इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 27 AUG 2025 5:29PM by PIB Delhi
बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) सुनिश्चित करने का भी आह्वान
यूआईडीएआई ने देश भर के स्कूलों से 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए समय पर आधार अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) सुनिश्चित करने का आह्वान किया
यूआईडीएआई के सीईओ ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर स्कूलों में शिविर लगाकर लंबित एमबीयू को पूरा करने का आग्रह किया
यूआईडीएआई और शिक्षा मंत्रालय ने यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) प्लेटफॉर्म पर लगभग 17 करोड़ बच्चों के लिए आधार में लंबित एमबीयू को सुगम बनाने के लिए हाथ मिलाया
नई दिल्ली: 27 अगस्त 2025: (PIB Delhi//पंजाब स्क्रीनBlog TV)::
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने स्कूली बच्चों की आधार से संबंधित अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (एमबीयू) की स्थिति यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यूडीआईएसई+) एप्लीकेशन पर उपलब्ध कराने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के साथ हाथ मिलाया है -यह एक ऐसा कदम है, जिससे करोड़ों छात्रों के लिए आधार में एमबीयू की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
पाँच वर्ष की आयु के बच्चों और पन्द्रह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आधार में एमबीयू (एमबीयू) का समय पर पूरा होना एक अनिवार्य आवश्यकता है। आधार में बच्चों के बायोमेट्रिक डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। लगभग 17 करोड़ आधार संख्याएँ ऐसी हैं जिनमें अनिवार्य बायोमेट्रिक्स अपडेट लंबित है।
आधार में बायोमेट्रिक्स अपडेट करना बच्चे के लिए ज़रूरी है, अन्यथा बाद में विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने, नीट, जी, सीयूईटी जैसी प्रतियोगी और विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पंजीकरण के लिए प्रमाणीकरण करते समय उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि कई बार छात्र और अभिभावक अंतिम समय में आधार अपडेट कराने की जल्दी में होते हैं, जिससे चिंताएँ बढ़ जाती हैं। समय पर बायोमेट्रिक अपडेट करके इस समस्या से बचा जा सकता है।
यूआईडीएआई के सीईओ श्री भुवनेश कुमार ने भी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस पहल से अवगत कराया है और उनसे लक्षित एमबीयू शिविरों के आयोजन में सहयोग देने का अनुरोध किया है।
यूआईडीएआई के सीईओ ने अपने पत्र में लिखा है, "ऐसा विचार था कि स्कूलों के माध्यम से एक कैंप आयोजित करने से लंबित एमबीयू को पूरा करने में मदद मिल सकती है। मुख्य प्रश्न यह था कि स्कूलों को कैसे पता चलेगा कि किन छात्रों ने बायोमेट्रिक अपडेट नहीं किए हैं। यूआईडीएआई और भारत सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तकनीकी टीमों ने यूडीआईएसई+ एप्लिकेशन के माध्यम से एक समाधान को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए मिलकर काम किया है। अब सभी स्कूलों को लंबित एमबीयू की जानकारी मिल सकेगी"।
यूडीआईएसई+ के बारे में
शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई+) स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत एक शैक्षिक प्रबंधन सूचना प्रणाली है और यह स्कूली शिक्षा से संबंधित विभिन्न आँकड़े एकत्र करती है।
यूआईडीएआई और स्कूली शिक्षा विभाग की इस संयुक्त पहल से बच्चों के बायोमेट्रिक्स को अपडेट करने में आसानी होने की उम्मीद है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 27 Aug 2025 at 5:16 PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा विस्तार से
*डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवा चुनौती के शुभारंभ के साथ बायोई3 नीति के एक वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया
*केंद्रीय मंत्री ने पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का अनावरण किया
*स्वदेशी जैव-निर्माण को मज़बूत करने के लिए
*भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने बायोई3 नीति के अंतर्गत महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं
नई दिल्ली: 27 अगस्त 2025: (PIB Delhi//पंजाब स्क्रीनBlog TV)::
