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गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आये

Thursday: 6th August 2020 at 6:41 PM
 नामधारी संगत ने दोनों पर किया संयुक्त उत्सव का आयोजन 
लुधियाना: 5 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
जिस रूप में कोई श्रद्धा से याद करे उसी रूप में उसके पास पहुंचते हैं ठाकुर जी 
भगवान राम और उनके राज्य में आस्था रखने वालों के लिए पांच अगस्त का दिवस विशेष था। उस दिन अयोध्या में राम मंदिर का नींव पत्थर रखा गया।  वही राम मंदिर जिसका वायदा भारतीय सियासतदान लम्बे समय से करते आ रहे थे। उसी दिन उन लोगों के लिए भी विशेष सुअवसर था जो ठाकुर दलीप सिंह जी में ही भगवान राम का रूप देखते हैं क्यूंकि ठाकुर जी का जन्मदिवस भी उसी दिन था। लुधियाना की राजदीप इंजीनियर नामक फर्म में ठाकुर जी का जन्मोत्सव बहुत श्रद्धा और आस्था से मनाया गया। कोरोना का संकटकाल न होता तो शायद धूमधाम भी ज्यादा होती। इस आध्यात्मिक उत्सव के साथ ही राम मंदिर निर्माण की खुशियां भी बहुत उत्साह से मनाई गयीं।इस सुअवसर पर नामधारियों के सक्रिय और खाड़कू नेता बचित्तर सिंह भुर्जी ने तो विशेष उत्साह दिखाया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आना हम सभी के लिए बहुत बड़ा मौका भी है और सौभाग्यशाली सुअवसर भी है। गौरतलब है कि नामधारियों ने ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व में बहुत पहले संघर्ष के दिनों में ही कह दिया था की हम राम मंदिर के निर्माण में सक्रिय सहयोग देंगें। जब भी ज़रूरत होगी हम जत्थे भेजेंगे। ठाकुर जी ने सिरसा के नज़दीक एक जन्माष्टमी मंच पर स्पष्ट कहा भी था कि राम मंदिर शक्ति से ही बनेगा। उल्लेखनीय है कि  इस मौके पर इसी मंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डाक्टर मोहन भागवत भी मौजूद थे। 
श्री भुर्जी ने कहा कि आज का दिन हम सभी भारतियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्यूंकि सभी  भारत वासियों ने 
अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना बहुत पहले देखा था और बार बार देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए बहुत सी कुबानियाँ भी हुईं। राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनने का सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की वजह से ही पूरा हो सका है। 
यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज ही ठाकुर दलीप सिंह जी का 67वां जन्मोत्सव भी है। ठाकुर जी को कोई भगवान कृष्ण के ूप में देखता है और कोई भगवान राम के रूप में। जिस श्रद्धा भावना से ठाकुर जी कोई कोई यद् करता है ठाकुर जी उसी रूप में उसके पास पहुँच जाते हैं। इस बात को सच होते महलों वालों ने भी देखा है और झुग्गी झौंपड़ी वालों ने भी। इस तरह के अनुभव करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं और पुरुष भी। बच्चे भी और बज़ुरग भी। इस तरह की अनगिनत सच्ची कहानियां हैं जिन्हें ठाकुर जी प्रचार का साधन नहीं बनने देते। फिर भी हम इन सभी सच्ची कहानियों को संकलित करने के प्रयास में हैं। आपके साथ भी कोई ऐसा अनुभव हुआ हो तो अवश्य बताएं।
गौरतलब है कि आज ठाकुर जी का जन्मोत्सव देश विदेश में एक जैसे उत्साह और जोश से मनाया गया। घरों में दीपमाला हुई और मिठाईयां बांटी गयीं। लडडू तो बहुत पसंद किये गए। बहुत से लोगों ने अपने तौर पर भी लडडू बांटे। इन खुशीयों पर विशेष बात यह भी थी कि ज़रूरतमंद सिखों के पास जा कर उनकी हर ज़रूरत पूरी की गई।नामधारी हरविंदर सिंह, नामधारी नवतेज सिंह, नामधारी अमरजीत सिंह, नामधारी ईशर सिंह, नामधारी प्रभजोत सिंह, नामधारी मनप्रीत सिंह, नामधारी रोहित कुमार, नामधारी सुभाष कुमार, नामधारी बलविंदर सिंह बल्लू, नामधारी जगजीत सिंह, नामधारी जरनैल सिंह और नामधारी अरविंदर सिंह लाडी भी मौजूद रहे। 
पटियाला, जालंधर, अमृतसर, नई दिल्ली और हरियाणा में ऐसे ही आयोजन हुए। इसी तरह बहुत से  पर भी इसी श्रद्धा भावना से इसी तरह के भव्य कार्यक्रम हुए। 


