सोमवार, 30 मार्च 2020

खालिदा बेगम ने कायम की मिसाल

हज को रखे पांच लाख रू. दिए कोरोना निरोधक फंड में सेवा भारती को 
श्री नगर//सोशल मीडिया: 30 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
ये खालिदा बेगम हैं। उम्र है 87 साल।  हज पे जाने का सपना बहुत पुराना था। हज पर जाने के इस नेक मकसद के लिए 5 लाख रुपये की बचत भी कर रखी थी। बाकी सब इंतजाम भी पूरे कर लिए थे। इतने में ही कोरोना को महामारी सामने आई तो हज पर जाने का इरादा बदल लिया। हज के लिए जमा किया सारे का सारा पांच लाख रुपया तुरंत कोरोना की रोकथाम के लिए डोनेट कर दिया। 
सुरेंदर राजपूत ने ट्विटर पर इन तस्वीरों को शेयर करते हुए जब लिखा कि ख़ालिदा जी आपको और आपके जज़्बे को सलाम तो इस तस्वीर को आगे शेयर करने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी। 
इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र में स्थित आरएसएस के मीडिया विंग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि वास्तव में खालिदा बेगम जम्मू-कश्मीर में सेवा भारती की ओर से लॉकडाउन के दौरान किए जा रहे जन-कल्याण के कामों से काफी प्रभावित हुई हैं। इस काम को देख कर ही उनके मन में इस एतिहासिक दान का ख्याल आया। इन सेवा कार्यों में और तेज़ी लाने के लिए पांच लाख रुपये इस संगठन को देने का फैसला लिया। इन सूत्रों के मुताबिक खालिदा चाहती हैं कि उनकी दान दी गई रकम सेवा भारती के माध्यम से जम्मू और कश्मीर के गरीबों और जरूरमंदों की मदद में इस्तेमाल की जाए। उल्लेखनीय है कि मोहल्ला दलपत्तियां की निवासी एवं उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान की माता खालिदा बेगम की तरफ से यह रकम अखिल भारतीय सेवा भारती को दान करने का फैसला सोशल नीदिया पर भी बेहद लोकप्रिय हुआ है। रविवार को उन्होंने पांच लाख रुपये का चेक पदाधिकारियों को सौंपा। इस फैसले का सुस्वागतम करते हुए लोग लगातार इसकी प्रशंसा कर रहे हैं। गौरतलब है कि सेवा भर्ती लम्बे समय से सेवा कार्यों में जुटा हुआ है लेकिन कभी भी इसका ढिंढोरा नहीं पीटता।  

