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शनिवार, 7 नवंबर 2020

Command Call

 Range training event at Fort Drum, N.Y 


Marine Corps Ashlee Ford repeats a command during a range training event at Fort Drum, N.Y., Nov. 6, 2020.

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

20 कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ने थामा भाजपा का दामन

3rd November 2020 at 5:49 PM

 यह सब जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय के प्रयासों से हुआ 

लुधियाना: 3 नवम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी टीम)::

किसान आंदोलन और अकाली दल द्वारा गठबंधन तोड़ कर भाजपा का साथ छोड़ने के बावजूद भाजपा का जादू पंजाब में कम हुआ नहीं लगता। अभी भी लोग भाजपा में शामिल होना फायदे का सौदा समझते हैं। भाजपा ने दावा किया है की कांग्रेसी वर्कर अपनी पार्टी छोड़ कर भाजपा में आ मिले हैं। इस संबंध में बकदा एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई।  

भाजपा के जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय के प्रयासों से 20 कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा के ज़िला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल ने कमांडर बलबीर सिंह के निवास स्थान पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को सिरोपा डालकर पार्टी में शामिल किया जिसकी अध्यक्षता भाजपा के जमालपुर मंडल के प्रधान भूपिंदर राय ने की।  जिन लोगों के कांग्रेस छोड़ कर आने का दावा भाजपा ने किया है उनमें शामिल हैं-गुगु जमालपुर,सनी जमालपुर, बॉबी जमालपुर,पबिन्द्र सिंह, बलदेव सिंह, अनमोल, विक्की, सूंदर, देश राज, सूरज, बादल, ऋतिक शर्मा, संदीप सिंह, सतनाम सिंह, जसपाल सिंह,अशोक कुमार, जतिंदर दीपक आदि शामिल हैं। भाजपा की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक इन लोगों ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह कर भाजपा को चुना। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक भाजपा छोड़ने वालों ने वायदा भी किया कि आने वाले  2022 के विधासनसभा चुनावों में वह भाजपा के साथ डट कर खड़े रहेंगे।  

भाजपा ज़िला प्रधान ने इन लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हम साफ सुथरी एवं ईमानदार राजनीति में विश्वास रखते हैं तथा जो भी लोग पंजाब एवं पंजाब के हित की बात करता है उसका पार्टी में स्वागत है।

      इस मौके पर लुधियाना भाजपा के ज़िला महामंत्री राम गुप्ता, ज़िला उपाध्यक्ष-यशपाल जनोत्रा, मीडिया सचिव-मनमीत चावला, मनोज चौहान, कमांडर बलबीर सिंह, अवतार भाटिया, मनीष कुमार, एस के दुग्गल और विनोद जोशी भी उपस्थित थे। इसी बीच कुछ वरिष्ठ भाजपा सूत्रों का कहना है आने वाले दिनों में कई और लोग भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं क्यूंकि भाजपा अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन गई है। भाजपा की नीतियों को दुनिया के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है। 

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

चार्ली हेब्डो कार्टून और समकालीन विश्व में ईशनिंदा कानून

  राम पुनियानी                                                                  28 अक्टूबर 2020  

Lyon France में पुलिस की मौजूदगी-फाईल फोटो जिसे क्लिक किया Ev (Unsplash) ने 

रूसी मूल के 18 साल के मुस्लिम किशोर द्वारा फ्रांस के स्कूल शिक्षक सेम्युअल पेटी की हत्या ने एक अंतर्राष्ट्रीय विवाद को जन्म दे दिया है। एक ओर फ्रांस के राष्ट्रपति ने मृत शिक्षक का समर्थन करते हुए राजनैतिक इस्लाम का मुकाबला करने की घोषणा की है तो दूसरी ओर, तुर्की के राष्ट्रपति एर्डोगन ने फ्रांस के राष्ट्रपति के बारे में अत्यधिक अपमानजनक टिप्पणी की है। प्रतिक्रिया स्वरूप, फ्रांस ने तुर्की से अपने राजदूत को वापिस बुलवा लिया है। इस दरम्यान अनेक मुस्लिम देशों ने फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार प्रारंभ कर दिया है। इसके साथ ही अनेक मुस्लिम देशों ने फ्रांस के राष्ट्रपति के विरूद्ध अपना आक्रोश व्यक्त किया है। पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत अनेक मुस्लिम देशों में विरोध प्रकट करने के लिए लोग सड़कों पर भी उतरे। 