शनिवार, 27 जून 2020

दुनिया में जुर्मों का आतंक-भारत फिर भी दिव्य-ठाकुर दलीप सिंह

ब्रिटेन में प्रेमिका की हत्या करके 15 महीने तक बेडरूम में रखा शव 
 शव की बदबू छुपाने के लिए छिड़कता रहा सेंट और परफ्यूम 
नामधारी विश्व: 26 जून 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::
विकास के दावे करने और सुनने तो बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन उनकी वास्तविकता देखें तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। मामला  है ब्रिटेन जैसे अत्याधुनिक और विकसित  देश का। ब्रिटेन में प्रेमिका की हत्या करके उसके शव को 15  महीने तक बैडरूम में छुपाए रखने का घृणित और सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है। इस तरह की जघन्य हत्यायों के मुकबिलों में भारत आज भी मानवीय और दिव्य सिद्धांतों पर खड़ा है। अंधेरी रात में भारत ही रौशनी दिखा रहा है। 
हाल ही में चर्चित हुए विवरण के मुताबिक ब्रिटेन के मेनचेस्टर में एक बहुत ही अजीब व हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां एक शख्स ने अपनी ही प्रेमिका का बेरहमी से कत्ल कर दिया। नामधारी सम्प्रदाय के सूत्रों ने बताया कि हिंदुस्तान डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक 45 वर्षीय कॉलिन रीडे नामक एक सनकी प्रेमी ने अपने से एक वर्ष छोटी अर्थात 44 वर्षीय प्रेमिका की हत्या करके उसके शव को बैडरूम की अलमारी में छुपा दिया। बात एक दो दिन की नहीं थी। यह शव उसने 15 महीने तक उसी अलमारी में छुपाए रखा। जब उस शव से बदबू उठने लगी तो उसे कुछ चिंता हुई। तब उसने शव की बदबू को रोकने के लिए रूम फ्रेशनर और इत्र का इस्तेमाल करता रहा। 
बदबू इसके बावजूद भी न रुकी। हवा के ज़रिये किसी न किसी मात्रा में यह बदबू बाहर निकलने लगी। धीरे धीरे इसकी मात्रा भी बढ़ने लगी। इस पर आस पड़ोस में भी चर्चा होने लगी।   जब भी कभी आस पड़ोस वाले पूछते तो वह जवाब में उसी फ्लैट में रहने वाले किरायेदारों को कोसता। वह किसी न किसी तरह इन किराएदारों को ही इस बदबू के लिए ज़िम्मेदार ठहराता।
यहाँ इस सारी घटना का संक्षिप्त सा ज़िक्र केवल इस लिए किआ गया है तांकि उन लोगों की आँखें खुल सकें जो हर बात-बे-बात पर अपने ही देश भारत को कोसने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहते। 
ब्रिटेन की यह घटना बताती है कि जिन लोगों को हम न जाने कितना आधुनिक और विकसित समझते हैं वे वास्तव किस स्थिति में हैं? वहां किस तरह के पतन की घटनाएं घटित हो रही हैं। इस तरह के तथाकथित विकास के आधार पर खुद को विकसित कहलाने वाले देशों के लोगो तो धर्म कर्म के साथ साथ इंसानियत को भी भूलते जा रहे हैं। ज़रा सा वैचारिक मतभेद और वे लोग सामने वाली की जान लेते हैं।  
इसके विपरीत आज भी भारत में मानवता और संवेदना ज़िंदा है। लोग एक दुसरे का ध्यान रखते हैं। खुद का खाना उठा कर दूसरों को दे देते हैं। यह सब इसी लिए हो पता है क्यूंकि भारत के लोग धर्म पर आधारित शैली में जीवन जीते हैं। इसी लिए इनके जीवन जीने के अंदाज़ में मानवीय जीवन का अभी भी बहुत मूल्य है। जो लोग जीवन के महत्व को संहते होते हैं वे लोग कभी भी किसी दुसरे को नुक्सान नहीं पहुंचाते। 
नामधारी सदगुरु ठाकुर दलीप सिंह कहते हैं इन सब बातों के कारण ही मेरे लिए भारत अभी भी एक महान देश है। सारी दुनिया से अलग और महान जिस पर मुझे गर्व है। ठाकुर जी के शब्दों को सुन कर एक पुराना गीत अनायास ही याद आ गया--
है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहनेवाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

