चुनौतियों का सामना करने वाला वह संकल्प कहीं कमज़ोर तो नहीं?
उन दिनों को अब कई दशक गुज़र चुके लेकिन उनकी याद आते ही आज भी बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। दिमाग में खौफ का वह माहौल ताज़ा हो जाता है। जिन लोगों ने वे दिन देखे हैं वे आज भी हर उस बात से दूरी बनाए रखना चाहते हैं जिन बातों से वह माहौल बना था। हर तरफ गोली का राज था। बम धमाके भी आम सी बात हो गई थी। घर से निकलते वक़्त इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल सा होता था कि शाम तक घर लौट पाएंगे या नहीं? हर गली हर मोहल्ले में पुलिस की गश्त भी होती थी लेकिन इसके बावजूद ए के 47 वाले अपनी मनमानी कर गुज़रते थे। सियासत की खतरनाक चालें भाईचारे के बटवारे की रेखाओं को गहरी करने में कामयाब हो रहीं थी। लोग इंसानियत से हट कर हिन्दू सिख बन कर सोचने लगे थे। घरों और परिवारों में खौफ छाया रहता था। उस समय कांग्रेस पार्टी से सबंधित जानेमाने नेता सतपाल मित्तल और जोगिंदर पाल पांडे की जोड़ी अपनी सक्रियता निरंतर बनाए हुए थी। उनकी लोकप्रियता भी शिखर पर थी। उनके मित्रों में हिन्दू भी थे, सिख भी, मुस्लमान भी और ईसाई भी। यह जोड़ी हर गली हर मोहल्ले में जा कर लोगों को हौंसला देती कि चिंता मत करो हम हैं न आपके साथ! उनकी महफिलें किसी दरबार से कम न थीं जहाँ आने वाले मेहमानों के लिए हर वक़्त चाय, कॉफी, दाल-रोटी जलपान चलता रहता। इसी बहाने उस वक़्त के मौजूदा हालात पर चर्चाएं भी चलती रहतीं। .... एक दिन 19 जनवरी का ही दिन था जब अनहोनी हो के रही।
वरिष्ठ कांग्रेसी निर्दोष भारद्वाज बताते हैं कि उस दिन जोगिंदर पाल पांडे की कार भारत नगर चौंक के नज़दीक ही स्थित पैट्रोल पम्प में आ कर रुकी। श्री पांडे चंडीगढ़ जा रहे थे। पैट्रोल भरवाने के लिए रुके तो कोई न जनता था की यहां हमेशां ही ज़िंदगी को ब्रेक लगने वाली है। पंजाब का वह शेर होनी के जल में फंस चूका था। देखते ही देखते अचानक उसी पैट्रोल पम्प पर ए के 47 वाले लोग भी आ धमके। दिन दहाड़े गोलियों की बरसात हुई और श्री पण्डे को हमसे हमेशां के लिए छीन लिया गया। तब से लेकर कांग्रेस पार्टी गुटबंदियों के बावजूद इस दिन को मनाती आ रही है। इस घटना से जोगिंदरपाल की छवि एक हिन्दू नेता के तौर पर भी गहरी हो कर उभरी।
आज भी इस दिन को कांग्रेस पार्टी ने बहुत ही आस्था से लुधियाना के कांग्रेस भवन में मनाया। अब जबकि हालात फिर से खतरनाक होने के इशारे दिखाई देने लगे हैं उस समय अतीत का ज़िक्र आवश्यक भी लगने लगा है। जिन लोगों ने उस नाज़ुक दौर में अपनी जान गंवाई तांकि एकता के सिद्धांत को बचाया सके, देश को बचाया जा सके, आपसी भाईचारे को बचाया जा सके; उन्हें याद करना सिर्फ परिवारों और पार्टी का कर्तव्य ही नहीं बल्कि उन सभी का कर्तव्य भी है जो उस सोच के साथ सहमत हैं। अब तो पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सत्ता इस लिए यह आयोजन बहुत बड़े पैमाने पर होना चाहिए था। दिवंगत नेता जोगिंदरपाल पण्डे के बेटे एम एल ए राकेश पण्डे से लोगों को अब अभीबहुत उम्मीदें हैं लेकिन वह न जाने क्यूं निराश से हो कर बैठे हैं। अपने पिता की तरह