वह गीत जिस के साथ शुरू हुआ सत्ता और साहिर का टकराव
बहुत से पुराने लोग बताया करते थे जब जनाब साहिर लुधियानवी ने मंच पर इस गीत को प्रस्तुत किया तो वहाँ उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी मौजूद थे। उन्होंने इस गीत की कड़वी हकीकत को खुद पर आघात समझा और साहिर से नाराज़ हो गए। जब यह गीत फ़िल्म प्यासा में शामिल किया गया तो इस की मुख्य पंक्ति स्नखाने-तक़दीसे मशरिक कहाँ है को बदल कर कुछ आसान कर दिया गया----जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वे कहाँ हैं---आज भी इस गीत का सच अंतर्मन को हिला देता है---और सवाल उठने लगता है हम किस भारत को महान कहे जा रहे हैं---अगर महानता के इस दावे में आज़ादी के इतने बरसों के बाद भी वह सब शामिल है जो इस गीत में है तो मुझे इस महानता की बात कहते हुए शर्म आती है---!
-रेकटर कथूरिया //पंजाब स्क्रीन//098882 72025)
बहुत से पुराने लोग बताया करते थे जब जनाब साहिर लुधियानवी ने मंच पर इस गीत को प्रस्तुत किया तो वहाँ उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी मौजूद थे। उन्होंने इस गीत की कड़वी हकीकत को खुद पर आघात समझा और साहिर से नाराज़ हो गए। जब यह गीत फ़िल्म प्यासा में शामिल किया गया तो इस की मुख्य पंक्ति स्नखाने-तक़दीसे मशरिक कहाँ है को बदल कर कुछ आसान कर दिया गया----जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वे कहाँ हैं---आज भी इस गीत का सच अंतर्मन को हिला देता है---और सवाल उठने लगता है हम किस भारत को महान कहे जा रहे हैं---अगर महानता के इस दावे में आज़ादी के इतने बरसों के बाद भी वह सब शामिल है जो इस गीत में है तो मुझे इस महानता की बात कहते हुए शर्म आती है---!
-रेकटर कथूरिया //पंजाब स्क्रीन//098882 72025)
05-09-2011 को अपलोड किया गया
First time saw this movie on Doordarshan tv in 1977 and same day theives tried to break in our house. How can I forget these two things in my life. Introduction of Guru Dutt to my filmi knowledge was very new and surpiring to me. And this masterpiece took top spot on my best movies chart.
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