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बुधवार, 8 जनवरी 2020

शब्द और संगीत का जादू महसूस होता है इस गीत में

ग़ालिब साहिब की ग़ज़ल पर आधारित यह गीत सीधा दिल में उतरता है 
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
मैं इसे बचपन की उस उम्र से सुनता आ रहा हूँ जब मुझे न तो उर्दू की समझ थी न ही शायरी या  संगीत की। मेरे मामा ज्ञानी राजिंदर सिंह छाबड़ा (फ़िरोज़पुर) उन दिनों ग्रामोफोन लाए थे। ग्रामोफोन का होना उन दिनों कलाकारों की एक ज़रूरत थी लेकिन बहुत से लोगों के लिए यह स्टेटससिंबल ही बन गया था। मामा जी संगीत के भी अच्छे जानकार थे और शायरी व लेखन में भी उनकी गहरी दिलचस्पी थी।  मैं अक्सर उनके घर के उस कलात्मक माहौल में अक्सर जाता। वहां साधारण सा घर होते हुए भी बहुत कलात्मिक्ता थी। किराए पर तीन घर बदलने के बाद उन्होंने बस स्टैंड के नज़दीक अपना घर बनाया लेकिन उस घर में वह पहले जैसा माहौल कभी न बन पाया। फिर उसी घर में अचानक उनका देहांत हो गया। उम्र बढ़ रही थी सेहत खराब हो रही थी। एक दिन पुरानी किताबों को संभाल रहे थे कि अचानक नज़र कुछ ख़ास किताबों पर पड़ी। शायद उन किताबों को सीलन लग गयी थी। ऊपर की शैल्फ किताबें उतारने लगे तो पूरी अलमारी ऊपर आ गिरी।  शायद किताबों के खराब होने का सदमा कहीं गहरे में लगा था। उसके कुछ देर बाद ही उनका देहांत हो गया। मुझे देर रात खबर आई। सुबह सुबह हम लोग लुधियाना से फ़िरोज़पुर पहुंचे। उनके बच्चों ने यही कहा कि उनको मेरी मां के जाने का गम था। मां का देहांत भी कुछ महीने पहले ही हुआ था। दोनों भाई बहनों का प्रेम भी बहुत था।  न जाने क्या हुआ लेकिन मामा नहीं रहे। उनकी यादों में मिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाओं का सुनना भी था। मैं इतना छोटा था कि ग्रामोफोन के रेकॉर्ड पर पड़ने वाली सूई को बहुत देर इस लिए देखता रहता कि गीत की आवाज़ सूई में से निकलती है या इस काले तवे जैसे रेकार्ड में से। जिस रेकार्ड से हम मिर्ज़ा ग़ालिब साहिब की लिखी ग़ज़लें सुनते वे एल पी अर्थात लॉन्ग प्लेयर रेकार्ड हुआ करता था। यह बड़े से गोल तवे जैसा होता और इसमें कई गीत हुआ करते।  इसे लगा कर आप आराम से बैठ सकते या काम कर सकते थे। एक के बाद एक गीत लगातार बजते रहते। जिस गीत की चर्चा कर रहे थे वह वास्तव में जनाब मिर्ज़ा ग़ालिब साहिब की लिखी रचना ही थी।  इसे गीत के रूप में ढाल कर "मिर्ज़ा ग़ालिब" नाम की फिल्म में ही सजाया गया था। यह फिल्म 1954 में आई थी। इसे अपनी आवाज़ दी थी सुरैया और जनाब तलत महमूद साहिब ने। संगीत दिया थे जनाब गुलाम मोहम्मद साहिब ने। सुरैया ने इसी फिल्म में अदाकारी भी की थी।  भारतभूषण, दुर्गा खोते, सआदत अली, उल्हास और कई अन्य मंजे हुए कलाकार। फिल्म निर्देशक थे सोहराब मोदी और निर्माता थे मिनर्वा मूवीटोन बैनर। संगीतकार जनाब गुलाम मोहम्मद साहिब की चर्चा हम किसी अलग पोस्ट में भी कर रहे हैं। फिलहाल आप सुनिए/पढ़िए वह लोकप्रिय गीत/ग़ज़ल--दिल-ए-नादां तुझे हुआ  क्या है!  
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
जान तुम पर निसार करता हूँ
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
मिर्ज़ा ग़ालिब साहिब की ग़ज़ल पर आधारित यह चर्चा आपको कैसी लगी। इसका ज़िक्र आपको यहाँ सब कैसा लगा अवश्य बताएं। यदि आपके मन में भी इसी तरह कोई गीत/ग़ज़ल या फिल्म छुपे हुए हों तो अवश्य उनकी चर्चा करें। आपकी  इंतज़ार रहेगी। --रेक्टर कथूरिया  
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सोमवार, 16 नवंबर 2015