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिए जैव-प्रौद्योगिकी) नीति के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आज युवाओं के लिए बायोई3 चुनौती और देश के पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क का शुभारंभ किया। उन्होंने इसे जैव-प्रौद्योगिकी को भारत की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार का वाहक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में मात्र 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर हो गई है और अब हम 2030 तक 300 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।" उन्होंने कहा कि भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले एक साल में बायोई3 नीति के अंतर्गत तेज़ी से प्रगति की है और कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं जो देश की जैव-अर्थव्यवस्था को आकार दे रही हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने "बायोई3 के एक वर्ष: नीति से कार्रवाई तक" के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने अपने हितधारकों के साथ मिलकर कम समय में नए संस्थान स्थापित किया हैं, संयुक्त अनुसंधान पहल शुरू की हैं और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ स्थापित की हैं।
उल्लेखनीय उपलब्धियों पर केंद्रीय मंत्री ने मोहाली में देश के पहले जैव-विनिर्माण संस्थान के उद्घाटन, देश भर में जैव-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केंद्रों, जैव-विनिर्माण केंद्रों और जैव-फाउंड्री की स्थापना और कोशिका तथा जीन थेरेपी, जलवायु-अनुकूल कृषि, कार्बन कैप्चर और कार्यात्मक खाद्य पदार्थों जैसे उन्नत क्षेत्रों को कवर करने वाले एक दर्जन से अधिक संयुक्त अनुसंधान कॉलों के शुभारंभ के बारे में बताया। डीबीटी को इन श्रेणियों के अंतर्गत पहले ही 2,000 से अधिक प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी और जैव-विनिर्माण में सहयोग के लिए डीबीटी और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन, साथ ही प्राथमिकता वाली परियोजनाओं की पहचान हेतु एक संयुक्त कार्य समूह का भी उल्लेख किया। इस वर्ष की शुरुआत में गगनयात्री ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डीबीटी समर्थित तीन प्रयोग किए गए थे।
राज्य स्तर पर डीबीटी ने केंद्र-राज्य साझेदारी शुरू की है। इसमें असम के साथ एक बायोई3 सेल स्थापित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन भी शामिल है। इसमें राज्य के लिए एक कार्य योजना भी शामिल है। वैश्विक मोर्चे पर 52 देशों में भारत के मिशनों ने बायोई3 नीति पर इनपुट साझा किए हैं और डीबीटी तथा विदेश मंत्रालय अनुवर्ती कार्रवाई पर काम कर रहे हैं
इस कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज का भी शुभारंभ किया—जो "सूक्ष्मजीवों, अणुओं और अन्य का डिज़ाइन" विषय के अंतर्गत युवा नवप्रवर्तकों के लिए एक राष्ट्रव्यापी आह्वान है। डीबीटी सचिव डॉ. राजेश गोखले द्वारा समझाई गई इस पहल के अंतर्गत स्कूली छात्रों (कक्षा 6-12), विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, स्टार्टअप्स और भारतीय नागरिकों को स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और उद्योग की चुनौतियों का समाधान करने वाले सुरक्षित जैविक समाधान डिज़ाइन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस चैलेंज की घोषणा अक्टूबर 2025 से शुरू होकर हर महीने की पहली तारीख को की जाएगी।
इसमें शीर्ष 10 विजेता समाधानों में से प्रत्येक को मान्यता और मार्गदर्शन सहायता के साथ ₹1 लाख का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा 100 चयनित पुरस्कार विजेता अपने विचारों को अवधारणा-सिद्ध समाधानों में बदलने के लिए बीआईआरएसी के माध्यम से दो किस्तों में ₹25 लाख तक की धनराशि प्राप्त होगी।
इन परियोजनाओं को भारत भर के बीआईआरएसी+ संस्थानों में सुविधाओं और इनक्यूबेशन सहायता तक भी पहुँच प्राप्त होगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जमीनी स्तर के नवप्रवर्तकों को सशक्त बनाना, युवाओं के नेतृत्व में परिवर्तन को बढ़ावा देना और एक स्थायी और आत्मनिर्भर जैव-अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा को सुदृढ़ बनाना है।
युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज डिज़ाइन ढाँचे पर आधारित है, जो प्रतिभागियों को वास्तविक आवश्यकताओं को परिभाषित करने, साक्ष्य-प्रथम समाधान बनाने, डिज़ाइन द्वारा स्थिरता सुनिश्चित करने, अन्य तकनीकों और नीतियों के साथ एकीकरण करने, बाज़ार में पहुँचने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने और रोज़गार, समावेशन और समान पहुँच में मापनीय परिणामों के माध्यम से एक शुद्ध-सकारात्मक प्रभाव पैदा करने में मार्गदर्शन करता है।