लेखक डा. राम पुनियानी 
पेटी अपनी कक्षा में अभिव्यक्ति की आजादी का महत्व समझा रहे थे और अपने तर्कों के समर्थन में उन्होंने ‘चार्ली हेब्डो’ में प्रकाशित कार्टून बच्चों को दिखाए. इसके पहले उन्होंने कक्षा के मुस्लिम विद्यार्थियों से कहा कि अगर वे चाहें तो क्लास से बाहर जा सकते हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि चार्ली हेब्डो के कार्टूनिस्टों की 2015 में हुई हत्या का मुकदमा अदालत में प्रारंभ होने वाला है. इस संदर्भ में यह जिक्र करना भी उचित होगा कि चार्ली हेब्डो ने पैगम्बर का उपहास करने वाले कार्टूनों का पुनर्प्रकाशन किया था. ये कार्टून इस्लाम और पैगम्बर मोहम्मद को आतंकवाद से जोड़ते हैं. इन कार्टूनों की पृष्ठभूमि में 9/11 का आतंकी हमला है जिसके बाद अमरीकी मीडिया ने ‘इस्लामिक आतंकवाद’ शब्द गढ़ा और यह शब्द जल्दी ही काफी प्रचलित हो गया. चार्ली हेब्डो में इन कार्टूनों के प्रकाशन के बाद पत्रिका के कार्यालय पर  हमला हुआ, जिसमें उसके 12 कार्टूनिस्ट मारे गए. इस हिंसक हमले की जिम्मेदारी अलकायदा ने ली. यहां यह  उल्लेखनीय है कि अलकायदा को पाकिस्तान स्थित कुछ मदरसों में बढ़ावा दिया गया. इन मदरसों में इस्लाम के सलाफी संस्करण का उपयोग, मुस्लिम युवकों के वैचारिक प्रशिक्षण के लिए किया जाता था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन मदरसों का पाठ्यक्रम वाशिंगटन में तैयार हुआ था. अलकायदा में शामिल हुए व्यक्तियों के प्रशिक्षण के लिए अमेरिका ने आठ अरब डालर की सहायता दी और सात हजार टन असला मुहैया करवाया.

इसके नतीजे में पिछले कुछ दशकों से अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच, विशेषकर पश्चिम एशिया, पर आतंकवाद छाया हुआ है. मुसलमानों में अतिवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इस बीच अनेक देशों ने ईशनिंदा कानून बनाए और कुछ मुस्लिम देशों ने ईशनिंदा के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया. इन देशों में पाकिस्तान, सोमालिया, अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और नाईजीरिया शामिल हैं.

हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक के शासनकाल में ईशनिंदा के लिए सजा-ए-मौत का प्रावधान किया गया था. इसके साथ ही वहां इस्लामीकरण की प्रवृत्तियां भी तेज हो गईं. इसका एक नतीजा यह हुआ कि इन देशों में इस्लाम का अतिवादी संस्करण लोकप्रिय होने लगा. इसका जीता-जागता उदाहरण आसिया बीबी हैं जिन्हें ईशनिंदा का आरोपी बनाया गया था. पाकिस्तानी पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की निर्मम हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने न सिर्फ इस कानून का विरोध किया वरन् जेल जाकर आसिया बीबी से मुलाकात भी की. इसके बाद तासीर के हत्यारे का एक नायक के समान अभिनंदन किया गया.

इस्लाम के इतिहासकार बताते हैं कि पैगम्बर मोहम्मद के दो सौ साल बाद तक इस्लाम में ईशनिंदा संबंधी कोई कानून नहीं था. यह कानून नौवीं शताब्दि में अबासिद शासनकाल में पहली बार बना. इसका मुख्य उद्देश्य सत्ताधारियों की सत्ता पर पकड़ मजबूत करना था. इसी तरह, पाकिस्तान में जिया उल हक ने अपने फौजी शासन को पुख्ता करने के लिए यह कानून लागू किया. इसका लक्ष्य इस्लामी राष्ट्र के बहाने अपनी सत्ता को वैधता प्रदान करना था. सच पूछा जाए तो फौजी तानाशाह, समाज में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहते थे. इसके साथ ही गैर-मुसलमानों और उन मुसलमानों, जो सत्ताधारियों से असहमत थे, को काफिर घोषित कर उनकी जान लेने का सिलसिला शुरू हो गया. पाकिस्तान में अहमदिया और शिया मुसलमानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. ईसाई और हिन्दू तो इस कानून के निशाने पर रहते ही हैं.

अभी हाल में (25 अक्टूबर) एक विचारोत्तेजक वेबिनार का आयोजन किया गया. इसका आयोजन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी नामक संस्था ने किया था. वेबिनार में बोलते हुए इस्लामिक विद्वान जीनत शौकत अली ने कुरान के अनेक उद्वरण देते हुए यह दावा किया कि पवित्र ग्रंथ में इस्लाम में विश्वास न करने वालों के विरूद्ध हिंसा करने की बात कहीं नहीं कही गई है (कुरान में कहा गया है ‘तुम्हारा दीन तुम्हारे लिए, मेरा दीन मेरे लिए’). वेबिनार का संचालन करते हुए जावेद आनंद ने कहा कि ‘‘हम इस अवसर पर स्पष्ट शब्दों में, बिना किंतु-परंतु के, न केवल उनकी निंदा करते हैं जो इस बर्बर हत्या के लिए जिम्मेदार हैं वरन् उनकी भी जो इस तरह के अपराधों को प्रोत्साहन देते हैं और उन्हें उचित बताते हैं. हम श्री पेटी की हत्या की निंदा करते हैं और साथ ही यह मांग करते हैं कि दुनिया में जहां भी ईशनिंदा संबंधी कानून हैं वहां उन्हें सदा के लिए समाप्त किया जाए’’.

इस वेबिनार में जो कुछ कहा गया वह महान चिंतक असगर अली इंजीनियर की इस्लाम की विवेचना के अनुरूप है. असगर अली कहते थे कि पैगम्बर इस हद तक आध्यात्मिक थे कि वे उन्हें भी दंडित करने के विरोधी थे जो व्यक्तिगत रूप से उनका अपमान करते थे. इंजीनियर, पैगम्बर के जीवन की एक मार्मिक घटना का अक्सर उल्लेख करते थे. पैगम्बर जिस रास्ते से निकलते थे उस पर एक वृद्ध महिला उन पर कचरा फेंकती थी. एक दिन वह महिला उन्हें नजर नहीं आई. इस पर पैगम्बर तुरंत उसका हालचाल जानने उसके घर गए. यह देखकर वह महिला बहुत शर्मिंदा हुई और उसने इस्लाम स्वीकार कर लिया.

