन द्वीपों का नाम ब्रिटिश शासकों के नाम पर रखा गया था। सरकार नेभारतीय नाम और भारतीय पहचान देकर गुलामी की इन निशानियों को मिटा दिया।</span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">रेल बजट का वार्षिक केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">ब्रिटिश युग की प्रथाओं से एक अन्यप्रथा को बदलते हुए, सरकार ने बजट वर्ष 2017-18 से </span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">रेल बजट का केंद्रीय बजट के साथ विलय</span></span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> कर दिया।</span> <span style="background-color: transparent; box-sizing: border-box; color: #055193; font-family: Mangal, "serif"; text-decoration-line: none;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">एकवर्थ समिति</span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> (1920-21) की सिफारिशों के बाद 1924 में रेलवे वित्त को सामान्य वित्त से अलग कर दिया गया था।</span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">ब्रिटिश शासन के दौरान प्रतिबंधित साहित्यिक कार्यों का पुनरुद्धार</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">स्वतंत्रता के आंदोलन के दौरानब्रिटिश सरकार द्वारा क्रांतिकारी साहित्यिक कृतियों पर </span></span></span></span><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि इन्हें भारत में उनके शासन की 'सुरक्षा' के लिए 'खतरनाक' माना जाता था। साहित्य के इस निकाय का उद्देश्य लोगों के मन में देशभक्ति की भावना जगाना और स्वतंत्र भारत के लिए खड़े होने का आह्वान करना था। आजादी के अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में, सरकार ने ऐसी </span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">कविताओं</span></span><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">, लेखों और प्रकाशनों की पहचान की है जिन पर ब्रिटिश राज ने प्रतिबंध लगा दिया था और उन्हें भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा </span></span><span style="background-color: transparent; box-sizing: border-box; color: #055193; font-family: Mangal, "serif"; text-decoration-line: none;"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">प्रकाशित</span> एक सूची के रूप में एक साथ रखा था।</span><span style="background-color: transparent; box-sizing: border-box; color: #055193; text-decoration-line: none;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं, इच्छाओं और उनके संकल्पों का प्रतिनिधित्व करने वाले ये अनूठे संग्रह विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।</span></span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने के लिए की गई अन्य पहलें:</span></span></p><ul style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; margin: 0px 0px 10px; padding: 0px;"><li style="box-sizing: border-box; display: block; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">सरकार ने उन कुछ प्रमुख सड़कों के नाम बदल दिये हैं जिनके मूल नाम ब्रिटिश काल में प्रतिष्ठित थे।</span></span></span></span></li></ul><ol style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; list-style-type: lower-alpha; margin-bottom: 10px; margin-top: 0px;"><li style="box-sizing: border-box; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">2016 में लुटियन की दिल्ली में रेस कोर्स रोड काबड़ा नाम थाजिसे बदलकर <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">लोक कल्याण मार्ग</span> कर दिया गया है। प्रधानमंत्री का प्रसिद्ध आवासीय पता 7, रेस कोर्स रोड इस प्रकार <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">7, लोक कल्याण मार्ग</span> कर दिया गया है।</span></span></span></li><li style="box-sizing: border-box; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">वर्ष 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">दारा शिकोह रोड</span> कर दिया गया।</span></span></span></li></ol><ul style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; margin: 0px 0px 10px; padding: 0px;"><li style="box-sizing: border-box; display: block; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">2019 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लंबे समय से चली आ रही औपनिवेशिक युग की प्रथा से अलग हटकर, केंद्रीय बजट पेश करते समय ब्रीफकेस के स्थान पर पारंपरिक भारतीय <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">'बही खाता'</span>का विकल्प चुना। इतने दशकों तक ब्रिटिश संसद के समय का पालन करके </span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">भारतीय बजट को प्रस्तुत करने के समय और तिथि</span> में भी परिवर्तन किया गया है।</span></span></span></li><li style="box-sizing: border-box; display: block; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">मातृभाषा</span></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> में शिक्षा पर जोर देने वाली <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">राष्ट्रीय शिक्षा नीति</span> के माध्यम से देश के युवाओं को विदेशी भाषा सीखने की बाध्यता से भी मुक्ति दिलाई जा रही है।</span></span></span></li><li style="box-sizing: border-box; display: block; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">पिछले आठ वर्षों में, सरकार ने </span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;">1,500 से अधिक पुराने कानूनों को निरस्त</span></span></span><span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;"><u style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"><span style="box-sizing: border-box; color: #548dd4;"> कर दिया</span></span></u></span><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";"> है, जिनमें से अधिकांश औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के प्रतीक थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि इस आजादी के अमृत काल में हमें गुलामी के समय से चले आ रहे कानूनों को खत्म कर नए कानून बनाने चाहिए।</span></span></span></li><li style="box-sizing: border-box; display: block; text-align: justify;"><em style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">भारत ने एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर लिया है</span></em><em style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">, और वह आत्मविश्वास और <span style="box-sizing: border-box; font-weight: 700;">आत्मनिर्भरता</span></span></em><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif"; font-size: 16px;"> से सराबोर भविष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश को अपने औपनिवेशिक अतीत की बेड़ियों से मुक्त करने से ही संविधान द्वारा परिकल्पित अपनी संप्रभु पहचान की नींव को और सुरक्षित किया जा सकेगा, एवं राष्ट्र को अधिक शक्ति के साथ आगे बढ़ाया जा सकेगा क्योंकि यह वैश्विक क्षेत्र में नए पाठ्यक्रम तैयार करता है।</span></li></ul><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; color: #333333; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14.4px; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="box-sizing: border-box; font-size: 16px;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">*****</span></span></span></p><p style="background-color: white; box-sizing: border-box; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif; line-height: 22px; margin: 0px 0px 10px; text-align: justify;"><span style="color: #333333; font-size: 14.4px;"> </span><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box;"><span style="box-sizing: border-box; font-family: Mangal, "serif";">AG/HP/RC/KG/MZ//</span></span></span></span><span style="font-family: Mangal, "serif";">एमजी/एएम/आईपीएस/सीएस</span></span></b></p><span id="ContentPlaceHolder1_ReleaseId" style="background-color: white; box-sizing: border-box; font-family: "Helvetica Neue", Helvetica, Arial, sans-serif;"><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">(Features ID: 151231)</span></b></div></span>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-83625796905031787602022-08-30T17:30:00.036+05:302022-09-06T12:06:41.620+05:30डॉक्टर लोकेश शर्मा को पंजाब रतन अवार्ड 2022 <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">29th August 2022 at 04:35 PM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;"> </span></b><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> चंडीगढ़ में हुई थी 44वीं</span><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> नैशनल कांन्फ्रेंस </span></b></p><p><span style="color: #2b00fe;"></span></p><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;"><span style="color: #2b00fe;"><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbmIgPr2vlPt_eEIxVrsfaK1G0XsJMyt_Yf2fKvcCwJV8TnKwBXSZoz0_ZlflvmuTrbikPOqCbfMycpw80qT1qD79PZF_6VFRf-x-Gymj4uUkSX-uc2EYQC1Wd7ZJpeZnb_7HHTRhU-NckCCKOuMhzqe31vXcwBN_iWekGRwHYEVK05Lt8pJG0_uQJ/s1080/Dr%20Lokesh%20WhatsApp%20Image%202022-08-29%20at%203.31.29%20PM.jpeg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="479" data-original-width="1080" height="284" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbmIgPr2vlPt_eEIxVrsfaK1G0XsJMyt_Yf2fKvcCwJV8TnKwBXSZoz0_ZlflvmuTrbikPOqCbfMycpw80qT1qD79PZF_6VFRf-x-Gymj4uUkSX-uc2EYQC1Wd7ZJpeZnb_7HHTRhU-NckCCKOuMhzqe31vXcwBN_iWekGRwHYEVK05Lt8pJG0_uQJ/w640-h284/Dr%20Lokesh%20WhatsApp%20Image%202022-08-29%20at%203.31.29%20PM.jpeg" width="640" /></a></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span><span>: </span><span style="color: #444444;">29 अगस्त 2022</span><span>: (</span><span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन </span><span style="color: #0c343d;">ब्लॉग टीवी </span><span style="color: #741b47;">डेस्क</span><span>):: </span></div></span></span></span></div><p></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; font-weight: bold; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEggEqoG0wI170iwTM8cXs3TT_q9uMHXOurGpkY9rR_FbVDiWOflq3A1u-ocrPbE0igSphy-kWGtwILa1UXBTAVFfhUJAjuO8H8SHdgu_v6paPGjded6wlpBnb6Y_32-KAhH52zF9mWuJ-q4oWFVw41KxnXODKSl4uHFGwQLrXJ5935cLa2r8DOaQmSu/s916/Acharya%20Lokesh.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="743" data-original-width="916" height="325" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEggEqoG0wI170iwTM8cXs3TT_q9uMHXOurGpkY9rR_FbVDiWOflq3A1u-ocrPbE0igSphy-kWGtwILa1UXBTAVFfhUJAjuO8H8SHdgu_v6paPGjded6wlpBnb6Y_32-KAhH52zF9mWuJ-q4oWFVw41KxnXODKSl4uHFGwQLrXJ5935cLa2r8DOaQmSu/w439-h325/Acharya%20Lokesh.jpeg" width="439" /></a></div><div style="text-align: justify;"><b style="font-weight: bold;">आंखों से देख कर या फिर नब्ज़ टटोल कर किसी भी बिमारी का पता लगाने में माहिर आचार्य डाक्टर लोकेश अपने क्षेत्र में बहुत ही लोकप्रिय हैं। </b>उनके मरीज़ उनके ही गुण गाते हैं। चंडीगढ़ में इन्हीं कारणों से उन्हें पंजाब रत्न एवार्ड दिया गया। उनके मिलाज कई जगहों पर चलता है। हर जगह पर निश्चित कार्यक्रम के मुताबिक मरीज़ उनकी इंतज़ार में रहते हैं। बी पी, शूगर, मानसिक तनाव, शरीरक कमज़ोरी या कुछ भी ऐसी समस्या हो डा. लोकेश के पास उसे ठीक करने का मंत्र है। आयुर्वेद के साथ साथ होम्योपैथी के समिश्रण के भी आचार्य लोकेश बहुत अच्छे ज्ञाता हैं। इसके साथ ग्रहों की दशा और सितारों की चाल को भी पहचानते हैं। वह चाहते हैं हर ज़रूरतमंद उनके पास जल्द से जल्द पहुंचे और वह उसे तंदरुस्त कर के घर भेजें। आचार्य डा. लोकेश किसी मुनाफे के लिए नहीं बल्कि जनता को स्वस्थ बनाने में जुटे हुए हैं। एक मिशन ले कर चल रहे हैं। लक्ष्य भी बहुत बड़ा है, दिल भी और हिम्मत भी। </div><p></p><div style="text-align: justify;"><b>ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस इंस्टिट्यूट संस्था की ओर से</b> इस बार साल 2022 का आयोजन वास्तव में यह इस संस्था का 44वां वार्षिक आयोजन था। जो बहुत ही भव्य और शानदार रहा। इसमें देश भर से महान शख्सियतों ने भाग लिया। इसमें छत्तीसगढ़ के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल के एम सेठ, हरियाणा के डिप्टी सी एम दुष्यंत चौटाला, यू के हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजेश टंडन, हिमालय वैलनेस से डॉक्टर एस फारुख, सुप्रीम कोर्ट से एडवोकेट पी एन शर्मा, विधायक शाहबाद मारकंडा और चेयरमैन शुगर फेड हरियाणा से श्री रामकरण, मेंबर पार्लिमेंट राज्यसभा और वाइस चेयरमैन शिमला यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर डॉक्टर सिकंदर कुमार, वाइस चेयरमैन सिरसा से डॉक्टर कुलदीप सिंह ढ़ीढ़सा, श्रीमान पॉपुलर मीरुथी, डॉक्टर ए यू खान, चंडीगढ़ से जी जी डी एस डी के प्रिंसिपल डॉ अजय शर्मा, सिरसा से चेयरमैन भूपेश मेहता, मंगल पांडे पी जी कॉलेज से डॉक्टर अनीता गोस्वामी, गुरुग्राम से डॉक्टर पूजा राणा, हरिद्वार से श्रीमती अदिति, मीरूट से शम्मी छपरा, श्रीमती अनुश्री, राजेश कुकरेजा, ध्यानचंद कुतरी, लुधियाना से डॉक्टर लोकेश शर्मा, यमुनानगर से डॉ राजन, के डी इंटरनेशनल स्कूल से अमित गिरी, लखनऊ से डॉक्टर अशोक दुबे, अशोक कुमार शर्मा, चेन्नई से संजय कुमार, नोएडा से अमर एन शर्मा ने भाग लिया। </div><p style="text-align: justify;"><b>इसमें प्राकृतिक चिकित्सा स्वास्थ्य संस्थान लुधियाना के</b> संस्थापक आचार्य डॉक्टर लोकेश शर्मा को स्वास्थ्य देखभाल, आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा व योग साधना प्रचार के क्षेत्र में सामाजिक कार्यों के लिए पंजाब रतन 2022 पुरस्कार से सम्मानित किया गया। </p><p style="text-align: justify;"><b>उस दिन हम सभी के लिए</b> बहुत हर्ष का दिन रहा <b>क्योंकि नेचरोवेदा हेल्थ इंस्टीट्यूट लुधियाना के फाउंडर लुधियाना के डॉक्टर लोकेश शर्मा को पंजाब रत्न अवार्ड 2022 का एवार्ड,</b>मिलना हम सभी का सम्मान था। यह रहबर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज भवानी गढ़ डिस्ट्रिक संगरूर में बतौर इंचार्ज नेचुरोपैथी एंड आयुर्वेद पंचकर्म डिपार्टमेंट से भी हैं और इसके साथ साथ महासती प्रवेश माला जैन चेरिटेबल हॉस्पिटल मोतीनगर लुधियाना के इंचार्ज भी हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>इससे पहले भी आचार्य लोकेश </b>बहुत से संतानों से जुड़े रहे हैं। स्वामी विवेकानंद हॉस्पिटल मॉडल टाउन लुधियाना, श्री लक्ष्मी नारायण चेरिटेबल डिस्पेंसरी , बी आर एस नगर लुधियाना , ई ब्लॉक गुरुद्वारा साहिब में फिजियोथेरेपी नेचुरोपैथी योगा सेंटर के पूर्व सह संस्थापक और जैन चेरिटेबल हॉस्पिटल, हिमालयन हीलिंग सेंटर बलाचौर (नवा शहर) आदि सेंटरों में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। इस अवसर पर पानीपत से रमन अनेजा, लुधियाना से सुशील कुमार मल्होत्रा, नासिक से अनिल गंगुरड़ी, एच एस शर्मा, नैनीताल से डॉक्टर नीटा बूरा, भीलवाड़ा राजस्थान से अनिल छज्जर, अकील शेख, संजय अग्रवाल, अमन अग्रवाल, मनोज कुमार गुलाटी उपस्थित थे।</p><p style="text-align: justify;"><span style="text-align: left;"><b><span style="color: #444444;">निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।</span></b></span></p><form><script async="" data-payment_button_id="pl_KCZ8GjiGCiCHef" src="https://checkout.razorpay.com/v1/payment-button.js"> </script> </form> Punjab Screen Deskhttp://www.blogger.com/profile/10576331051489441091noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-15333422209907137112022-02-03T18:18:00.002+05:302022-02-04T19:12:54.838+05:30राजनीति के फिसलन भरे रास्ते पर हर कदम बच कर उठाना है//संजीवन सिंह<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> </span></b><span style="text-align: left;"><span style="color: #fcff01; font-size: large;"><b><span style="background-color: #660000;"> किसान आंदोलन की जीत के बाद सावधान करती रचना </span></b></span></span></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhITDOXm4pzoxZLsKTFqFnUjnxQxOuv-vexnPLlKnSEn5M1SBYt7fJk53LuvoPLohBAYTPlFVs90l7q0loTp0lv8njkZC63Wc48WDJIHr3m4r-EOGiEmI0FDWaI06PfWmsuyofvkZoBC20lhG1wY2MeyjhUApejKxOjNK7iAWvjV5gWA3e4WMTyfcwL=s1040" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="640" data-original-width="1040" height="394" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEhITDOXm4pzoxZLsKTFqFnUjnxQxOuv-vexnPLlKnSEn5M1SBYt7fJk53LuvoPLohBAYTPlFVs90l7q0loTp0lv8njkZC63Wc48WDJIHr3m4r-EOGiEmI0FDWaI06PfWmsuyofvkZoBC20lhG1wY2MeyjhUApejKxOjNK7iAWvjV5gWA3e4WMTyfcwL=w640-h394" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444; font-size: medium;"> </span></b><b style="color: #444444; font-size: large;">संजीवन और इप्टा के अन्य साथियों ने किसान योद्धाओं के विजय मार्च का स्वागत किया</b></td></tr></tbody></table><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-size: medium;"><b></b></span></div><div style="text-align: justify;"><div style="text-align: justify;"><b>दिल्ली की सीमाओं पर</b> किसान आंदोलन की जीत शानदार रही लेकिन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। अब पंजाब में टकराव की स्थिति बन रही है. कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीतने वाला दांव कहाँ जाता है। यह डर एक बार फिर से दिलों में उठने लगा है। 750 से अधिक किसान साथियों का हिसाब अभी बाकी है। सरकार द्वारा किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। बीजेपी नेता लगातार इसी कानून को खत्म करने की धमकी दे रहे हैं. किसानों को मवाली कहने वाले मंत्री भी पंजाब में घूम रहे हैं। <b>लम्बे समय से रंगमंच और प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े रहे मोहाली निवासी प्रख्यात रंगकर्मी संजीवन सिंह हमेशां श्रमिकों के हितैषी रहे हैं।</b> प्रगतिशील परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने आंदोलन में शामिल व्यक्तियों और ताकतों को बहुत संतुलित शब्दों में चेतावनी देने की कोशिश की है। हम इस लेख और आंदोलन के भविष्य पर आपसे सुनने के लिए उत्सुक हैं। <b>--संपादक</b></div><div style="text-align: justify;"><br /></div></div><div style="text-align: justify;"><span><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEh5qc4BIrxwGLeo85v9z7Yi354rLx0B0I-czhHL4FmJNMUihXV7l0vwOyTnGY8H5Mfaf1UchpxqHy9I3CmUsCIs6Ur48e7Fzve54hC_FLYRtFWMRWsc4-WaR8NBimnEagLq_bVAZX0WtYt77g6HohcjkBMfLaXfQZMkiHUssYgyiXWh29RhYOvVjX4g=s960" style="clear: left; float: left; font-weight: bold; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="960" data-original-width="705" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEh5qc4BIrxwGLeo85v9z7Yi354rLx0B0I-czhHL4FmJNMUihXV7l0vwOyTnGY8H5Mfaf1UchpxqHy9I3CmUsCIs6Ur48e7Fzve54hC_FLYRtFWMRWsc4-WaR8NBimnEagLq_bVAZX0WtYt77g6HohcjkBMfLaXfQZMkiHUssYgyiXWh29RhYOvVjX4g=s320" width="235" /></a><div style="text-align: justify;"><b>सत्ता के किसान विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ पंजाब में उठे विद्रोह ने </b>न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया और दुनिया की चर्चा बन गई। हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म, हर विचार, हर विचार और हर वर्ग के लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और अपने वित्त और क्षमता के अनुसार संघर्ष के इस धुएं को जलाए रखने के लिए योगदान दिया। सभी प्रकार के भेदभाव और मतभेदों को अलग रखते हुए, उन्होंने सत्ता और अधिकार के नशे में भारत के अभिमानी शासक के अत्याचार, ज्यादतियों और मनमानी के खिलाफ आवाज उठाई।