केंद्रीय मंत्री ने पहले राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के शुभारंभ पर भी बल दिया। इसमें छह संस्थान शामिल हैं जो अवधारणा विकास को बढ़ावा देने, स्वदेशी जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोज़गार के अवसर सृजित करने में मदद करेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में केवल 10 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 165.7 अरब डॉलर हो गई है और अब हम 2030 तक 300 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं।" उन्होंने देश के युवाओं को युवाओं के लिए बायोई3 चैलेंज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, जो सुरक्षित और टिकाऊ जैव-प्रौद्योगिकी नवाचारों के लिए विचार आमंत्रित करता है।
उन्होंने कहा कि ये पहल भारत के आर्थिक विकास के एक स्तंभ के रूप में जैव-प्रौद्योगिकी को मज़बूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करती हैं कि कृषि और स्वास्थ्य सेवा से लेकर ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण तक, विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों तक लाभ पहुँचे।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि बायोई3 नीति के माध्यम से भारत ने जन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, पर्यावरण की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर एक हरित, स्वच्छ और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एक रणनीतिक कदम उठाया है। इससे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का योगदान मिला है। उन्होंने कहा कि जीव विज्ञान अब एक अलग-थलग विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह इंजीनियरिंग, वास्तुकला और अंतरिक्ष विज्ञान के साथ तेज़ी से जुड़ रहा है। इससे बायोफिलिक शहरी डिज़ाइन, शैवाल-आधारित कार्बन कैप्चर, आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधे, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कृत्रिम अंग, ऑर्गन-ऑन-ए-चिप सिस्टम और अंतरिक्ष जीव विज्ञान प्रयोग जैसे नवाचारों को बढ़ावा मिल रहा है। आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) जैसे उभरते उपकरणों के साथ जीव विज्ञान का संयोजन देश के युवाओं के लिए नए और सार्थक करियर के अवसर खोलता है। प्रो. सूद ने कहा कि देश के मज़बूत STEM आधार और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में, बायोई3 अनुसंधान और विकास को गति देगा, रोज़गार सृजन करेगा और एक स्थायी जैव-अर्थव्यवस्था का निर्माण करेगा, यह भारत के भविष्य को आकार देगी।
इस कार्यक्रम में डीबीटी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा, बीआईआरएसी के प्रबंध निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने भी अपने संबोधन में बायोई3 नीति के भविष्य के बारे में जानकारी साझा की।
राष्ट्रपति भवन, साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से 29 और 30 मई, 2025 को राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में एक साहित्यिक सम्मेलन: साहित्य कितना बदल गया है? का आयोजन करेगा।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु 29 मई, 2025 को इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी। संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और देश भर के साहित्यकार इस सम्मेलन में शामिल होंगे।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों जैसे कवि सम्मेलन - सीधे दिल से; भारत का नारीवादी साहित्य: नई राहें बनाना; साहित्य में बदलाव बनाम बदलाव का साहित्य; तथा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय साहित्य की नई दिशाएं पर विभिन्न सत्र होंगे। इस सम्मेलन का समापन देवी अहिल्याबाई होल्कर की गाथा के साथ होगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय//Azadi Ka Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 28 March 2025 at 6:53 PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने टीवी9 शिखर सम्मेलन 2025 को संबोधित किया
*भारत के युवा तेजी से कौशल प्राप्त कर रहे हैं और नवाचार को गति दे रहे हैं: प्रधानमंत्री
*‘भारत प्रथम’, भारत की विदेश नीति का मंत्र बन गया है: प्रधानमंत्री
*आज भारत न केवल विश्व व्यवस्था में भाग ले रहा है, बल्कि भविष्य को आकार देने और सुरक्षित करने में भी योगदान दे रहा है: प्रधानमंत्री
*भारत ने एकाधिकार नहीं, बल्कि मानवता को प्राथमिकता दी है: प्रधानमंत्री
*आज भारत न केवल सपनों का देश है, बल्कि ऐसा देश भी है, जो अपने लक्ष्य को पूरा करता है: प्रधानमंत्री
नई दिल्ली: 28 मार्च 2025:(PIB Delhi//पंजाब स्क्रीनBlog TV)::