यहां यह समझना जरूरी है कि आज के समय में इस्लाम पर असहिष्णु प्रवृत्तियां क्यों हावी हो रही हैं? इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जब मुस्लिम शासकों ने इन प्रवृत्तियों का उपयोग सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किया. वर्तमान में इस प्रवृत्ति में नए आयाम जुड़ गए हैं. सन् 1953 में ईरान में चुनी हुई मोसादिक सरकार को इसलिए उखाड़ फेंका गया क्योंकि वह तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने वाली थी. यह सर्वविदित है कि इन कंपनियों से  अमेरिका और ब्रिटेन के हित जुड़े हुए थे. समय के साथ इसके नतीजे में कट्टरपंथी अयातुल्लाह खौमेनी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान पर सोवियत कब्जे के बाद अमेरिका ने कट्टरवादी इस्लामिक समूहों को प्रोत्साहन दिया. इसके साथ ही मुजाहिदीन, तालिबान और अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना भी प्रारंभ किया. नतीजे में पश्चिमी एशिया में अमेरिका की दखल बढ़ती गई जिसके चलते अफगानिस्तान, ईराक आदि पर हमले हुए और असहनशील तत्व हावी होते गए जिसके चलते पेटी की हत्या जैसी घटनाएं होने लगीं.

ईशनिंदा एवं ‘काफिर का कत्ल करो’ जैसी प्रवृत्तियों को कैसे समाप्त किया जाए, इस पर बहस और चर्चा आज के समय की आवश्यकता है. 

(हिंदी रूपांतरणः अमरीश हरदेनिया) 

(लेखक आईआईटी, मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं)

शनिवार, 12 सितंबर 2020

ग्रीस द्वीप में नई आग लगने से बचे-कुछे आवास भी नष्ट, हज़ारों लोग बेघर

Saturday: 12th September 2020 at 5:34 AM
 मंगलवार को लगी आग बार बार लग रही है 
ग्रीस के लेसबॉस द्वीप स्थित पंजीकरण व पहचान केन्द्र में ठहराए गए कुछ बच्चे खेलते हुए. (15 दिसम्बर 2018) ©UNICEF/Ron Haviv VII Photo
11 सितम्बर 2020//प्रवासी और शरणार्थी
ग्रीस के एक द्वीपीय केन्द्र लेसबॉस में नए सिरे से लगी आग ने वहाँ ठहराए गए हज़ारों शरणार्थियों व प्रसावियों के लिये आवासों को नष्ट कर दिया है। इससे पहले मंगलवार शाम को भी वहाँ आग लग चुकी है जिसमें बड़ी संख्या में इन शरणार्थियों व प्रवासियों के आवासों को नुक़सान पहुँचा था। 

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने शुक्रवार को एक चेतावनी जारी करके कहा कि लेसबॉस में बुधवार और गुरूवार को आग की नई लहर के बाद हर उम्र के लोग बेघर हो गए हैं। 

मंगलवार, बुधवार और गुरूवार को लगी इस आग के कारणों की जानकारी नहीं मिली है। 

यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने बताया, “ताज़ा आग ने मोरिया पंजीकरण व पहचान केन्द्र के आसपास के स्थानों को प्रभावित किया है... जिससे वहाँ बचे-खुचे आवासों को भी नष्ट कर दिया है।”

प्रवक्ता ने कहा कि इस आग में किसी के हताहत होने कि ख़बर नहीं है लेकिन इस आग के कारण ऐसे लगभग साढ़े 11 हज़ार लोग बिना किसी आवास के रह गए हैं जो शरण की माँग करने के लिये वहाँ थे. अब उन सभी को खुले स्थानों में रहना और सोना पड़ रहा है। 

रास्तों, मैदानों और तटों पर गुज़ारा
यूएनएचसीआर की प्रवक्ता शबिया मण्टू के अनुसार इस आग से प्रभावितों में लगभग 2 हज़ार 200 ऐसी महिलाएँ और 4 हज़ार बच्चे हैं जिन्हें सड़कों, खुले मैदानों और तटों पर रहना और सोना पड़ रहा है।  

“इनमें बहुत नाज़ुक स्वास्थ्य हालात का सामना कर रहे लोग, बहुत छोटी उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएँ और विकलांग जन शामिल हैं।”

मोरिया पंजीकरण व पहचान केन्द्र शिविर में ज़रूरत से ज़्यादा संख्या में प्रवासी और शरणार्थी रहने को मजबूर हैं, जबकि ये केन्द्र शुरू करते समय वहाँ इतनी संख्या की अपेक्षा नहीं की गई थी। 

मंगलवार को लगी शुरुआती आग के बाद अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने कहा था कि 12 हज़ार 600 से ज़्यादा प्रवासी और शरणार्थी विस्थापित हो गए थे और वहाँ बनाए गए आवासों में से लगभग 80 प्रतिषत राख में तब्दील हो गए थे. वो सुविधा केन्द्र केवल 3 हज़ार लोगों को ठहराने के इरादे से बनाया गया था। 

प्रवासन संगठन ने कहा था कि इस आग के बाद जो लोग बेघर हो गए उनमें लगभग 400 ऐसे बच्चे भी हैं जिनको सहारा देने के लिये कोई भी उनके साथ नहीं है। 

