पुलिस वाले जान की बाज़ी लगा कर कर रहे हैं कोरोना जंग में जनसेवा
कोरोना वायरस का खौफ हर तरफ छाया हुआ है। कोरोना पीड़ितों की संख्या हर रोज़ बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस के इस इतने बड़े आतंक के बावजूद पुलिस के जवान निरंतर लोगों की सेवा में लगे हैं। गहन संकट की इस घड़ी में आम लोगों को बचाने के लिए सक्रिय हो कर काम करने वालों में पुलिस विभाग के जवान और उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। अपनी जान का खतरा उठा कर दुसरे लोगों की जान बचने वाले लोग ज़िंदा शहीदों से काम भी नहीं होते। नामधारी संगत ने पुलिस विभाग के जवानों का सम्मान करने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया। इस प्रयास के अंतर्गत एस एस पी सुखचैन सिंह गिल का सम्मान किआ गया। नामधारी संगत ने खतरा उठा कर लोगों के काम आ रहे पुलिस जवानों की प्रशंसा की। पुलिस के कुछ अन्य जवानों का भी सम्मान किया गया। इसके साथ ही इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट अध्यक्ष दिनेश बस्सी को भी सम्मानित किया गया।
इस सम्मान के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम का शुभारम्भ करने वाले सतिगुरु राम सिंह जी की तस्वीर श्री गिल, श्री बस्सी और अन्य लोगों को दी गयी।
नामधारी संगत के सक्रिय नेता अध्यक्ष-गुरचरण सिंह, साहिब सिंह, लाल सिंह और अन्य लोगों ने बताया कि कोरोना के कहर का सामना इतनी बहादुरी से करने वाले पुलिस जवानों का मनोबल बनाए रखना पूरे समाज का नैतिक कर्तव्य बनता है। आम लोग घरों में रह कर सुरक्षित रहें इस लिए यह जवान खुद बाहर निकल कर डयूटी दे रहे हैं। इन नामधारी नेताओं ने बताया कि ऐसे जांबाज़ पुलिस अधिकारीयों का सम्मान सतिगुरु ठाकुर दलीप सिंह जी के आदेशों पर किया जा रहा है।
नामधारी संगत ने याद दिलाया कि अदि पुलिस वाले न होते तो समाज का क्या हाल हो गया होता। पुलिस वालों ने ही लोगों को उनके घरों में रोक रखा है। अदि ऐसा न हुआ तो इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है की कोरोना ने अब तक कितनी जानें ले ली होतीं।
गौरतलब है कि गर्मियों में पुलिस के जवानों को शकंजवी, ठंडा जल, निम्बू पानी इत्यादि और सर्दियों में चाय अर्थात देसी चाय पर आधारित चाटा पिलाने का सिलसिला नामधारी संगत ने बहुत पहले से शुरू कर रखा है। इसकी शुरुआत नामधारी संगत ने ठाकुर दलीप सिंह के कहने पर ही कई बरस पहले शुरू की थी।यह सिलसिला देश के सभी राज्यों में लगातार जारी है। आज हुए सम्मान आयोजन के समय नामधारी निर्मल सिंह, नामधारी दर्शन सिंह, नामधारी सतपाल सिंह, नामधारी निरंजन सिंह, नामधारी बूटा सिंह, नामधारी सुरजीत सिंह और नामधारी गुरुचरण सिंह चन्न भी मौजूद रहे।
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