रविवार, 11 मार्च 2018

"किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार"--हरप्रीत कौर प्रीत

हर गरीब बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने में जुटी है प्रीत 
अमृतसर: 11 मार्च 2018: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क टीम)::
जन्मदिन मुबारक 
आज बात करते हैं एक युवा महिला की। मेरा मतलब है लुधियाना की हरप्रीत कौर प्रीत से। हरप्रीत नामधारी सम्प्रदाय से सबंधित है। जीवन में जो कुछ भी बन पायी या बनना चाहती है उसे ठाकुर दलीप सिंह जी की कृपा ही मानती  है।  देखते ही देखते शब्दों की  जादूगरी सीख गयी। मंच से उसकी उसकी आवाज़ सुन कर पाँव ठिठक जाते हैं। उसके मंच संचालन की कला में निखार लगातार जारी है। ठाकुर जी से प्रेरणा पा कर गरीब बच्चों को शिक्षा देना उसका एक मात्र मकसद गया है। घर से कोई अमीर नहीं है।  मध्यवर्गीय परिवार  है लेकिन मकसद बहुत बड़ा शुरू कर लिया। नियत साफ थी-मकसद नेक था और दिल में हिम्मत भी थी। कदम कदम पर सफलता मिलती चली गयी। शेख फरीद जी कहते हैं: अणहोंदे आप वन्डाये-को ऐसा भक्त सदाए। हरप्रीत कौर प्रीत पर इस कथन को सच होते देखा। मन की यह अवस्था सभी के नसीब में नहीं होती। अपनी रोटी की थाली किसी को दे देनी। अपनी शर्ट या जैकेट उतार कर किसी को दे देनी। अपने घर के राशन की चिंता भूल कर किसीके घर का चूल्हा जलाना। सचमुच उस पर कोई रूहानी कृपा है। उसके अंदर की संवेदना उसे चैन नहीं लेने देती। यही सोचती है--किसी का दर्द मिल सके मिल सके तो ले उधार----बेटे का जन्म दिन आया तो सभी से पूछा बताओ  इसे कैसे मनाएं जिससे उसे भी ख़ुशी मिले और साथ ही उसे दुआएं भी मिलें। मुझे उसका सवाल बहुत अच्छा लगा। मैं खुद भी अपना जन्मदिन मनाने में कोई रुचि नहीं रखता।  आकाशवाणी जालंधर में हरभजन सिंह बटालवी हुआ करते थे। बहुत ही नेक इंसान।  साहित्यकार भी थे। एक दिन मैंने कहा चलो आज आपका जन्मदिन है--कहीं चल कर मनाते हैं।  कहने लगे मैं इस तरह नहीं मनाता। फिर उन्होंने एक लम्बी कहानी सुनाई और कहा मैं तो बस इतना ही करता हूं कि कम से कम एक बुरी आदत छोड़ दूं  और एक अच्छी आदत अपना लूं।  पिछले कुछ वर्षों में मैंने बहुत सी बुरी आदतों से छुटकारा पाया है।
अब जब हरप्रीत कौर प्रीत ने अपने बेटे के जन्मदिन को कैसे मनाया जाये का सवाल उठाया तो बहुत कुछ याद आने लगा। महसूस हुआ-शायद बहुत कम लोग ऐसा सोच पाते हैं। निरथर्क किस्म की मस्ती हमारे समाज और लाईफ स्टाईल का हिस्सा बन चुकी है। यह मदहोशी भरी मस्ती हमें कुछ काम की बात सोचने भी नहीं देती। 
जन्मदिन की बात के इस शुभ अवसर पर याद आरही हैं एक और गीत की पंक्तियाँ।
कुछ पाकर खोना है, 
कुछ खोकर पाना है 
जीवन का मतलब तो, 
आना और जाना है----
दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी है..... 
मुझे लगता है हर जन्मदिन पर हमें खुद भी खुद को समझना चाहिए और दूसरों को भी समझाना चाहिए कि उम्र का एक वर्ष और कम हुआ लेकिन अनुभवों का एक नया अध्याय भी जीवन में जुड़ गया। आओ अनुभव की इस पूंजी को पाकर दो पल के जीवन से उम्र को चुराना सीखें। 

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