Nikle The Kahan Jane Ke Liye

Pahunche hain kahan Maloom Nahin 

Courtesy:Ultra Hindi //YouTube: Film: Bahu Begum Singer(s)Asha Bhosle Music ByRoshan
Lyricist(s): Sahir Ludhianvi
अपने ज़माने का हिट गीत जो हर गली के हर मोड़ पर दिलों को झंक्झोरता हुआ अपनी तरंगें छोड़ जाता था। ज़िंदगी और प्रेम की नाकामियों से गुज़रते हर नौजवान को यह गीत अपना अपना
सा लगता। हर बुज़ुर्ग अपनी गुज़र चुकी नाकाम ज़िंदगी का दर्द इस गीत के ज़रिये गुनगुनाता।  साहिर साहिब ने तोइसे कई बार जिया था। हर कदम पर इसे महसूस किया था। सं १९६७ में आई इस हिंदी फिल्म बहु बेगम के निर्देशक थे-एम सादिक और संगीत तैयार किया था-रौशन ने। फिल्म के सितारों में थे प्रदीप कुमार, मीना कुमारी और अशोक कुमार। लखनऊ की पृष्टभूमि और माहौल में इस फिल्म की कहानी उस दौर के मज़बूत थीम पर थि. प्रेम कहीं और हो जाना और शादी कहीं और। फिल्म में हर कलाकार ने अपना किरदार बहुत ही जानदार तरीके से निभाया। ज़िंदगी के दोराहे और दुविधा को इस गीत में बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। अहसास को सादगी भरे शब्दों में महसूस करने वाले जनाब साहिर साहिब ने इस दर्द को हर दिल में उतार दिया था। 

Nikle the kaha jane ke liye, pahunche hai kaha malum nahi
Abb apne bhatkate kadmo ko, manjil kaa nisha malum nahi

Hamne bhi kabhi iss gulshan me, ek khwabe bahara dekha tha
Kab phul jhare kab gard udi, kab aayi khija malum nahi

Dil shola e gham se khak huwa, ya aag lagi aramano me
Kya chiz jali kyon sine se utha hai dhuwa malum nahi

Barabad wafa kaa afasana ham kise kahe, aur kaise kahe
Khamosh hain lab, aur dooniya ko ashko ki juban malum nahi


Ashok Kumar as Nawab Sikander Mirza
Pradeep Kumar as Yusuf
Meena Kumari as Zeenat Jahan Begum
Lalita Pawar as Naziran Bai
Jhonny Walker as Achchan
Naaz as Suraiya
Zeb Rehman as Bilqees
D.K. Sapru as Nawab Mirza Sultan
Indira Bansal as Shafugupta Begum
Durrani
Rajan Haksar as Nawab Pyare Miya
Shahid Bijnori
Helen as Courtesan

