तक़दीर की मैं कोई भूल हूँ; डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूँ
साथ तेरा नहीं संग दुनिया चले भी तो क्या है
एक तू ना मिला, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है
मेरा दिल ना खिला, सारी बगिया खिले भी तो क्या है
धरती हूँ मैं और तू है गगन
होगा कहाँ तेरा मेरा मिलन
लाख पहरे यहाँ, प्यार दिल में पले भी तो क्या हैं
एक तू ना मिला ...
तक़दीर की मैं कोई भूल हूँ
डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूँ
साथ तेरा नहीं संग दुनिया चले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...
तुझसे लिपटकर जो रो लेते हम
आँसू नहीं थे ये मोती से कम
तेरा दामन नहीं, ये आँसू ढले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...
साथ तेरा नहीं संग दुनिया चले भी तो क्या है
एक तू ना मिला, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है
मेरा दिल ना खिला, सारी बगिया खिले भी तो क्या है
नहीं रही पंजाब स्क्रीन की सक्रिय संचालिका कल्याण कौर |
होगा कहाँ तेरा मेरा मिलन
लाख पहरे यहाँ, प्यार दिल में पले भी तो क्या हैं
एक तू ना मिला ...
तक़दीर की मैं कोई भूल हूँ
डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूँ
साथ तेरा नहीं संग दुनिया चले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...
तुझसे लिपटकर जो रो लेते हम
आँसू नहीं थे ये मोती से कम
तेरा दामन नहीं, ये आँसू ढले भी तो क्या है
एक तू ना मिला ...
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