बुधवार, 18 मार्च 2020

कोरोना वायरस के चलते ESA ने उठाये विशेष कदम

17th March 2020 at 8:11 PM
तेज़ी और सतर्कता का खूबसूरत समन्वय नजर आया इस डियूटी में 
यूरोप: 17 मार्च 2020: (ई एस ए//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
कोरोना की चुनौती का सामना करने का वक्त आया तो ESA अर्थात यूरोपियन स्पेस एजंसी ने अपनी भूमिका बहुत ही सावधानी और ज़िम्मेदारी से निभाई। इस सम्बन्ध में ESA ने बहुत से महत्वपूर्ण कदम उठाये तांकि कोरोना के आतंक और कहर का सामना प्रभावशाली ढंग से किया जा सके। सतर्कता और तेज़ी का खूबसूरत समन्वय नजर आया ESA के इन कदमों में। बेहद नाज़ुक सी स्थिति में इतना संतुलन रख्पना आसान नहीं था लेकिन इस संस्था ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया। भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास में इन कार्यों और कदमों को निश्चय ही सुनहरी अक्षरों में लिखा जायेगा। 
हमारे मेज़बान देशों में कोरोनावायरस की  गंभीर होती स्थिति और नए निर्देशों के साथ यूरोपियन स्पेस एजंसी  ने अपने देख-रेख के कर्तव्य और सामाजिक ज़िम्मेदारी के क्रिटिकल कार्यों को और ज़्यादा मज़बूत करते हुए अपनी कार्यविधि के सुचारु संचालन को सुनिश्चित किया है। इससे समाजिक ज़िम्मेदारी की भावना को भी और बल मिला है। 
गौरतलब है कि पहले पहल जब कोरोना का नाम सामने आया तो सभी को प्रशासनिक सलाह दी गयी कि घरों में रह कर काम करो। लगा था सब कुछ जल्दी ही ठीक हो जायेगा। लेकिन मामला गड़बड़ाता नज़र आया। पाबंदियां बढ़ा दी गयीं। फ्रासं/स्पेन और नीदरलैंड में स्कूल, कालेज, दुकानें इत्यादि सब बंद करने के आदेश सामने आये। ESA ने इन सभी निर्देशों को तुरंत अपने सभी प्रतिष्ठानों पर लागू किया। 
यूरोपियन स्पेस एजंसी के डायरेक्टर जनरल Jan Wörner ने कहा हमारे लिए अपने कर्मचारियों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। बहुत ही कम संख्या में केवल उन्हीं कर्मचारियों को काम पर  गया जिनके बिना इस एजंसी के कई नाज़ुक काम चल ही नहीं सकते थे। इस संबंध में 17 और 18 मार्च को होने वाली काउन्सिल मीटिंग भी रद्द कर दी गयी लेकिन इसके बावजूद एग्ज़ेक्युटिव कमेटी की आवश्यक स्वीकृतियों की आज्ञा देने के लिए सबसे बढ़िया रास्तों और तरीकों पर विचार विमर्श जारी रहा। 
इसी बीच लांच होने वाले बहुत से अभियानों को रोकना भी पड़ा। इस पर तेज़ी से काम जारी है कि स्वास्थ्य के नज़रिये से हालात अनुकूल बनते ही इन अभियानों को जल्द ही लांच किया जा सके। 
(तस्वीर European Space Agency से साभार)

गुरुवार, 12 मार्च 2020

जिस दिन मेरा जन्म हुआ उस दिन सब कैसा था?

