गुरुवार, 28 अगस्त 2025

5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार अनिवार्य

इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 27 AUG 2025 5:29PM by PIB Delhi

बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) सुनिश्चित करने का भी आह्वान

यूआईडीएआई ने देश भर के स्कूलों से 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) सुनिश्चित करने का आह्वान किया

यूआईडीएआई के सीईओ ने राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर स्कूलों में शिविर लगाकर लंबित एमबीयू को पूरा करने का आग्रह किया

यूआईडीएआई और शिक्षा मंत्रालय ने यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) प्लेटफॉर्म पर लगभग 17 करोड़ बच्चों के लिए आधार में लंबित एमबीयू को सुगम बनाने के लिए हाथ मिलाया


नई दिल्ली
: 27 अगस्त 2025: (PIB Delhi//पंजाब स्क्रीन Blog TV)::

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने स्कूली बच्चों की आधार से संबंधित अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) की स्थिति यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) एप्लीकेशन पर उपलब्ध कराने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के साथ हाथ मिलाया है -यह एक ऐसा कदम है, जिससे करोड़ों छात्रों के लिए आधार में एमबीयू की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

पाँच वर्ष की आयु के बच्चों और पन्‍द्रह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आधार में एमबीयू (एमबीयू) का समय पर पूरा होना एक अनिवार्य आवश्यकता है। आधार में बच्चों के बायोमेट्रिक डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। लगभग 17 करोड़ आधार संख्याएँ ऐसी हैं जिनमें अनिवार्य बायोमेट्रिक्स अपडेट लंबित है।

आधार में बायोमेट्रिक्स अपडेट करना बच्चे के लिए ज़रूरी है, अन्यथा बाद में विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने, नीट, जी, सीयूईटी जैसी प्रतियोगी और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पंजीकरण के लिए प्रमाणीकरण करते समय उन्‍हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि कई बार छात्र और अभिभावक अंतिम समय में आधार अपडेट कराने की जल्दी में होते हैं, जिससे चिंताएँ बढ़ जाती हैं। समय पर बायोमेट्रिक अपडेट करके इस समस्या से बचा जा सकता है।

यूआईडीएआई के सीईओ श्री भुवनेश कुमार ने भी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस पहल से अवगत कराया है और उनसे लक्षित एमबीयू शिविरों के आयोजन में सहयोग देने का अनुरोध किया है।

यूआईडीएआई के सीईओ ने अपने पत्र में लिखा है, "ऐसा विचार था कि स्कूलों के माध्यम से एक कैंप आयोजित करने से लंबित एमबीयू को पूरा करने में मदद मिल सकती है। मुख्य प्रश्न यह था कि स्कूलों को कैसे पता चलेगा कि किन छात्रों ने बायोमेट्रिक अपडेट नहीं किए हैं। यूआईडीएआई और भारत सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तकनीकी टीमों ने यूडीआईएसई+ एप्लिकेशन के माध्यम से एक समाधान को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए मिलकर काम किया है। अब सभी स्कूलों को लंबित एमबीयू की जानकारी मिल सकेगी"।

यूडीआईएसई+ के बारे में

शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई+) स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत एक शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली है और यह स्कूली शिक्षा से संबंधित विभिन्न आँकड़े एकत्र करती है।

यूआईडीएआई और स्कूली शिक्षा विभाग की इस संयुक्त पहल से बच्चों के बायोमेट्रिक्स को अपडेट करने में आसानी होने की उम्मीद है।

***//पीके/केसी/केपी/एसएस  

बुधवार, 27 अगस्त 2025

ਕੇਂਦਰੀ ਮੰਤਰੀ ਜਯੰਤ ਚੌਧਰੀ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਰਾਜਪਾਲ ਨਾਲ ਮੁਲਾਕਾਤ

 ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਤੇ ਉੱਦਮ ਮੰਤਰਾਲਾ//Azadi Ka Amrit Mahotsav//Posted On: 27 AUG 2025 at 8:13 PM by PIB Chandigarh

ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਪਹਿਲਕਦਮੀਆਂ 'ਤੇ ਹੋਈ ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਚਰਚਾ


ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ
: 27 ਅਗਸਤ 2025: (PIB Chandigarh//ਪੰਜਾਬ ਸਕਰੀਨ ਬਲਾਗ ਟੀਵੀ)::