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">हुक्मरानों ने अपने गुर्गों के माध्यम से इस जनसंघर्ष को आतंकवादी, अलगाववादी, खालिस्तानी, नक्सली, आंदोलनकारी बताकर कुचलने के कई असफल प्रयास किए। किसी भी एक संघर्षरत योद्धा का मन नहीं डगमगाया। उनके इरादे और भी मजबूत हो गए।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">खेतों के बेटों को सत्ता वालों ने बुरी तरह बदनाम करने में ोकि कस्र नहीं छोड़ी। किसान को अन्नदाता के रूप में स्वीकार करने से यह कहकर इनकार करना कि एक अनाज विक्रेता एक उपकारी कैसे हो सकता है, आंदोलन के समर्थकों और सहानुभूति रखने वालों के लिए आश्चर्य और संकट का का कारण बना। क्योंकि ऐसे सज्जन देश की सीमाओं पर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के सैनिकों को यह कहकर शहीद मानने से भी इंकार कर सकते हैं कि सैनिकों को वेतन मिलता है और नौकरी मिलती है।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">अत्याचारी के अत्याचार से लड़ने के लिए गुरुओं, संतों और नबियों से विरासत में मिली गुड़ती ने विनम्र शासक को झुकने के लिए मजबूर किया। देश भर से गिने-चुने दिग्गज (लोक शक्ति) डंडे में झंडे लिए दिल्ली लौटे। पहले से ही अलग-अलग रंगों के झंडे डंडे पर फहराए गए और सत्ता के भूखे लोग चिल्लाने लगे, वे डंडे पर झंडे क्यों लगा रहे हैं? डंडे में झंडे लगाना हमारा अधिकार है। डंडे में झंडे लगाकर सत्ता हासिल कर लोगों के अमले को परेड करना हमारा अधिकार है।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">ऐसे ध्वजवाहक जो खुद को सत्ता का वारिस मानते हैं, शायद भूल गए होंगे कि वे भी लाठी-डंडों के संघर्ष में हिस्सा लेते थे। क्रांति के लिए युद्ध होने दो। अनगिनत बलिदानों, अत्याचारों और यातनाओं को सहने के बाद सभी ने अलग-अलग रंगों के झंडे गाड़ दिए अपने-अपने डंडे में इसे रोकने के लिए उन्हें प्रताड़ित और प्रताड़ित किया जाता है। अभूतपूर्व जीत के बाद लौट रहे हैं, हालांकि, कुछ लड़ाके झंडे को पोल पर लगाने के पक्ष में नहीं हैं। बेशक डंडे की ताकत को नकारा नहीं जा सकता लेकिन झंडे की अपनी हैसियत होती है. झंडे की अपनी गरिमा होती है. लोगों को दर्द होना चाहिए.</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">यह अच्छी बात है कि वर्षों के संघर्ष के दौरान दिल्ली के पास किसी भी राजनीतिक झंडे को उड़ने नहीं दिया गया। राजनीतिक झण्डे को किसी भी प्रकार का राजनीतिक लाभ लेने की अनुमति नहीं थी।मिर्च अधिक मिलाते हैं, कभी-कभी नमक।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;">ठीक वैसे ही जैसे नई दुल्हन को बाकी परिवार और पड़ोसियों का दिल जीतने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. इसी तरह, नए झंडे को लोगों का दिल और दिमाग जीतने के लिए और लोगों का प्यार और सम्मान जीतने के लिए विशेष प्रयास करना होगा। लेकिन किसी का विश्वास जीतकर पल भर में अपनी पहचान बनाना संभव नहीं है।</div><div style="font-weight: bold; text-align: justify;"><br /></div></div></span></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: left;"><span style="text-align: justify;"><b>संघर्ष का सार आत्म-बलिदान है और राजनीति का स्वभाव चालबाजी और चालबाजी है। कोई पेड़ लगाते ही छाया देना शुरू नहीं करता है। पेड़ लगाने के बाद उसकी देखभाल करनी होती है। मेंटेनेंस भी करना पड़ता है। मवेशियों को भी बचाना होगा। संघर्ष की प्रकृति और राजनीति के क्षेत्र की प्रकृति काफी भिन्न है।संघर्ष का मार्ग ऊबड़-खाबड़ है और राजनीति का मार्ग फिसलन भरा है। राजनीति के फिसलन भरे रास्ते पर हर कदम बहुत सावधानी से उठाना पड़ता है। --संजीवन सिंह </b></span><b><span style="color: #444444;"><iframe allowfullscreen="" class="BLOG_video_class" height="266" src="https://www.youtube.com/embed/cNniVa2utqE" width="320" youtube-src-id="cNniVa2utqE"></iframe></span></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;">किसान आंदोलन की विजय के संबंध में सब्जीवन जी के भाई रंजीवन साहिब ने भी एक काव्य रचना लिखी। इस का वीडियो आप देख सकते हैं </span><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.youtube.com/watch?v=cNniVa2utqE">यहां क्लिक कर के</a></span><span style="color: #444444;">। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444;">ਕਿਸਾਨ ਅੰਦੋਲਨ ਦੀ ਜਿੱਤ ਸਬੰਧੀ ਸੰਜੀਵਨ ਹੁਰਾਂ ਦੇ ਭਰਾ ਰੰਜੀਵਨ ਹੁਰਾਂ ਦੀ ਕਾਵਿ ਰਚਨਾ ਵਾਲਾ ਵੀਡੀਓ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ </span><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://youtu.be/cNniVa2utqE">ਇਥੇ ਕਲਿੱਕ ਕਰ ਕੇ</a></span><span style="color: #444444;">। </span></div></span><p></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-31898897295299244542022-01-23T11:36:00.001+05:302022-01-23T15:39:48.174+05:30आत्मनिर्भरता-पहल की ओर प्रशस्त एक मार्ग-बढ़ईगिरी<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 23 JAN 2022 9:11 AM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> पंजीकृत सोसायटी एनईसी के अंतर्गत विशेष अभियान </span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: bold; text-align: center;"><span style="color: #2b00fe;">नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">23 जनवरी 2022</span>:(<span style="color: #444444;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</span></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiv4tbgQHbb9uwlgTxgBL_cdmeMuR9KC5psx9-bb1vaU2eSvGlNlR4UupLK8NmYJ_iXfz4PwnXNIX9c14qoZaBqp_Idh_UiCcE6QmMM-8aK-5j3ayf2Mpbrb0Sqe6FuO8pD7KboGmXab6ydutCPjA-EDbVYaNTrTyN6i8p-KAdWT68Vw3qremC7yo7t=s1027" style="font-weight: bold; margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><img border="0" data-original-height="658" data-original-width="1027" height="410" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiv4tbgQHbb9uwlgTxgBL_cdmeMuR9KC5psx9-bb1vaU2eSvGlNlR4UupLK8NmYJ_iXfz4PwnXNIX9c14qoZaBqp_Idh_UiCcE6QmMM-8aK-5j3ayf2Mpbrb0Sqe6FuO8pD7KboGmXab6ydutCPjA-EDbVYaNTrTyN6i8p-KAdWT68Vw3qremC7yo7t=w640-h410" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">प्रतीकात्मक फोटो </span></b></td></tr></tbody></table><p style="text-align: justify;"><b>चुराचांदपुर जिले के</b> खोचिजंग गांव के निवासी श्री मांगमिनलुन सिंगसिट ने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काफी कष्ट सहन किए। संसाधनों और बुनियादी सेवाओं तक सीमित पहुंच के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उनके जीवनसंकट में थे। हालांकि, वह एक बढ़ई होने के कारण सौभाग्यशाली भी थे। उन्होंने मात्र 300/-रूपए (तीन सौ रुपये) प्रतिदिन पर शहर में एक बड़ी बढ़ईगीरी कार्यशाला में काम करना शुरू किया, इस छोटी धनराशि के कारण वह अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों का भी ध्यान नहीं रख पा रहे थे।</p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiqNEqfUhSpAEj8kSinO8vYuAyyOSetWuqMOx_B9T_VnAJ0qaEzTDa7822k9_vzRmIflf4wEk-2fFt6dkdrLj97fJvmMgXkmKXjWEFmDe3L54j0EpB12c3Ln7ykKigfVtUamNQ4WdVq8SG4_4EIVdpP0KvlL5BwOSky4J-C3hPn-PRyfWHon9xz1OLY=s378" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="262" data-original-width="378" height="222" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiqNEqfUhSpAEj8kSinO8vYuAyyOSetWuqMOx_B9T_VnAJ0qaEzTDa7822k9_vzRmIflf4wEk-2fFt6dkdrLj97fJvmMgXkmKXjWEFmDe3L54j0EpB12c3Ln7ykKigfVtUamNQ4WdVq8SG4_4EIVdpP0KvlL5BwOSky4J-C3hPn-PRyfWHon9xz1OLY=s320" width="320" /></a></b></div><b><div style="text-align: justify;"><b>भारत सरकार के उत्तर पूर्वी क्षेत्र</b> विकास मंत्रालय के एनईसी के तत्वाधान में एनईआरसीआरएमएस की एनईआरसीओआरएम चरण-III परियोजना के तहत उन्हें वर्ष 2018-19 में बढ़ईगीरी लाभार्थी के रूप में चुना गया था और उन्हें वित्तीय सहायता के तौर पर 18000/- (रुपये अठारह हजार मात्र) की मदद मिली। इसके माध्यम से, उन्होंने बढ़ईगिरी गतिविधि के लिए आवश्यक उपकरण खरीदे। बढ़ईगीरी गतिविधि से होने वाली नियमित आय ने उन्हें न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सहायता की बल्कि उन्हें अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूल भेजने का भी अवसर प्रदान किया।</div></b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>"मुझे चुनने के लिए</b> मैं एनएआरएमजी का बहुत आभारी हूं और एक आशा की किरण दिखाने के लिए एनईआरसीओआरएम परियोजना का ऋणी रहूंगा। मैं प्रार्थना करता हूं कि यह परियोजना हमारे गांव में अपनी सुंदर यात्रा जारी रखे।” - श्री मांगमिनलुन सिंगसिट, परियोजना लाभार्थी, चुराचांदपुर।</p><p style="text-align: justify;"><b>बाद में, </b>उन्होंने अपनी स्वयं की बढ़ईगीरी की दुकान का स्वामित्व हासिल किया और इसके माध्यम से अपने व्यवसाय का विस्तार करते हुएन केवल गाँव में, बल्कि पूरे कस्बे में एक प्रसिद्ध बढ़ई बनने के अपने इरादों को सिद्ध कर दिखाया। एनएआरएमजी के सहयोग से, अब वे एक सफल उद्यमी और मास्टर प्रशिक्षक भी बन गए हैं। उनका जुनून और प्रतिबद्धता ही उन्हें आज भीड़ से अलग बनाता है।</p><p style="text-align: justify;">*****</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-21538538664942714712021-12-12T16:15:00.003+05:302021-12-12T21:58:38.167+05:30प्रधानमंत्री ने बैंक जमा बीमा कार्यक्रम में जमाकर्ताओं को संबोधित किया<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">12 DEC 2021 at 3:44PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"> <b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">दिल्ली में हुआ बैंक जमा बीमा कार्यक्रम में जमाकर्ताओं का आयोजन </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">12 दिसंबर 2021</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgrgw7KvE2AqHWm2C4EFMuc_bSa4WNurr8njgAh-HEouGlUfERvETxL-QpamFgnmBUkM7Ka1beSPT3vZXMRXvccbMGzFPXJ2fYZpu1OPfcLigejclaebLK5oc8TH152QEZxdxst50RGcGMo9Uba38nKrAuPEKHG5ubet4O3MJtm3y2NDzwfUyckEJKL=s1369" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1369" data-original-width="1027" height="758" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgrgw7KvE2AqHWm2C4EFMuc_bSa4WNurr8njgAh-HEouGlUfERvETxL-QpamFgnmBUkM7Ka1beSPT3vZXMRXvccbMGzFPXJ2fYZpu1OPfcLigejclaebLK5oc8TH152QEZxdxst50RGcGMo9Uba38nKrAuPEKHG5ubet4O3MJtm3y2NDzwfUyckEJKL=w568-h758" width="568" /></a></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;">“पिछले कुछ दिनों में, एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को वर्षों से फंसा उनका पैसा वापस मिल गया है, यह धनराशि 1300 करोड़ रुपये से अधिक है</div><p></p><p></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><iframe allowfullscreen="" class="BLOG_video_class" height="266" src="https://www.youtube.com/embed/lKCiY2bXAqY" width="320" youtube-src-id="lKCiY2bXAqY"></iframe></div><p></p><p style="text-align: justify;">"आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर देता है, आज का भारत समस्याओं को टालता नहीं है”</p><p style="text-align: justify;">बैंक जमाकर्ताओं के पहले कार्यक्रम में महाराष्ट्र से 8 केंद्रीय मंत्री शामिल हुए - मुंबई से श्री नितिन गडकरी, पुणे से श्री पीयूष गोयल, ठाणे से श्री परषोत्तम रूपाला व अन्य</p><p></p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में "जमाकर्ता पहले: गारंटी के साथ व तय समयसीमा में बैंक जमा पर 5 लाख रुपये तक का बीमा भुगतान" विषय पर आयोजित एक समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री, आरबीआई गवर्नर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कुछ जमाकर्ताओं को चेक भी सौंपे।</p><p style="text-align: justify;">सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन, बैंकिंग क्षेत्र और देश के करोड़ों बैंक खाताधारकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिन गवाह है कि कैसे दशकों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'जमाकर्ता पहले' की भावना बहुत अर्थपूर्ण है। श्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में, एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को वर्षों से फंसा उनका पैसा वापस मिल गया है। यह धनराशि 1300 करोड़ रुपये से अधिक है।</p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके ही उन्हें विकराल होने से बचा सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि, वर्षों से एक प्रवृत्ति रही कि समस्याओं को टाल दो। आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर देता है, आज का भारत समस्याओं को टालता नहीं है।</p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में बैंक जमाकर्ताओं के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी। फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था। यानि अगर बैंक डूबा, तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलता था, लेकिन वो भी गारंटी नहीं कि कब मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “ गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया है। यानि आज की तारीख में यदि कोई भी बैंक संकट में आता है, तो जमाकर्ताओं को, 5 लाख रुपए तक तो जरूर वापस मिलेगा।” कानून में संशोधन करके एक और समस्या का समाधान किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जहां पैसा वापसी की कोई समय सीमा नहीं थी, हमारी सरकार ने 90 दिन अर्थात् 3 महीने के भीतर पैसा वापसी (रिफंड) की समय सीमा निर्धारित कर दी है। उन्होंने कहा कि बैंक अगर डूबने की स्थिति में भी है, तो 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।</p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की समृद्धि में बैंकों की बड़ी भूमिका है और बैंकों की समृद्धि के लिए जमाकर्ताओं की राशि सुरक्षित होना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि हमें बैंक बचाने हैं, तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी ही होगी।</p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में अनेक छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों के साथ मर्ज करके, उनकी कैपेसिटी, कैपेबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी हर प्रकार से सशक्त की गई है। जब आरबीआई, को-ऑपरेटिव बैंकों की निगरानी करेगा तो उससे भी इनके प्रति सामान्य जमाकर्ता का भरोसा और बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि समस्या सिर्फ बैंक अकाउंट की ही नहीं थी, बल्कि दूर-सुदूर तक गांवों में बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की भी थी। आज देश के करीब-करीब हर गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में बैंक ब्रांच या बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट की सुविधा पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि आज भारत का सामान्य नागरिक कभी भी, कहीं भी, सातों दिन, 24 घंटे, छोटे से छोटा लेनदेन भी डिजिटली कर पा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अनेक सुधार हैं जिन्होंने 100 साल की सबसे बड़ी आपदा में भी भारत के बैंकिंग सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने में मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब दुनिया के समर्थ देश अपने नागरिकों तक मदद पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब भारत ने तेज़ गति से देश के करीब-करीब हर वर्ग तक सीधी मदद पहुंचाई।</p><p style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में किए गए उपायों से बीमा, बैंक ऋण और वित्तीय सशक्तिकरण जैसी सुविधाओं को गरीबों, महिलाओं, रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे किसानों के बड़े वंचित वर्ग तक पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले किसी भी विशेष तरीके से देश की महिलाओं तक बैंकिंग व्यवस्था नहीं पहुंची थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इसे प्राथमिकता के तौर पर लिया है। जन धन योजना के अंतर्गत खोले गए करोड़ों बैंक खातों में से आधे से अधिक महिलाओं के खाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर इन बैंक खातों का प्रभाव पड़ा है और हमने हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में भी इसे देखा है।”</p><p style="text-align: justify;">कई केंद्रीय मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए</p><p style="text-align: justify;">महाराष्ट्र से जमाकर्ताओं के पहले कार्यक्रम में 8 केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। मुंबई से श्री नितिन गडकरी, पुणे से श्री पीयूष गोयल और ठाणे से श्री परषोत्तम रूपाला शामिल हुए।</p><p style="text-align: justify;">केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा, “बीमा कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के सरकार के फैसले से वरिष्ठ नागरिकों और मध्यम वर्ग के जमाकर्ताओं को सबसे ज्यादा लाभ होगा। देरी से ही सही, लेकिन उपभोक्ताओं को अंतत: न्याय मिल गया है।”</p><p style="text-align: justify;">वाणिज्य एवं उद्योग और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा था।</p><p style="text-align: justify;">श्री गोयल ने आगे कहा, “पहले जमाकर्ताओं को उनका पैसा 8-9 साल बाद मिलता था जिसे जमा बीमा ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत घटाकर 90 दिन कर दिया गया है। इससे लोगों का बैंकों पर भरोसा बढ़ाने में मदद मिलेगी।”</p><p style="text-align: justify;">केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और जवाबदेही को प्रदर्शित किया है।</p><p style="text-align: justify;">केंद्रीय मंत्रियों ने जमा बीमा योजना के आमंत्रित लाभार्थियों से उनके संबंधित स्थानों पर बातचीत की और रिफंड राशि के चेक भी वितरित किए।