मुझे उन पलों की धुंधली सी याद भी नहीं है
Credit: ESO/Spitzer/NASA/JPL/S. Kraus
सोशल मीडिया//लुधियाना: 12 मार्च 2020: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी):: जन्म के अतीत में 
ओशो ने इस संबंध में बहुत कुछ विस्तार से कहा है 
ख़ास ग्रुप 
जन्म का दिन कैसा था मुझे नहीं याद। उस समय दिन की रौशनी थी या रात्रि का अन्धेरा था मुझे यह भी नहीं मालूम। हवा रुकी हुई थी या चल रही थी यह भी नहीं पता। मौसम में ठंडक थी या गर्मी यह भी नहीं जान सका मैं। मुझे उन पलों की धुंधली सी याद भी नहीं है। शायद मुझे उस समय इतनी होश नहीं थी कि इसे देख या समझ पाता।  जिनको यह सारी होश थी उनसे बहुत बार पूछा लेकिन उन सभी ने मेरे सवालों को हंस कर टाल दिया।  उनकी नज़र में मेरे यह सभी सवाल फ़िज़ूल थे। हालांकि विश्व में ऐसे धर्म और ऐसी प्रजातियाँ हैं जो अतीत में जाने के प्रयास करती भी हैं और करवाती भी हैं लेकिन उनके सम्पर्क में भी बहुत कम लोग जा पाते हैं। बहुसंख्या तक यह पहुंच होनी भी नहीं चाहिए क्यूंकि ज़्यादातर लोगों को इसकी समझ भी नहीं आने वाली। मेरे यह सवाल मेरी नजर में महत्वपूर्ण थे। बिलकुल उसी तरह जैसे कैमरा क्लिक करने के वक्त हम रौशनी को देखते हैं। विपरीत दिशा से आ रही रौशनी सारी मेहनत बेकार कर देती है। अच्छी भली फोटो खराब हो जाती है। जब कुछ दशक पहले फोटो खींचने के लिए रील का प्रयोग होता था तो फोटो खींचने के बाद उसे धुलवाना पड़ता था। इस काम के लिए बाकायदा स्टुडियो का एक हिस्सा डार्क रूम हुआ करता था जहाँ रौशनी बहुत ही कम होती थी। जब फिल को धोया जाता था तो उस समय वह रौशनी भी बंद कर दी जाती थी। इसी प्रक्रिया पर निर्भर करती थी फोटो की क्वालिटी। अतीत में जाने की प्रक्रिया कुछ पता देती है हमारे जन्म के विज्ञान का। हम कहाँ चूक गए? हम क्या ले कर आये। अब जिंदगी भर हमारे साथ क्या रहने वाला है? जिन परिणामों के साथ हम बंध गए उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है? इसका एक विज्ञान है जिसके साथ निरंतर अन्याय हो रहा है। जो इसका अंधाधुंध विरोध है उनके हाथों भी और जो इसे समझने की बजाये अंधाधुध माने चले जा रहे हैं उनके हाथों भी। ओशो ने इस सम्बन्ध में भी बहुत कुछ कहा है जो अनमोल है। मुझे यह सब याद आया फेसबुक पर अपनी ही एक तस्वीर देख कर जिसे पोस्ट किया देविंदर बिमरा जी ने।  मेरे जन्मदिन के मौके पर उन्होंने इस तस्वीर पर हैपी बर्थडे भी लिखा। इस ग्रुप में लेखकों को जन्मदिन मुबारक कहने का यह अनूठा अंदाज़ बहुत ही लोकप्रिय हुआ है। जन्मदिन की इसी बधाई  के बहाने बहुत से लेखकों की तस्वीरें इसी एक मंच में एकत्र हो चुकी हैं जो अन्य लेखकों के लिए भी बहुत ही फायदेमंद हैं। ज़रूरत पड़े तो झट से तस्वीर हाज़िर। 
रेक्टर कथूरिया 
इस तरह साहित्य पर सक्रिय मीडिया के लिए यह बहुत ही अच्छा ग्रुप है।हिंदी पंजाबी के लेखकों की तस्वीरें इसी ग्रुप में संग्रहित करने का मुश्किल काम करते हैं देविंदर बिमरा जी। इस मंच पर बहुत से लेखकों की तस्वीरें हैं जिनमें उन लेखकों का चेहरा होता ही है। उस चेहरे में एक झलक भी होती है जो उनकी ज़िंदगी का पता देती है। जो कुछ अक्सर हम छुपा लेते हैं उसका भी इशारा सा करती है। हमारी उपलब्धियों के साथ साथ हमारी बेबसियों और मजबूरियों का भी संकेत करती है। साकार हुए सपनों के साथ साथ टूट गए या अधूरे रह गए सपनों की भी बात करती हैं। अधूरी बात और प्यास का भी पता देती हैं। हमने जो जो नशा कहीं छुप कर किया होगा उसका भी पता देती है। अगर किसी को ठगने के प्रयास छुप कर भी  तो उनका भी पता मिलता है। कुल मिला कर हमारा चेहरा सचमुच एक किताब ही तो होता है। यह बात अलग है उसे हर कोई न तो पढ़ सकता है और न ही पढ़ना चाहता है। हमारी तमाम कोशिशें, हमारे सभी प्रयास, हमारी सभी चालाकियां, हमारी हर बात  उसमें नज़र आ ही जाती है। इसके साथ ही वह दर्द भी दिखने लगता है जिसे हमने अकेले में सहा। जिसका पता हमने किसी को भी न लगने दिया। बहुत  तस्वीर में छुपा चेहरा। हम बहुत कुछ बदलना चाहते हैं; अपना भी और अपने मित्रों का भी लेकिन कर कुछ नहीं पाते। लेकिन हमें कोशिश तो करनी ही चाहिए। शायद सफलता मूल ही जाये। बहुत से लोगों को मिलती भी है। 
हम अकेले शायद बहुत कुछ न भी बदल सकते हों लेकिन मिलजुल कर एक दुसरे के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जिस दिन सांसों की डोर  टूट जाएगी  न किसी को हैपी बर्थडे कहा जा सकेगा न ही सुना जा सकेगा। जब तक सांस चलती है तब तक हम ऐसे अवसरों को मनाते रहें। शायद किसी को अपने पहले जन्मदिन का वह सब कुछ याद आ जाये जो उसे पता होता तो कितना अच्छा होता। कुल मिला कर यह एक अच्छा प्रयास है जिसमें हमें सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए। 
                                                         -रेक्टर कथूरिया (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)

