मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

हम नहीं बदलने देंगें यहाँ से यह स्कूल-प्रवीण बांसल का आश्वासन

प्रवीण बांसल ने जताई लैंड माफिया साज़िश की गंभीर आशंका  

लुधियाना: 28 अक्टूबर 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
पूरे ध्यान से लोगों का दर्द सुनते हुए प्रवीण  बांसल 
आज सुबह यहाँ कुंदनपुरी सिविल लाइन्ज़ के इलाके में  था।  लोग रोष में थे और आक्रोश उनकी बातों से झलक रहा था। उनकी बड़ी लैंगुएज बता रही थी कि वे अपने अधिकार की इस जंग में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसी बीच वहां पौने 11 बजे के करीब पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष परवीन बांसल। उन्होंने लोगों का दुःख सुना। उनका दर्द समझा। उन्हें बताया की वह लुधियाना का दौरा कर चुके हैं।  फील्ड गंज 16 नंबर कूचे में चल रहा स्कूल और मोती नगर में चल रहा स्कूल बेहद खस्ता हालत में हैं लेकिन सरकार उनको वहां से बदलने का नाम नहीं ले रही। वहां बच्चों की जान भी खतरे में हैं लेकिन सरकार को वहां यह सब नज़र नहीं आता। उन्होंने स्वीकार किया की सरकार हमारी है लेकिन इसकी नीतियां घटिया हैं। यह एक सोचने वाली बात है कि सरकार इसी स्कूल के पीछे क्यों पड़ी है जबकि यहाँ मोती नगर और फील्ड गंज कूचा नंबर 16 जैसा कुछ भी नहीं है। यहाँ की हालत बहुत ठीक है।  इसके साथ ही उन्होंने कहा की अगर कुछ  ज़रूरत है तो सरकार को तुरंत करना चाहिए।  अगर सरकार के पासी स्कूल की मुरम्मत के लिए भी पैसे नहीं हैं तो यह रकम हम खर्च करेंगे। श्री बांसल ने कहा कि लोगों में चल रही यह चर्चा अब दमदार लगती है कि कहीं इस स्कूल की जगह का सौदा तो नहीं हो गया? कहीं लैंड माफिया ने इस स्कूल की जगह पर अपनी ललचाई नज़रें तो नहीं गाड़ रखीं?उन्होंने कहा कि इस जगह को असुरक्षित बता कर सरकार जिस जगह स्कूल भेज रही है वह पूरी तरह असुरक्षित है। वहां से हाई टेंशन तार गुज़रती है। श्री बांसल ने आश्वासन दिया कि इस बात की तह तक जाया जायेगा कि इन गरीब बच्चों की ज़िंदगी और भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों?
मजबूर लोगों का दर्द 
इस मौके पर मौजूद लोगों ने साफ़ साफ़ कहा कि वे अपनी जान की बाज़ी लगा देंगें पर इस स्कूल को यहाँ से कहीं नहीं जाने देंगें। वहां मौजूद एक व्यक्ति राकेश कुमार ने कहा उसके बच्चे यहाँ पढ़ते हैं। चन्द्र नगर में स्कूल का तबादला होने से उसकी रोज़ी रोटी का सारा सिस्टम ही हिल जायेगा। अगर सरकार हमें इस बिल्डिंग से निकल देगी तो हम सड़कों पर क्लास लगाएंगे।  पार्क में क्लास लगाएंगे।
गौरतलब है की जहाँ बच्चों का तबादला किया गया है वहां पहले ही जगह कम है।  वहां से जब सुबह की शिफ्ट समाप्त होगी तो उस समय बाद दोपहर शाम की शिफ्ट शुरू होगी जो शाम छह बजे तक चलेगी। इस तरह इन बच्चों की यह पढ़ाई सर्दी के मौसम में एक सज़ा बन कर रह जाएगी।  नतीजा होगा बहुत से बच्चे पढ़ाई छोड़ जाएंगे। श्री बंसल ने भी मीडिया को बताया कि जब जब जहाँ जहाँ इस तरह की शिफ्टिंग हुयी है वहां आधे से भी ज़्यादा बच्चे पढ़ाई छोड़ गए। उन्होंने चिंता ज़ाहिर की कि स्कूलों की संख्या लगातार काम हो रही है----पीछे से किसी  चुटकी ली शराब के ठेकों की संख्या जो बढ़ रही है।
जब श्री बंसल इस बात का आश्वासन दे चुके तो बच्चों की ख़ुशी का कोई ठिकाना न था।  उन्होंने भी जोश में  नारेबाजी की और शिफ्टिंग के खिलाफ अपना रोष जताया। श्री बंसल ने उन्हें भी समझा कर शांत किया और भारत माँ की जय के नारे लगवा कर उनका ध्यान सही तरफ मोड़ा। उन्होंने कहा कि इस मामले की तह तक जाया जायेगा और यह स्कूल यहीं रहेगा कहीं नहीं जायेगा। गौरतलब है कि यह स्कूल करीब चार दशकों से चल रहा है।  इस स्कूल के साथ लोगों के जज़्बात जुड़े हुए हैं। इसमें पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब और माध्यम परिवारों के हैं। उन्हें यहाँ से शिफ्ट करना---सुबह की बजाए शाम को पढ़ना कहना आसान लगता है अपर उनके परिवारों की रोज़ी रोटी का पूरा सिस्टम ही चरमरा जायेगा। इस हालत में ये बच्चे पढ़ाई छोड़ दें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। श्री बांसल ने कहा कि हम इन बच्चों से इनका शिक्षा का अधिकार किसी को भी नहीं छीनने देंगें।
जब लोगों ने स्कूल के कमरे में स्टाफ को ही बंद कर दिया 
इसी बीच गुस्से में आये लोगों ने एक बार तो स्कूल के स्टाफ को ही एक कमरे में बंधक बना लिया था क्यूंकि स्टाफ के लोग स्कूल का सामन दुसरे स्कूल में लेजाने की ज़िद कर रहे थे।  लगते ही परवीन बांसल तुरंत वहां पहुंचे और स्टाफ को उस कमरे से आज़ाद करवाया। यफ़ी श्री बांसल वहां नहीं होते तो मामला बिगड़ भी सकता था।

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