Corona से जंग: नामधारी संगत ने किया SSP अमृतसर का सम्मान

पुलिस वाले जान की बाज़ी लगा कर कर रहे हैं कोरोना जंग में जनसेवा 
अमृतसर//लुधियाना: 30 अप्रैल 2020:(पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::  
कोरोना वायरस का खौफ हर तरफ छाया हुआ है। कोरोना पीड़ितों की संख्या हर रोज़ बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस के इस इतने बड़े आतंक के बावजूद पुलिस के जवान निरंतर लोगों की सेवा में लगे हैं। गहन संकट की इस घड़ी में आम लोगों को बचाने के लिए सक्रिय हो कर काम करने वालों में पुलिस विभाग के जवान और उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। अपनी जान का खतरा उठा कर दुसरे लोगों की जान बचने वाले लोग ज़िंदा शहीदों से काम भी नहीं होते। नामधारी संगत ने पुलिस विभाग के जवानों का सम्मान करने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया। इस प्रयास के अंतर्गत एस एस पी सुखचैन सिंह गिल का सम्मान किआ गया। नामधारी संगत ने खतरा उठा कर लोगों के काम आ रहे पुलिस जवानों की प्रशंसा की। पुलिस के कुछ अन्य जवानों का भी सम्मान किया गया। इसके साथ ही इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट अध्यक्ष दिनेश बस्सी को भी सम्मानित किया गया। 
इस सम्मान के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम का शुभारम्भ करने वाले सतिगुरु राम सिंह जी की तस्वीर श्री गिल, श्री बस्सी और अन्य लोगों को दी गयी। 
नामधारी संगत के सक्रिय नेता अध्यक्ष-गुरचरण सिंह, साहिब सिंह, लाल सिंह और अन्य लोगों ने बताया कि कोरोना के कहर का सामना इतनी बहादुरी से करने वाले पुलिस जवानों का मनोबल बनाए रखना पूरे समाज का नैतिक कर्तव्य बनता है। आम लोग घरों में रह कर सुरक्षित रहें इस लिए यह जवान खुद बाहर निकल कर डयूटी दे रहे हैं। इन नामधारी नेताओं ने बताया कि ऐसे जांबाज़ पुलिस अधिकारीयों का सम्मान सतिगुरु ठाकुर दलीप सिंह जी के आदेशों पर किया जा रहा है। 
नामधारी संगत ने याद दिलाया कि अदि पुलिस वाले न होते तो समाज का क्या हाल हो गया होता। पुलिस वालों ने ही लोगों को उनके घरों में रोक रखा  है। अदि ऐसा न हुआ तो इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है की कोरोना ने अब तक कितनी जानें ले ली होतीं।  
गौरतलब है कि गर्मियों में पुलिस के जवानों को शकंजवी, ठंडा जल, निम्बू पानी इत्यादि और सर्दियों में चाय अर्थात देसी चाय पर आधारित चाटा पिलाने का सिलसिला नामधारी संगत ने बहुत पहले से शुरू कर रखा है। इसकी शुरुआत नामधारी संगत ने ठाकुर दलीप सिंह के कहने पर ही कई बरस पहले शुरू की थी।यह सिलसिला देश के सभी राज्यों में लगातार जारी है। आज हुए सम्मान आयोजन के समय नामधारी निर्मल सिंह, नामधारी दर्शन सिंह, नामधारी सतपाल सिंह, नामधारी निरंजन सिंह, नामधारी बूटा सिंह, नामधारी सुरजीत सिंह और नामधारी गुरुचरण सिंह चन्न भी मौजूद रहे। 