मंगलवार, 10 मार्च 2020

शाहीन बाग़ लुधियाना में नज़र आये होली के रंग तिरंगे के संग

 10th March 2020 at 6:18 PM
सख्तियों और साज़िशों से नहीं रुकेगा यह देशव्यापी आंदोलन 
लुधियाना शाहीन बाग में हाजी सलीम रंगों से बच्चों के चेहरे पर तिरंगा बनाते हुए
लुधियाना: 10 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी ब्यूरो)::
आज लुधियाना में इस आंदोलन का 28वां दिन था। सर्दी, गर्मी, बारिश और ओले। मौसम की हर मार यहां बैठे लोगों ने मुस्कराते हुए झेली। धमकियों और साज़िशों का मुकाबिला भी पूरी तरह शांत रहते हुए सब्र से किया। हर रोज़ अपने  को दोहराया कि हम इस कानून को सहन नहीं करेंगे। नागरिकता देने के प्रावधान तो पहले से ही मौजूद थे यह नया ड्रामा क्यूं?  इस मौके पर शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरार और अन्य वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि भारत सभी धर्म का देश है और सी.ए.ए नफरत फैलाने वाला एक ऐसा कानून है जिसे कबूल नहीं किया जाएगा। आज होली के अवसर पर होली के रंग भी तिरंगे के संग मनाये गए। उल्लेखनीय है कि साम्प्रदायिक लोग यहां गड़बड़ी के संकेत दे चुके हैं और शाहीन बाग़ सतर्क भी है। 
CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय
CAA को केंद्र सरकार का काला कानून बताते हुए इसके खिलाफ शहर की दाना मंडी में चल रहे शाहीन बाग प्रदर्शन  लगातार जारी है। आज 28वें दिन भी बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं यहां पहुंची। इस अवसर पर विशेष कर हैबोबाल बल्लो की से प्रधान नाजिम सलमानी, शहजाद हुसैन, इरफान, महफूज़ रहमान, आसिफ हुसैन, सलीम, रियाज, लियाकत, मुन्तजिर, असगर सलमानी और जालंधर से नासिर हुसैन, अब्दुल बारी, कय्यूम, मुज़म्मिल सलमानी की अध्यक्षता में काफिले पहुंचे। मंगलवार को शाहीन बाग में होली के त्यौहार के मद्देनजर बड़ी संख्या में लोगों ने हाजी सलीम जी से अपने चेहरे पर तिरंगे बनवा कर कौमी एकता और भाईचारे का संदेश दिया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरार ने कहा कि भारत सर्व धर्म का देश है और सी.ए.ए नफरत फैलाने वाला एक कानून है जिसे कबूल नहीं किया जाएगा।
CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय
मुस्तकीम अहरार ने कहा कि आज लुधियाना शाहीन बाग में होली के दिन बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने पहुंच कर आपसी भाईचारे प्यार और मोहब्बत का जो संदेश दिया है उसकी मिसाल नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि सी.ए.ए., एन.पी.आर. और एन.आर.सी के खिलाफ आंदोलन देशव्यापी है इसे सरकारी तंत्र अपनी साजिशों द्वारा रोक नहीं पाएगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन में रोजाना बड़ी संख्या में पहुंचने वाली मां, बहनें और बेटियां बधाई की पात्र हैं जिन्होंने देश भर के लोगों की नागरिकता बचाने के लिए कमर कसी हुई है। उल्लेखनीय है कि  लगातार शांतिपूर्ण ढंग से जारी इस लोकतान्त्रिक आंदोलन ने केंद्र सरकार और  समर्थकों की नींद उड़ा रखी है।  आने वाले दिनों में इस आंदोलन के रंगरूप में और तेज़ी आने की सम्भावना है।

CAA के खिलाफ पंजाब के वाम संगठन भी पूरी तरह सक्रिय