बाद में प्रवासन संगठन ने योरोपीय आयोग के उस निर्णय का भी स्वागत किया जिसमें इस द्वीपीय स्थान से लोगों को कहीं और भेजने पर आने वाला वित्तीय ख़र्च वहन करने की बात कही गई है। 

बेल्जियम, नॉर्वे आए मदद के लिये
इस आग संकट में मदद करने के लिये आगे आईं यूएन एजेंसियों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि वो ग्रीस सरकार से अनुरोध मिलने के बाद पंजीकरण व पहचान केन्द्र के लिये दो चिकित्सा दल भेज रहा है। 

संगठन प्रवक्ता फ़देला चाएब ने कहा, “हमारे पास एक टीम बेल्जियम से और दूसरी नॉर्वे से है. ये टीमें घटनास्थल पर शनिवार और सोमवार को पहुँचने की योजना पर काम कर रही हैं जो वहाँ स्वास्थ्य समन्वय प्रकोष्ठ बनाएँगे जिनमें प्रभावित लोगों की ज़रूरतों के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराई जा सकें।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन घटनास्थलों पर ऐसी मौजूदा चिकित्सा सेवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिये चिकित्सा सामान की आपूर्ति का भी इन्तेज़ाम कर रहा है जो या तो बाधित हुई हैं या जिन्हें कुछ ज़्यादा नुक़सान पहुँचा है। 

तनाव
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने आग से प्रभावित और बेघर हुए लोगों के साथ शुक्रवार को एकजुटता दिखाते हुए सभी से संयम बरतने और ऐसी किसी कार्रवाई या गतिविधि से बचने का आग्रह किया जिससे किसी तरह का तनाव भड़क सकता हो। 

यूएनएचसीआर ने योरोपीय संघ और सम्बन्धित सरकारों से मोरिया और ग्रीस के अन्य द्वीपों में शरण चाहने वालों और शरणार्थियों की समस्याओं का दीर्घकालीन हल निकालने की अपनी अपील फिर दोहराई है। 
ग्रीस के लेसबॉस द्वीप स्थित पंजीकरण व पहचान केन्द्र में ठहराए गए कुछ बच्चे खेलते हुए. (15 दिसम्बर 2018)© UNICEF/Ron Haviv VII Photo
ग्रीस के लेसबॉस द्वीप स्थित पंजीकरण व पहचान केन्द्र में ठहराए गए कुछ बच्चे खेलते हुए. (15 दिसम्बर 2018)
    

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आये

Thursday: 6th August 2020 at 6:41 PM
 नामधारी संगत ने दोनों पर किया संयुक्त उत्सव का आयोजन 
लुधियाना: 5 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
जिस रूप में कोई श्रद्धा से याद करे उसी रूप में उसके पास पहुंचते हैं ठाकुर जी 
भगवान राम और उनके राज्य में आस्था रखने वालों के लिए पांच अगस्त का दिवस विशेष था। उस दिन अयोध्या में राम मंदिर का नींव पत्थर रखा गया।  वही राम मंदिर जिसका वायदा भारतीय सियासतदान लम्बे समय से करते आ रहे थे। उसी दिन उन लोगों के लिए भी विशेष सुअवसर था जो ठाकुर दलीप सिंह जी में ही भगवान राम का रूप देखते हैं क्यूंकि ठाकुर जी का जन्मदिवस भी उसी दिन था। लुधियाना की राजदीप इंजीनियर नामक फर्म में ठाकुर जी का जन्मोत्सव बहुत श्रद्धा और आस्था से मनाया गया। कोरोना का संकटकाल न होता तो शायद धूमधाम भी ज्यादा होती। इस आध्यात्मिक उत्सव के साथ ही राम मंदिर निर्माण की खुशियां भी बहुत उत्साह से मनाई गयीं।इस सुअवसर पर नामधारियों के सक्रिय और खाड़कू नेता बचित्तर सिंह भुर्जी ने तो विशेष उत्साह दिखाया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आना हम सभी के लिए बहुत बड़ा मौका भी है और सौभाग्यशाली सुअवसर भी है। गौरतलब है कि नामधारियों ने ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व में बहुत पहले संघर्ष के दिनों में ही कह दिया था की हम राम मंदिर के निर्माण में सक्रिय सहयोग देंगें। जब भी ज़रूरत होगी हम जत्थे भेजेंगे। ठाकुर जी ने सिरसा के नज़दीक एक जन्माष्टमी मंच पर स्पष्ट कहा भी था कि राम मंदिर शक्ति से ही बनेगा। उल्लेखनीय है कि  इस मौके पर इसी मंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डाक्टर मोहन भागवत भी मौजूद थे। 
श्री भुर्जी ने कहा कि आज का दिन हम सभी भारतियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्यूंकि सभी  भारत वासियों ने 
अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना बहुत पहले देखा था और बार बार देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए बहुत सी कुबानियाँ भी हुईं। राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनने का सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की वजह से ही पूरा हो सका है। 
यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज ही ठाकुर दलीप सिंह जी का 67वां जन्मोत्सव भी है। ठाकुर जी को कोई भगवान कृष्ण के ूप में देखता है और कोई भगवान राम के रूप में। जिस श्रद्धा भावना से ठाकुर जी कोई कोई यद् करता है ठाकुर जी उसी रूप में उसके पास पहुँच जाते हैं। इस बात को सच होते महलों वालों ने भी देखा है और झुग्गी झौंपड़ी वालों ने भी। इस तरह के अनुभव करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं और पुरुष भी। बच्चे भी और बज़ुरग भी। इस तरह की अनगिनत सच्ची कहानियां हैं जिन्हें ठाकुर जी प्रचार का साधन नहीं बनने देते। फिर भी हम इन सभी सच्ची कहानियों को संकलित करने के प्रयास में हैं। आपके साथ भी कोई ऐसा अनुभव हुआ हो तो अवश्य बताएं।
गौरतलब है कि आज ठाकुर जी का जन्मोत्सव देश विदेश में एक जैसे उत्साह और जोश से मनाया गया। घरों में दीपमाला हुई और मिठाईयां बांटी गयीं। लडडू तो बहुत पसंद किये गए। बहुत से लोगों ने अपने तौर पर भी लडडू बांटे। इन खुशीयों पर विशेष बात यह भी थी कि ज़रूरतमंद सिखों के पास जा कर उनकी हर ज़रूरत पूरी की गई।नामधारी हरविंदर सिंह, नामधारी नवतेज सिंह, नामधारी अमरजीत सिंह, नामधारी ईशर सिंह, नामधारी प्रभजोत सिंह, नामधारी मनप्रीत सिंह, नामधारी रोहित कुमार, नामधारी सुभाष कुमार, नामधारी बलविंदर सिंह बल्लू, नामधारी जगजीत सिंह, नामधारी जरनैल सिंह और नामधारी अरविंदर सिंह लाडी भी मौजूद रहे। 
पटियाला, जालंधर, अमृतसर, नई दिल्ली और हरियाणा में ऐसे ही आयोजन हुए। इसी तरह बहुत से  पर भी इसी श्रद्धा भावना से इसी तरह के भव्य कार्यक्रम हुए। 