गुरुवार, 21 मई 2015

गुरदासपुर: सेना की भव्य प्रदर्शनी ने भरा इलाके में नया जोश

सेना की प्रदर्शनी ने आकर्षित किया युवा वर्ग को  
गुरदासपुए: 20 मई 2015: (विजय शर्मा//पंजाब स्क्रीन):
 गुरदासपुर मैं डेरा बाबा नानक ब्रिगेड और पैंथर डवीजन की तरफ से आर्मी जानो प्रदर्षनी लगाई जिस मैं भारतीय फौज ने आपने हथियारों और अन्य साज़ो सामन की एक यादगारी प्रदर्शनी लगाई। इस प्रदर्शनी में तकरीबन हर वो वो चीज छात्रों को बताई गयी जो फौज मै काम आती  है इस मोके पर सेवा मुक्त लेफ्टीनल जर्नल कमलजीत सिंह ने परदर्शनी का उद्गाटन कीया और आज की युवा पीढ़ी को फौज मैं भर्ती होने के लिये प्रेरित भी किया। 
फौज को जानो परदर्शनी लगाने का एक विशेष मकसद यह है किआज का युवा वर्ग सेना के बारे में जानकार देश की रक्षा के लिए बढ़ चढ़ कर आगे आ सके। हमारा देश पहले  ही सदियों गुलाम रहा है।  आब हमारे नोजवानो को आगे आना चाहिय और देश की सेवा करनी चाहिए आज यहां फौज की हर चीज की परदर्शनी लगाई गयी है new पुराने हत्यार की  जानकारी बी दी जा रही है बच्चे  जो चाहें जानकारी ले सकते  हैं और अगर बच्चे आज की प्रदर्शनी से प्रेरित हो कर आर्मी में भर्ती होते हे तो उनकी आने वाली जिंदगी तो बेहतर होगी ही  साथ में रिटायर होने के बाद उनके परिवार और उनकी अपनी जिंदगी भी बेहतर होगी।  इसी के साथ देश के भविष्ये में भी सुधार होगा।
इस अवसर पर सेवा मुक्त  लेफ्टीनल जर्नल कमलजीत सिंह और सेवा मुक्त कर्नल  डा. ए  एन कौशल ने  मीडिया से भी बात की।
छात्रों ने भी कहा--आज हम यहां फौज की परदर्शनी देखने पहुंचे हैं यहां हमें बहुत कुछ सीखने को मिला कि फौज मैं कैसे रहा जाता है और फौज के हथियारों की भी जानकारी मिली।  अब हम भी हम भी देश की सेवा करेंगे और आर्मी मैं भर्ती होंगे
गौर तलब है कि लड़कीओ को भी आर्मी में ऐनी का मौका मिलेगा। छात्र-छात्राओं ने भी  में अपने विचार व्यक्त किये।

गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

ख़ास खबरों पर एक नज़र

18-दिसंबर-2014 18:07 IST
भारत में अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-lll की प्रथम प्रायोगिक उड़ान सफल रही 

Courtesy:Ministry of Information & Broadcasting//YouTube//PIB
भारत में अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-lll की प्रथम प्रायोगिक उड़ान (जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर) का सफल संचालन आज सुबह श्रीहरिकोटा स्‍थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर से किया गया। एलवीएम3-एक्‍स/केयर के नाम से भी प्रचलित इस उप कक्षीय प्रायोगिक मिशन का उद्देश्‍य उसकी उड़ान के महत्‍वपूर्ण वायुमंडलीय चरण के दौरान यान के प्रदर्शन को आंकना था। 

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भारतीय समयानुसार प्रात: 9:30 बजे दूसरे लांच पैड से जीएसएलवी एमके-lll की लांचिंग के साथ इस मिशन का शुभारंभ हुआ और इसके तकरीबन साढ़े पांच मिनट बाद यह अपने पेलोड को 126 किलोमीटर की लक्षित ऊंचाई पर ले गया। यह पेलोड दरअसल 3775 किलोग्राम के वजन वाला क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनर्प्रवेश प्रयोग (केयर) है। केयर इसके बाद जीएसएलवी एमके-lll के ऊपरी चरण से अलग हो गया तथा वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गया और फिर तकरीबन 20 मिनट 43 सेकेंड के बाद अपने पैराशूटों की मदद से बंगाल की खाड़ी के ऊपर सुरक्षित ढंग से स्‍थापित हो गया। 