रविवार, 11 मार्च 2018

"किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार"--हरप्रीत कौर प्रीत

हर गरीब बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने में जुटी है प्रीत 
अमृतसर: 11 मार्च 2018: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क टीम)::
जन्मदिन मुबारक 
आज बात करते हैं एक युवा महिला की। मेरा मतलब है लुधियाना की हरप्रीत कौर प्रीत से। हरप्रीत नामधारी सम्प्रदाय से सबंधित है। जीवन में जो कुछ भी बन पायी या बनना चाहती है उसे ठाकुर दलीप सिंह जी की कृपा ही मानती  है।  देखते ही देखते शब्दों की  जादूगरी सीख गयी। मंच से उसकी उसकी आवाज़ सुन कर पाँव ठिठक जाते हैं। उसके मंच संचालन की कला में निखार लगातार जारी है। ठाकुर जी से प्रेरणा पा कर गरीब बच्चों को शिक्षा देना उसका एक मात्र मकसद गया है। घर से कोई अमीर नहीं है।  मध्यवर्गीय परिवार  है लेकिन मकसद बहुत बड़ा शुरू कर लिया। नियत साफ थी-मकसद नेक था और दिल में हिम्मत भी थी। कदम कदम पर सफलता मिलती चली गयी। शेख फरीद जी कहते हैं: अणहोंदे आप वन्डाये-को ऐसा भक्त सदाए। हरप्रीत कौर प्रीत पर इस कथन को सच होते देखा। मन की यह अवस्था सभी के नसीब में नहीं होती। अपनी रोटी की थाली किसी को दे देनी। अपनी शर्ट या जैकेट उतार कर किसी को दे देनी। अपने घर के राशन की चिंता भूल कर किसीके घर का चूल्हा जलाना। सचमुच उस पर कोई रूहानी कृपा है। उसके अंदर की संवेदना उसे चैन नहीं लेने देती। यही सोचती है--किसी का दर्द मिल सके मिल सके तो ले उधार----बेटे का जन्म दिन आया तो सभी से पूछा बताओ  इसे कैसे मनाएं जिससे उसे भी ख़ुशी मिले और साथ ही उसे दुआएं भी मिलें। मुझे उसका सवाल बहुत अच्छा लगा। मैं खुद भी अपना जन्मदिन मनाने में कोई रुचि नहीं रखता।  आकाशवाणी जालंधर में हरभजन सिंह बटालवी हुआ करते थे। बहुत ही नेक इंसान।  साहित्यकार भी थे। एक दिन मैंने कहा चलो आज आपका जन्मदिन है--कहीं चल कर मनाते हैं।  कहने लगे मैं इस तरह नहीं मनाता। फिर उन्होंने एक लम्बी कहानी सुनाई और कहा मैं तो बस इतना ही करता हूं कि कम से कम एक बुरी आदत छोड़ दूं  और एक अच्छी आदत अपना लूं।  पिछले कुछ वर्षों में मैंने बहुत सी बुरी आदतों से छुटकारा पाया है।
अब जब हरप्रीत कौर प्रीत ने अपने बेटे के जन्मदिन को कैसे मनाया जाये का सवाल उठाया तो बहुत कुछ याद आने लगा। महसूस हुआ-शायद बहुत कम लोग ऐसा सोच पाते हैं। निरथर्क किस्म की मस्ती हमारे समाज और लाईफ स्टाईल का हिस्सा बन चुकी है। यह मदहोशी भरी मस्ती हमें कुछ काम की बात सोचने भी नहीं देती। 
जन्मदिन की बात के इस शुभ अवसर पर याद आरही हैं एक और गीत की पंक्तियाँ।
कुछ पाकर खोना है, 
कुछ खोकर पाना है 
जीवन का मतलब तो, 
आना और जाना है----
दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी है..... 
मुझे लगता है हर जन्मदिन पर हमें खुद भी खुद को समझना चाहिए और दूसरों को भी समझाना चाहिए कि उम्र का एक वर्ष और कम हुआ लेकिन अनुभवों का एक नया अध्याय भी जीवन में जुड़ गया। आओ अनुभव की इस पूंजी को पाकर दो पल के जीवन से उम्र को चुराना सीखें।