मंगलवार, 30 जून 2020

कोविड-19: ख़त्म होने के नज़दीक भी नहीं है यह महामारी

29 जून 2020//स्वास्थ्य//30th June 2020, 6:25 AM
 कोरोनावायरस को लेकर WHO की एक और गंभीर चेतावनी 
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 का पहला मामला चीन के वूहान शहर में सामने आने के क़रीब छह महीने बाद यह संकट अभी ख़त्म होने से दूर है और उस पर क़ाबू पाने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने होंगे। विश्व भर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या एक करोड़ से ज़्यादा हो जाने के दुखद पड़ाव पर यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने यह चेतावनी दी है।  साथ ही उन्होंने लोगों की जीवनरक्षा के लिए वैश्विक संकल्प को फिर से मज़बूत किए जाने की पुकार लगाई है। 
UN Photo/Evan Schneider न्यूयॉर्क के क्वीन्स इलाक़े में एक संदिग्ध संक्रमित को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है
कोविड-19 के कारण अब तक पाँच लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के मामले भारत, अमेरिका, ब्राज़ील और अन्य देशों में तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक घेबरेयेसेस ने कहा कि वायरस के फैलाव से जिस तरह व्यवधान पैदा हुआ है, छह महीने पहले उसके बारे में कल्पना करना भी मुश्किल था। 

“हम अपनी ज़िन्दगी पर फिर लौटना चाहते हैं. लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि यह अभी ख़त्म होने के नज़दीक भी नहीं है।”

“वैसे को अनेक देशों ने कुछ प्रगति दर्ज की है लेकिन वैश्विक स्तर पर महामारी तेज़ी से फैल रही है. हम सभी इसमें एक साथ हैं और हम सभी लम्बे समय के लिए एक साथ हैं।”
‘नव सामान्य’
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 31 दिसम्बर 2019 से अब तक की गई कार्रवाई और अहम पड़ावों की अपनी टाइमलाइन में अपडेट किए हैं। 

साल 2019 के आख़िरी दिन ही चीन के वूहान शहर में अज्ञात कारणों से न्यूमोनिया के कई मामले सामने आने के बाद यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को पहली बार इस बीमारी के बारे में मालूम हुआ था। 