</p><p style="text-align: justify;"><span style="font-size: xx-small;">***</span></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #666666; font-size: xx-small;">एमजी/एएम/जेके/आरके/एमएस/एसके/डीए</span></p><p></p><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><br /></div><p></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-55686938531865592572021-08-15T20:15:00.007+05:302021-10-10T20:40:10.272+05:30 इतिहास में शामिल की गई गंभीर गलतबयानियों में सुधार लाया जाएगा<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;"> </span><span style="color: #444444; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 15 AUG 2021 7:34 PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: medium;">श्री जी किशन रेड्डी ने उठाया का मुद्दा</span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: white;"><b><span style="background-color: #660000; font-size: large;">कहा-</span></b><b><span style="font-size: large;"><span style="background-color: #660000;"> देश के इतिहास में शामिल हैं बहुत सी गलतबयानियां </span></span></b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के भाग के रूप में स्वतंत्रता के 75 वर्षों को चिह्नित करने के लिए एनएमए में आयोजित एक प्रदर्शनी 'विजय एवं शौर्य स्मारक' का उद्घाटन भी किया</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDLpsUEc2A0UTua4LrGTtbg0l_pQY2PzRs6GODTcsVvyzIHFszX91Aa5ifdBaAIm80XzL8_Uo12YRWIzZHJg09LPW4H8SQKxmluojrMsOHZgCJor8_AHHQQXzrPuxBGY7pFHCUmuVOqEnRo0XszmlNUH8lh03VAttdoaOccGHDRMEfDV8piG3VDEtT=s1027" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="706" data-original-width="1027" height="440" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjDLpsUEc2A0UTua4LrGTtbg0l_pQY2PzRs6GODTcsVvyzIHFszX91Aa5ifdBaAIm80XzL8_Uo12YRWIzZHJg09LPW4H8SQKxmluojrMsOHZgCJor8_AHHQQXzrPuxBGY7pFHCUmuVOqEnRo0XszmlNUH8lh03VAttdoaOccGHDRMEfDV8piG3VDEtT=w640-h440" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />नई दिल्ली</span>:<span style="color: #660000;">15 अगस्त 2021</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) द्वारा</b> 'विजय एवं शौर्य स्मारकों' पर आयोजित की गई फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से हजारों वर्षों तक हमारी सभ्यता के लोकाचार को उजागर करने की दिशा में प्रयास किए गए।</p><p style="text-align: justify;"><b>श्री जी किशन रेड्डी ने </b>देश की कला, संस्कृति और सभ्यता वाले मूल्यों के संदर्भ में जानकारी प्रदान करने के महत्व पर प्रकाश डाला।</p><p style="text-align: justify;"><b>संस्कृति राज्य मंत्री,</b> श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने भी इस उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया।</p><p style="text-align: justify;"><b>इस अवसर पर उपस्थित</b> प्रसिद्ध कवियों के माध्यम से सुनायी गई कविताओं का उपस्थित गणमान्य लोगों ने भरपूर आनंद लिया।</p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiNZvkZ81oQf-DFzteKD4ciwueZlJfaN9a2Fx-9jDV1lXKWXIAT-JpZZjwe1TINtZ3x-xNBKTYl-t_GFlnZ6AMSaLWItzEh1cUoIifGFv5dh7Cmia3SFugeMcNHi1FZnLWdMHJb2LWkFFOdOM8R28hNuk0AuivkQDdZcgWFC7pDxKq7C19EtSh2wnFE=s570" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="342" data-original-width="570" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiNZvkZ81oQf-DFzteKD4ciwueZlJfaN9a2Fx-9jDV1lXKWXIAT-JpZZjwe1TINtZ3x-xNBKTYl-t_GFlnZ6AMSaLWItzEh1cUoIifGFv5dh7Cmia3SFugeMcNHi1FZnLWdMHJb2LWkFFOdOM8R28hNuk0AuivkQDdZcgWFC7pDxKq7C19EtSh2wnFE=s16000" /></a></div><b>केंद्रीय संस्कृति, </b>पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री (डोनर), श्री जी किशन रेड्डी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण में 'विजय एवं शौर्य स्मारक' पर आयोजित की गई एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित हुए। देश की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य के अवसर पर मनाए जा रहे 'आजादी के अमृत महोत्सव' के एक हिस्से के रूप में, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण में 'विजय एवं शौर्य स्मारक' पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।<p></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjuGgHKWE0qvjZQEJfRluYvZwQIoJPDJTpgZ75g8Wh9YsKO0mMvHTB4kNVI9TjjMpWIVCEUXhx6EvcegBrZXMYUTzCag-F9bLpXmQe_SFmBElbbd1T5aVIg46G32rzgqIT8ZAnEvpvUIzLDxqyBt-REP_hvtmwpeQxyJOAffdrhqV5gJuQ09ZZUjGwP=s624" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="361" data-original-width="624" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjuGgHKWE0qvjZQEJfRluYvZwQIoJPDJTpgZ75g8Wh9YsKO0mMvHTB4kNVI9TjjMpWIVCEUXhx6EvcegBrZXMYUTzCag-F9bLpXmQe_SFmBElbbd1T5aVIg46G32rzgqIT8ZAnEvpvUIzLDxqyBt-REP_hvtmwpeQxyJOAffdrhqV5gJuQ09ZZUjGwP=s16000" /></a></div><b>इस उद्घाटन समारोह के दौरान</b> एनएमए, श्री तरुण विजय के साथ संस्कृति मंत्रालय एवं राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अन्य अधिकारी भी उपस्थित हुए। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के माध्यम से 'विजय एवं शौर्य स्मारक' की फोटो प्रदर्शनी द्वारा उन लोगों के बारे में जानकारी प्रदान करने की कोशिश की गई, जिन्होंने हजारों वर्षों तक हमारी सभ्यता के लोकाचारों को संभाल कर रखा और हमारे देश में पिछले 750 वर्षों में हुए आक्रमणों और उपनिवेशीकरण के कारण हमारी सभ्यता की रक्षा करने वाले लोगों को भुला दिया गया था। इसके माध्यम से, प्रदर्शनी में सहस्राब्दियों से चलने वाले प्रतिरोधों और वीरता का प्रदर्शन किया गया है। इसमें वारंगल के काकैत्य कला थोरानम की तस्वीरें शामिल की गईं, साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किला, जो कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली उनकी वीरता का प्रतीक है और चित्तौड़गढ़ का विजयस्तंभ जो महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली सल्तनत पर जीत की याद को दोहराता है, उनको भी शामिल किया गया।<p></p><p style="text-align: justify;"><b>प्रदर्शनी का संपूर्ण दौरा</b> करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए, श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज 130 करोड़ देशवासियों के लिए एक बड़ा ही ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज हम आजादी के 74 वर्ष पूरे कर चुके हैं और 75वें वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से सरकार द्वारा देश के वास्तविक इतिहास को नागरिकों के सामने लाने की कोशिश की जा रही है और वीरता स्मारकों पर आयोजित किया गया यह प्रदर्शन, उसी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। श्री जी किशन रेड्डी ने देश की कला, संस्कृति और सभ्यता वाले मूल्यों की जानकारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए काम किया जा रहा है।</p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiI_ZI9vpRQkbrIlVfboEKVwqgX901Swdr2CqW5Mwb3ni8G3uq9Qvqxv2pSHmvI2xBGXBB8BPHmgD7FQU8yDj16ucCNiE7uIDqK6pC-Cl2-jYHWLJNnlYmLH726C-OL4M9se6cpYxyNM66hwrGXqooApVZsviP1JVRVnVGqtmokRXeMa42U4uZDqvgr=s903" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="903" data-original-width="602" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEiI_ZI9vpRQkbrIlVfboEKVwqgX901Swdr2CqW5Mwb3ni8G3uq9Qvqxv2pSHmvI2xBGXBB8BPHmgD7FQU8yDj16ucCNiE7uIDqK6pC-Cl2-jYHWLJNnlYmLH726C-OL4M9se6cpYxyNM66hwrGXqooApVZsviP1JVRVnVGqtmokRXeMa42U4uZDqvgr=w426-h640" width="426" /></a></b></div><b>श्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि</b> "हमारे देश का इतिहास वीरता एवं बहादुरी वाली कहानियों से भरा हुआ है, जिन्होंने या तो दिन का उजाला नहीं देखा है या औपनिवेशिक विचारों के कारण उन्हें पूर्ण रूप से गलत प्रकार से प्रस्तुत किया गया है। हमारे देश के इतिहास में इन गलतबयानियों में सुधार किया जाएगा।"<p></p><p style="text-align: justify;"><b>मंत्री द्वारा यह भी कहा गया कि</b> "जब भारत के अधिकांश इलाकों में 15 अगस्त, 1947 के दिन स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जा रहा था, तब निजाम क्षेत्र को 17 सितंबर, 1948 तक यानी 1 वर्ष, 1 महीना और 1 दिन तक इंतजार करना पड़ा था, जब तक इस क्षेत्र को सरदार पटेल द्वारा आजाद नहीं करवाया गया।" उन्होंने कहा कि "निजाम की अराजक सेनाओं द्वारा न सिर्फ गांवों को लूटने और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने का काम किया गया बल्कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश करने वाले लोगों पर गोलियां भी चलाई गई, लेकिन इन बातों को दबा दिया गया और शायद ही कभी इन विषयों पर चर्चा की गई। इन कहानियों को अब प्रकाश में लाया जाएगा।" श्री किशन रेड्डी ने देश के युवाओं से इतिहास में घटित हुई ऐसी घटनाओं के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने के महत्व पर भी बल दिया गया। उन्होंने कहा कि "युवाओं को इतिहास में लोगों द्वारा दी गई उनकी आहुतियों और योगदान के बारे में जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।"</p><p style="text-align: justify;"><b>श्री किशन रेड्डी ने मीडिया से भी अनुरोध किया कि</b> वे एकता के संदेश के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार की पहल एवं प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन को समर्थन प्रदान करें, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने भाषण में अभी से लेकर 25 वर्षों तक के लिए एक भारत की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि जब 2047 में भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा तो उसे भ्रष्टाचार से मुक्त एवं संस्कृति, अर्थव्यवस्था के मामले में एक मजबूत देश होना चाहिए।</p><p style="text-align: justify;"><b>मंत्री ने सरकारी कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला</b> और कहा कि "सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए लेकिन उनमें लोगों को भी शामिल होना चाहिए।"</p><p style="text-align: justify;"><b>संस्कृति राज्य मंत्री,</b> श्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्मारकों के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, चित्तौड़गढ़ में विजय स्तंभ के संरक्षण को बनाए रखने के लिए आवश्यक उपाय करने की ओर इशारा किया। उन्होंने देश में घटित हुई ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में हमारे इतिहास की किताबों और समाचार पत्रों में सही रूप से दर्शाने के महत्व पर भी बल दिया और इसमें शामिल संस्थानों से इस विषय पर ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने महाराणा प्रताप सिंह के साहस और पराक्रम को याद करते हुए कहा कि "शौर्य की कहानियों को उजागर किया जाना चाहिए और उनमें सुधार करने की आवश्यकता है।"</p><p style="text-align: justify;"><b>संस्कृति राज्य मंत्री, श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि</b> लोगों को हमारे देश के संपूर्ण इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वर्तमान समय में लोगों को दिल्ली के राजा अननपाल और महरौली के महत्व के बारे में बहुत जानकारी प्राप्त नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है और इतिहास के बारे में लोगों को सच्चाई जानने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमृत महोत्सव के दौरान समुद्र मंथन किए जाने कि आवश्यकता है जिससे सत्य रूपी अमृत की प्राप्ति हो सके।</p><p style="text-align: justify;"><b>इस अवसर पर आयोजित किए गए कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया।</b></p><p style="text-align: justify;">***</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-69227808216948121622021-07-27T19:27:00.012+05:302021-10-10T19:51:28.765+05:30तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण पर जोर दिया<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 27 JUL 2021 7:03PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">अंडमा</span><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">न और निकोबार के एयर डिफेन्स को मजबूत करने पर जोर</span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="font-size: medium;"><b>अंडमान निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ ने किया दौरा </b></span></p><p style="text-align: justify;"><span style="font-size: medium;"><b>पोर्ट ब्लेयर स्थित वायु सेना कंपोनेट का किया विशेष दौरा </b></span></p><p style="text-align: justify;"><b>*अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ ने ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की</b></p><p style="text-align: justify;"><b>*तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण पर जोर दिया</b></p><p style="text-align: justify;"><b>*अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एयर डिफेन्स को मजबूत करने पर जोर दिया</b></p><p style="text-align: justify;"><b>*एयर वारियर्स के असाधारण समर्पण के लिए पुरस्कार देने की बात कही</b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">27 जुलाई 2021</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgOx2OJfp8nlOmjtLB3Oq_2rpxSL9tdugWljyodCDbJfIR5RV_XHCLN1eNfX-usQ-M-Ab4dZf80WmruADlRzDOnq3cad6fyJm3awachzVUJDvDh7u39tmWSzQjq19R9vtjeCMi4mK-wLIX-liVlwgNo0gmij8VzI7X4-OxGzpj7_GSiL-1z6yKZ_F0C=s391" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="168" data-original-width="391" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEgOx2OJfp8nlOmjtLB3Oq_2rpxSL9tdugWljyodCDbJfIR5RV_XHCLN1eNfX-usQ-M-Ab4dZf80WmruADlRzDOnq3cad6fyJm3awachzVUJDvDh7u39tmWSzQjq19R9vtjeCMi4mK-wLIX-liVlwgNo0gmij8VzI7X4-OxGzpj7_GSiL-1z6yKZ_F0C=s16000" /></a></b></div><b><div style="text-align: justify;"><b>अंडमान और निकोबार कमान</b> के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने 27 जुलाई, 2021 को परिचालन संबंधी तैयारियों की समीक्षा करने के लिए पोर्ट ब्लेयर में वायु सेना मुख्यालय के कंपोनेंट का दौरा किया। एयर फोर्स कंपोनेंट कमांडर एयर कमोडोर एस श्रीधर ने उनका स्वागत किया। लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह को मुख्यालय वायु सेना कंपोनेंट के लेआउट और इसके इंफ्रास्ट्रक्चर विकास योजना के बारे में जानकारी दी गई।</div></b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने</b> वायु योद्धाओं के साथ बातचीत की और तीनों सेवाओं के संयुक्त उपयोग पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने तीनों सेवाओं के संयुक्त प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित किया और विरोधियों पर बढ़त के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि पेशेवर ज्ञान और कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है।</p><p style="text-align: justify;"><b>लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने</b> वायु सेना स्टेशन पर्थरापुर और 153 स्क्वाड्रन का भी दौरा किया, जिन्हें 'द्वीप प्रहरी' के रूप में जाना जाता है। भारतीय वायु सेना कर्मियों के साथ अपनी बातचीत के दौरान, उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एयर डिफेन्स को मजबूत करने पर जोर दिया, जिसका हिंद महासागर क्षेत्र में बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के कारण सामरिक महत्व है। उन्होंने कुछ एयर वारियर्स के असाधारण समर्पण और कर्तव्य निर्वहन के लिए मौके पर ही प्रशंसा दी।</p><p style="text-align: justify;"><b>लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने</b> वायु विहार, ब्रुकशाबाद में वायु सेना कर्मियों के लिए नवनिर्मित आवासीय क्षेत्र का भी दौरा किया, जहां उन्हें आवासीय क्षेत्र में विकसित विभिन्न कल्याणकारी सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने सुदूर द्वीपों में विभिन्न चुनौतियों के बावजूद प्रभावी हवाई निगरानी में वायु सेना कंपोनेंट द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।</p><p style="text-align: justify;">******</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-16715836518509758232021-06-23T17:45:00.002+05:302021-10-10T19:13:36.843+05:30मामला भारत श्रम शक्ति भागीदारी में लैंगिक अंतर का<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">प्रविष्टि तिथि: 23 JUN 2021 5:05 PM by PIB Delhi</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">लैंगिक</span><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> अंतर को कम करने का सामूहिक प्रयास जारी--श्रम मंत्री</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">संतोष गंगवार की जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में घोषणा </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: medium;">ईडब्ल्यूजी प्राथमिकताओं पर मंत्रिस्तरीय पर किया विशेष संबोधन </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEimHlFS5YGI66jEN_t6jSfeae-FK6BxMZ4ywEujOUgx62v_bvrCi3X2jqJKkz75qMeazPHO7kLAsO1b7kv4U-48BN5jBL6vqjypVC2JgZTxbFIIZapi98CteK8Ya3z9Xdo1HKrvu_IQISIYq71nj8Kf2LfdKGL-DqwFZsBelo0XUTTT5w_eYeayVX0A=s1027" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="385" data-original-width="1027" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEimHlFS5YGI66jEN_t6jSfeae-FK6BxMZ4ywEujOUgx62v_bvrCi3X2jqJKkz75qMeazPHO7kLAsO1b7kv4U-48BN5jBL6vqjypVC2JgZTxbFIIZapi98CteK8Ya3z9Xdo1HKrvu_IQISIYq71nj8Kf2LfdKGL-DqwFZsBelo0XUTTT5w_eYeayVX0A=w640-h240" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />लुधियाना</span>: <span style="color: #444444;">23 जून 2021</span>: (<span style="color: #660000;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री श्री संतोष गंगवार ने कहा है कि</b> भारत श्रम शक्ति भागीदारी में लैंगिक अंतर कम करने के लिए सामूहिक प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश शिक्षा, प्रशिक्षण, कुशलता, उद्यमिता विकास और समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित कर रहा है। श्री गंगवार आज यहां जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक में घोषणा और कार्य समूह प्राथमिकताओं पर मंत्रिस्तरीय संबोधन कर रहे थे। श्री गंगवार ने कहा कि मजदूरी पर नई संहिता, 2019 से मजदूरी, भर्ती और रोजगार की शर्तों में लिंग आधारित भेदभाव कम होगा। सभी प्रतिष्ठानों में सभी प्रकार के कार्य के लिए महिलाएं हकदार हैं। नियोक्ताओं को उनकी सुरक्षा और काम के घंटों के प्रावधान सुनिश्चित करने होंगे। महिलाएं अब रात के समय भी काम कर सकती हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>श्री गंगवार ने बताया कि</b> सवैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में महिला उद्यमियों को छोटे उद्यम शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता दी गई है। इस योजना के तहत 9 हजार बिलियन रुपये के जमानत मुक्त ऋण वितरित किए गए हैं। इस योजना में लगभग 70 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। </p><p style="text-align: justify;"><b>श्रम और रोजगार मंत्री ने कहा कि </b>सामाजिक सुरक्षा संबंधी नई संहिता में अब स्वरोजगार और कार्य बल के अन्य सभी वर्गों को भी सामाजिक सुरक्षा कवरेज के दायरे में शामिल किया जा सकता है। असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 2019 में शुरू की गई स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना में 60 वर्ष की आयु के बाद न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन का प्रावधान है।</p><p style="text-align: justify;"><b>श्रम मंत्री ने संयुक्त मंत्रिस्तरीय घोषणा को</b> अपनाने का समर्थन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सदस्य देशों द्वारा इस तरह की पहल पूरी युवा पीढ़ी के समग्र विकास और क्षमता निर्माण के लिए काफी मददगार साबित होगी, जो तेजी से विकसित हो रही है और अब महामारी के कारण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।</p><p style="text-align: justify;"><b>रोजगार कार्य समूह ने</b> महिलाओं के रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और दूरदराज के कामकाज सहित प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। बैठक का विषय श्रम बाजारों और समाजों की समावेशी, टिकाऊ और लचीली वसूली को प्रोत्साहन रहा।