यान के प्रक्षेपण के वक्‍त दो विशाल एस-200 ठोस पट्टायुक्‍त बूस्‍टर प्रज्‍वलित हुए और सामान्‍य ढंग से कार्यरत होने के 153.5 सेकेंड के बाद अलग हो गए। हर पट्टायुक्‍त बूस्‍टर के साथ 207 टन का ठोस प्रणोदक जुड़ा हुआ था। प्रक्षेपण के 120 सेकेंड के बाद एल110 तरल चरण प्रज्‍वलित हुआ। वहीं, दोनों एस200 उस समय भी कार्यरत थे तथा वे अगले 204.6 सेकेंड तक आगे बढ़ते रहे। प्रक्षेपण के 330.8 सेकेंड के बाद जीएसएलवी एमके-lll के सी25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण से केयर अलग हो गया और उसने वायुमंडल में फिर से प्रवेश के लिए अपने निर्देशित अवतरण की बाकायदा शुरुआत कर दी। 

फिर से प्रवेश का चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद केयर मॉड्यूल के पैराशूट खुल गए। इसके बाद यह श्रीहरिकोटा से तकरीबन 1600 किलोमीटर दूर अंडमान सागर के ऊपर आहिस्‍ता-आहिस्‍ता स्‍थापित हो गया। इसके साथ ही जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया। 

आज जीएसएलवी एमके-lll एक्‍स/केयर मिशन को सफलता मिलने के साथ ही यह यान अब कार्यरत सी25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ अपनी प्रथम विकास उड़ान के और करीब पहुंच गया है। 
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वि.कासोटिया/एएम/आरआरएस/एसकेपी –7813

बुधवार, 17 दिसंबर 2014

बड़ी देर भई नंदलाला--तेरी रह तके ब्रिजबाला

अपने ज़माने का  भजन  जो बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर था 
बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके ब्रिजबाला -2
ग्वाल बाल इक इक से पूछें-कहा है मुरली वाला रे.
बड़ी देर भई नंदलाला,

कोई ना जाए कुंजा गली मे, तुझ बिन कलिया चुनने को,
तरस रहे है जमुना के तट, धुन मुरली की सुनने को,
अब तो दरस दिखादे मोहन, क्यों दुविधा मे डाला रे.
बड़ी देर भई नंदलाला,

संकट मे है आज वो धरती, जिस पर तूने जन्म लिया,
पूरा कर दे आज वचन वह, जो गीता मे तूने दिया,
तुम बिन कोई नही है मोहन, भारत का रखवाला रे.
बड़ी देर भई नंदलाला.

बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके ब्रिजबाला -2
ग्वाल बाल इक इक से पूछें कहा है मुरली वाला रे.
बड़ी देर भई नंदलाला,

ख़ास खबरों पर एक नज़र

 16-दिसंबर-2014 19:54 IST
राष्‍ट्रपति ने की पेशावर के आर्मी पब्लिक स्‍कूल में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा
Courtesy: Ministry of Information & Broadcasting//YouTube
हमले में मारे गए स्‍कूल के मासूम बच्‍चों और अध्‍यापकों के लिए किया गहरे दु:ख का इज़हार
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने पेशावर के आर्मी पब्लिक स्‍कूल में आज हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इस हमले में मारे गए स्‍कूल के मासूम बच्‍चों और अध्‍यापकों के लिए प्रति गहरा दु:ख व्‍यक्‍त किया है। 

राष्‍ट्रपति ने कहा ऐसी जघन्‍य कार्रवाई मानवता के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्‍होंने कहा कि यह आतंकवादियों की दुर्दांत प्रवृति को ही दर्शाता है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि वैश्विक समुदाय को एक हो जाना चाहिए और प्रत्‍येक देश और समाज से आतंक को जड़ से उखाड़ फैंकने के लिए अपने प्रयासों को दुगना कर देना चाहिए। 

राष्‍ट्रपति ने मृतकों के शोक संतप्‍त परिवारों के प्रति भी अपनी संवेदनायें जताते हुए घायलों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की। 
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विजयलक्ष्‍मी कासोटिया/एएम/एसएस/एसके–7725

मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

पप्पा जल्दी आ जाना- हिंदी फिल्म TAQDEER (1967) का यादगारी गीत

कोंकणी फिल्म निर्मोह का रीमेक थी तक़दीर 
 Courtesy:TheDreammarchant//YouTube
कोकणी फिल्म निर्मोह 1966 में आई थी। निर्मोन का शाब्दिक अर्थ भी किस्मत ही होता है। उसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि एक ही वर्ष बाद 1967 में इसका हिंदी रीमेक तैयार हो गया तक़दीर के नाम से। यूं तो तक़दीर के सभी गीत हिट हुए थे लेकिन इस  गीत ने अपना अलग स्थान बनाया। घर की मजबूरियां और रोज़ी रोटी का चक्र कैसे घर के अपनों को अपनों से ही दूर विदेश में भेज देता है इसकी एक झलक इस गीत में खूबसूरती से दर्शायी गयी है। गीत को लिखा था आनंद बख्शी साहिब ने और संगीत था लक्ष्मी कांत प्यारेलाल ने। इस गीत को आवाज़ दी थी लतामंगेश्कर और सुलक्षणा पंडित ने। निर्माता तारा चंद बरजात्या की इस यादगारी फिल्म में भारतभूषण, फ़रीदा जलाल, शालिनी, काजल, कमल कपूर, जानी वाकर, सुभाष घई, सुशील और जलाल आगा भी थे। यह फिल्म 1967 में आई थी और अब 2015 आने को है लेकिन तक़दीर के खेल आज भी जारी हैं। आज भी बहुत से लोग घर परिवार छोड़ कर विदेश में जाते हैं और कभी कभी वे वापिस भी नहीं आते केवल उनकी खबर आती है। इन मजबूरियों से ही निकला था गीत--चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है---इसकी चर्चा हम किसी अगली पोस्ट में करेंगे। 

इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली में पूनम की कलम का रंग

बहुमुखी प्रतिभा को अपनी निरंतर मेहनत से विकसित वाली पूनम 

पूनम की डांस कला को आप देख सकते हैं यहाँ क्लिक करके 

साहित्य, संगीत, शायरी, डांस-सभी कलाएं एक साथ-पूनम माटिया में

आगे भी जाने न तू -Waqt (1965)

यह पल गंवाना न यह पल ही तेरा है 


Courtesy:Rohit Aggarwal//YouTube

Origin of Taxation System in India

Explained by Rajiv Dixit-टैक्स लगाने की कहानी-क्या यह सत्य है?

Courtesy: Rajiv Dixit//YouTube

शुक्रवार, 9 मई 2014

Jalte Hein Jiske Liye_Talat Mahmood in Sujata


Courtesy:rumahale//YouTube
27-06-2008 को अपलोड किया गया
Movie: Sujata (1959)
Produced & Directed by-Bimal Roy
Filmfare Awards:
Best Actress - Nutan
Best Director - Bimal Roy
Best Movie - Bimal Roy
Best Story - Subodh Ghosh

Cast: Nutan, Sunil Dutt, Lalita Pawar & others.

Lyrics: Majrooh Sultanpuri

Music: S D Burman

Singer: Talat Mahmood

jalte hain jis ke liye, teree aakhon ke diye
dhoondh laayaa hoon wahee, geet main tere liye

dard ban ke jo mere dil mein rahaa dhal naa sakaa
jaadoo ban ke teree aankhon mein rukaa chal naa sakaa
aaj laayaa hoon wahee geet main tere liye

dil mein rakh lenaa ise haathon se ye chhooTe naa kaheen
geet naajook hain meraa sheeshe se bhee tooTe naa kaheen
gun gunaaoongaa yahee geet main tere liye

jab talak naa ye tere ras ke bhare hothhon se mile
yooheen awaaraa firegaa ye teree julfon ke tale
gaaye jaaoongaa yahee geet main tere liye