मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

तुझे खो दिया हमने पाने के बाद

तेरी याद आई तेरे जाने के बाद 
नहीं रही पंजाब स्क्रीन की 
सक्रिय संचालिका 
कल्याण कौर  
पाने के बाद खोना कितना दर्दनाक होता है इस वही समझ सकता है जिसने पाने के बाद खोया हो। प्रकृति के नियम कभी कभी बहुत कठोर लगते हैं--यूं लगता है जैसे प्रकृति को या फिर इस संसार को चलाने वाला कोई भगवान बेहद पत्थरदिल है---उसके सीने में प्यार या दर्द हो ही कैसे सकता है पर वह हमें समझाना चाहता है---पहले प्रेम से--दुलार से और फिर कठोरता से कि अगर किसी का महत्व  नहीं समझोगे तो बाद में पछताना पड़ेगा----इस लिए जब तक सांस है---तब तक समय है---किसी से नाराज़ मत होना---अगर किसी का दिल दुखा बैठे हो तो उसका हाथ थाम के उसे मना लेना---वो एक पुराने गीत की पंक्तियाँ हैं न----कल तड़पना पड़े याद में जिनकी रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो----अन्यथा यही कहना पड़ेगा तुझे खो दिया हमने पाने के बाद---ऐसा वक्त आने से पहले ही वक्त को सम्भाल लेना अक्लमंदी है--यह अक्लमंदी दिमाग से कम और दिल से ज्यादा काम करती है---जहाँ यह समझ वक्त रहते सक्रिय हो जाती है वहां तो मौत भी कुछ नहीं छीन सकती---वहां मौत भी हार जाती है---वहां तो जाने के बाद जाने वाले की मौजूदगी और मजबूत हो जाती है---वहां के दरवाजे भी  उसी की बात करते हैं और वहां की दीवारें भी उसी का अहसास कराती हैं---मौत के बाद भी वायदों के वफा होने के गीत गूंजते है---साथ ही होता है एक नया अहसास---जुदाई के बाद पैदा होते अहसास की अनुभूती भी तो किसी किस्मत वाले को ही होती है--एक नयी मेघा जागती है---एक नयी समझ पैदा होती है और इस अनुभूती की अभिव्यक्ति करते करते  वह कह उठता है---
मिला था ना जब तक जुदाई का ग़म  
मोहब्बत का मतलब न समझे थे हम
तड़पने लगे तीर खाने के बाद.… 
---यह गीत भी समर्पित है पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी की उस सक्रिय संचालिका को जो अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन हमारे ख्यालों में आज भी जिंदा है-रेक्टर कथूरिया

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