शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

आदमी मुसाफिर है, आता है, जाता है

आते जाते रस्तें में, यादें छोड जाता है

गीतकार : आनंद बक्षी,
गायक : लता - रफी,
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,
चित्रपट : अपनापन - 1977

आदमी मुसाफिर है, आता है, जाता है
आते जाते रस्तें में, यादें छोड जाता है

झोंका हवा का, पानी का रेला
मेले में रह जाये जो अकेला
फिर वो अकेला ही रह जाता हैं


कब छोडता हैं, ये रोग जी को
दिल भूल जाता हैं जब किसी को
वो भूलकर भी याद आता हैं

क्या साथ लाये, क्या तोड़ आये
रस्तें में हम क्या क्या छोड आये
मंजिल पे जा के याद आता हैं

जब डोलती हैं, जीवन की नैय्या
कोई तो बन जाता हैं खिवय्या
कोई किनारे पे ही डूब जाता हैं

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