</p><p style="text-align: justify;"><b>वर्ष 2014 में जी-20 के नेताओं ने</b> ब्रिसबेन में श्रम शक्ति भागीदारी दरों में पुरुषों और महिलाओं के बीच के अंतर को 2025 तक 25 प्रतिशत कम करने का संकल्प किया था। यह संकल्प श्रम बाजार में 100 मिलियन महिलाओं को लाने, वैश्विक और समावेशी विकास को बढ़ाने तथा गरीबी और असमानता को कम करने के उद्देश्य के साथ व्यक्त किया गया था। हाल के वर्षों में लगभग सभी जी-20 देशों ने समान अवसरों, श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी और लैंगिक वेतन अंतर को कम करने के मामले में प्रगति की है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण लैंगिक असमानताओं को कम करने की प्रक्रिया धीमी हो गई है। जी-20 देशों द्वारा लागू किए गए उपायों से रोजगार और कोविड-19 के सामाजिक प्रभाव को कम करने में मदद मिली। फिर भी कई देशों के साक्ष्य महिलाओं पर असंगत प्रभाव दिखाते हैं। श्रम बाजारों और समाजों में लैंगिक असमानता बढ़ने के जोखिम को स्वीकार करते हुए रियाद शिखर सम्मेलन में जी-20 नेताओं ने महिलाओं के रोजगार की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ ब्रिस्बेन लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया था।</p><p style="text-align: justify;"><b>इस आह्वान के उत्तर में</b> ब्रिस्बेन लक्ष्य की ओर और उससे आगे के जी-20 रोडमैप को हमारे श्रम बाजारों के साथ-साथ सामान्य रूप से समाजों में महिलाओं और पुरुषों के लिए समान अवसर और परिणाम प्राप्त करने के लिए विकसित किया गया है। यह रोडमैप महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, रोजगार और लैंगिक समानता की गुणवत्ता (ऑस्ट्रेलिया, 2014) और श्रम शक्ति भागीदारी में लैंगिक अंतर कम करने की जी-20 नीति सिफारिशों तथा महिलाओं की रोजगार गुणवत्ता में सुधार करके वेतन (जर्मनी 2017) के लिए जी-20 नीति प्राथमिकताओं पर आधारित है।</p><p style="text-align: justify;"><b>श्रम बाजार में</b> महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार में अनेक कारक बाधक बने हुए हैं। इन बाधाओं पर काबू पाना न केवल ब्रिस्बेन लक्ष्य और सदस्य देशों की पिछली प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि श्रम बाजार और समाजों में पूर्ण लैंगिक समानता पर भी लक्ष्य साधना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नीतिगत उपायों को व्यवहारवादी अंतर्दृष्टि द्वारा, आंकड़ों और साक्ष्यों के आधार पर सूचित किया जाए और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूल बनाया जाए। इस पृष्ठभूमि में ब्रिस्बेन लक्ष्य की ओर और उससे आगे का रोडमैप महिलाओं के रोजगार की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाने, समान अवसर सुनिश्चित करने तथा श्रम बाजार में बेहतर परिणाम प्राप्त करने, सभी क्षेत्रों और व्यवसायों में महिलाओं और पुरुषों के समान वितरण को प्रोत्साहित करने, लैंगिक वेतन अंतर से निपटने, महिलाओं तथा पुरुषों के बीच भुगतान और अवैतनिक काम के अधिक संतुलित वितरण को प्रोत्साहित करने और श्रम बाजार में भेदभाव और लैंगिक रुढ़िबद्धता के समाधान के रूप में तय किया गया है।</p><p style="text-align: justify;">***</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-60615600531114698542021-06-21T14:45:00.009+05:302021-06-22T16:14:51.980+05:30पूरे भारत में 75 विरासत स्थलों पर आयोजित हुए योग कार्यक्रम<p style="text-align: justify;"> <b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">21-जून-2021 13:04 IST</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">'योग, एक भारतीय विरासत' के अंतर्गत चला विशेष अभियान </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b style="background-color: #660000;"><span style="color: white;">श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने युवाओं से स्वस्थ और खुशहाल भविष्य के लिए योग को अपनाने का आग्रह किया</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifRLhjTkk7Hjp_S50-zY1ZnmfOPx1U92lqSuhgzT4v3-oTrSBEG0myrdxwbkN1O4c5QnW-FeYTVuyXVX3U0l4HtV6Bch5rC-MZuwjuCoQvSQBB9aMkWrw-nN88TtZDfYREERtmbP4ZkRs/s1027/Indian+Yoga+Camps+Details+in+Punjab+Screen+Blog+TV.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="770" data-original-width="1027" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifRLhjTkk7Hjp_S50-zY1ZnmfOPx1U92lqSuhgzT4v3-oTrSBEG0myrdxwbkN1O4c5QnW-FeYTVuyXVX3U0l4HtV6Bch5rC-MZuwjuCoQvSQBB9aMkWrw-nN88TtZDfYREERtmbP4ZkRs/w640-h480/Indian+Yoga+Camps+Details+in+Punjab+Screen+Blog+TV.jpg" width="640" /></a></span></b></div><b><span style="color: #2b00fe;"><br />नई दिल्ली</span>: <span style="color: #444444;">21 जून 2021</span>: (<span style="color: red;">पीआईबी</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b><p></p><p style="text-align: justify;"><b>संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री </b>(स्वतंत्र प्रभार)श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने आज सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में संस्कृति और पर्यटन मंत्रालयों के अधिकारियों,योग विशेषज्ञों और योग प्रशंसकों के साथ योग किया। केंद्रीय मंत्री "योग, एक भारतीय विरासत" अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। यह कार्यक्रम 75 सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर आयोजित किया गया था, जिसमें स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के उपलक्ष्य में मंत्रालय के सभी संस्थानों/निकायों की सक्रिय भागीदारी थी। वर्तमान महामारी की स्थिति को देखते हुएयोग के लिए भाग लेने वालों की संख्या प्रत्येक स्थल पर 20 तक सीमित थी। योग प्रदर्शन से पहले केंद्रीय मंत्री और कार्यक्रम में शामिल लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन का सीधा प्रसारण देखा।</p><p style="text-align: justify;"><b>लाल किले पर</b> योग समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में श्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि योग हमारी सबसे बड़ी धरोहर है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है कि उन्होंने इस आरोग्य मंत्र को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनायाहै। परिणामस्वरूप आज पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाता है और लोगों ने इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया है।उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव के तहत अंतर्राष्ट्रीययोग दिवस 2021 मनाया जा रहा है। इसी के अनुसार संस्कृति मंत्रालय ने देश भर में 75 विरासत स्थलों पर योग कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उन्होंने युवाओं से स्वस्थ और खुशहाल भविष्य का आनंद लेने के लिए अपने जीवन में योग को अपनाने का आग्रह किया।</p><p style="text-align: justify;"><b>श्री पटेल ने कहा कि</b> प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि आज दुनिया को एमयोग ऐप मिल रहा है, जिसमें कई भाषाओं में सामान्य योग प्रोटोकॉल पर आधारित योग प्रशिक्षण के अनेक वीडियो उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि एमयोग ऐप निश्चित रूप से विश्व के सभी लोगों को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में सहायक होगा।</p><p style="text-align: justify;"><b>आचार्य प्रतिष्ठा के</b> मार्गदर्शन में लाल किले पर योग प्रोटोकॉल प्रदर्शन किया गया। भारत सरकार के सचिव (संस्कृति) श्री राघवेन्द्र सिंह, भारत सरकार के सचिव (पर्यटन) श्री अरविंद सिंह और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस योग अभियान में शामिल हुए।</p><p style="text-align: justify;"><b>संस्कृति मंत्रालय ने</b> एलोरा गुफा (औरंगाबाद), नालंदा (बिहार), साबरमती आश्रम (गुजरात), हम्पी (कर्नाटक), लद्दाख शांति स्तूप (लेह), सांची स्तूप (विदिशा), शीश महल (पटियाला), राजीव लोचन मंदिर (छत्तीसगढ़), बोमडिला (अरुणाचल प्रदेश) जैसे विरासत स्थलों पर योग और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए।</p><p style="text-align: justify;"><b>शीश महल, पटियाला के</b> योग कैंप का दृश्य देखने वाला था। शाही शहर में योग का जलवा भी अलग सी छटा बिखेर रहा था। कभी किसी ज़माने में क्रिकेट को भारतीय आसमान पर ले जाने वाला पटियाला अब भारतीय योग को बुलंदियों पर लेजाने में योगदान दे रहा था। </p><p style="text-align: justify;"><b>वारंगल के वारंगल किला में लगा योग शिविर भी </b>कमाल का रहा। कभी नक्सलवाद का गढ़ रहे वारंगल में योग की शांति एक नया इतिहास रच रही थी। अंतर्मन की कलह और बेचैनी के आतंक को नियंत्रित करने के भी अशोक उपाय बता रहा था आज का योग शिविर। </p><p style="text-align: justify;"><b>एलोरा गुफा,एलोरा,औरंगाबाद में</b> पहले पहल केवल गुफाओं का नाम था। ये गुफाएं भी गहरे योग के बिना कुछ समझा पाने में सफल नहीं रहती। इन गुफाओं में बनी ,मूर्तियां क्या संदेश देती हैं इसे गहरे योग के ध्यान से ही समझा जा सकता है। ाजका का योग शिविर इस मकसद से भी सफलता पूर्वक ज्ञान दे रहा था। </p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"><i>गंगईकोंडा चोलापुरम, बोमडिला(अरुणाचल प्रदेश), राजीव लोचन मंदिर,छत्तीसगढ़ और हम्पी सर्किल में लगे योग शिविर भी पूरी तरह सफल रहे। </i></span></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-18354663167157159992021-03-21T11:45:00.003+05:302021-03-21T12:44:53.293+05:30क्या धर्मनिरपेक्षता भारत की परंपराओं के लिए खतरा है?<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;">Sunday: 21st March 2021 at 10:40 AM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><u><span style="font-size: medium;"> <span style="color: #666666;"><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;">17</b><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"> मार्च</b><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;">, 2021//</b><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;">राम पुनियानी</b></span></span></u></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"><br />नई दिल्ली</span><span style="color: #222222;">//</span><span style="color: red;">भोपाल</span><span style="color: #222222;">: </span><span style="color: #444444;">21st March 2021</span><span style="color: #222222;">: (</span><span style="color: #2b00fe;">राम पुनियानी</span><span style="color: #222222;">//</span><span style="color: #444444;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span><span style="color: #222222;">)::</span></b></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOgevi6XRkdlQtpw3z9uOr9MUS1ZkBl26_9Y4uhZGkqQFu0UJMZsXsgN2oEi5qNaJVtuLGiJVkliHV2SiKIrIXgcW0YuwNRbl_QkYIA6NafgcvO5S7KBwtJsAfvo6JB4o-BkHutY4JH1Q/s2048/Secular+India+Pexels-Photo+by+Lucky+Trips2802403.jpeg" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="2048" data-original-width="1365" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOgevi6XRkdlQtpw3z9uOr9MUS1ZkBl26_9Y4uhZGkqQFu0UJMZsXsgN2oEi5qNaJVtuLGiJVkliHV2SiKIrIXgcW0YuwNRbl_QkYIA6NafgcvO5S7KBwtJsAfvo6JB4o-BkHutY4JH1Q/w266-h400/Secular+India+Pexels-Photo+by+Lucky+Trips2802403.jpeg" width="266" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444; font-size: x-small;">Pexels Photo by Lucky Trips</span></b></td></tr></tbody></table><p></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><span style="color: #222222;">भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली. यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था. जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के वैश्विक मूल्य. धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की मूल आत्मा है और इसके संदर्भ में अनुच्छेद 14, 19, 22 और 25 में प्रावधान किए गए हैं. हमारा संविधान देश के सभी नागरिकों को अपने धर्म में आस्था रखने, उसका आचरण करने और उसका प्रचार करने की अबाध स्वतंत्रता देता है.</span></p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">जब हम स्वाधीन हुए तब भी देश का संपूर्ण नेतृत्व विविधता का सम्मान करने वाले बहुवादी मूल्यों का हामी नहीं था. साम्प्रदायिक तत्वों ने संविधान लागू होते ही उस पर तीखा हमला बोला. उनका कहना था कि हमारा संविधान भारत के गौरवशाली अतीत और उसके मूल्यों को प्रतिबिंबित नहीं करता. ये मूल्य वे थे जो मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में व्याख्यायित किए गए थे. साम्प्रदायिक तत्वों को हमारा संविधान ही नहीं बल्कि देश का तिरंगा झंडा भी पसंद नहीं था. आज स्वाधीनता के सात दशक बाद वे ही तत्व एक बार फिर अपना सिर उठा रहे हैं. ये वही लोग हैं जिन्होंने भारतीय संविधान और उसमें निहित मूल्यों का विरोध किया था.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे शीर्ष नेता एक ओर तो कहते हैं कि वे हिन्दू राष्ट्रवादी हैं. दूसरी ओर चुनावी गणित को ध्यान में रखते हुए वे यह भी कहते हैं कि, "हम धर्मनिरपेक्ष हैं - इसलिए नहीं क्योंकि हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है, बल्कि इसलिए क्योंकि धर्मनिरपेक्षता हमारे खून में है. हम वसुधैव कुटुम्कम् के आदर्श में विश्वास रखते हैं."</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">दूसरे छोर पर योगी आदित्यनाथ जैसे नेता हैं जो धर्मनिरपेक्षता की परिकल्पना के प्रति अपनी वितृष्णा को छिपाने का तनिक भी प्रयास नहीं करते हैं. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल में कहा कि धर्मनिरपेक्षता हमारे देश की परंपराओं को विश्व मंच पर मान्यता मिलने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. पूर्व में एक अन्य मौके पर उन्होंने कहा था कि 'सेक्युलर' शब्द सबसे बड़ा झूठ है और यह मांग की थी कि जिन लोगों ने इस झूठ का प्रचार-प्रसार किया है उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उनका आशय कांग्रेस से था.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">आदित्यनाथ ने विधायक और फिर मंत्री के तौर पर भारतीय संविधान के नाम पर शपथ ली है. इसके बाद भी उन्हें इस संविधान के मूलभूत मूल्यों को नकारने में कोई संकोच नहीं होता. वे गोरखनाथ मठ के महंत हैं और अपनी पार्टी के कुछ अन्य नेताओं की तरह हमेशा भगवा वस्त्रों में रहते हैं.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">आईए हम देखें कि धर्मनिरपेक्षता भला किस तरह भारतीय परंपराओं के लिए खतरा है. भारत हमेशा से एक बहुवादी देश रहा है. यहां धार्मिक परंपराओं, भाषाओं, नस्लों, खानपान की आदतों, वेशभूषा, पूजा पद्धतियों आदि में समृद्ध विविधता है. जिस हिन्दू धर्म के नाम पर योगी आदित्यनाथ धर्मनिरपेक्षता पर निशाना साध रहे हैं वह स्वयं विविधताओं से परिपूर्ण है. हिन्दू धर्म में ऊँच-नीच पर आधारित ब्राम्हणवादी परंपराएं हैं तो समतावादी भक्ति परंपरा भी है. क्या यह विविधता वैश्विक मंच पर भारत को स्वीकार्यता और मान्यता दिलवाने में बाधक बनी है?</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">दुनिया के विकास में भारत के योगदान को कहां स्वीकृति नहीं मिली? दुनिया का एक बड़ा हिस्सा बुद्ध के दर्शन से प्रभावित है. स्वाधीनता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी विश्व पटल पर एक महामानव की तरह उभरे और उन्होंने पूरी दुनिया को भारतीय परंपरा पर आधारित अहिंसा और सत्याग्रह के मूल्यों का अमूल्य उपहार दिया. उनके विचारों ने दुनिया के अनेक शीर्ष नेताओं को प्रभावित किया जिनमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला शामिल थे. इन दोनों नेताओं ने महात्मा गांधी की विचारधारा को अपने संघर्ष का आधार बनाया. भारतीय दर्शन और विचारों ने अन्य अनेक तरीकों से पूरी दुनिया को प्रभावित किया.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">वैसे हमें यह भी समझना होगा कि पूरी दुनिया में अलग-अलग संस्कृतियां हैं और वे सब एक-दूसरे से अपने विचार, ज्ञान और दर्शन को सांझा करती आई हैं. भारत ने गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल कीं वे आज वैश्विक ज्ञान संपदा का हिस्सा हैं. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूरी दुनिया को गुटनिरपेक्षता की अनूठी परिकल्पना दी जिसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के कई राष्ट्रों ने स्वीकार किया और अपनाया.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">आदित्यनाथ जो कह रहे हैं उसके ठीक विपरीत सच यह है कि धर्मनिरपेक्षता का पथ अपनाने के कारण ही भारतीय गणतंत्र अपने शुरूआती पांच-छःह दशकों में औद्योगिकरण, शिक्षा, सिंचाई, परमाणु ऊर्जा व अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में चमत्कारिक प्रगति कर सका. पिछले कुछ दशकों में धर्मनिरपेक्षता के कमजोर पड़ते जाने के साथ ही हमारी प्रगति की गति भी थम गई. अब तो हमारा सत्ताधारी दल इस बात की खुशियां मना रहा है कि पिछले चुनाव में किसी भी पार्टी की 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द का इस्तेमाल करने तक की हिम्मत नहीं हुई.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">यह भी कहा जाता है कि धर्मनिरपेक्षता शब्द को सन् 1976 में अकारण हमारे संविधान का हिस्सा बनाया गया था और इसलिए उसे संविधान से हटा दिया जाना चाहिए. सच तो यह है कि हमारे संविधान की रग-रग में धर्मनिरपेक्षता समाई है और इसे कोई हटा नहीं सकता. धर्मनिरपेक्षता का एक अर्थ तो यह है कि राज्य का कोई धर्म नहीं होगा. इसका दूसरा अर्थ यह है कि राज्य सभी धर्मों का सम्मान करेगा परंतु कोई धर्म उसका मार्गदर्शक नहीं होगा. धर्मनिरपेक्षता का तीसरा पक्ष यह है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को पूरा सम्मान और सुरक्षा दी जाएगी और उनके विकास और कल्याण के लिए राज्य सकारात्मक भेदभाव कर सकेगा. इस सकारात्मक भेदभाव को आज मुसलमानों का तुष्टिकरण बताया जा रहा है और इसके नाम पर बहुसंख्यक समुदाय को गोलबंद करने के प्रयास हो रहे हैं. </p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">आदित्यनाथ धर्मनिरपेक्षता, बहुवाद और विविधिता के मूल्यों के विरोधी हैं. वे हिन्दू राष्ट्र के समर्थक हैं. ऐसी सोच रखने वाले वे अपनी पार्टी के एकमात्र सदस्य नहीं हैं. बल्कि शायद उनकी तरह सोचने वालों का उनकी पार्टी में बहुमत है. केन्द्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने खुलकर कहा था कि भाजपा संविधान को बदलना चाहती है. पूर्व सरसंघचालक के. सुदर्शन का कहना था कि भारतीय संविधान पश्चिमी मूल्यों पर आधारित है और हमारे देश के लिए उपयुक्त नहीं है. उनके अनुसार भारत को अपने पवित्र ग्रंथों पर आधारित एक नया संविधान बनाना चाहिए.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">पूरी दुनिया में धार्मिक राष्ट्रवादी धर्मनिरेक्ष-बहुवादी मूल्यों के विरोधी होते हैं क्योंकि ये मूल्य उन्हें मनमानी नहीं करने देते. इनके चलते वे अपने मूल्यों और अपनी सोच को पूरे समाज पर लाद नहीं पाते. वे ऊँचनीच पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण नहीं कर पाते - उस सामाजिक व्यवस्था का जिसकी पैरवी मनुस्मृति जैसी पुस्तकें करती हैं. चाहे वे हिन्दू राष्ट्रवादी हों या तालिबानी, चाहे वह मुस्लिम ब्रदरहुड हो या श्रीलंका और म्यामांर में बौद्ध धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले. इन सभी का आदर्श है वर्ग, नस्ल, धर्म, जाति, लिंग आदि पर आधारित पूर्व-आधुनिक व्यवस्था, जिसमें हर व्यक्ति का स्थान उसके जन्म से निर्धारित होता हो. अर्थात कौन किसके ऊपर होगा और कौन किसके नीचे यह सब पहले से तय होता है.