ग़लत सारे दावे, ग़लत सारी कस्में; निभेंगी यहाँ कैसे उल्फ़त की रस्में
यहाँ जिंदगी हैं रिवाजों के बस में; रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
यहाँ जिंदगी हैं रिवाजों के बस में; रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
17-08-2009 को अपलोड किया गया
गीतकार: साहिर लुधियानवी, गायक: लता-महेंद्र कपूर,
संगीतकार : , फ़िल्म: धूल का फूल-1959
कलाकार: माला सिन्हा//राजेंद्र कुमार
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
हसीनों से एहद-ए-वफ़ा चाहते हो
बड़े नासमझ हो ये क्या चाहते हो
तेरे नर्म बालों में तारें सज़ा के
तेरे शौख कदमों में कलियाँ बिछा के
मोहब्बत का छोटा सा मंदिर बना के
तुझे रातदीन पूजना चाहता हूँ
ज़रा सोच लो दिल लगाने से पहले
के खोना भी पड़ता हैं पाने से पहले
इजाज़त तो ले लो जमाने से पहले
के तुम हुस्न को पूजना चाहते हो
कहा तक जिये तेरी उल्फ़त के मारे
गुजरती नहीं जिंदगी बिन सहारे
बहोत हो चूके दूर रहकर इशारे
तुझे पास से देखना चाहता हूँ
मोहब्बत की दुश्मन हैं सारी खुदाई
मोहब्बत की तकदीर में हैं जुदाई
जो सुनते नहीं हैं, दिलों की दुहाई
उन्ही से मुझे माँगना चाहते हो
दुपट्टे के कोने को मुह में दबा के
ज़रा देख लो इस तरफ मुस्कुराके
मुझ ही से मुझे छिन लो पास आ के
के मैं मौत से खेलना चाहता हूँ
ग़लत सारे दावे, ग़लत सारी कस्में
निभेंगी यहाँ कैसे उल्फ़त की रस्में
यहाँ जिंदगी हैं रिवाजों के बस में
रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
रिवाजों की पर्वा ना रस्मों का ड़र हैं
तेरी आँख के फ़ैसले पे नज़र हैं
बला से अगर रस्ता पुरखतर हैं
मैं इस हाथ को थामना चाहता हूँ
कलाकार: माला सिन्हा//राजेंद्र कुमार
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ, वफ़ा चाहता हूँ
हसीनों से एहद-ए-वफ़ा चाहते हो
बड़े नासमझ हो ये क्या चाहते हो
तेरे नर्म बालों में तारें सज़ा के
तेरे शौख कदमों में कलियाँ बिछा के
मोहब्बत का छोटा सा मंदिर बना के
तुझे रातदीन पूजना चाहता हूँ
ज़रा सोच लो दिल लगाने से पहले
के खोना भी पड़ता हैं पाने से पहले
इजाज़त तो ले लो जमाने से पहले
के तुम हुस्न को पूजना चाहते हो
कहा तक जिये तेरी उल्फ़त के मारे
गुजरती नहीं जिंदगी बिन सहारे
बहोत हो चूके दूर रहकर इशारे
तुझे पास से देखना चाहता हूँ
मोहब्बत की दुश्मन हैं सारी खुदाई
मोहब्बत की तकदीर में हैं जुदाई
जो सुनते नहीं हैं, दिलों की दुहाई
उन्ही से मुझे माँगना चाहते हो
दुपट्टे के कोने को मुह में दबा के
ज़रा देख लो इस तरफ मुस्कुराके
मुझ ही से मुझे छिन लो पास आ के
के मैं मौत से खेलना चाहता हूँ
ग़लत सारे दावे, ग़लत सारी कस्में
निभेंगी यहाँ कैसे उल्फ़त की रस्में
यहाँ जिंदगी हैं रिवाजों के बस में
रिवाजों को तुम तोड़ना चाहते हो
रिवाजों की पर्वा ना रस्मों का ड़र हैं
तेरी आँख के फ़ैसले पे नज़र हैं
बला से अगर रस्ता पुरखतर हैं
मैं इस हाथ को थामना चाहता हूँ
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