वह सक्रिय नहीं हो पा रहे। पार्टी और सरकार के हालात चाहे कुछ भी क्यूं न हों। उनमें उनकी कजिन का असर तो दिखना ही चाहिए। जो बनी बनाई विरासत और रियासत उन्हें जन्म से ही मिली है उनके पिता को तो जन्म में वह भी नहीं मिली थी। उन्होंने सब कुछ अपनी स्ट्रगल से अर्जित किया। राकेश पण्डे को अपनी स्थिति का फायदा उठाना चाहिए। सब कुछ पार्टी पर छोड़ना आज जैसे हालात में उचित भी नहीं कहा जा सकता। आज हर कांग्रेसी को स्वयं पार्टी बन कर बाहर निकलना होगा। अकेले ही यह हिम्मत करनी होगी। देखते ही देखते काफिला बन जाएगा।
फिर भी जो हो सका पार्टी ने वह किया। जिला कांग्रेस कमेटी (शहरी) के प्रधान अश्वनी शर्मा की अध्यक्षता में कांग्रेस भवन में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। इस शोक सभा में स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान अश्वनी शर्मा ने कहा कि जोगिंदर पाल पांडे ने आतंकवाद के समय पूरी निर्भिकता के साथ कांग्रेस पार्टी को दिशा प्रदान की और अपने जीवन की कुर्बानी दे दी। कई वरिष्ठ कांग्रेसी आए तो सही लेकिन एक औपचारिकता की तरह। लगता है बहुत से लोग वह सब भूल भी गए हैं। अब उन्हें कौन यह गीत सुनाए कि अब याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये!
हालांकि अश्वनी शर्मा ने कहा कि उनकी कुर्बानी को कांग्रेस कभी भी भूला नहीं सकती। इस मौके पर मेयर बलकार सिंह संधू, सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, जिला महिला कांग्रेस कमेटी की प्रधान लीना टपारिया ने भी स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धांजलि भेंट की। फिर भी रह रह कर यही लगता रहा कि जानेवाले चले जाते हैं और वक़्त की धुल धीरे धीरे सब कुछ भुलाती चली जाती है।
इस मौके पर सुशील पराशर, कुलवंत सिद्धू, रोशन लाल, दुष्यंत पांडे, बनवारी लाल, हरबंस पनेसर, सोमनाथ बत्रा, विपन सूद, अरूणा टपारिया, सावित्री देवी, हरमीत सिंह भोला, अमृतपाल सिंह, प्रदीप ढल्ल, कपिल किशोर, अश्वनी मल्होत्रा, जयप्रकाश, सुरजीत गिल, दिनेश मरवाहा, राकेश कुमार, संजीव मलिक, विपन शर्मा, अशोक कुमार आशु, सुरिंदर दत्त, सुरिंदर शर्मा, अहमद अली, गोल्डी अग्निहोत्री आदि ने भी स्व. जोगिंदर पाल पांडे को श्रद्धा सुमन भेंट किए। इन सभी के बोलों और शब्दों दर्द भी था, आस्था भी थी, सम्मान भी था लेकिन उन चुनौतियों का सामना करने वाला वह संकल्प आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू की सोच वाली कांग्रेस को बचाना बेहद ज़रूरी हो गया है। उस पुरानी कांग्रेस को बचा कर ही शायद देश को भी बचाया जा सके वरना बेचने वालों ने इसे बाजार में ला कर रख ही दिया है।
अंत में चर्चा हरीश रावत की। उन्होने श्री पांडे को याद करते हुए कहा है,पंजाब में अमन_शांति कायम रखने के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद श्री जोगिंदर_पाल_पांडे जी की 34वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत्-शत् नमन एवं भावभीनी श्रद्धांजलि। उन्होंने अपनी बात के अंत में विशेष तौर पर अमर शहीद जोगिंदरपाल पांडे अमर रहे।
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