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">पाकिस्तान में साम्प्रदायिक तत्वों का बोलबाला रहा है. हम सब यह देख सकते हैं कि उस देश के क्या हाल बने हैं. न तो इस्लाम उसे एक रख सका और ना ही वह विज्ञान, शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिकरण आदि किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर सका है.</p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;">अगर हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पोषण के क्षेत्रों में उन्नति करनी है तो हमें साम्प्रदायिक सोच से मुक्ति पानी ही होगी. अन्यथा हम केवल मंदिर-मस्जिद के झगड़ों और राज्य के व्यय पर धार्मिक त्यौहार मनाने में अपना समय और ऊर्जा व्यय करते रहेंगे. <b><i>(अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् </i></b>2007<b><i> के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)</i></b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-20376736897225497132021-03-18T17:45:00.001+05:302021-03-18T22:16:40.442+05:30कोविड ने बच्चों और महिलाओं के जीवन में भी की है भयानक तबाही <p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;">दक्षिण एशिया: महामारी के कारण जच्चा-बच्चा मौतों में तीव्र बढ़ोत्तरी</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><u><span style="color: #444444;"></span></u></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><u><span style="color: #444444;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRV50hSnY7IzpFO4TZX50dyMB6cCCtF6m9Zp03MwRfuuX4EpRzFiw_LvnrIksgRJjqKjDenVOmCLUY77OT3phVMcm32KRji7-srIOR-Z5jUF4cBn3KfdEE6bdCoGQ4NIPJNAOQi3w3_wo/s919/Covind+News+Pic+Details+in+Punjab+Screen+and+Education+Screen.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="665" data-original-width="919" height="464" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRV50hSnY7IzpFO4TZX50dyMB6cCCtF6m9Zp03MwRfuuX4EpRzFiw_LvnrIksgRJjqKjDenVOmCLUY77OT3phVMcm32KRji7-srIOR-Z5jUF4cBn3KfdEE6bdCoGQ4NIPJNAOQi3w3_wo/w640-h464/Covind+News+Pic+Details+in+Punjab+Screen+and+Education+Screen.jpg" width="640" /></a></span></u></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #444444; font-weight: 700; text-decoration-line: underline;"><br /></span></div><u style="font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><u><span style="color: #444444;">17 मार्च 2021//महिलाएं</span></u></div></u><p></p><p style="text-align: justify;">आपदा कहीं भी आये उसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है महिलाओं पर। इसके साथ ही बच्चों की। आज युग की खबरें भी कुछ इसी तरह की आ रही हैं। कोविड तबाही की दर वाली है। संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने कहा है कि दक्षिण एशिया में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य सेवाओं में उत्पन्न हुए गम्भीर व्यवधान के परिणामस्वरूप, वर्ष 2020 के दौरान, जच्चा-बच्चा की अतिरिक्त दो लाख 39 हज़ार मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा सचमुच चिंतित करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र समाचार की टीम के सदस्य इसकी विस्तृत तस्वीर सामने लाये हैं और यह तस्वीर बेहद दुखद है। बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है। </p><p style="text-align: justify;"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjth9h6dJDFtqPX7rXutGH-M1WhLvVCAzqESqWIx4v5Vf4eNZOeUPg0RqIkkOvSqr_ggO7UhOsJgRSThpHhZ5XGiwFAu2FUOiPi5KsTrKEMBs693NTsOabnQmrRZ5ncMwh5G1V6GtIcNss/s1170/UN+Covid+news+Pics+1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="530" data-original-width="1170" height="290" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjth9h6dJDFtqPX7rXutGH-M1WhLvVCAzqESqWIx4v5Vf4eNZOeUPg0RqIkkOvSqr_ggO7UhOsJgRSThpHhZ5XGiwFAu2FUOiPi5KsTrKEMBs693NTsOabnQmrRZ5ncMwh5G1V6GtIcNss/w640-h290/UN+Covid+news+Pics+1.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="font-size: x-small;"><b style="color: #666666; text-align: justify;">UNICEF/Omid Fazel: </b><b style="color: #666666; text-align: justify;">अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रान्त में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये बनाए गए एक शिविर में, सामुदायिक शिक्षा केन्द्र में कुछ बच्चे</b></span></td></tr></tbody></table><br />यह तस्वीर डराने वाली है। पूरे समाज को जागना होगा और सक्रिय भूमिका। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष–यूनीसेफ़, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस व्यवधान के परिणामस्वरूप, गम्भीर व तात्कालिक कुपोषण का इलाज पाने वालों, व बचपन में टीकाकरण किये जाने वाले बच्चों की संख्या में भी काफ़ी कमी हुई है। इस तरह न जाने कितने बच्चे और कितने परिवार आवश्यक सेवा और सुविधा से वंचित रह रहे हैं। </p><p style="text-align: justify;"></p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHjxKYzcrrKedxXI5b_0FEKBVeJUoPbI1fa6UeUGo6fu6tTYa8lwLYNL0elgI_kVUEw3sa6MMDdunbzzktLEQdK5UjDCRAuRQtkUdYjXWfB2m0wXSllo0gHyjeo6bMtmRZ982Yc18_r34/s1170/Covid+UN+News+Pics+2.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="762" data-original-width="1170" height="416" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHjxKYzcrrKedxXI5b_0FEKBVeJUoPbI1fa6UeUGo6fu6tTYa8lwLYNL0elgI_kVUEw3sa6MMDdunbzzktLEQdK5UjDCRAuRQtkUdYjXWfB2m0wXSllo0gHyjeo6bMtmRZ982Yc18_r34/w640-h416/Covid+UN+News+Pics+2.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><p style="text-align: justify;"><span style="font-size: x-small;"><b><span style="color: #666666;">UNICEF-WHO-UNFPA report: </span></b><b><span style="color: #666666;">दक्षिण एशिया में, बच्चों और माताओं पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव की एक झलक</span></b></span></p><div><b><span style="color: #666666;"><br /></span></b></div></td></tr></tbody></table><div style="text-align: justify;">पूरे विश्व के जागरूक लोग इस समस्या को ले कर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक ज्यॉर्ज लरयी-ऐडजेई के अनुसार इन महत्वपूर्ण व आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने के कारण, निर्धनतम व बहुत कमज़ोर हालात का सामना कर रहे परिवारों के स्वास्थ्य व पोषण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। इस वक्तव्य से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस विनाशकारी प्रभाव के दुष्परिणाम निकट भविष्य में भी दिखाई देंगें और साथ ही देर तक इनकी आहत करने वाली आहट सुनाई देती रहेगी। </div><p></p><p style="text-align: justify;">क्षेत्रीय निदेशक ज्यॉर्ज लरयी-ऐडजेई ने ज़ोर देकर कहा, “इन स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह बहाल किया जाना बेहद आवश्यक है ताकि उन बच्चों व माताओं को इनका लाभ मिल सके, जिन्हें इनकी बेहद ज़रूरत है।"</p><p style="text-align: justify;">"साथ ही, वो सब कुछ किया जाना सुनिश्चित करना होगा जिसके ज़रिये, लोग इन सेवाओं का इस्तेमाल करने में सुरक्षित महसूस करें।”</p><p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी के कारण, दक्षिण एशिया क्षेत्र में भी बेरोज़गारी, निर्धनता और खाद्य असुरक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में भी गिरावट आई है। </p><p style="text-align: justify;"><b><u>स्कूल वापसी की सम्भावना कम</u></b></p><p style="text-align: justify;"><b>महामारी की विकरालता का प्रभाव शिक्षा पर भी पड़ा है। इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के हालात का जायज़ा लिया गया है। पाया गया है कि महामारी और उससे निपटने के लिये लागू किये गए उपायों के कारण, इन देशों में लगभग 42 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर रह गए। करोड़ों बच्चों की शिक्षा से दूरी निर्माण करेगी इसका अनुमान भी लगाया जा सकता है। </b></p><p style="text-align: justify;"><b>इस संबंध में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी सम्भावना है कि लगभग 45 लाख लड़कियाँ, अब कभी भी स्कूली शिक्षा में वापिस नहीं लौट पाएंगी। इसके अलावा, ये लडकियाँ, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और सूचना प्रदान करने वाली सेवाओं तक पहुँच नहीं होने के कारण, जोखिम के दायरे में हैं। इस जोखिम का परिणाम भुगतना पड़ सकता है। कोविड का कहर </b></p><p style="text-align: justify;">एशिया-प्रशान्त के लिये, यूएन जनसंख्या कोष के क्षेत्रीय निदेशक ब्यॉर्न एण्डर्सन का कहना है, “दक्षिण एशिया में सांस्कृतिक व सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए, इन सेवाओं में व्यवधान आने से, विषमताएँ और ज़्यादा गहरी हो रही हैं और इसके<b> परिणामस्वरूप, जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर में और भी बढ़ोत्तरी होने की सम्भावना है।”</b></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-27840056421707931972021-01-21T06:45:00.001+05:302021-01-24T19:04:48.735+05:30सैलमन मछलियों को बचाने के अभियान में जुटी नीरिया अलीसिया गार्सिया<p style="text-align: justify;"><span><span style="color: #fcff01; font-size: x-large;"><b style="background-color: #660000;"> संघर्ष और विस्थापन से भरी है सैल्मन की ज़िंदगी </b></span><b style="color: #444444;"> </b></span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3jGgy1gd3j55ORcESi5YQdgj0hj1OddvH3RLNCT8hwMjrqV9G6diQooVG7eD227NBucKa4F_ZIHYBrhwSFTQ2aIF5Zz-yWY8cvL4PXgAow0-xZG13BacSxaSGDxB646Vs_74hdncUsqU/s840/Niria+Alicia+Garcia_2020+UNEP+Young+Champions+of+the+Earth+winner_credit+UNEP_097.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="473" data-original-width="840" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3jGgy1gd3j55ORcESi5YQdgj0hj1OddvH3RLNCT8hwMjrqV9G6diQooVG7eD227NBucKa4F_ZIHYBrhwSFTQ2aIF5Zz-yWY8cvL4PXgAow0-xZG13BacSxaSGDxB646Vs_74hdncUsqU/w640-h360/Niria+Alicia+Garcia_2020+UNEP+Young+Champions+of+the+Earth+winner_credit+UNEP_097.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #444444;">Niria Alicia Garcia coordinates the annual Run 4 Salmon event alongside a community of indigenous activists. </span><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://www.unenvironment.org/news-and-stories/story/native-fish-indigenous-communities-lead-fight-save-sacramentos-salmon">Photo: UNEP</a></span></b></td></tr></tbody></table><br />19 जनवरी 2021//जलवायु परिवर्तन</span></b></p><p style="text-align: justify;">शायद हर जीव को लगता हो कि शायद वही है मुश्किलों ने जिसका पीछा शुरू कर दिया। कदम कदम पर इम्तिहान हैं। हर मोड़ पर संग्राम है। मानव वर्ग के भी शायद बहु संख्यक लोगों को भी यही लगता है दुःख और शायद उसी की ज़िंदगी में हैं। वह कभी किस्मत को कोसता है और कभी भगवान को। लेकिन वास्तव में संग्राम और संघर्ष के बिना ज़िंदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती। कभी भूख के साथ संघर्ष और कभी मौत का सामना। कभी बीमारी मुसीबत कभी वृद्धावस्था। </p><p style="text-align: justify;">ध्यान से देखें तो यह सिलसिला हर किसी के साथ है। यही कुछ होता मछलियों के साथ। सैल्मोनिडे परिवार की विभिन्न प्रजातियों की मछली के लिए दिया जाने वाला एक आम नाम है सैल्मन। सुनने में काफी अच्छा भी लगता है। इस परिवार की कई अन्य मछलियों को ट्राउट भी कहा जाता है। दोनों के बीच बहुत बसे फर्क भी हैं लेकिन फिर भी प्रजाति तो एक ही है। अक्सर यह अंतर बताया जाता है कि सैल्मन विस्थापित होती रहती हैं और ट्राउट एक तरह से स्थायी निवासी होती हैं। एक ऐसी धारणा जो सैल्मो जीनस के लिए सच है। सैल्मन दोनों जगह रहती है, अटलांटिक में (एक प्रवासी प्रजाति सैल्मो सालार) और प्रशांत महासागर में, साथ ही साथ ग्रेट लेक्स में ओंकोरिन्कस जीनस की करीब एक दर्जन प्रजातियां हैं। थोड़े बहुत अंतर हर प्रजाति में हैं। बहुत सी खूबियां हैं। </p><p style="text-align: justify;">आज हम आपको इस विषय पर बता रहे हैं काफी कुछ लेकिन मुख्य फोकस रहेगा सैल्मन पर जिसके अस्तित्व को शायद अब खतरा पैदा हो गया है। आमतौर पर, सैल्मन ऐनाड्रोमस हैं, वे ताज़े पानी में पैदा होती हैं और फिर जल्दी ही सागर में विस्थापित हो जाती हैं। दिलचस्प बात है कि प्रजनन के लिए सैल्मन मछलियां फिर ताजे पानी में वापस आ जाती हैं। गौरतलब है कि ऐसी दुर्लभ प्रजातियां भी हैं जो केवल ताज़े पानी में ही जीवित रह सकती हैं। लोककथाओं में ऐसा कहा जाता है, कि मछली अंडे देने के लिए ठीक उसी जगह लौटती है जहां वह पैदा हुई थी; ट्रैकिंग अध्ययन से पता चला है कि यह सच है लेकिन इस स्मृति के काम करने की प्रकृति पर लंबी बहस होती रही है। फिर भी यह बता एक ठोस सत्य है। एक बहुत ही आश्चर्यजनक हकीकत है यह तथ्य। </p><p style="text-align: justify;">उल्लेखनीय है कि सैल्मन के अंडे मीठे पानी की धाराओं में आम तौर पर उच्च अक्षांश पर दिए जाते हैं। सेने की प्रक्रिया में अंडे अलेविन या साक फ्राई बन जाते हैं। खड़ी धारियों के छलावरण के साथ फ्राई जल्दी ही, पार में विकसित हो जाते हैं। पार छः महीने से तीन वर्ष तक अपनी देशी धारा में रहती है जिसके बाद वह स्मोल्ट बन जाती है, जिसे उनके चमकदार चांदी जैसे रंग से पहचाना जाता है और जो आसानी से मिट जाता है। यह अनुमान है कि सैल्मन के सभी अण्डों में केवल 10% इस स्तर तक जीवित रहते हैं। स्मोल्ट के शरीर के रसायन विज्ञान में परिवर्तन होता रहता है, जो उन्हें खारे पानी में रहने की अनुमति देता है। स्मोल्ट अपने प्रवास के बाहर का समय खारे पानी में बिताती हैं जहां उनका शारीरिक रसायन शास्त्र समुद्र में ऑस्मोरेग्युलेशन का आदी हो जाता है। जन्म के साथ ही कितना संघर्ष सामने आता है इसका अनुमान आप जन्म की इस बेहद कठिन प्रक्रिया से लगा ही सकते हैं। </p><p style="text-align: justify;">सैल्मन खुले सागर में एक से पांच साल (प्रजातियों के आधार पर) का समय बिताती हैं और जहां वे यौन रूप से पूरी तरह परिपकव भी हो जाती हैं। वयस्क सैल्मन अंडे देने के लिए मुख्यतः अपनी जन्म धारा में लौटती है। अलास्का में, दूसरी धाराओं में जाने से सैल्मन की आबादी दूसरी धाराओं में भी बढ़ती है, जैसे कि वे जो ग्लेशियर वापसी के रूप में आती हैं। सैल्मन अपना मार्गनिर्देशन कैसे करती हैं इसकी सटीक विधि को अभी स्थापित नहीं किया जा सका है, हालांकि गंध की उनकी गहरी समझ इसमें शामिल है। अटलांटिक सैल्मन एक से चार साल तक समुद्र में रहती हैं। (जब एक मछली सिर्फ एक साल में समुद्र में रह कर लौट आती है तो उसे ब्रिटेन और आयरलैंड में ग्रिलसे कहते हैं।) अंडा देने से पहले, प्रजातियों के आधार पर, सैल्मन परिवर्तन से गुजरती है। उनका कूबड़ निकल सकता है, कैनाइन दांत आ सकते हैं, काइप का विकास हो सकता है (नर सैल्मन में जबड़े की स्पष्ट वक्रता). सभी कुछ बदल जाता है, समुद्र की एक चमकदार नीली मछली से एक गहरे रंग में परिवर्तन. सैल्मन अद्भुत सफर करती है, कभी-कभी मजबूत धाराओं के खिलाफ सैकड़ों मील चलती है और जनन के लिए वापस आती है। </p><div style="text-align: justify;">आप अनुमान लगा सकते हैं कि जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक संघर्ष ही संघर्ष है। मानव की तरह इन मछलियों को भी इसधर उधर आना जाना पड़ता है। हमारी भाषा में शायद इसे भटकना भी कहा जाता है। भटकनों से भरे जीवन को जीती सैल्मन का जीवन शायद खतरों से भर गया है। इस खतरे के साथ ही उसे चाहने वाले भी आगे आए हैं। इस समंध में हम एक युवती की तस्वीर भी यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं। इस युवती की तस्वीर और इसके बचाव कार्य के विवरण को जनता के <b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://news.un.org/hi/story/2021/01/1037102">सामने लाने की पहल का प्रयास किया है संयुक्त राष्ट्र संघ ने</a></span>। </b></div><p style="text-align: justify;">अमेरिका की एक युवती को संयुक्त राष्ट्र ने युवा पृथ्वी चैम्पियन के रूप में सराहा है, जो वर्चुअल रियलिटी की मदद से सैलमन मछलियों को बचाने के अभियान में लगी हैं। </p><p style="text-align: justify;">नीरिया अलीसिया गार्सिया स्थानीय कार्यकर्ताओं के समुदाय के साथ मिलकर वार्षिक ‘रन4सैलमन’ अभियान का समन्वय करती हैं. इस अभियान के तहत वो कैलिफोर्निया के सबसे बड़े जल क्षेत्र में सैक्रामेंटो चिनुक सैलमन मछली की ऐतिहासिक यात्रा को जीवन्त करने के लिये वर्चुअल रियलिटी का उपयोग करते हुए,इस अमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं। </p><p style="text-align: justify;">नीरिया अलीसिया संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)के यंग चैम्पियंस ऑफ़ द अर्थ, 2020 के रूप में पहचान बनाने वाले सात नवप्रवर्तकों में से एक हैं। </p><p style="text-align: justify;">इस मछली को खाने और खाने की सिफारिश करने वाले बताते हैं कि इस मछली में बहुत से पोषक तत्व होते हैं। आँखों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है और हड्डियों लिए। भी। बॉडीबिल्डिंग के लिए भी इसे काफी अच्छा माना जाता है। रक्तचाप में भी यह काफी फायदेमंद है। </p><p style="text-align: justify;">इसके कुछ नुक्सान भी बताये जाते जाते हैं। तलाबों में पाली जानेवाली मछलियां बड़े समुन्द्रों में पाली जाने मछलियों होने लगती हैं। तालाबों की मछलियों में पारे मात्रा बढ़ जाती है।</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-85191331333347158152021-01-19T22:45:00.049+05:302022-02-09T18:07:58.996+05:30बात जोगिंदरपाल पांडे के श्रद्धांजलि कार्यक्रम की<p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: large;"><span style="background-color: #660000;"><span style="color: #fcff01;">चुनौतियों का सामना करने वाला वह संकल्प कहीं कमज़ोर तो नहीं?</span></span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"></span></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjn8dnhmrggqla9Y4qt9N0Wag1RuuTB7aUblnLGkAW8qNTwvVfAng5CwZtDl-yCfr8XSEwA-cOebp6PigiJ1D28mDLQD8vAlGtHKjWnuLdcObBkNC2S9DlmHb-t-2obRXc2Z7MAfz2pMFk/s1076/Joginder+Pal+Pandey+Remembered+Details+in+punjab+Screen+Blog+TV+C1.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="605" data-original-width="1076" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjn8dnhmrggqla9Y4qt9N0Wag1RuuTB7aUblnLGkAW8qNTwvVfAng5CwZtDl-yCfr8XSEwA-cOebp6PigiJ1D28mDLQD8vAlGtHKjWnuLdcObBkNC2S9DlmHb-t-2obRXc2Z7MAfz2pMFk/w640-h360/Joginder+Pal+Pandey+Remembered+Details+in+punjab+Screen+Blog+TV+C1.jpg" width="640" /></a></span></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe; font-weight: 700;"><br /></span></div><span style="color: #2b00fe; font-weight: bold;"><div style="text-align: justify;"><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span>: <span style="color: #666666;">19 जनवरी 2021</span>: (<span style="color: #666666;">मीडिया लिंक रविंद्र</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</div></span><p></p><p style="text-align: justify;"><b>उन दिनों को अब कई दशक गुज़र चुके</b> लेकिन उनकी याद आते ही आज भी बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। दिमाग में खौफ का वह माहौल ताज़ा हो जाता है। जिन लोगों ने वे दिन देखे हैं वे आज भी हर उस बात से दूरी बनाए रखना चाहते हैं जिन बातों से वह माहौल बना था। हर तरफ गोली का राज था। बम धमाके भी आम सी बात हो गई थी। घर से निकलते वक़्त इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल सा होता था कि शाम तक घर लौट पाएंगे या नहीं? हर गली हर मोहल्ले में पुलिस की गश्त भी होती थी लेकिन इसके बावजूद ए के 47 वाले अपनी मनमानी कर गुज़रते थे। सियासत की खतरनाक चालें भाईचारे के बटवारे की रेखाओं को गहरी करने में कामयाब हो रहीं थी। लोग इंसानियत से हट कर हिन्दू सिख बन कर सोचने लगे थे। घरों और परिवारों में खौफ छाया रहता था। उस समय कांग्रेस पार्टी से सबंधित जानेमाने नेता सतपाल मित्तल और जोगिंदर पाल पांडे की जोड़ी अपनी सक्रियता निरंतर बनाए हुए थी। उनकी लोकप्रियता भी शिखर पर थी। उनके मित्रों में हिन्दू भी थे, सिख भी, मुस्लमान भी और ईसाई भी। यह जोड़ी हर गली हर मोहल्ले में जा कर लोगों को हौंसला देती कि चिंता मत करो हम हैं न आपके साथ! उनकी महफिलें किसी दरबार से कम न थीं जहाँ आने वाले मेहमानों के लिए हर वक़्त चाय, कॉफी, दाल-रोटी जलपान चलता रहता। इसी बहाने उस वक़्त के मौजूदा हालात पर चर्चाएं भी चलती रहतीं। .... एक दिन 19 जनवरी का ही दिन था जब अनहोनी हो के रही।