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में टीवी9 शिखर सम्मेलन 2025 में भाग लिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने टीवी9 की पूरी टीम और इसके दर्शकों को अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि टीवी9 के पास बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय दर्शक हैं और अब वैश्विक दर्शक भी तैयार हो रहे हैं। उन्होंने टेलीकॉन्फ्रेंस के जरिए कार्यक्रम से जुड़े भारतीय प्रवासियों का भी स्वागत और अभिनंदन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज दुनिया की दृष्टि भारत पर है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर के लोग भारत को लेकर जिज्ञासा से भरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला भारत 7-8 साल में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आईएमएफ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने पिछले 10 साल में अपनी जीडीपी को दोगुना किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने पिछले दशक में अपनी अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ डॉलर जोड़े हैं। उन्होंने कहा कि जीडीपी को दोगुना करना सिर्फ आकड़ों के बारे में नहीं है, बल्कि इसके बड़े प्रभाव हैं, जैसे 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, जिससे नया 'मध्यम वर्ग' बना है। उन्होंने आगे कहा कि नव-मध्यम वर्ग सपनों और आकांक्षाओं के साथ एक नया जीवन शुरू कर रहा है और अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है और इसे जीवंत बना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है", उन्होंने कहा कि युवा तेजी से कौशल प्राप्त कर रहे हैं, जिससे नवाचार को गति मिल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत प्रथम, भारत की विदेश नीति का मंत्र बन गया है।" उन्होंने कहा कि जहां भारत ने एक समय सभी देशों से समान दूरी बनाए रखने की नीति का पालन किया था, वहीं वर्तमान दृष्टिकोण सभी के साथ समान रूप से निकटता पर जोर देता है - एक "समान निकटता" नीति। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक समुदाय अब भारत के विचारों, नवाचारों और प्रयासों को पहले से कहीं अधिक महत्व देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया आज भारत को देख रही है और यह समझने के लिए उत्सुक है कि "आज भारत क्या सोचता है।"
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत न केवल विश्व व्यवस्था में भाग ले रहा है, बल्कि भविष्य को आकार देने और सुरक्षित करने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। उन्होंने वैश्विक सुरक्षा में, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संदेह को दरकिनार करते हुए, भारत ने अपने स्वयं के वैक्सीन विकसित किए, तेजी से टीकाकरण सुनिश्चित किया और 150 से अधिक देशों को दवाइयों की आपूर्ति की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक संकट के समय में, भारत के सेवा और करुणा के मूल्य दुनिया भर में गूंजे और इसकी संस्कृति और परंपराओं का सार प्रदर्शित हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वैश्विक परिदृश्य के बारे में श्री मोदी ने उल्लेख किया कि किस तरह अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर कुछ देशों का प्रभुत्व था। उन्होंने कहा कि भारत ने एकाधिकार नहीं, बल्कि मानवता को हमेशा प्राथमिकता दी है तथा समावेशी और सहभागी वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत ने 21वीं सदी के लिए वैश्विक संस्थाओं की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे सामूहिक योगदान और सहयोग सुनिश्चित हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती का समाधान करने के लिए, जो दुनिया भर में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाती हैं, भारत ने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) की स्थापना की पहल की। उन्होंने कहा कि सीडीआरआई आपदा तैयारी और सहनीयता को मजबूत करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। प्रधानमंत्री ने पुलों, सड़कों, भवनों और बिजली ग्रिडों सहित आपदा रोधी अवसंरचना निर्माण को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें और दुनिया भर के समुदायों की सुरक्षा कर सकें।
भविष्य की चुनौतियों, विशेष रूप से ऊर्जा संसाधन, से निपटने में वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने सबसे छोटे देशों के लिए भी स्थायी ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के समाधान के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की भारत की पहल पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रयास न केवल जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों की ऊर्जा जरूरतों को भी सुरक्षित करता है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि 100 से अधिक देश इस पहल में शामिल हो चुके हैं। व्यापार असंतुलन और लॉजिस्टिक्स मुद्दों की वैश्विक चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, श्री मोदी ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) सहित नई पहलों की शुरुआत के लिए दुनिया के साथ भारत के सहयोगी प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह परियोजना वाणिज्य और परिवहन-संपर्क के माध्यम से एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व को जोड़ेगी, आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देगी और वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करेगी। उन्होंने रेखांकित किया कि यह पहल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगी।