इसके बाद से यूएन एजेंसी ने जवाबी कार्रवाई के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग मुहैया कराई है, टैस्ट किटें और निजी बचाव सामग्री व उपकरण ज़रूरतमन्द देशों के लिए रवाना किये गए हैं और वायरस को हराने व प्रभावी उपचार की तलाश करने के लिए एकजुटता ट्रायल शुरू किया है। 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक घेबरेयेसस ने बताया कि स्वास्थ्य संगठन विज्ञान, एकजुटता और समाधान के साथ देशों को अपनी सेवाएँ प्रदान करना जारी रखेगा।
“आने वाले महीनों में देशों के लिए सबसे अहम सवाल यही होगा कि इस वायरस के साथ किस तरह से जिया जाए. यही नई सामान्य स्थिति है।”
जीवनरक्षा के पाँच तरीक़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के लिए देशों को पाँच प्राथमिकताएँ तय करने के लिए कहा है।
*अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए लोगों को सशक्त बनाना (सुरक्षा के लिए शारीरिक दूरी बरते जाने सहित अन्य स्वास्थ्य उपायों का पालन करना, मास्क पहनना, भरोसेमन्द स्रोत से सूचना प्राप्त करना)
*वायरस के फैलाव पर क़ाबू पाने के प्रयास जारी रखना और संक्रमित लोगों के सम्पर्क में आने वाले लोगों के बारे में जानकारी हासिल करके उन्हें एकान्तवास में रखने की व्यवस्था करना,
*जल्द से जल्द संक्रमण के मामलों का पता लगाना, संक्रमित लोगों को चिकित्सा देखभाल मुहैया कराना और स्वास्थ्य जोखिम वाले समूहों, जैसे कि वृद्धजन और नर्सिंग होम में रह रहे लोगों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए प्रयास करना,
*रीसर्च की गति को बढ़ाया जाना क्योंकि अभी इस वायरस के बारे में बहुत कुछ सीखा जाना बाक़ी है,
*संक्रमण के फैलाव पर क़ाबू पाने, ज़िन्दगियाँ बचाने और सामाजिक व आर्थिक असर को कम करने के लिए व्यापक रणनीति में राष्ट्रीय एकता और वैश्विक एकजुटता को सुनिश्चित करना।
विश्वव्यापी महामारी के फैलाव के अगले चरण के लिए रीसर्च प्राथमिकताओं का आकलन करने और प्रगति का मूल्याँकन करने के इरादे से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सप्ताह एक बैठक बुलाई है।
साथ ही यूएन एजेंसी अगले हफ़्ते एक टीम चीन के लिए रवाना करेगी जहाँ वायरस के पशुजनित स्रोत के मुद्दे पर एक बैठक होनी है।
कोविड-19: ख़त्म होने के नज़दीक भी नहीं है यह महामारी

शनिवार, 27 जून 2020

दुनिया में जुर्मों का आतंक-भारत फिर भी दिव्य-ठाकुर दलीप सिंह

ब्रिटेन में प्रेमिका की हत्या करके 15 महीने तक बेडरूम में रखा शव 
 शव की बदबू छुपाने के लिए छिड़कता रहा सेंट और परफ्यूम 
नामधारी विश्व: 26 जून 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::
विकास के दावे करने और सुनने तो बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन उनकी वास्तविकता देखें तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं। मामला  है ब्रिटेन जैसे अत्याधुनिक और विकसित  देश का। ब्रिटेन में प्रेमिका की हत्या करके उसके शव को 15  महीने तक बैडरूम में छुपाए रखने का घृणित और सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है। इस तरह की जघन्य हत्यायों के मुकबिलों में भारत आज भी मानवीय और दिव्य सिद्धांतों पर खड़ा है। अंधेरी रात में भारत ही रौशनी दिखा रहा है। 
हाल ही में चर्चित हुए विवरण के मुताबिक ब्रिटेन के मेनचेस्टर में एक बहुत ही अजीब व हैरान करने वाला मामला सामने आया है जहां एक शख्स ने अपनी ही प्रेमिका का बेरहमी से कत्ल कर दिया। नामधारी सम्प्रदाय के सूत्रों ने बताया कि हिंदुस्तान डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक 45 वर्षीय कॉलिन रीडे नामक एक सनकी प्रेमी ने अपने से एक वर्ष छोटी अर्थात 44 वर्षीय प्रेमिका की हत्या करके उसके शव को बैडरूम की अलमारी में छुपा दिया। बात एक दो दिन की नहीं थी। यह शव उसने 15 महीने तक उसी अलमारी में छुपाए रखा। जब उस शव से बदबू उठने लगी तो उसे कुछ चिंता हुई। तब उसने शव की बदबू को रोकने के लिए रूम फ्रेशनर और इत्र का इस्तेमाल करता रहा। 
बदबू इसके बावजूद भी न रुकी। हवा के ज़रिये किसी न किसी मात्रा में यह बदबू बाहर निकलने लगी। धीरे धीरे इसकी मात्रा भी बढ़ने लगी। इस पर आस पड़ोस में भी चर्चा होने लगी।   जब भी कभी आस पड़ोस वाले पूछते तो वह जवाब में उसी फ्लैट में रहने वाले किरायेदारों को कोसता। वह किसी न किसी तरह इन किराएदारों को ही इस बदबू के लिए ज़िम्मेदार ठहराता।
यहाँ इस सारी घटना का संक्षिप्त सा ज़िक्र केवल इस लिए किआ गया है तांकि उन लोगों की आँखें खुल सकें जो हर बात-बे-बात पर अपने ही देश भारत को कोसने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहते। 
ब्रिटेन की यह घटना बताती है कि जिन लोगों को हम न जाने कितना आधुनिक और विकसित समझते हैं वे वास्तव किस स्थिति में हैं? वहां किस तरह के पतन की घटनाएं घटित हो रही हैं। इस तरह के तथाकथित विकास के आधार पर खुद को विकसित कहलाने वाले देशों के लोगो तो धर्म कर्म के साथ साथ इंसानियत को भी भूलते जा रहे हैं। ज़रा सा वैचारिक मतभेद और वे लोग सामने वाली की जान लेते हैं।  
इसके विपरीत आज भी भारत में मानवता और संवेदना ज़िंदा है। लोग एक दुसरे का ध्यान रखते हैं। खुद का खाना उठा कर दूसरों को दे देते हैं। यह सब इसी लिए हो पता है क्यूंकि भारत के लोग धर्म पर आधारित शैली में जीवन जीते हैं। इसी लिए इनके जीवन जीने के अंदाज़ में मानवीय जीवन का अभी भी बहुत मूल्य है। जो लोग जीवन के महत्व को संहते होते हैं वे लोग कभी भी किसी दुसरे को नुक्सान नहीं पहुंचाते। 
नामधारी सदगुरु ठाकुर दलीप सिंह कहते हैं इन सब बातों के कारण ही मेरे लिए भारत अभी भी एक महान देश है। सारी दुनिया से अलग और महान जिस पर मुझे गर्व है। ठाकुर जी के शब्दों को सुन कर एक पुराना गीत अनायास ही याद आ गया--
है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहनेवाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