ਕੇਂਦਰੀ ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਉੱਦਮਤਾ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਜਯੰਤ ਚੌਧਰੀ ਨੇ ਅੱਜ ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਭਵਨ, ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿਖੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਰਾਜਪਾਲ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸ਼ਾਸਤ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਲਾਬ ਚੰਦ ਕਟਾਰੀਆ ਨਾਲ ਸ਼ਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਮੁਲਾਕਾਤ ਕੀਤੀ।

ਮੀਟਿੰਗ ਦੌਰਾਨ, ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਲਈ ਹੁਨਰ ਵਿਕਾਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਵਧਾਉਣ 'ਤੇ ਕੇਂਦ੍ਰਿਤ ਸਾਰਥਕ ਚਰਚਾ ਕੀਤੀ। ਇਸ ਚਰਚਾ ਵਿੱਚ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਉਦਯੋਗ-ਸੰਬੰਧੀ ਹੁਨਰਾਂ ਨਾਲ ਲੈਸ ਕਰਨ, ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਸਮਰਥਾਵਾਂ ਅਤੇ ਯੋਗਤਾ ਨੂੰ ਹੱਲ੍ਹਾਸ਼ੇਰੀ ਦੇਣ ਅਤੇ ਇਹ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਰਣਨੀਤੀਆਂ 'ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਕਿ ਉਹ ਇੱਕ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਹੇ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿੱਚ ਆਲਮੀ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗੀ ਬਣੇ ਰਹਿਣ।

********//ਪੀਐਸ/ਏਕੇ//(Release ID: 2161360)********

भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2030 तक 300 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगी

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 27 Aug 2025 at 5:16 PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा विस्तार से 

*डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवा चुनौती के शुभारंभ के साथ बायोई3 नीति के एक वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया

*केंद्रीय मंत्री ने पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का अनावरण किया

*स्वदेशी जैव-निर्माण को मज़बूत करने के लिए

*भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने बायोई3 नीति के अंतर्गत महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं


नई दिल्ली: 27 अगस्त 2025: (PIB Delhi//पंजाब स्क्रीन Blog TV)::

केंद्रीय विज्ञान और  प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिए जैव-प्रौद्योगिकी) नीति के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज युवाओं के लिए बायोई3 चुनौती और देश के पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का शुभारंभ किया। उन्होंने इसे जैव-प्रौद्योगिकी को भारत की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार का वाहक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  "भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में मात्र 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर हो गई है और अब हम 2030 तक 300 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।" उन्होंने कहा कि भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले एक साल में बायोई3 नीति के अंतर्गत तेज़ी से प्रगति की है और कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं जो देश की जैव-अर्थव्यवस्था को आकार दे रही हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने "बायोई3 के एक वर्ष: नीति से कार्रवाई तक" के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने अपने हितधारकों के साथ मिलकर कम समय में नए संस्थान स्थापित किया हैं, संयुक्त अनुसंधान पहल शुरू की हैं और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ स्थापित की हैं।

उल्लेखनीय उपलब्धियों पर केंद्रीय मंत्री ने मोहाली में देश के पहले जैव-विनिर्माण संस्थान के उद्घाटन, देश भर में जैव-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केंद्रों, जैव-विनिर्माण केंद्रों और जैव-फाउंड्री की स्थापना और कोशिका तथा जीन थेरेपी, जलवायु-अनुकूल कृषि, कार्बन कैप्चर और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों जैसे उन्नत क्षेत्रों को कवर करने वाले एक दर्जन से अधिक संयुक्त अनुसंधान कॉलों के शुभारंभ के बारे में बताया। डीबीटी को इन श्रेणियों के अंतर्गत पहले ही 2,000 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी और जैव-विनिर्माण में सहयोग के लिए डीबीटी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन, साथ ही प्राथमिकता वाली परियोजनाओं की पहचान हेतु एक संयुक्त कार्य समूह का भी उल्लेख किया। इस वर्ष की शुरुआत में गगनयात्री ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डीबीटी समर्थित तीन प्रयोग किए गए थे।

राज्य स्तर पर डीबीटी ने केंद्र-राज्य साझेदारी शुरू की है। इसमें असम के साथ एक बायोई3 सेल स्थापित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन भी शामिल है।  इसमें राज्य के लिए एक कार्य योजना भी शामिल है। वैश्विक मोर्चे पर 52 देशों में भारत के मिशनों ने बायोई3 नीति पर इनपुट साझा किए हैं और डीबीटी तथा विदेश मंत्रालय अनुवर्ती कार्रवाई पर काम कर रहे हैं

