शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

एक छोटी सी मुलाकात गुलज़ार साहिब के साथ

An Interaction with poet & lyricist, Shri Gulzar 


साहित्य और फ़िल्मी दुनिया में अपना एक अलग स्थान रखने वाले लोकप्रिय शायर गुलज़ार साहिब की हर पंक्ति के हर शब्द में कोई गहरी बात छुपी होती है---समझ आ जाये तो सोने पे सुहाग पर अगर कभी कभी पूरी समझ न भी ए तो मज़ा देती है---दिल और दिमाग में पड़ी पड़ी अंकुरित होती रहती है और फिर एक दिन अचानक लगता है जैसे कुछ मिल गया---गुलज़ार साहिब की वोह अनबुझ पहेली अचानक समझ में आने लगती है---तब एक अलग सा अहसास होता है-----शायद सम्बोधि जैसा---तब लगता है जैसी अपने ही दिल कि कोई छुपी बात सामने आ गयी हो---अपनी ही कोई उलझन समझ आ गयी हो---तब समझ में आने लगता है कि जहाँ न पहुंचे रवि वहाँ भी पहुंचे कवि---तब वोह बात गुलज़ार साहिब की नहीं अपनी बात लगती है---अपनी बात करने वाले जनाब गुलज़ार साहिब भी तब अपने अपने से लगते हैं--कोई पराए नहीं---कोई दुसरे नहीं---बिलकुल अपने से---उन्हीं गुलज़ार साहिब के साथ देखिये यह मुलाकात---स्रोत:INB MINISTRY और YouTube---!  --रेकटर कथूरिया 

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