वैश्विक व्यवस्थाओं को अधिक सहभागी और लोकतांत्रिक बनाने के भारत के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान उठाए गए ऐतिहासिक कदम पर टिप्पणी की, जहाँ अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की अध्यक्षता में लंबे समय से चली आ रही यह मांग पूरी हुई। श्री मोदी ने वैश्विक निर्णय लेने वाली संस्थाओं में वैश्विक दक्षिण देशों की आवाज़ के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित किया तथा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के लिए वैश्विक व्यवस्था का विकास समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिप्पणी की कि इन प्रयासों ने नई विश्व व्यवस्था में भारत की मजबूत उपस्थिति स्थापित की है। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ शुरुआत है, क्योंकि वैश्विक मंचों पर भारत की क्षमताएँ नई ऊंचाइयों को छू रही हैं।"
श्री मोदी ने उल्लेख किया कि 21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं, जिनमें से 11 साल उनकी सरकार के तहत राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित रहे हैं। उन्होंने "आज भारत क्या सोचता है" को समझने के लिए पिछले सवालों और जवाबों पर चिंतन करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने निर्भरता से आत्मनिर्भरता, आकांक्षाओं से उपलब्धियों और हताशा से विकास की ओर बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने याद दिलाया कि एक दशक पहले गांवों में शौचालयों की समस्या के कारण महिलाओं के पास सीमित विकल्प थे, लेकिन आज स्वच्छ भारत मिशन ने इसका समाधान प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि 2013 में स्वास्थ्य सेवा के बारे में चर्चा महंगे उपचारों के इर्द-गिर्द घूमती थी, लेकिन आज आयुष्मान भारत ने इसका समाधान प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसी तरह गरीबों की रसोई, जो कभी धुएं से भरी रहती थी, अब उज्ज्वला योजना से लाभान्वित हो रही है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2013 में बैंक खातों के बारे में पूछे जाने पर महिलाएं अक्सर चुप रहती थीं, लेकिन आज जन धन योजना के कारण 30 करोड़ से अधिक महिलाओं के पास अपने खाते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पीने के पानी की समस्या, जिसके लिए कभी कुओं और तालाबों पर निर्भर रहना पड़ता था, को हर घर नल से जल योजना के जरिये हल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दशक नहीं है, जो बदल गया है, बल्कि लोगों के जीवन में भी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत के विकास मॉडल की पहचान कर रही है और इसे स्वीकार कर रही है। उन्होंने कहा, "भारत अब केवल 'सपनों का राष्ट्र' नहीं है, बल्कि 'ऐसा राष्ट्र है जो लक्ष्य पूरा करता है'।"
श्री मोदी ने कहा कि जब कोई राष्ट्र अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तो इससे राष्ट्र की दिशा बदल जाती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आज ठीक यही अनुभव कर रहा है। उन्होंने पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलावों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पहले पासपोर्ट प्राप्त करना एक बोझिल कार्य था, जिसमें लंबा इंतजार, जटिल दस्तावेज और सीमित पासपोर्ट केंद्र शामिल थे, जो ज्यादातर राज्यों की राजधानियों में स्थित थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छोटे शहरों के लोगों को अक्सर प्रक्रिया पूरी करने के लिए रात भर रुकने की व्यवस्था करनी पड़ती थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये चुनौतियाँ अब पूरी तरह से बदल गई हैं। उन्होंने बताया कि देश में पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या 77 से बढ़कर 550 से अधिक हो गई है। इसके अतिरिक्त, पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा समय, जो पहले 50 दिनों तक का होता था, अब घटकर केवल 5-6 दिन रह गया है।
भारत की बैंकिंग अवसंरचना हुए बदलाव पर टिप्पणी करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 50-60 साल पहले बैंकों का राष्ट्रीयकरण सुलभ बैंकिंग सेवाओं के वादे के साथ किया गया था, लेकिन लाखों गाँवों में अभी भी ऐसी सुविधाओं का अभाव था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब यह स्थिति बदल गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन बैंकिंग हर घर तक पहुंच गई है और आज देश में हर 5 किलोमीटर के दायरे में एक बैंकिंग सुविधा केंद्र है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न केवल अवसंरचना ढांचे का विस्तार किया है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली को भी मजबूत किया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में काफी कमी आई है और उनका मुनाफा 1.4 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि जनता का पैसा लूटने वालों को अब जवाबदेह ठहराया जा रहा है, उन्होंने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है, जिसे कानूनी तौर पर उन पीड़ितों को वापस किया जा रहा है, जिनसे यह ले लिया गया था।
इस बात पर जोर देते हुए कि दक्षता से प्रभावी शासन बनता है, प्रधानमंत्री ने कम समय में अधिक हासिल करने, कम संसाधनों का उपयोग करने और अनावश्यक खर्चों से बचने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने टिप्पणी की कि "लालफीताशाही पर लाल कालीन" को प्राथमिकता देना एक राष्ट्र के संसाधनों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों से यह उनकी सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है।
मंत्रालयों में अधिक व्यक्तियों को समायोजित करने की पिछली प्रथा का उल्लेख करते हुए, जिसके कारण अक्सर अक्षमताएं पैदा होती थीं, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान राजनीतिक मजबूरियों पर देश के संसाधनों और जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए कई मंत्रालयों का विलय किया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शहरी विकास मंत्रालय तथा आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को आवास और शहरी कार्य मंत्रालय में विलय कर दिया गया था। इसी तरह, विदेशी मामलों के मंत्रालय को विदेश मंत्रालय के साथ एकीकृत किया गया था। उन्होंने जल संसाधन और नदी विकास मंत्रालय को पेयजल मंत्रालय के साथ विलय कर जल शक्ति मंत्रालय बनाने का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये निर्णय देश की प्राथमिकताओं और संसाधनों के कुशल उपयोग से प्रेरित थे।
नियमों और विनियमों को सरल और कम करने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि लगभग 1,500 पुराने कानून, जो समय के साथ अपनी प्रासंगिकता खो चुके थे, को उनकी सरकार ने समाप्त कर दिया। इसके अतिरिक्त, लगभग 40,000 अनुपालन हटा दिए गए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन उपायों से दो महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हुए: जनता को परेशानियों से राहत मिली और सरकारी तंत्र के भीतर ऊर्जा का संरक्षण हुआ। प्रधानमंत्री ने जीएसटी की शुरूआत के माध्यम से सुधार का एक और उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि 30 से अधिक करों को एक कर में समेकित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण के मामले में पर्याप्त बचत हुई।
अतीत में सरकारी खरीद में व्याप्त अक्षमताओं और भ्रष्टाचार को रेखांकित करते हुए, जिसकी अक्सर मीडिया द्वारा रिपोर्ट की जाती थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफ़ॉर्म पेश किया। उन्होंने बताया कि सरकारी विभाग अब इस प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करते हैं, विक्रेता बोलियाँ लगाते हैं और पारदर्शी तरीके से ऑर्डर को अंतिम रूप दिया जाता है। इस पहल ने भ्रष्टाचार को काफी कम किया है और सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है। प्रधानमंत्री ने भारत की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली की वैश्विक मान्यता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि डीबीटी ने करदाताओं के 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को गलत हाथों में जाने से रोका है। उन्होंने आगे बताया कि 10 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थियों, जिनमें गैर-मौजूद व्यक्ति भी शामिल हैं, जो सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे थे, को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।