इस कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज का भी शुभारंभ किया—जो "सूक्ष्मजीवों, अणुओं और अन्य का डिज़ाइन" विषय के अंतर्गत युवा नवप्रवर्तकों के लिए एक राष्ट्रव्यापी आह्वान है। डीबीटी सचिव डॉ. राजेश गोखले द्वारा समझाई गई इस पहल के अंतर्गत स्कूली छात्रों (कक्षा 6-12), विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, स्टार्टअप्स और भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और उद्योग की चुनौतियों का समाधान करने वाले सुरक्षित जैविक समाधान डिज़ाइन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस चैलेंज की घोषणा अक्टूबर 2025 से शुरू होकर हर महीने की पहली तारीख को की जाएगी। 

इसमें शीर्ष 10 विजेता समाधानों में से प्रत्येक को मान्यता और मार्गदर्शन सहायता के साथ ₹1 लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा 100 चयनित पुरस्कार विजेता अपने विचारों को अवधारणा-सिद्ध समाधानों में बदलने के लिए बीआईआरएसी के माध्यम से दो किस्तों में ₹25 लाख तक की धनराशि प्राप्त होगी। 

इन परियोजनाओं को भारत भर के बीआईआरएसी+ संस्थानों में सुविधाओं और इनक्यूबेशन सहायता तक भी पहुँच प्राप्त होगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जमीनी स्तर के नवप्रवर्तकों को सशक्त बनाना, युवाओं के नेतृत्व में परिवर्तन को बढ़ावा देना और एक स्थायी और आत्मनिर्भर जैव-अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा को सुदृढ़ बनाना है। 

युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज डिज़ाइन ढाँचे पर आधारित है, जो प्रतिभागियों को वास्तविक आवश्यकताओं को परिभाषित करने, साक्ष्य-प्रथम समाधान बनाने, डिज़ाइन द्वारा स्थिरता सुनिश्चित करने, अन्य तकनीकों और नीतियों के साथ एकीकरण करने, बाज़ार में पहुँचने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने और रोज़गार, समावेशन और समान पहुँच में मापनीय परिणामों के माध्यम से एक शुद्ध-सकारात्मक प्रभाव पैदा करने में मार्गदर्शन करता है।

केंद्रीय मंत्री ने पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के शुभारंभ पर भी बल दिया। इसमें छह संस्थान शामिल हैं जो अवधारणा विकास को बढ़ावा देने, स्वदेशी जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोज़गार के अवसर सृजित करने में मदद करेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में केवल 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर हो गई है और अब हम 2030 तक 300 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं।" उन्होंने देश के युवाओं को युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, जो सुरक्षित और टिकाऊ जैव-प्रौद्योगिकी नवाचारों के लिए विचार आमंत्रित करता है।

उन्होंने कहा कि ये पहल भारत के आर्थिक विकास के एक स्तंभ के रूप में जैव-प्रौद्योगिकी को मज़बूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करती हैं कि कृषि और स्वास्थ्य सेवा से लेकर ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण तक, विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों तक लाभ पहुँचे।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि बायोई3 नीति के माध्यम से भारत ने जन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, पर्यावरण की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एक हरित, स्वच्छ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एक रणनीतिक कदम उठाया है। इससे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का योगदान मिला है। उन्होंने कहा कि जीव विज्ञान अब एक अलग-थलग विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह इंजीनियरिंग, वास्तुकला और अंतरिक्ष विज्ञान के साथ तेज़ी से जुड़ रहा है। इससे बायोफिलिक शहरी डिज़ाइन, शैवाल-आधारित कार्बन कैप्चर, आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधे, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कृत्रिम अंग, ऑर्गन-ऑन-ए-चिप सिस्टम और अंतरिक्ष जीव विज्ञान प्रयोग जैसे नवाचारों को बढ़ावा मिल रहा है। आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) जैसे उभरते उपकरणों के साथ जीव विज्ञान का संयोजन देश के युवाओं के लिए नए और सार्थक करियर के अवसर खोलता है। प्रो. सूद ने कहा कि देश के मज़बूत STEM आधार और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में, बायोई3 अनुसंधान और विकास को गति देगा, रोज़गार सृजन करेगा और एक स्थायी जैव-अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा, यह भारत के भविष्य को आकार देगी।

इस कार्यक्रम में डीबीटी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा, बीआईआरएसी के प्रबंध निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने भी अपने संबोधन में बायोई3 नीति के भविष्य के बारे में जानकारी साझा की। 

*****//पीके/ केसी/ एसके/डीके//(रिलीज़ आईडी: 2161334)