Corona से जंग: नामधारी संगत ने किया SSP अमृतसर का सम्मान

पुलिस वाले जान की बाज़ी लगा कर कर रहे हैं कोरोना जंग में जनसेवा 
अमृतसर//लुधियाना: 30 अप्रैल 2020:(पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::  
कोरोना वायरस का खौफ हर तरफ छाया हुआ है। कोरोना पीड़ितों की संख्या हर रोज़ बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस के इस इतने बड़े आतंक के बावजूद पुलिस के जवान निरंतर लोगों की सेवा में लगे हैं। गहन संकट की इस घड़ी में आम लोगों को बचाने के लिए सक्रिय हो कर काम करने वालों में पुलिस विभाग के जवान और उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। अपनी जान का खतरा उठा कर दुसरे लोगों की जान बचने वाले लोग ज़िंदा शहीदों से काम भी नहीं होते। नामधारी संगत ने पुलिस विभाग के जवानों का सम्मान करने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया। इस प्रयास के अंतर्गत एस एस पी सुखचैन सिंह गिल का सम्मान किआ गया। नामधारी संगत ने खतरा उठा कर लोगों के काम आ रहे पुलिस जवानों की प्रशंसा की। पुलिस के कुछ अन्य जवानों का भी सम्मान किया गया। इसके साथ ही इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट अध्यक्ष दिनेश बस्सी को भी सम्मानित किया गया। 
इस सम्मान के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम का शुभारम्भ करने वाले सतिगुरु राम सिंह जी की तस्वीर श्री गिल, श्री बस्सी और अन्य लोगों को दी गयी। 
नामधारी संगत के सक्रिय नेता अध्यक्ष-गुरचरण सिंह, साहिब सिंह, लाल सिंह और अन्य लोगों ने बताया कि कोरोना के कहर का सामना इतनी बहादुरी से करने वाले पुलिस जवानों का मनोबल बनाए रखना पूरे समाज का नैतिक कर्तव्य बनता है। आम लोग घरों में रह कर सुरक्षित रहें इस लिए यह जवान खुद बाहर निकल कर डयूटी दे रहे हैं। इन नामधारी नेताओं ने बताया कि ऐसे जांबाज़ पुलिस अधिकारीयों का सम्मान सतिगुरु ठाकुर दलीप सिंह जी के आदेशों पर किया जा रहा है। 
नामधारी संगत ने याद दिलाया कि अदि पुलिस वाले न होते तो समाज का क्या हाल हो गया होता। पुलिस वालों ने ही लोगों को उनके घरों में रोक रखा  है। अदि ऐसा न हुआ तो इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है की कोरोना ने अब तक कितनी जानें ले ली होतीं।  
गौरतलब है कि गर्मियों में पुलिस के जवानों को शकंजवी, ठंडा जल, निम्बू पानी इत्यादि और सर्दियों में चाय अर्थात देसी चाय पर आधारित चाटा पिलाने का सिलसिला नामधारी संगत ने बहुत पहले से शुरू कर रखा है। इसकी शुरुआत नामधारी संगत ने ठाकुर दलीप सिंह के कहने पर ही कई बरस पहले शुरू की थी।यह सिलसिला देश के सभी राज्यों में लगातार जारी है। आज हुए सम्मान आयोजन के समय नामधारी निर्मल सिंह, नामधारी दर्शन सिंह, नामधारी सतपाल सिंह, नामधारी निरंजन सिंह, नामधारी बूटा सिंह, नामधारी सुरजीत सिंह और नामधारी गुरुचरण सिंह चन्न भी मौजूद रहे। 