प्रत्येक करदाता के योगदान के ईमानदारी से उपयोग और करदाताओं के प्रति सम्मान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कर प्रणाली को करदाताओं के लिए अधिक अनुकूल बनाया गया है। उन्होंने कहा कि आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की प्रक्रिया अब पहले के समय की तुलना में बहुत सरल और तेज है। उन्होंने कहा कि पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद के बिना आईटीआर दाखिल करना चुनौतीपूर्ण था। आज, व्यक्ति कुछ ही समय में अपना आईटीआर ऑनलाइन दाखिल कर सकते हैं और दाखिल करने के कुछ दिनों के भीतर उनके खातों में रिफंड जमा हो जाता है। प्रधानमंत्री ने आयकर अधिकारी से मिले बिना कर निर्धारण योजना (फेसलेस असेसमेंट स्कीम) की शुरुआत पर भी प्रकाश डाला, जिसने करदाताओं के सामने आने वाली परेशानियों को काफी कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के दक्षता-संचालित शासन सुधारों ने दुनिया को एक नया शासन मॉडल प्रदान किया है।
पिछले 10-11 वर्षों में भारत में हर क्षेत्र और क्षेत्र में हुए बदलाव पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने मानसिकता में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक भारत में एक ऐसी मानसिकता को बढ़ावा दिया गया, जो विदेशी सामान को बेहतर मानती थी। उन्होंने कहा कि दुकानदार अक्सर यह कहकर शुरू करते थे, "यह आयात की हुई वस्तु है!" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब यह स्थिति बदल गई है और आज लोग सक्रिय रूप से पूछते हैं, "क्या यह भारत में बना (मेड इन इंडिया) है?"
विनिर्माण उत्कृष्टता में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित करते हुए तथा देश की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन विकसित करने की हाल की उपलब्धि पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि यह मील का पत्थर भारत में चिकित्सा निदान की लागत को काफी कम कर देगा। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहलों के परिवर्तनकारी प्रभाव को रेखांकित किया, जिसने विनिर्माण क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया है। उन्होंने कहा कि जहां दुनिया कभी भारत को वैश्विक बाजार के रूप में देखती थी, वहीं अब वह देश की एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में पहचान करती है। प्रधानमंत्री ने भारत के मोबाइल फोन उद्योग की सफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि निर्यात 2014-15 में एक बिलियन डॉलर से भी कम से बढ़कर एक दशक के भीतर बीस बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। उन्होंने वैश्विक दूरसंचार और नेटवर्किंग उद्योग में एक शक्ति केंद्र के रूप में भारत के उभरने पर प्रकाश डाला। वाहन (ऑटोमोटिव) क्षेत्र पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने घटकों के निर्यात में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पहले भारत मोटरसाइकिल के पुर्जे बड़ी मात्रा में आयात करता था, लेकिन आज भारत में निर्मित पुर्जे यूएई और जर्मनी जैसे देशों में पहुंच रहे हैं। श्री मोदी ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सौर सेल और मॉड्यूल के आयात में कमी आई है, जबकि निर्यात में 23 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने रक्षा निर्यात में वृद्धि पर भी जोर दिया, जो पिछले एक दशक में 21 गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि ये उपलब्धियां भारत की विनिर्माण अर्थव्यवस्था की ताकत और विभिन्न क्षेत्रों में नए रोजगार सृजित करने की इसकी क्षमता को दर्शाती हैं।
प्रधानमंत्री ने टीवी9 शिखर सम्मेलन के महत्व का उल्लेख किया तथा विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिखर सम्मेलन के दौरान साझा किए गए विचार और दृष्टिकोण देश के भविष्य को परिभाषित करेंगे। उन्होंने पिछली सदी के उस महत्वपूर्ण क्षण को याद किया, जब भारत ने नई ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता की ओर एक नई यात्रा शुरू की थी। उन्होंने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने में भारत की उपलब्धि का उल्लेख किया और कहा कि इस दशक में राष्ट्र एक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर है। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के महत्व पर जोर दिया और लाल किले से दिए गए अपने संबोधन को दोहराया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। प्रधानमंत्री ने इस शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए टीवी9 की सराहना की, उनकी सकारात्मक पहल को स्वीकार किया और शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मिशन मोड में विभिन्न संवादों में 50 हजार से अधिक युवाओं को शामिल करने और चयनित युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए टीवी9 नेटवर्क की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि 2047 में युवा ही विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे।