मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

Original Video of Netaji Subhash Chandra Bose (Bengali)


Published on Jul 28, 2012
बंधुओं, हमारे महासभा का ५१वां अधिवेशन समाप्त होने जा रहा है । मेरे लिए ये बहुत हर्ष का विषय है के इसबार का सारा कार्य बहुत अच्छी प्रकार से निर्विघ्न सम्पन्न हुआ । मैंने जब हरिपुरा के लिए प्रस्थान किया तब बहुत सारे लोगों के मन में आशंका हुई थी की हरिपुरा में भी पिछले सूरत अधिवेशन की पुनरावृत्ति होगी पर ये हमारे लिए बहुत हर्ष का विषय है की भगवान की कृपा से वो सारी आशंकाएं गलत साबित हुईं ।
बंधुओं और एक बात याद करके मेरा मन आनंदित हो रहा है की यहाँ की अभ्यर्थना समिति ने सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के परिचालन में जिस प्रकार कार्य किया एवं जिस प्रकार हमारे लिए सारी व्यवस्था की, उसके लिए मैं अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ । यहाँ के स्वयंसेवक और स्वयमसेविकाओं ने जिस प्रकार अथक परिश्रम कर हमारी सेवा की है उसके लिए हम उनके कृतज्ञ हैं । सर्वोपरि हमारे लिए यह हर्ष और गौरव का विषय है की महात्मा गाँधी ने स्वयं यहाँ उपस्थित हो उनका आशीर्वाद और प्रेरणा हमें दिया |
विज्ञानं ने कार्य को बहुत संबल दिया है और मैं आशा करता हूँ की भविष्य में हम हमारे प्रचार कार्य में फिल्म और रेडियो का सहारा और अधिक लेंगे । सर्वशेष, मैं आप लोगो के सामने आतंरिक निवेदन रखना चाहता हूँ की हमारे समुदाय का व्रत अभी तक उद्यापित नही हुआ है, हम अभी भी पराधीन हैं; इस विषय में कोई संदेह नही है की स्वाधीनता के रास्ते पे हमलोग बहुत आगे बढे हैं तथापि बहुत दुःख और लज्जा के साथ स्वीकार करना ही पड़ेगा के अभी भी भारतवर्ष में पूर्ण स्वराज स्थापित नही हुआ । आने वाले कुछ महीनो और कुछ वर्षों के घटनाक्रम के ऊपर ही हमारे समुदाय का भविष्य निर्भर करेगा । इसीलिए आइये हम सब बद्धपरिकर होके काम में लग जाये , आपस के सारे विवाद हम त्याग करें, हम सब एक प्राण बनके देश की सेवा में आत्मनियोग करे और स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए अग्रणी होके सामने चले । बंधुओं हम सबने दास होके जन्म लिया है अब आइये संकल्प करे के हम मृत्यु से पहले स्वाधीन हो पाएं । वन्दे मातरम .....

Today everyone remembers Gandhi and Nehru but we have forgotten a real Hero named Subhash Chandra Bose. He was a such a great leader who encouraged thousands of troops from different religion of India to stand up as one and formed an army called AZAD HIND FAUZ for the ultimate goal of Freedom from British Rule.

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Jai Hind

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