बुधवार, 18 मार्च 2020

कोरोना वायरस के चलते ESA ने उठाये विशेष कदम

17th March 2020 at 8:11 PM
तेज़ी और सतर्कता का खूबसूरत समन्वय नजर आया इस डियूटी में 
यूरोप: 17 मार्च 2020: (ई एस ए//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
कोरोना की चुनौती का सामना करने का वक्त आया तो ESA अर्थात यूरोपियन स्पेस एजंसी ने अपनी भूमिका बहुत ही सावधानी और ज़िम्मेदारी से निभाई। इस सम्बन्ध में ESA ने बहुत से महत्वपूर्ण कदम उठाये तांकि कोरोना के आतंक और कहर का सामना प्रभावशाली ढंग से किया जा सके। सतर्कता और तेज़ी का खूबसूरत समन्वय नजर आया ESA के इन कदमों में। बेहद नाज़ुक सी स्थिति में इतना संतुलन रख्पना आसान नहीं था लेकिन इस संस्था ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया। भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास में इन कार्यों और कदमों को निश्चय ही सुनहरी अक्षरों में लिखा जायेगा। 
हमारे मेज़बान देशों में कोरोनावायरस की  गंभीर होती स्थिति और नए निर्देशों के साथ यूरोपियन स्पेस एजंसी  ने अपने देख-रेख के कर्तव्य और सामाजिक ज़िम्मेदारी के क्रिटिकल कार्यों को और ज़्यादा मज़बूत करते हुए अपनी कार्यविधि के सुचारु संचालन को सुनिश्चित किया है। इससे समाजिक ज़िम्मेदारी की भावना को भी और बल मिला है। 
गौरतलब है कि पहले पहल जब कोरोना का नाम सामने आया तो सभी को प्रशासनिक सलाह दी गयी कि घरों में रह कर काम करो। लगा था सब कुछ जल्दी ही ठीक हो जायेगा। लेकिन मामला गड़बड़ाता नज़र आया। पाबंदियां बढ़ा दी गयीं। फ्रासं/स्पेन और नीदरलैंड में स्कूल, कालेज, दुकानें इत्यादि सब बंद करने के आदेश सामने आये। ESA ने इन सभी निर्देशों को तुरंत अपने सभी प्रतिष्ठानों पर लागू किया। 
यूरोपियन स्पेस एजंसी के डायरेक्टर जनरल Jan Wörner ने कहा हमारे लिए अपने कर्मचारियों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। बहुत ही कम संख्या में केवल उन्हीं कर्मचारियों को काम पर  गया जिनके बिना इस एजंसी के कई नाज़ुक काम चल ही नहीं सकते थे। इस संबंध में 17 और 18 मार्च को होने वाली काउन्सिल मीटिंग भी रद्द कर दी गयी लेकिन इसके बावजूद एग्ज़ेक्युटिव कमेटी की आवश्यक स्वीकृतियों की आज्ञा देने के लिए सबसे बढ़िया रास्तों और तरीकों पर विचार विमर्श जारी रहा। 
इसी बीच लांच होने वाले बहुत से अभियानों को रोकना भी पड़ा। इस पर तेज़ी से काम जारी है कि स्वास्थ्य के नज़रिये से हालात अनुकूल बनते ही इन अभियानों को जल्द ही लांच किया जा सके। 
(तस्वीर European Space Agency से साभार)

मंगलवार, 10 मार्च 2020

शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आये होली के रंग तिरंगे के संग

 10th March 2020 at 6:18 PM
सख्तियों और साज़िशों से नहीं रुकेगा यह देशव्यापी आंदोलन 
लुधियाना शाहीन बाग में हाजी सलीम रंगों से बच्चों के चेहरे पर तिरंगा बनाते हुए
लुधियाना: 10 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::
आज लुधियाना में इस आंदोलन का 28वां दिन था। सर्दी, गर्मी, बारिश और ओले। मौसम की हर मार यहां बैठे लोगों ने मुस्कराते हुए झेली। धमकियों और साज़िशों का मुकाबिला भी पूरी तरह शांत रहते हुए सब्र से किया। हर रोज़ अपने  को दोहराया कि हम इस कानून को सहन नहीं करेंगे। नागरिकता देने के प्रावधान तो पहले से ही मौजूद थे यह नया ड्रामा क्यूं?  इस मौके पर शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरार और अन्य वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि भारत सभी धर्म का देश है और सी.ए.ए नफरत फैलाने वाला एक ऐसा कानून है जिसे कबूल नहीं किया जाएगा। आज होली के अवसर पर होली के रंग भी तिरंगे के संग मनाये गए। उल्लेखनीय है कि साम्प्रदायिक लोग यहां गड़बड़ी के संकेत दे चुके हैं और शाहीन बाग़ सतर्क भी है। 
CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय
CAA को केंद्र सरकार का काला कानून बताते हुए इसके खिलाफ शहर की दाना मंडी में चल रहे शाहीन बाग प्रदर्शन  लगातार जारी है। आज 28वें दिन भी बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पहुंची। इस अवसर पर विशेष कर हैबोबाल बल्लो की से प्रधान नाजिम सलमानी, शहजाद हुसैन, इरफान, महफूज़ रहमान, आसिफ हुसैन, सलीम, रियाज, लियाकत, मुन्तजिर, असगर सलमानी और जालंधर से नासिर हुसैन, अब्दुल बारी, कय्यूम, मुज़म्मिल सलमानी की अध्यक्षता में काफिले पहुंचे। मंगलवार को शाहीन बाग में होली के त्यौहार के मद्देनजर बड़ी संख्या में लोगों ने हाजी सलीम जी से अपने चेहरे पर तिरंगे बनवा कर कौमी एकता और भाईचारे का संदेश दिया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरार ने कहा कि भारत सर्व धर्म का देश है और सी.ए.ए नफरत फैलाने वाला एक कानून है जिसे कबूल नहीं किया जाएगा।
CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय
मुस्तकीम अहरार ने कहा कि आज लुधियाना शाहीन बाग में होली के दिन बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने पहुंच कर आपसी भाईचारे प्यार और मोहब्बत का जो संदेश दिया है उसकी मिसाल नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि सी.ए.ए., एन.पी.आर. और एन.आर.सी के खिलाफ आंदोलन देशव्यापी है इसे सरकारी तंत्र अपनी साजिशों द्वारा रोक नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन में रोजाना बड़ी संख्या में पहुंचने वाली मां, बहनें और बेटियां बधाई की पात्र हैं जिन्होंने देश भर के लोगों की नागरिकता बचाने के लिए कमर कसी हुई है। उल्लेखनीय है कि  लगातार शांतिपूर्ण ढंग से जारी इस लोकतान्त्रिक आंदोलन ने केंद्र सरकार और  समर्थकों की नींद उड़ा रखी है।  आने वाले दिनों में इस आंदोलन के रंगरूप में और तेज़ी आने की सम्भावना है।

CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय