जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए उन्हें दिल क्यूं बुलाये !
याद न जाए बीते दिनों की…सन 1963 में आई फिल्म दिल एक मन्दिर का यह गीत अपने जमाने का तो हित गीत था ही पर आज भी जब इसके बोल सुनाई देते हैं तो दिल को छू लेते हैं---इस गीत को लिखा था शैलेन्द्र ने और संगीत से सजाया था शंकर जय-किशन ने
याद न जाए बीते दिनों की…सन 1963 में आई फिल्म दिल एक मन्दिर का यह गीत अपने जमाने का तो हित गीत था ही पर आज भी जब इसके बोल सुनाई देते हैं तो दिल को छू लेते हैं---इस गीत को लिखा था शैलेन्द्र ने और संगीत से सजाया था शंकर जय-किशन ने
MD - Shankar-Jaikishan,
Lyricist - Shailendra,
Singer - Mohd.Rafi
Lyricist - Shailendra,
Singer - Mohd.Rafi
गीत के बोल इस प्रकार हैं:
याद न जाए, बीते दिनों की
जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...
दिन जो पखेरू होते, पिंजरे में मैं रख देता \- २
पालता उनको जतन से
पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता
सीने से रहता लगाए
याद न जाए ...
तस्वीर उनकी छुपाके, रख दूँ जहाँ जी चाहे \- २
मन में बसी ये सूरत
मन में बसी ये सूरत, लेकिन मिटे न मिटाए
कहने को है वो पराए
याद न जाए ...
जाके न आये जो दिन, दिल क्यूँ बुलाए, उन्हें
दिल क्यों बुलाए
याद न जाये ...
दिन जो पखेरू होते, पिंजरे में मैं रख देता \- २
पालता उनको जतन से
पालता उनको जतन से, मोती के दाने देता
सीने से रहता लगाए
याद न जाए ...
तस्वीर उनकी छुपाके, रख दूँ जहाँ जी चाहे \- २
मन में बसी ये सूरत
मन में बसी ये सूरत, लेकिन मिटे न मिटाए
कहने को है वो पराए
याद न जाए ...
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