फिल्म सफर के इस यादगारी गीत को लिखा था इन्दीवर ने और संगीत से सजाया था कल्याण जी आनन्द जी ने---और आवाज़ है लता मंगेशकर की।
पंजाब स्क्रीन की स्वर्गीय संचालिका कल्याण कौर |
डूबी जब दिल की नय्या, सामने थे किनारे
हम थे जिनके सहारे ...
क्या मुहब्बत के वादे, क्या वफ़ा के इरादे
रेत की हैं दीवारें, जो भी चाहे गिरा दे
जो भी चाहे गिरा दे
हम थे जिनके सहारे ...
है सभी कुछ जहाँ में, दोस्ती है वफ़ा है
अपनी ये कमनसीबी, हमको ना कुछ भी मिला है
हमको ना कुछ भी मिला है
हम थे जिनके सहारे ...
यूँ तो दुनिया बसेगी, तनहाई फिर भी डसेगी
जो ज़िंदगी में कमी थी, वो कमी तो रहेगी
वो कमी तो रहेगी
हम थे जिनके सहारे ...
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