<b> </b></p><p style="text-align: justify;"><b>वरिष्ठ कांग्रेसी निर्दोष भारद्वाज बताते हैं कि</b> उस दिन जोगिंदर पाल पांडे की कार भारत नगर चौंक के नज़दीक ही स्थित पैट्रोल पम्प में आ कर रुकी। श्री पांडे चंडीगढ़ जा रहे थे। पैट्रोल भरवाने के लिए रुके तो कोई न जनता था की यहां हमेशां ही ज़िंदगी को ब्रेक लगने वाली है। पंजाब का वह शेर होनी के जल में फंस चूका था। देखते ही देखते अचानक उसी पैट्रोल पम्प पर ए के 47 वाले लोग भी आ धमके। दिन दहाड़े गोलियों की बरसात हुई और श्री पण्डे को हमसे हमेशां के लिए छीन लिया गया। तब से लेकर कांग्रेस पार्टी गुटबंदियों के बावजूद इस दिन को मनाती आ रही है। इस घटना से जोगिंदरपाल की छवि एक हिन्दू नेता के तौर पर भी गहरी हो कर उभरी। </p><p style="text-align: justify;"><b>आज भी इस दिन को कांग्रेस पार्टी ने</b> बहुत ही आस्था से लुधियाना के कांग्रेस भवन में मनाया। अब जबकि हालात फिर से खतरनाक होने के इशारे दिखाई देने लगे हैं उस समय अतीत का ज़िक्र आवश्यक भी लगने लगा है। जिन लोगों ने उस नाज़ुक दौर में अपनी जान गंवाई तांकि एकता के सिद्धांत को बचाया सके, देश को बचाया जा सके, आपसी भाईचारे को बचाया जा सके; उन्हें याद करना सिर्फ परिवारों और पार्टी का कर्तव्य ही नहीं बल्कि उन सभी का कर्तव्य भी है जो उस सोच के साथ सहमत हैं। अब तो पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सत्ता इस लिए यह आयोजन बहुत बड़े पैमाने पर होना चाहिए था। दिवंगत नेता जोगिंदरपाल पण्डे के बेटे एम एल ए राकेश पण्डे से लोगों को अब अभीबहुत उम्मीदें हैं लेकिन वह न जाने क्यूं निराश से हो कर बैठे हैं। अपने पिता की तरह वह सक्रिय नहीं हो पा रहे। पार्टी और सरकार के हालात चाहे कुछ भी क्यूं न हों। उनमें उनकी कजिन का असर तो दिखना ही चाहिए। जो बनी बनाई विरासत और रियासत उन्हें जन्म से ही मिली है उनके पिता को तो जन्म में वह भी नहीं मिली थी। उन्होंने सब कुछ अपनी स्ट्रगल से अर्जित किया। राकेश पण्डे को अपनी स्थिति का फायदा उठाना चाहिए। सब कुछ पार्टी पर छोड़ना आज जैसे हालात में उचित भी नहीं कहा जा सकता। आज हर कांग्रेसी को स्वयं पार्टी बन कर बाहर निकलना होगा। अकेले ही यह हिम्मत करनी होगी। देखते ही देखते काफिला बन जाएगा। </p><p style="text-align: justify;"><b>फिर भी जो हो सका पार्टी ने वह किया।</b> जिला कांग्रेस कमेटी (शहरी) के प्रधान अश्वनी शर्मा की अध्यक्षता में कांग्रेस भवन में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। इस शोक सभा में स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान अश्वनी शर्मा ने कहा कि जोगिंदर पाल पांडे ने आतंकवाद के समय पूरी निर्भिकता के साथ कांग्रेस पार्टी को दिशा प्रदान की और अपने जीवन की कुर्बानी दे दी। कई वरिष्ठ कांग्रेसी आए तो सही लेकिन एक औपचारिकता की तरह। लगता है बहुत से लोग वह सब भूल भी गए हैं। <b><span style="color: #444444;">अब उन्हें कौन यह गीत सुनाए कि</span> <span style="color: #0b5394;">अब याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये! </span></b></p><p style="text-align: justify;"><b>हालांकि अश्वनी शर्मा ने कहा कि</b> उनकी कुर्बानी को कांग्रेस कभी भी भूला नहीं सकती। इस मौके पर मेयर बलकार सिंह संधू, सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, जिला महिला कांग्रेस कमेटी की प्रधान लीना टपारिया ने भी स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धांजलि भेंट की। फिर भी रह रह कर यही लगता रहा कि जानेवाले चले जाते हैं और वक़्त की धुल धीरे धीरे सब कुछ भुलाती चली जाती है। </p><p style="text-align: justify;"><b>इस मौके पर</b> सुशील पराशर, कुलवंत सिद्धू, रोशन लाल, दुष्यंत पांडे, बनवारी लाल, हरबंस पनेसर, सोमनाथ बत्रा, विपन सूद, अरूणा टपारिया, सावित्री देवी, हरमीत सिंह भोला, अमृतपाल सिंह, प्रदीप ढल्ल, कपिल किशोर, अश्वनी मल्होत्रा, जयप्रकाश, सुरजीत गिल, दिनेश मरवाहा, राकेश कुमार, संजीव मलिक, विपन शर्मा, अशोक कुमार आशु, सुरिंदर दत्त, सुरिंदर शर्मा, अहमद अली, गोल्डी अग्निहोत्री आदि ने भी स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धा सुमन भेंट किए। इन सभी के बोलों और शब्दों दर्द भी था, आस्था भी थी, सम्मान भी था लेकिन उन चुनौतियों का सामना करने वाला वह संकल्प आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू की सोच वाली कांग्रेस को बचाना बेहद ज़रूरी हो गया है। उस पुरानी कांग्रेस को बचा कर ही शायद देश को भी बचाया जा सके वरना बेचने वालों ने इसे बाजार में ला कर रख ही दिया है। </p><p style="text-align: justify;"><b>अंत में चर्चा हरीश रावत की।</b> उन्होने श्री पांडे को याद करते हुए कहा है,पंजाब में अमन_शांति कायम रखने के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद श्री जोगिंदर_पाल_पांडे जी की 34वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत्-शत् नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि। उन्होंने अपनी बात के अंत में विशेष तौर पर अमर शहीद जोगिंदरपाल पांडे अमर रहे।</p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-50126347754755651832021-01-03T22:02:00.001+05:302021-01-03T22:05:23.760+05:30हैपी बर्थडे गैरी!<p style="text-align: justify;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;">तुम जिओ हज़ारों साल- </span><span style="background-color: #660000; color: white; font-size: x-large;">साल के दिन हों </span><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: x-large;">पचास हज़ार</span></b></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span>: <span style="color: #444444;">3 जनवरी 2020</span>: (<span style="color: #990000;">कार्तिका सिंह</span>//<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJoAA4Ag0ofXPFXvjrCaZxwQdB-2IiltnR-tB3tTSAU-cAjGuM8OE156zrqBC94yheYl73lOab8rtQiTcZVYEmdQ7sBjVmmZQdJPji7onKCvp3SG3n7Ivbm6naQ_I9p_krcCKkke12_Cg/s1280/Happy+Birthdaz+WhatsApp+Image+2021-01-03+at+3.56.17+PM.jpeg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em; text-align: justify;"><img border="0" data-original-height="1280" data-original-width="1027" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJoAA4Ag0ofXPFXvjrCaZxwQdB-2IiltnR-tB3tTSAU-cAjGuM8OE156zrqBC94yheYl73lOab8rtQiTcZVYEmdQ7sBjVmmZQdJPji7onKCvp3SG3n7Ivbm6naQ_I9p_krcCKkke12_Cg/w321-h400/Happy+Birthdaz+WhatsApp+Image+2021-01-03+at+3.56.17+PM.jpeg" width="321" /></a></div><div style="text-align: justify;">आंखों की बिमारियों या आपरेशनों का कैंप कहीं भी हो तो आम तौर पर उसमें डाक्टर रमेश मंसूरां वालों टीम ज़रूर होती है। इसी कैंप में जो लोग आपको अपने परिवारिक सदस्यों की तरह मिलेंगे उनमें <b>एक नाम ऋषि का भी है।</b> वही ऋषि जिसे ज़्यादातर लोग <b><span style="color: #444444;">डा. रछपाल ऋषि</span></b> के तौर पर जानते हैं। शायरी से भी प्रेम है, कैमरे से भी और पत्रकारिता भी। </div><p></p><p style="text-align: justify;">मीडिया को मेडिकल कैंप की खबरें भेजने के साथ साथ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को गांव के प्राकृतिक नज़ारे दिखाती अच्छी तस्वीरें भी ऋषि साहिब ही भेजते हैं। काम कितना ही थकावट भरा हो लेकिन ऋषि के चेहरे पर हमेशां मुस्कान नज़र आती है। साथ ही चेहरे पर एक ताज़गी सी भी होती है। </p><p style="text-align: justify;">मैंने पूछा रहस्य क्या है। जवाब में वही जादूभरी खाली मुस्कान। लेकिन आज पता चल ही गया इस रहस्यमय मुस्कान का वास्तविक रहस्य। <b>इस मुस्कान का रहस्य है एक तो उनकी पत्नी हरविंदर कौर और दूसरा है उनका बेटा गैरी जिसका पूरा नाम है गुरनूर सिंह और चार जनवरी को उसका जन्मदिन है। </b>लुधियाना ज़िले की रायकोट तहसील के गांव पक्खोवाल से हर रोज़ रणधीर सिंह नगर में स्थित अपने अस्पताल में समय पर पहुंचना और फिर देर शाम तक डयूटी में लगे रहना ऋषि के लिए इबादत जैसा ही है। ऋषि डा. रमेश के निकट रह कर यही तो तो सीखा। </p><p style="text-align: justify;"><b>गुरनूर सिंह अर्थात गैरी का जन्म चार जनवरी 2012 को हुआ था।</b> संघर्षों के दिन थे लेकिन उसके आते ही मुश्किलें दूर होने लगीं। सोचा ऋषि साहिब किसी न किसी पीर बाबा के पास जा कर सजदा करते होंगें। पूछने पर बोले किसी दिन आप भी आ कर देखना। एक दिन सच में जा कर देखा तो मेडिकल कैंपों और अस्पताल में पहुँचने वाले वृद्ध मरीज़ों के दवा-दारू में जुटे डा.रछपाल ऋषि उन मरीज़ों के दिल और अंतरात्मा से निकल रही अनगिनत दुआयों रूहानी बरसात में अलौकिक सा स्नान करते महसूस हुए। <span style="text-align: left;">आप भी दे दीजिये उन्हें गुरनूर अर्थात गैरी जन्मदिन हार्दिक बधाई वाटसअप नंबर </span><span style="text-align: left;"> 9988031433 पर। </span></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-72201119123976438472020-12-21T22:58:00.000+05:302020-12-21T22:58:04.902+05:30किसने सामने रखी हैं दोनों कौमों की सबसे बदसूरत तस्वीरें<p style="text-align: justify;"> <b style="background-color: white; font-family: "Segoe UI Historic", "Segoe UI", Helvetica, Arial, sans-serif; white-space: pre-wrap;"><span style="color: #666666; font-size: x-small;">Monday: 21st December 2020 at 02:18 PM</span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="white-space: pre-wrap;"><b><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large;"> श्याम मीरा सिंह बहुत खूबसूरत अंदाज़ में कर रहे हैं खुलासा </span></b><span style="background-color: white; color: #050505; font-size: 15px;"> </span></span></p><p style="text-align: justify;"><span style="background-color: white; color: #050505; font-family: inherit; font-size: 15px; white-space: pre-wrap;"></span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgM7SUMU-pgMrTvOY0fJXUBOsN5owv2TCTT715p7yW8oIyb_62EcQBo7z6Jz4NJSkJRK1gTuB-QNoYLOCZQ35luTSsMmWl-DUxUZSt8WfgODrjJB_PxDnnVT6mPP-XnbrOSGnGJFHcf65c/s697/Trains+Remembrance+Story+Pics+by+Unsplash+Details+in+Punjab+Screen+Blog+TV+C1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="697" data-original-width="694" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgM7SUMU-pgMrTvOY0fJXUBOsN5owv2TCTT715p7yW8oIyb_62EcQBo7z6Jz4NJSkJRK1gTuB-QNoYLOCZQ35luTSsMmWl-DUxUZSt8WfgODrjJB_PxDnnVT6mPP-XnbrOSGnGJFHcf65c/w638-h640/Trains+Remembrance+Story+Pics+by+Unsplash+Details+in+Punjab+Screen+Blog+TV+C1.jpg" width="638" /></a></div><br />दिल्ली से हैदराबाद के सफर में हूं. वेटिंग लिस्ट की वजह से टिकट कैंसिल हो गई थी तो सीट नहीं मिली। दिल्ली से हैदराबाद के बीच 1680 किमी का रास्ता है, घण्टों में नापें तो 27 से 28 घन्टें। एक आदमी के लिए इतनी देर खड़े रहना मुश्किल है। बैठना भी। मैं स्लीपर क्लास की दस नंबर की बोगी में चढ़ गया। थोड़ा सकुचाने वाला स्वभाव है तो किसी की भी सीट पर नहीं बैठा, खड़ा ही रहा। एक शख्स जिसकी नजर बार-बार मुझपर पड़ रही थी ने मुझे अपनी सीट ऑफर की। मेरा नाम नहीं पूछा, मजहब भी नहीं। बातचीत के दौरान पता चला कि वह बंगलौर (कर्नाटक) जा रहे हैं। <p></p><p style="text-align: justify;"><span style="background-color: white; color: #050505; font-family: inherit; font-size: 15px; white-space: pre-wrap;"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDRloDGyHFwtIh713lSjrBgiJmq1FdDj9l5THQ_gVj_o7gcSh1HN21GhSfsbLyD_R40YSqVEIGQV8lUTdSctTMC-tOLNZPEnghNGT0woEYNVdDcIeyMalXtr1qQ76gaD0FPOb0dv1qxIY/s918/Time-Mere+Sansamaran+Hindi+Logo+Punjab+Screen+Group+C1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="690" data-original-width="918" height="151" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDRloDGyHFwtIh713lSjrBgiJmq1FdDj9l5THQ_gVj_o7gcSh1HN21GhSfsbLyD_R40YSqVEIGQV8lUTdSctTMC-tOLNZPEnghNGT0woEYNVdDcIeyMalXtr1qQ76gaD0FPOb0dv1qxIY/w200-h151/Time-Mere+Sansamaran+Hindi+Logo+Punjab+Screen+Group+C1.jpg" width="200" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="color: #2b00fe; font-size: x-small;"><b><a href="https://www.google.com/url?sa=j&url=https%3A%2F%2Fwww.facebook.com%2Fshyammeerasingh%2Fposts%2F1320040461702628&uct=1607069697&usg=OqdRpQIrwK5bHgjPM6NvJy1R9JQ.">इस बार श्याम मीरा सिंह के संस्मरण</a></b></span> </td></tr></tbody></table>मैंने भी बताया कि मेरे पास 900 रुपए की टिकट है लेकिन सीट नहीं है, तो मुझे टोकते हुए उसने कहा कि "ये सीट है तो सही आप इसपर ही मेरे साथ सो जाना।" आगे उसने कहा लेकिन एक छोटी सी समस्या होगी कि मेरे अब्बू जोकि हार्ट के पेशेंट हैं वह भी नागपुर स्टेशन से साथ में होने वाले हैं उनकी भी सीट कन्फर्म नहीं हुई है। इसलिए उनके आने के बाद कुछ एडजस्टमेंट करना पड़ेगा। </span></p><div class="o9v6fnle cxmmr5t8 oygrvhab hcukyx3x c1et5uql ii04i59q" style="background-color: white; font-family: "Segoe UI Historic", "Segoe UI", Helvetica, Arial, sans-serif; margin: 0.5em 0px 0px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><div dir="auto" style="font-family: inherit; text-align: justify;"><span style="color: #050505; font-size: 15px;">मतलब कुछ-कुछ ईशारा यही कुछ था कि सीट छोड़नी पड़ेगी। रास्ते भर उसने मुझे खाने-पीने के सभी सामानों में बराबरी पर रखा। पानी, बिस्कुट, संतरें, काजू मठरी, लंच। सबमें आधा-आधा। सफर लम्बा था सीट छोटी। समस्या स्वभाविक रूप से उसे हुई ही होगी। लेकिन उसने एडजस्ट किया। करीब 16 घन्टे के सफर के बाद नागपुर स्टेशन भी आ ही गया। अब्बू चूंकि हर्ट के पेशेंट और उमर में बुजुर्ग थे,उनकी व्यवस्था करना पहली प्राथमिकता थी। मैंने समय की नजाकत को समझते हुए खुद को उस सीट से अलग करना जरूरी समझा और इधर उधर खड़ा होने लगा। एक चादर नुमा बिस्तर अगल-बगल की सीटों के ठीक बीच वाली जमीन पर लगा लिया गया। मैं वहां से कहीं और जाने के लिए अपना बैग संभालने लगा, इधर उधर पड़ा सामान रखने लगा। तभी उस बुजुर्ग ने कहा कि आप कहां जा रहे हैं, मैंने जवाब दिया कि "मैं इधर उधर ही कहीं देखता हूं, वैसे भी मैं दिन में सो ही लिया हूं सो अब सोने की अधिक आवश्यकता नहीं रही है, आप थोड़ा आराम करिए सीट पर, सर्दी भी अधिक है।"</span><b><span style="color: #666666; font-size: x-small;"> </span></b></div></div><div class="o9v6fnle cxmmr5t8 oygrvhab hcukyx3x c1et5uql ii04i59q" style="background-color: white; color: #050505; font-family: "Segoe UI Historic", "Segoe UI", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 15px; margin: 0.5em 0px 0px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><div dir="auto" style="font-family: inherit; text-align: justify;">ये दोनों शख्स मेरा मजहब नहीं जानते थे, मेरी जाति नहीं जानते थे। अगर मेरे लिबास से अंदाजा भी लगाते तो हिन्दू ही मालूम पड़ता। लेकिन उनके लिबास और दाढ़ी से साफ मालूम चल रहा था कि वो लोग मुस्लिम हैं, बिना मूछ, लंबी दाढ़ी, कुर्ता पैजामा, और एक अलग ही तरह का लहजा, बोली भारत में एक मुसलमान की पहचान करने के लिए यही काफी है. उन अंकल का नाम याद नहीं लेकिन उस लड़के का नाम याद है, सैय्यद वसीम। </div></div><div class="o9v6fnle cxmmr5t8 oygrvhab hcukyx3x c1et5uql ii04i59q" style="background-color: white; color: #050505; font-family: "Segoe UI Historic", "Segoe UI", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 15px; margin: 0.5em 0px 0px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><div dir="auto" style="font-family: inherit; text-align: justify;">मुझसे उम्र में कुछ साल बड़े सैयद ने मेरी मदद की, यह नेकदिली थी लेकिन सामान्य बात थी, लेकिन उसके अब्बू ने जो कहा वह मुझे और इस देश के तमाम लोगों को शर्म और फक्र दोनों का अहसास एक साथ कराने वाली चीज थी, शर्म उनके लिए जो मुसलमानों के लिबास देखकर ही मन में पूर्वाग्रह भर लाते हैं। फक्र उनके लिए जिन्हें इस मुल्क की साझी विरासत पर नाज है। लंबी सफेद दाड़ी वाले उस बुजुर्ग ने कहा कि उनका बेटा ज़मीन पर सो जाएगा और मैं उनके साथ सीट पर लेट जाऊं। इसीलिए जमीन पर चादर बिछाई गई है। शीत लहर के मौसम में अपने बेटे को जमीन पर सोने के लिए कहना, और एक अनजान को अपनी सीट पर जगह देने की बात का नाम ही "हिन्दोस्तां" हैं। यही वह हिन्द है जिसने विश्व के तमाम देशों को अपनी समृद्धि, संस्कृति से जलने को मजबूर किया। ऐसे अनेकों उदाहरण दिन-रात यूं ही मिल जाएंगे, यहां इत्तेफाक से मुस्लिम थे, कहीं मदद करने वाले हिन्दू होते हैं और सामने वाला मुसलमान। इन सबसे मिलकर भारत बनता है। हिन्दुस्तां वह नहीं जो टीवी पर फुटेज दिखा दिखा कर जताया जा रहा है। हिन्दुस्तां वह है जो असल जिंदगी में एक ही मुल्क में एक हवा से सांस ले रहा है। </div></div><div class="o9v6fnle cxmmr5t8 oygrvhab hcukyx3x c1et5uql ii04i59q" style="background-color: white; font-family: "Segoe UI Historic", "Segoe UI", Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 15px; margin: 0.5em 0px 0px; overflow-wrap: break-word; white-space: pre-wrap;"><div dir="auto" style="color: #050505; font-family: inherit; text-align: justify;">हिंदुओं के एक बड़े तबके में मुसलमानों के लिए अजीब तरह की घृणा है, यही घृणा मुसलमानों के भी एक तबके में हिंदुओं के लिए है। लेकिन घृणा उन्हीं लोगों के मन मे है जो एक दूसरे समुदाय के लोगों से कभी मिले नहीं, दोस्ती नहीं की। घर पर नहीं गए, स्कूल में साथ नहीं घूमे, प्रेमी नहीं बने, प्रेमिकाएं नहीं बनाईं, आधे से ज्यादा हिंदुओं ने व्हाट्सएप वाला मुसलमान ही देखा है। जिसकी लंबी सी दाड़ी है-हाथ में चाकू है। जेब में बम है। उसे मदद करने वाले हाथ और मोहब्बत वाला दिल देखने को कभी नहीं दिखता। क्योंकि उसको तस्वीर ही एक ही रंग की भेजी जा रही हैं, मुसलमान से उसकी पहली मुलाकात ही इंटरनेट पर हुई थी। कुरान भी उसने आरएसएस के व्हाट्सएप ग्रुप पर पढ़ी है। आज से 4 साल पहले मैं भी मुसलमानों के प्रति इन्हीं पूर्वाग्रहों में जीता था। मुस्लिम क्षेत्र से निकलते वक्त कदमों की गति जल्दी जल्दी बढ़ती जाती थी। उन्हें देखते ही अजीब तरह का शक, डर और घृणा एक साथ आती थी। लेकिन तभी तक जब तक कि मैं असल में मुसलमानों से नहीं मिला, दोस्ती नहीं की। आज मेरे तमाम दोस्त इस मजहब के मानने वाले हैं। मैंने अपने भाई को अपने मुसलमान दोस्तों में पाया है। आज मैं जामा मस्जिद में नमाज पढ़ रही भारी भीड़ में भी अकेले चला जाता हूं लेकिन कभी नहीं लगा कि ये मस्जिद वाली भीड़ मंदिर वाली भीड़ से थोड़ी सी भी अलग हैं, वह उतने ही भावुक हैं जितने कि हिन्दू, वह उतने ही मजहबी हैं जितने कि हिन्दू, वह उतनी ही मेहमानबाजी जानते हैं जितने कि और मजहबों के लोग। आरएसएस और भाजपा की सफलता का एक ही कारण है कि उसने दोनों कौमों की सबसे बदसूरत तस्वीरें आपके बीच रखी हैं, नहीं तो इस मुल्क से अच्छा मुल्क नहीं, हिन्दू से अच्छा पड़ौसी नहीं, मुसलमान से अच्छा दोस्त नहीं। </div><div dir="auto" style="font-family: inherit; text-align: justify;"><b><span><a href="https://www.facebook.com/shyammeerasingh/posts/1320040461702628" style="color: #2b00fe;">मेरे संस्मरण </a><span style="color: #444444;">(श्याम मीरा सिंह की फेसबुक प्रोफ़ाईल से साभार)</span></span></b></div></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-53970502019257280822020-11-15T11:15:00.001+05:302020-11-15T11:58:13.919+05:30मैं नेहरू की परछाई था--के एफ रुस्तमजी<p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #666666;">Sunday:15th <span style="background-color: white; font-family: Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px;">November 2020 at 9:07 AM</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="color: #fcff01;"><span style="font-size: large;"><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="background-color: #660000;"> नेहरुजी की जयंती पर </span></b><b style="background-color: #660000; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;">एल. एस. हरदेनिया की </b></span><b style="font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><span style="font-size: large;"><span style="background-color: #660000;">विशेष प्रस्तुति </span></span></b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><b></b></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6GPxPH9qvVsbkMv9jQXrJfY3aJcIAkI2hIRvaYCN_jDdX3yKCkZU2BEar1T2QNBu5gvXkOfmQgoualLXhIy5PA9dFxxUjGpxvJvLPNhqTcvZa1RizcWhrlxeDN3sCBegQ-PqJZ0gGowg/s310/Pandit+Nehru+with+Gandhi+Ji.