कभी डगमगायी कश्ती, कभी खो गया किनारा
Rahaa Gardishon mein har dam, Mere ishq kaa sitaaraa
रहा गर्दिशों में हरदम मेरे इश्क़ का सितारा
कभी डगमगायी कश्ती, कभी लुट गया किनारा
कोई दिल का खेल देखे, कि मुहब्बतों की बाज़ी
वो क़दम क़दम पे जीते, मैं क़दम क़दम पे हारा
ये हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है
कि उसी के हो गये हम, जो न हो सका हमारा
पड़े जब ग़मों के पाले, रहे मिटके मिटनेवाले
जिसे मौत भी न पूछा, उसे ज़िंदगी ने मारा
Rahaa Gardishon mein har dam, Mere ishq kaa sitaaraa
गीत: रहा गर्दिशों में हरदम, मेरे इश्क़ का सितारा
फिल्म: दो बदन
संगीतकार: रवि
गीतकार: शकील बदायुनी
गायक: मोहम्मद रफी
नहीं रही पंजाब स्क्रीन की सक्रिय संचालिका सुश्री कल्याण कौर |
कभी डगमगायी कश्ती, कभी लुट गया किनारा
कोई दिल का खेल देखे, कि मुहब्बतों की बाज़ी
वो क़दम क़दम पे जीते, मैं क़दम क़दम पे हारा
ये हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है
कि उसी के हो गये हम, जो न हो सका हमारा
पड़े जब ग़मों के पाले, रहे मिटके मिटनेवाले
जिसे मौत भी न पूछा, उसे ज़िंदगी ने मारा
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