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="170" data-original-width="310" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6GPxPH9qvVsbkMv9jQXrJfY3aJcIAkI2hIRvaYCN_jDdX3yKCkZU2BEar1T2QNBu5gvXkOfmQgoualLXhIy5PA9dFxxUjGpxvJvLPNhqTcvZa1RizcWhrlxeDN3sCBegQ-PqJZ0gGowg/s16000/Pandit+Nehru+with+Gandhi+Ji.jpg" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #674ea7;">अगस्त 1942 में अंग्रेज़ो भारत छोडो आंदोलन <br />के दौरान महात्मा गांधी के साथ पंडित नेहरू</span></b> </td></tr></tbody></table>यह हमारे प्रदेश के लिए</span></b><span style="color: #222222;"> सौभाग्य की बात थी कि हमारे प्रदेश के आईपीएस कैडर के अधिकारी श्री के एफ रुस्तमजी को छह वर्ष तक देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सुरक्षा करने का अवसर मिला। उन्हें 1952 में नेहरू जी की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। वे नेहरू जी के साथ बिताए गए समय के अनुभवों को अपनी डायरी में नोट करते रहे। बाद में इन्हें एक किताब के रूप में प्रकाशित किया गया। इस किताब के प्रकाशन में भी हमारे प्रदेश के दो आईपीएस अधिकारियों की प्रमुख भूमिका थी। यह दो अधिकारी थे श्री राजगोपाल और श्री के एस ढिल्लों।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">नेहरू जी की जयंती के अवसर पर</span></b><span style="color: #222222;"> मैं उस किताब में प्रकाशित कुछ संस्मरणों को एक लेख के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं। किताब का शीर्षक है ‘आई वास नेहरूस शेडो’ (मैं नेहरू की परछाई था)। किताब पढ़ने से एहसास होता है कि नेहरू जी कितने महान इन्सान थे। वे कभी 8-10 साल के बच्चे नजर आते हैं और कभी एक महान, गंभीर, संवेदनशील, परिपक्व व्यक्ति नजर आते हैं। संस्मरणों से पता लगता है कि अपने देश से और देश की जनता से वे कितनी मोहब्बत करते थे। सच पूछा जाए तो उनसे बड़ा देशभक्त होने का दावा कोई नहीं कर सकता।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">रुस्तमजी लिखते हैं</span></b><span style="color: #222222;"> उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने के कुछ समय बाद 1952 के अगस्त माह में मैं जवाहरलाल नेहरू के साथ कश्मीर गया। उस समय नेहरूजी की आयु 63 वर्ष थी, परंतु वे 33 वर्ष के युवक नजर आते थे। वे गोरे थे, अति सुंदर थे और सभी को अपनी ओर खींचने वाले अद्भुत व्यक्तित्व के धनी थे। वे सेना के जवान के समान तेजी से चलते थे। चैंपियन के समान तैरते थे और लगातार 16 घंटे काम करते थे।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">उनका स्वभाव घुमक्कड़ था।</span></b><span style="color: #222222;"> अवसर मिलने पर वे खुले मैदानों में टेंट में रहना पसंद करते थे। इसी तरह की यात्रा के दौरान एक दिलचस्प घटना हुई। 1952 में वे अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर थे। इंदिरा गांधी उनके साथ थी। यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात एक आदिवासी मुखिया से हुई। मुखिया ने उनसे कहा, “मैं तुम्हारी बेटी से शादी करना चाहता हूं”। नेहरु जी ने कहा, “वह तो विवाहित और उसके दो बच्चे हैं”। इस पर आदिवासी ने कहा, “क्या हुआ हमारे हमारे यहां तो रिवाज है कि हम बीवी के साथ बच्चे भी रख सकते हैं” ।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">रुस्तमजी दो और महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख करते हैं।</span></b><span style="color: #222222;"> 1955 के मार्च में नेहरू जी नागपुर की यात्रा पर थे। एकाएक एक व्यक्ति नेहरू जी की कार पर चढ़ गया। उस व्यक्ति के हाथ में एक बड़ा सा चाकू था। नेहरू जी ने उससे पूछा, “क्या चाहते हो भाई” बस यह पूछकर नेहरू गंभीर होकर बैठे रहे। चेहरे पर चिंता की लकीर तक नहीं आई। एक दिन की बात है कि नेहरू जी बिना टोपी के तीन मूर्ति भवन (प्रधानमंत्री आवास) के एक गेट से बाहर निकले और बाद में दूसरे गेट से परिसर में प्रवेश करने लगे। गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोक दिया। नेहरु जी ने अपना परिचय दिया पर वह मानने को तैयार नहीं था कि उसके सामने नेहरुजी खड़े हैं। नेहरु जी की पहचान टोपी पहने हुए नेहरू की थी इसलिए सुरक्षाकर्मी उन्हें नहीं पहचान पाया। काफी देर तक नेहरू और सुरक्षाकर्मी के बीच विवाद होता रहा।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">नेहरु जी ने एशिया और अफ्रीका के</span></b><span style="color: #222222;"> नवोदित देशों को एक मंच पर लाने में का महान प्रयास किया था। इसी महाप्रयास के तहत इंडोनेशिया के बांडुंग में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसी बीच नेहरू जी की श्रीलंका के प्रधानमंत्री सर जॉन कोटेलावाला से किसी मुद्दे पर गर्मागर्म बहस हो गई। बहस के दौरान नेहरू जी बहुत आक्रोशित हो गये। इसी बीच नेहरु जी ने अपना हाथ ऊंचा उठा लिया। ऐसा लग रहा था कहीं वे कोटा वाला को तमाचा न मार दें। इंदिराजी पास में ही खड़ी थी। उन्होंने हिंदी में नेहरू जी से कहा कि वे संयम रखें। इसके बाद भी दोनों के बीच बहस चलती रही। दोनों स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की तरह लड़ रहे थे। चीन के प्रधानमंत्री बीच में पड़े और अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में उन्होंने दोनों को समझाने की कोशिश की। इसके थोड़े समय बाद नेहरु जी ने सम्मेलन को संबोधित किया। नेहरू जी का भाषण अद्भुत था।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">रुस्तमजी एक और दिलचस्प घटना का उल्लेख करते हैं।</span></b><span style="color: #222222;"> नेहरू जी अजंता की गुफाओं की यात्रा पर गए। उनके साथ लेडी माउंटबेटन भी थी। इस बीच लेडी माउंटबेटन ने कॉफी पीने की फरमाइश की और वे दोनों कॉफी पीने के लिए बैठ गये। मैंने वहां से खिसकना चाहा। जब भी मैं उठना चाहता तो नेहरु जी कहते बैठो हम लोगों के साथ पत्रकारों और फोटोग्राफरों का हुजूम था। नेहरू जी नहीं चाहते थे कि लेडी माउंटबेटन के साथ कॉफी पीने से कुछ गलतफहमी पैदा हो।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><b><span style="color: #444444;">रुस्तमजी के बाद 1958 में</span> </b><span style="color: #222222;">श्री दत्त प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी बने। दत्त ने इस पुस्तक के संपादक को बताया कि जब भी लेडी माउंटबेटन आती थीं विदा होती थी तो नेहरु और लेडी माउंटबेटन एक दूसरे के गालों को चूमते थे। ऐसा करना पश्चिमी परंपरा है। इसके अलावा मैंने उन दोनों के बीच कुछ नहीं देखा। अतः दोनों के संबंधों को लेकर नेहरू को बदनाम करने के लिए जो बातें फैलाई जाती हैं, वह बेबुनियाद हैं।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><b>जनता के बीच रहने में नेहरूजी को भारी आनंद आता था।</b> </span><span style="color: #222222;">नियमों के चलते जनसभाओं में प्रधानमंत्री के मंच और जनता के बीच में काफी दूरी रखी जाती थी। एक स्थान पर मंच और जनता के बीच में कटीले तार लगा दिए गए। नेहरूजी ने यह देखा तो मंच से कूदकर कटीले तार हटाने लगे। ऐसा करते हुए उनके हाथों से खून आने लगा। जब उन्हें बताया गया कि उन्हें ऐसा नहीं करना था तो उन्होंने कहा, कि “जनता और मेरे बीच में फासला मुझे पसंद नहीं है। यदि ऐसा आगे हुआ तो प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने में मैं नहीं हिचकूंगा” ।</span></p><p style="background-color: white; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; text-align: justify;"><span style="color: #444444;"><b>किताब के मुखपृष्ठ पर एक अद्भुत फोटो छपी है।</b> </span><span style="color: #222222;">फोटो में नेहरू जी एक बच्चे के समान कार के बोनट पर बैठे हैं और कुछ खा रहे हैं। साथ में रुस्तमजी बैठे हैं। नेहरूजी हास्यप्रिय व्यक्ति भी थे। एक दिन रुस्तम जी ने नेहरू जी से पूछा “क्या मैं आपका फोटो ले सकता हू” इसपर नेहरूजी ने कहा “क्या मैं अपना फोटो साथ लेकर चलता हू”? रूस्तमजी ने जवाब दिया “नहीं मैं आपकी फोटो लेना चाहता हूँ” यह सुनकर नेहरुजी ने कहा, “एक अच्छा फोटोग्राफर फोटो लेने के पहले इजाजत नहीं मांगता”। </span><span style="color: #666666;">(<b style="background-color: transparent;">12 नवंबर 2020)</b></span></p><p style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif;"><b style="background-color: transparent;"></b></p><span style="background-color: white; color: #888888; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;"><p style="text-align: justify;"> </p></span>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-60249457952209531782020-11-07T02:45:00.001+05:302020-11-20T12:03:38.402+05:30Command Call<p><span style="font-family: Lato, sans-serif;"><b><span style="font-size: x-large;"><span style="background-color: #660000;"><span style="color: #333333;"> </span><span style="color: #fcff01;">Range training event at Fort Drum, N.Y</span><span style="color: #333333;"> </span></span></span></b></span></p><p><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: Lato, sans-serif;"><b></b></span></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiEHY01Zh3bzyChwch6cw_FopCdSlinFVt0u2uQnMmR-b3qTSQs5cMAvbBvpQA0s840nz-w_m1He6fQm6NLSQHEghf1bLor_4AvdZhaDg0QdEWLgKAKng7Ib0TvHsjZAV2qfdjKFGlRBk/s1095/Command+Call+201106-M-QP496-1448F+C1.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="730" data-original-width="1095" height="426" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjiEHY01Zh3bzyChwch6cw_FopCdSlinFVt0u2uQnMmR-b3qTSQs5cMAvbBvpQA0s840nz-w_m1He6fQm6NLSQHEghf1bLor_4AvdZhaDg0QdEWLgKAKng7Ib0TvHsjZAV2qfdjKFGlRBk/w640-h426/Command+Call+201106-M-QP496-1448F+C1.jpg" width="640" /></a></b></div><b><br />Marine Corps Ashlee Ford repeats a command during a range training event at Fort Drum, N.Y., Nov. 6, 2020.</b><p></p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-83259085702717715002020-11-03T18:45:00.004+05:302020-11-03T19:08:13.563+05:3020 कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ने थामा भाजपा का दामन <p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #999999; font-size: x-small;">3rd <span face="Roboto, RobotoDraft, Helvetica, Arial, sans-serif" style="background-color: white; text-align: left;">November 2020 at 5:49 PM</span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><span style="background-color: #660000; color: #fcff01; font-size: large; font-weight: bold;"> यह सब जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय के प्रयासों से हुआ </span></p><p style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span>: <span style="color: #666666;">3 नवम्बर 2020</span>: (<span style="color: #2b00fe;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी टीम</span>)::</b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh8hZHzkhlJtXeMbH5Gayb8VEsmHVfkc3AD2eaP-sA8ru9M5DbZVjdcVjCr4qgsvGW7XD2ncdO0iWu54GcTm8v7P8o-16Jcc8f8wMLsuZe90smGLByBM8AdKgI-DVOaZcF7THmtReAuN3s/s1460/BJP+news+pic+Ludhiana+3rd+November+2020+C1.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1460" data-original-width="1095" height="583" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh8hZHzkhlJtXeMbH5Gayb8VEsmHVfkc3AD2eaP-sA8ru9M5DbZVjdcVjCr4qgsvGW7XD2ncdO0iWu54GcTm8v7P8o-16Jcc8f8wMLsuZe90smGLByBM8AdKgI-DVOaZcF7THmtReAuN3s/w437-h583/BJP+news+pic+Ludhiana+3rd+November+2020+C1.jpg" width="437" /></a></b></div><b><div style="text-align: justify;"><b>किसान आंदोलन और अकाली दल द्वारा गठबंधन तोड़ कर भाजपा का साथ छोड़ने के बावजूद भाजपा का जादू पंजाब में कम हुआ नहीं लगता। अभी भी लोग भाजपा में शामिल होना फायदे का सौदा समझते हैं। भाजपा ने दावा किया है की कांग्रेसी वर्कर अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में आ मिले हैं। इस संबंध में बकदा एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई। </b><b> </b></div></b><p></p><p style="text-align: justify;">भाजपा के जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय के प्रयासों से 20 कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा के ज़िला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल ने कमांडर बलबीर सिंह के निवास स्थान पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को सिरोपा डालकर पार्टी में शामिल किया जिसकी अध्यक्षता भाजपा के जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय ने की। जिन लोगों के कांग्रेस छोड़ कर आने का दावा भाजपा ने किया है उनमें शामिल हैं-गुगु जमालपुर,सनी जमालपुर, बॉबी जमालपुर,पबिन्द्र सिंह, बलदेव सिंह, अनमोल, विक्की, सूंदर, देश राज, सूरज, बादल, ऋतिक शर्मा, संदीप सिंह, सतनाम सिंह, जसपाल सिंह,अशोक कुमार, जतिंदर दीपक आदि शामिल हैं। भाजपा की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक इन लोगों ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह कर भाजपा को चुना। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक भाजपा छोड़ने वालों ने वायदा भी किया कि आने वाले 2022 के विधासनसभा चुनावों में वह भाजपा के साथ डट कर खड़े रहेंगे। </p><p style="text-align: justify;">भाजपा ज़िला प्रधान ने इन लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हम साफ सुथरी एवं ईमानदार राजनीति में विश्वास रखते हैं तथा जो भी लोग पंजाब एवं पंजाब के हित की बात करता है उसका पार्टी में स्वागत है।</p><p style="text-align: justify;"> इस मौके पर लुधियाना भाजपा के ज़िला महामंत्री राम गुप्ता, ज़िला उपाध्यक्ष-यशपाल जनोत्रा, मीडिया सचिव-मनमीत चावला, मनोज चौहान, कमांडर बलबीर सिंह, अवतार भाटिया, मनीष कुमार, एस के दुग्गल और विनोद जोशी भी उपस्थित थे। इसी बीच कुछ वरिष्ठ भाजपा सूत्रों का कहना है आने वाले दिनों में कई और लोग भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं क्यूंकि भाजपा अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन गई है। भाजपा की नीतियों को दुनिया के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है। </p>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0Ludhiana, Punjab, India30.900965 75.85727582.5907311638211539 40.7010258 59.211198836178845 111.0135258tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-31318616336135852402020-10-31T20:45:00.019+05:302020-10-31T21:57:33.291+05:30वरुण परुथी से सीखिए संवेदनशीलता और दिव्यता का अंदाज़<p style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: x-large;"><span style="background-color: #660000;"><span style="color: #fcff01;">इसे कहते हैं मीडिया और कलम का दिव्य सदुपयोग </span></span><span style="color: #2b00fe;"> </span></span></b></p><p style="text-align: justify;"><b></b></p><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><b><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLIb3CK3AwirmV8j_WTwsnBBYc53QWQhZD-8PW450WRlHnhBv_fpVJE0S-cSaJb9yScSthYt3-vQ-er22IxaFnLPZ0lRhxMY2SDmZWGlBNHp6WyhtynQ93LHYO9b2tTiAmfk9rGXnSZZI/s1251/Varun+Paruthiin+Different+Poses+Details+in+Punjab+Screen+Bloig+TV+C1.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1251" data-original-width="1095" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiLIb3CK3AwirmV8j_WTwsnBBYc53QWQhZD-8PW450WRlHnhBv_fpVJE0S-cSaJb9yScSthYt3-vQ-er22IxaFnLPZ0lRhxMY2SDmZWGlBNHp6WyhtynQ93LHYO9b2tTiAmfk9rGXnSZZI/w560-h640/Varun+Paruthiin+Different+Poses+Details+in+Punjab+Screen+Bloig+TV+C1.jpg" width="560" /></a></b></div><b><span style="color: #2b00fe;">लुधियाना</span>: <span style="color: #666666;">31 अक्टूबर 2020</span>: (<span style="color: #990000;">कार्तिका सिंह</span>//<span style="color: #444444;">पंजाब स्क्रीन </span><span style="color: #2b00fe;">ब्लॉग टीवी</span>)::</b><div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dwAzfEwAq62mlY_aQ1n7_HrpX2E_FPUGZL0QrLQNWwGeg5Ee6XgxKp4v5WPqTBs5HKTHBpGQDL0Iz88A25J-g' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></div><br /><div style="text-align: justify;"><b>मीडिया में होने के कारण</b> बहुत से ख़ास लोगों से भेंट अक्सर ही आसानी से हो जाती है लेकिन इसके बावजूद बहुत से लोग छूट भी जाते हैं। इन्हीं में से होते हैं कुछ ख़ास लोग और कुछ आम लोगो। उन्हीने में से एक हैं वरुण परुथी। जिसके मन में आज के इस कारोबारी युग में इन्सानियत ज़िंदा है। </div></div><div><div style="text-align: justify;"><b>वरुण परुथी</b> एक बहुत ही लोकप्रिय एक्टर, यूटयूबर और सबसे बढ़ कर संवेदनशील इंसान हैं। मन में आया तो अपना यू टयूब चैनल बना लिया। आरम्भिक दौर में ही सफलता इतनी मिली कि नाम बुलंदी पर पहुँच गया। अब तो उनकी पोस्टें लघु फ़िल्में जैसी महसूस होती हैं। कम बजट के बावजूद बहुत ही बड़ा संदेश देने वाली छोटी छोटी फ़िल्में। उन की बनाई गयी फ़िल्में आम तौर पर उन विषयों पर होती हैं जिनसे बहुत से लोग अक्सर किनारा कर जाते हैं। यूटयूब पर अपना अपना वैब चैनल चलाने वालों में से भी बहुत से अच्छे पत्रकार भी उन विषयों पर काम करना ठीक नहीं समझते क्यूंकि उनसे कोई पैसा आम तौर पर नहीं मिलता। लेकिन वरुण परुथी तो अनूठे निकले। उनकी अधिकतर पोस्टें तकरीबन तकरीबन इसी तरह के विषयों पर मिलेंगी। </div><div style="text-align: justify;"><b>त्योहारों का मौसम हो या ज़िंदगी की कड़की दिखाने वाले हालात</b> वरुण परुथी उन्हीं विषयों को चुनते हैं जो ज़िंदगी के उन्हीं रंगों को दिखाते हैं जिन्हें गर्दिश के रंग कहा जाता है। सुना है गर्दिश के उन अंधेरे दिनों में तो अपना साया भी साथ छोड़ जाता है। गरीबी और दरिद्रता में अपने रिश्तेदार भी कोई रिश्ता रखना ठीक नहीं समझते। इस बेहद नाज़ुक दौर में ही वरुण परुथी याद दिलाते हैं की इंसानियत का रिश्ता इसी वक़्त में निभाना ज़रूरी होता है। ज़ाहि वक़्त होता है जब अपने अंदर छुपी दिव्यता को आप दुनिया मिसाल बन कर सामने लाएं लेकिन बिना किसी को कुछ भी जताने के। चुपचाप बहुत ही ख़ामोशी से अपनी सहायता का हाथ ज़रूरतमंद लोगों की तरफ बढ़ाएं।</div><div style="text-align: justify;"><b>इसी पोस्ट के आरम्भ में दी गयी वीडियो देखने में कोई दिक्क्त आए तो <a href="https://www.youtube.com/watch?v=FfBdDrRvI6w"><span style="color: #2b00fe;">आप उसे यहां क्लिक करके भी</span></a> देख सकते हैं--</b></div><div style="text-align: justify;"><b><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><iframe allowfullscreen="" class="BLOG_video_class" height="266" src="https://www.youtube.com/embed/FfBdDrRvI6w" width="320" youtube-src-id="FfBdDrRvI6w"></iframe></div><br />वरुण परुथी बहुत ही मासूमियत से पूछते हैं</b> दीपावली पर भी खुशियां न बांटी तो कब आयेगा ऐसा दिन? वह नहीं चाहते आप अपने बेशुमार धन दौलत का उपयोग केवल नई नई गाड़ियां खरीदने, कोठियां खरीदने या अपनी व्यक्तिगत प्रसन्नता के लिए करें। वह बहुत ही प्रभावी देते हैं थोड़ा सा वक़्त और थोड़ा सा धन उनके लिए भी खर्च करो जिनके पास किसी भी भयउ वजह से कुछ नहीं बचा। अगर आपने उन्हें देख कर भोई नज़रअंदाज़ कर दिया तो आप कभी भी सच्ची खुशियां हासिल न कर पाएंगे। </div></div>Media Link Ravinderhttp://www.blogger.com/profile/13038836894222322159noreply@blogger.com0Ludhiana, Punjab, India30.900965 75.85727582.5907311638211539 40.7010258 59.211198836178845 111.0135258tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-61017005999682824602020-10-29T02:45:00.008+05:302020-11-02T10:53:01.293+05:30चार्ली हेब्डो कार्टून और समकालीन विश्व में ईशनिंदा कानून<p style="text-align: justify;"><span style="background-color: #660000;"><span> </span><span style="color: #fcff01; font-weight: bold; text-decoration-line: underline;"> </span></span><b><u><span style="background-color: #660000;"><span style="color: #fcff01;">राम </span></span></u></b><b><u><span style="background-color: #660000;"><span style="color: #fcff01;">पुनियानी</span></span><span style="background-color: #990000;"> </span><span style="background-color: #660000;"><span style="color: white;"> 28 अक्टूबर 2020 </span></span></u></b></p><p style="text-align: justify;"><table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUHu1_V_jKRwBt9UhqAibhf63ppBW5DdEeE8TxmBxTZ2QFx5nakfLs3R7rcBbM1PNiXDQHhxHsjdRvOcMcswyaTO9VgJTeHr9O1WJw3EqD5r3T6RJ209xaYPfSonTcdl8aaLDmykySSDQ/s1051/File+Lyon+France+photo-1557081999-aed1863cacb1+Pic+click+by+ev.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="701" data-original-width="1051" height="426" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUHu1_V_jKRwBt9UhqAibhf63ppBW5DdEeE8TxmBxTZ2QFx5nakfLs3R7rcBbM1PNiXDQHhxHsjdRvOcMcswyaTO9VgJTeHr9O1WJw3EqD5r3T6RJ209xaYPfSonTcdl8aaLDmykySSDQ/w640-h426/File+Lyon+France+photo-1557081999-aed1863cacb1+Pic+click+by+ev.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #8e7cc3; font-size: x-small;">Lyon France में पुलिस की मौजूदगी-फाईल फोटो जिसे क्लिक किया Ev (Unsplash) ने </span></b></td></tr></tbody></table><br />रूसी मूल के 18 साल के मुस्लिम किशोर द्वारा फ्रांस के स्कूल शिक्षक सेम्युअल पेटी की हत्या ने एक अंतर्राष्ट्रीय विवाद को जन्म दे दिया है। एक ओर फ्रांस के राष्ट्रपति ने मृत शिक्षक का समर्थन करते हुए राजनैतिक इस्लाम का मुकाबला करने की घोषणा की है तो दूसरी ओर, तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन ने फ्रांस के राष्ट्रपति के बारे में अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की है। प्रतिक्रिया स्वरूप, फ्रांस ने तुर्की से अपने राजदूत को वापिस बुलवा लिया है। इस दरम्यान अनेक मुस्लिम देशों ने फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार प्रारंभ कर दिया है। इसके साथ ही अनेक मुस्लिम देशों ने फ्रांस के राष्ट्रपति के विरूद्ध अपना आक्रोश व्यक्त किया है। पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत अनेक मुस्लिम देशों में विरोध प्रकट करने के लिए लोग सड़कों पर भी उतरे। </p><p style="text-align: justify;"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxfnX5KjvxJXsfvWSwnAoRgYTG4ap9tnqK0yWKSJUz-Mw1bNFGcRBkEsAeKyMSK4FDcNCTaOvavOVz8vLXcqdL47LVifUlV2Kn4Hn46l-MvzZHOx_k2zupVGk_PWe5EjJokei80vlmWLI/s474/Dr.+Ram+Puniyani+FB+Pics+C1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="474" data-original-width="427" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxfnX5KjvxJXsfvWSwnAoRgYTG4ap9tnqK0yWKSJUz-Mw1bNFGcRBkEsAeKyMSK4FDcNCTaOvavOVz8vLXcqdL47LVifUlV2Kn4Hn46l-MvzZHOx_k2zupVGk_PWe5EjJokei80vlmWLI/w180-h200/Dr.+Ram+Puniyani+FB+Pics+C1.jpg" width="180" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="color: #674ea7;">लेखक डा. राम पुनियानी </span></b><br /></td></tr></tbody></table>पेटी अपनी कक्षा में अभिव्यक्ति की आजादी का महत्व समझा रहे थे और अपने तर्कों के समर्थन में उन्होंने ‘चार्ली हेब्डो’ में प्रकाशित कार्टून बच्चों को दिखाए. इसके पहले उन्होंने कक्षा के मुस्लिम विद्यार्थियों से कहा कि अगर वे चाहें तो क्लास से बाहर जा सकते हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि चार्ली हेब्डो के कार्टूनिस्टों की 2015 में हुई हत्या का मुकदमा अदालत में प्रारंभ होने वाला है. इस संदर्भ में यह जिक्र करना भी उचित होगा कि चार्ली हेब्डो ने पैगम्बर का उपहास करने वाले कार्टूनों का पुनर्प्रकाशन किया था. ये कार्टून इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद को आतंकवाद से जोड़ते हैं. इन कार्टूनों की पृष्ठभूमि में 9/11 का आतंकी हमला है जिसके बाद अमरीकी मीडिया ने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ शब्द गढ़ा और यह शब्द जल्दी ही काफी प्रचलित हो गया. चार्ली हेब्डो में इन कार्टूनों के प्रकाशन के बाद पत्रिका के कार्यालय पर हमला हुआ, जिसमें उसके 12 कार्टूनिस्ट मारे गए. इस हिंसक हमले की जिम्मेदारी अलकायदा ने ली. यहां यह उल्लेखनीय है कि अलकायदा को पाकिस्तान स्थित कुछ मदरसों में बढ़ावा दिया गया. इन मदरसों में इस्लाम के सलाफी संस्करण का उपयोग, मुस्लिम युवकों के वैचारिक प्रशिक्षण के लिए किया जाता था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन मदरसों का पाठ्यक्रम वाशिंगटन में तैयार हुआ था. अलकायदा में शामिल हुए व्यक्तियों के प्रशिक्षण के लिए अमेरिका ने आठ अरब डालर की सहायता दी और सात हजार टन असला मुहैया करवाया.</p><p style="text-align: justify;">इसके नतीजे में पिछले कुछ दशकों से अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच, विशेषकर पश्चिम एशिया, पर आतंकवाद छाया हुआ है. मुसलमानों में अतिवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इस बीच अनेक देशों ने ईशनिंदा कानून बनाए और कुछ मुस्लिम देशों ने ईशनिंदा के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया. इन देशों में पाकिस्तान, सोमालिया, अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और नाईजीरिया शामिल हैं.</p><p style="text-align: justify;">हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक के शासनकाल में ईशनिंदा के लिए सजा-ए-मौत का प्रावधान किया गया था. इसके साथ ही वहां इस्लामीकरण की प्रवृत्तियां भी तेज हो गईं. इसका एक नतीजा यह हुआ कि इन देशों में इस्लाम का अतिवादी संस्करण लोकप्रिय होने लगा. इसका जीता-जागता उदाहरण आसिया बीबी हैं जिन्हें ईशनिंदा का आरोपी बनाया गया था. पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की निर्मम हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने न सिर्फ इस कानून का विरोध किया वरन् जेल जाकर आसिया बीबी से मुलाकात भी की. इसके बाद तासीर के हत्यारे का एक नायक के समान अभिनंदन किया गया.</p><p style="text-align: justify;">इस्लाम के इतिहासकार बताते हैं कि पैगम्बर मोहम्मद के दो सौ साल बाद तक इस्लाम में ईशनिंदा संबंधी कोई कानून नहीं था. यह कानून नौवीं शताब्दि में अबासिद शासनकाल में पहली बार बना. इसका मुख्य उद्देश्य सत्ताधारियों की सत्ता पर पकड़ मजबूत करना था. इसी तरह, पाकिस्तान में जिया उल हक ने अपने फौजी शासन को पुख्ता करने के लिए यह कानून लागू किया. इसका लक्ष्य इस्लामी राष्ट्र के बहाने अपनी सत्ता को वैधता प्रदान करना था. सच पूछा जाए तो फौजी तानाशाह, समाज में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहते थे. इसके साथ ही गैर-मुसलमानों और उन मुसलमानों, जो सत्ताधारियों से असहमत थे, को काफिर घोषित कर उनकी जान लेने का सिलसिला शुरू हो गया. पाकिस्तान में अहमदिया और शिया मुसलमानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. ईसाई और हिन्दू तो इस कानून के निशाने पर रहते ही हैं.</p><p style="text-align: justify;">अभी हाल में (25 अक्टूबर) एक विचारोत्तेजक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसका आयोजन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी नामक संस्था ने किया था. वेबिनार में बोलते हुए इस्लामिक विद्वान जीनत शौकत अली ने कुरान के अनेक उद्वरण देते हुए यह दावा किया कि पवित्र ग्रंथ में इस्लाम में विश्वास न करने वालों के विरूद्ध हिंसा करने की बात कहीं नहीं कही गई है (कुरान में कहा गया है ‘तुम्हारा दीन तुम्हारे लिए, मेरा दीन मेरे लिए’). वेबिनार का संचालन करते हुए जावेद आनंद ने कहा कि ‘‘हम इस अवसर पर स्पष्ट शब्दों में, बिना किंतु-परंतु के, न केवल उनकी निंदा करते हैं जो इस बर्बर हत्या के लिए जिम्मेदार हैं वरन् उनकी भी जो इस तरह के अपराधों को प्रोत्साहन देते हैं और उन्हें उचित बताते हैं. हम श्री पेटी की हत्या की निंदा करते हैं और साथ ही यह मांग करते हैं कि दुनिया में जहां भी ईशनिंदा संबंधी कानून हैं वहां उन्हें सदा के लिए समाप्त किया जाए’’.</p><p style="text-align: justify;">इस वेबिनार में जो कुछ कहा गया वह महान चिंतक असगर अली इंजीनियर की इस्लाम की विवेचना के अनुरूप है. असगर अली कहते थे कि पैगम्बर इस हद तक आध्यात्मिक थे कि वे उन्हें भी दंडित करने के विरोधी थे जो व्यक्तिगत रूप से उनका अपमान करते थे. इंजीनियर, पैगम्बर के जीवन की एक मार्मिक घटना का अक्सर उल्लेख करते थे. पैगम्बर जिस रास्ते से निकलते थे उस पर एक वृद्ध महिला उन पर कचरा फेंकती थी. एक दिन वह महिला उन्हें नजर नहीं आई. इस पर पैगम्बर तुरंत उसका हालचाल जानने उसके घर गए. यह देखकर वह महिला बहुत शर्मिंदा हुई और उसने इस्लाम स्वीकार कर लिया.</p><p style="text-align: justify;">यहां यह समझना जरूरी है कि आज के समय में इस्लाम पर असहिष्णु प्रवृत्तियां क्यों हावी हो रही हैं? इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जब मुस्लिम शासकों ने इन प्रवृत्तियों का उपयोग सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किया. वर्तमान में इस प्रवृत्ति में नए आयाम जुड़ गए हैं. सन् 1953 में ईरान में चुनी हुई मोसादिक सरकार को इसलिए उखाड़ फेंका गया क्योंकि वह तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने वाली थी. यह सर्वविदित है कि इन कंपनियों से अमेरिका और ब्रिटेन के हित जुड़े हुए थे. समय के साथ इसके नतीजे में कट्टरपंथी अयातुल्लाह खौमेनी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान पर सोवियत कब्जे के बाद अमेरिका ने कट्टरवादी इस्लामिक समूहों को प्रोत्साहन दिया. इसके साथ ही मुजाहिदीन, तालिबान और अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना भी प्रारंभ किया. नतीजे में पश्चिमी एशिया में अमेरिका की दखल बढ़ती गई जिसके चलते अफगानिस्तान, ईराक आदि पर हमले हुए और असहनशील तत्व हावी होते गए जिसके चलते पेटी की हत्या जैसी घटनाएं होने लगीं.</p><p style="text-align: justify;">ईशनिंदा एवं ‘काफिर का कत्ल करो’ जैसी प्रवृत्तियों को कैसे समाप्त किया जाए, इस पर बहस और चर्चा आज के समय की आवश्यकता है. </p><p style="text-align: justify;"><b><i><span style="color: #666666;">(हिंदी रूपांतरणः अमरीश हरदेनिया) </span></i></b></p><p style="text-align: justify;"><b><i><span style="color: #666666;">(लेखक आईआईटी, मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)</span></i></b></p>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8875755293926042655.post-7279553554189969422020-10-24T22:24:00.018+05:302020-11-03T11:45:26.494+05:30किसी मनुष्य को कुत्ता कह कर कुत्ते का अपमान न करें<p style="text-align: center;"><span style="color: #2b00fe;"></span></p><b><div style="text-align: justify;"><b><span style="font-size: x-large;"><span style="background-color: #660000;"><span style="color: white;"> गौर कीजिये-</span><span style="color: #fcff01;">बहुत सी विशेषताएं हैं कुत्तों में जनाब!</span></span></span></b></div></b><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: justify;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUJwh69VWrWhvmdgfH7vOJdQpYjiiGrZOc8U0EENrv1WavmDhh3EBQn8kGg_C51NuzYCcQl9uUBjdawIQlq1X-TY7j19PlrT8-VBWwbbHbi5Iweh8kml21YHUMuNDOP0bBUjsd9yRfXjY/s1055/Unsplash+photo+by+Atharva+Tulsi-1530635436363-cb72564de051.jpg" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="699" data-original-width="1055" height="424" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUJwh69VWrWhvmdgfH7vOJdQpYjiiGrZOc8U0EENrv1WavmDhh3EBQn8kGg_C51NuzYCcQl9uUBjdawIQlq1X-TY7j19PlrT8-VBWwbbHbi5Iweh8kml21YHUMuNDOP0bBUjsd9yRfXjY/w640-h424/Unsplash+photo+by+Atharva+Tulsi-1530635436363-cb72564de051.jpg" width="640" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="font-size: x-small;"><span style="color: #674ea7;">*इस यादगारी और भवनात्मक तस्वीर को क्लिक किया जानेमाने कैमरामैन </span><span style="color: #2b00fe;"><a href="https://unsplash.com/photos/JM0cGQjS5do">Atharva Tulsi (Unsplash)</a> </span></span><span style="color: #674ea7; font-size: x-small;">ने </span></b></td></tr></tbody></table><span><div style="text-align: center;"><div style="text-align: justify;"><br /></div><div style="text-align: justify;"><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #2b00fe; font-family: georgia;">लुधियाना</span><span style="color: #444444; font-family: georgia;">: </span><span style="color: #666666; font-family: georgia;">24 अक्टूबर 2020</span><span style="color: #444444; font-family: georgia;">: (</span><span style="color: #444444; font-family: georgia;">रेक्टर कथूरिया</span><span style="color: #444444; font-family: georgia;">//</span><span style="color: #2b00fe; font-family: georgia;">पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी</span><span style="color: #444444; font-family: georgia;">)::</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-family: georgia;"><br /></span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-family: georgia;">ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता!</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-family: georgia;">कहाँ से सीखी अदा तू ने दुम दबाने की!</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-family: georgia;">वो बोला दुम के दबाने को बुज़-दिली न समझ!</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="color: #444444; font-family: georgia;">जगह कहाँ है यहाँ दुम तलक हिलाने की!</span></b></div><div style="text-align: justify;"><b><span style="font-family: georgia;"> <span style="color: #674ea7;"> ---साग़र ख़य्यामी</span></span></b></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #444444;">यह तस्वीर</span></b> दिल्ली में बने हुए किसी पुराने बादशाह के मकबरे की है लगता है तस्वीर में नज़र आ रहे कुत्ते ने कई दिनों से नहाने की ज़रूरत भी नहीं समझी या फिर नहाने जितना पानी ही उसे उपलब्ध नहीं हुआ क्यूंकि पानी के बंटवारे को लेकर तो लड़ाई झगड़ों का माहौल गरमाया हुआ है। इस हालत के बावजूद यह कुत्ता खुश लग रहा है। शायद इसी लिए कहा जाता है कि कुत्ते दरवेश होते हैं। इस संबंध में कई कहानियां भी प्रचलित हैं। कुत्तों को भूत-प्रेत भी नज़र आ जाते हैं। जहाँ भी रहते हैं वहां के परिवार में मृत्यु की दस्तक आने पर कुत्ते उसे झट से पहचान लेते हैं और भौंकना शुरू कर देते हैं या रोना शुरू कर देते हैं। बहुत से लोगों ने देखा होगा की जब कोई कुत्ता रोने लगता है तो कुछ ही घंटों में उस गली के किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है। समझना आ जाए तो ये अपनी भाषा में बहुत सी काम की बातें भी कहते हैं। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #444444;">बहुत से अघोरी</span> </b>और अन्य साधु भी कुत्तों को अपने साथ रखना ज़रूरी समझते हैं। इस बात को न भी माना जाये तो भी इसकी वफादारी तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसकी सूंघने की शक्ति और इसकी मेघा भी बहुत विशेष होती है। पुलिस और सेना में कुत्ते बहुत ही काम के होते हैं। पहले तो कुत्तों के वृद्ध होने पर सेना में उन्हें गोली मार कर मार दिए जाने का चलन भी था लेकिन अब इसे सुधारा जा रहा है। वृद्धा अवस्था में कुत्तों के पुनर्वास करने की बातें भी सुनी गई हैं। बहुत से अमीर लोगों के परिवारों में कुत्तों को विशेष सम्मान मिलता है। जो परिवार कुत्तों को पालने के शौक़ीन हैं वे इसे पारिवारिक सदस्य की तरह ही स्नेह करते हैं। अब सरकारें भी लोगों की इस भावुक कमज़ोरी को समझ गई हैं और उनके पालने पर नई नई किस्म के टेक्स और खर्चे घोषित हो रहे हैं। कुत्ते पालना अब महंगा सौदा हो गया है। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #444444;">इसी बीच कई बरसों से कुत्तों का कारोबार</span></b> बहुत मुनाफा भी देने लगा है। छोटे छोटे पिल्लै बहुत महंगे भाव पर बिकते हैं। कुत्तों के अच्छे कारोबारी कुत्तों को समय उन्हें सबंधित टीके इत्यादि लगवा कर ही बेचते हैं। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;">इससे उन्हें हलकाने या कोई अन्य रोग नहीं होता। जब भी इतिहास लिखा गया तो यह बात दर्ज रहेगी कि जब लोग अपने परिवारों और देशों के साथ वफादारी भूल गए थे तो उस स्वार्थ भरे दौर में भी कुत्ते वफ़ादारी की मिसाल बने रहे। </span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><br /></span></div><div style="text-align: justify;"><span style="font-family: georgia;"><b><span style="color: #444444;">इस लिए एक निवेदन है</span> </b>आप सभी से। जब भी किसी आज के किसी तथाकथित इंसान, बेवफा व्यक्ति, धोखेबाज़ मित्र या ऐसे किसी भी अन्य मनुष्य को गाली देने का मन करे तो कृपया उसे कुत्ता कह कर कुत्ते का अपमान न करें। </span></div><div style="text-align: justify;"><br /></div></div></div></span>Rector Kathuriahttp://www.blogger.com/profile/06225119395785915592noreply@blogger.com0