पुरुष हो कर भी नारी कलमकारों को एकजुट करने में लगे हैं नरेश नाज़
चंडीगढ़: 16 अगस्त 2020: (पुष्पिंदर कौर//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)
स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर यह सारा आयोजन यूं तो पंजाबी में था लेकिन हिंदी भाषी कविता का भी गर्मजोशी से स्वागत हुआ। नामी ग्रामी सक्रिय शायरा ऐमी ह्रदय अर्थात अमरजीत कौर हिरदे के प्रयासों और नरेश नाज़ साहिब के आशीर्वाद से ही यह सब सम्भव हो सका। आरम्भ किया ऐमी हृदय ने अपनी इन पंक्तियों से जिनमें उन सपनों का ज़िक्र है जिन सपनों में उसकी चाहत का हिन्दोस्तान है---
ख्वाबां दा तू दे दे मेरा हिंदुस्तान,
भाईचारक जागीर बनाना चाहनी आं।
तिन रंग मेरे मन विच जिहड़े दमक रहे ,
आज़ादी तस्वीर बनाना चाहनी आं।
"महिला काव्य मंच मोहाली" इकाई के अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय जी के इस शेयर ने सभी कवित्रीयों के ममतामई मन के ख्वाबों के भावों के समुद्र को एक घड़े में समेट दिया। यह सारा आयोजन सम्भव हो सका नरेश नाज़ के कारण क्यूंकि वह देश के साथ साथ दुनिया भर की कवियत्रिओं को भर एक मंच पर लाने के प्रयासों में लगे हैं।
वास्तव में महिला काव्य मंच संस्था के संस्थापक श्री नरेश नाज़ जी हैं। महिला काव्य मंच की स्थापना, जिस उद्देश्य को लेकर की गई है, वह नारी भाव कवि मन द्वारा बुने गए ख्वाबों के हिंदुस्तान के साथ अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में अग्रसर हुआ है।अपने कवि मन के भावों, एहसासों, जज्बातों और उदगारों को 'मन से मंच तक' लेकर आने के उद्देश्य से ही महिलाओं को यह मंच प्रदान किया है। जिसके अंतर्गत पूरे देश भर की कवित्रीयों को अपने कवि मन से उठे भावों को प्रकट करने के लिए इकाईयां बनाकर इस तरह के कवित्री सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं और किये जाते रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती शारदा मित्तल जी ने की जो महिला काव्य मंच की चंडीगढ़ ट्राई सिटी की अध्यक्ष हैं।
उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारत के गौरवमई इतिहास और सभ्यता के बारे में बताते हुए कहा कि शहीदों ने अपना बलिदान देकर इस धरती की रक्षा की है और हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने सभ्याचार और संस्कारों को संभालना पड़ेगा। तभी ख्वाबों के हिंदुस्तान की बुनियाद रखी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि कवियों ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला है। अपना आशीर्वाद देते हुए, उन्होंने उपस्थित कवियों को इस तरीके से रचना जारी रखने और भारत की प्रगति और विकास के माध्यम से प्रेरित किया।
महिला काव्य मंच की मोहाली इकाई अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय ने अपनी योग्य प्रबंधन के साथ 15 अगस्त 2020 को 'मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान' शीर्षक मिसरे के लिए विषय पर महिला काव्य सम्मेलन करवाया गया। इस कवियत्री सम्मेलन का सफल आयोजन किया। मोहाली इकाई की तरफ से इसमें सभी कवित्रीयों ने सचमुच ही अपने ख्वाबों के हिंदुस्तान को अपनी लेखनी के द्वारा चित्रित कर दिया। देश को स्वर्ग व परी देश जैसा, जिसमें कोई व्यक्ति भूखा, बिना घर के , नीच, पीड़ित, दलित, कशमित, दीन-हीन, ग़रीब बेरोजगार, नशेबाज शराबी कोई नहीं। जिस उद्देश्य से शहीदों ने अपना खून बहा कर आजादी को लिया था। अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय जी ने अपनी ग़ज़ल में शेयरों के द्वारा एक ऐसे हिंदुस्तान की तस्वीर बनाई जिसमें धर्म नस्ल और जातिवाद भेदभाव से ऊपर उठ कर सब की प्रगति व भाई-चारे की एकता को हमेशा रखने पर जोर दिया। उन्होंने कवित्रीयों और मानयोग मेहमानों का धन्यवाद किया।
चडीगढ़ ट्राई सिटी की उपाध्यक्ष सुश्री राशि श्री वास्तव भी मंच पर मौजूद रही उन्होंनेे सैनिकों के बलिदान पर कविता प्रस्तुत की:
देश की आन पर आए तो, पीछे नहीं हम हटते हैं,
शेरों की ललकार है ,अब यह मुंह की खाएंगे ,
हारें गे वह हर बाजी जब जिद पर हम आ जाएंगे।
सुनीता गर्ग अध्यक्ष, ट्राई सिटी पंचकुला ,गरिमा, उपाध्यक्ष, ट्राई सिटी पंचकुला, संगीता कुंद्रा अध्यक्ष, ट्राई सिटी, सुदेश नूर जी मंच पर मौजूद रही । इस कवि सम्मेलन का मंच संचालन डॉ रुपिंदर कौर जी ने सभी कवित्रीयों की कविताओं की समीक्षा करते हुए किया।
कारोना काल के अंतर्गत प्रचलन हो रहे कवि सम्मेलन की तरह इस प्रोग्राम को "मोहब्बत रेडियो और उनके फेसबुक पेज पर लाइव हो कर 30 के करीब कवित्रीयों को अपनी कविता प्रसारित करने का सफल प्रयास करवाया गया। "गगन रेडियो की तरफ से भी सहयोग मिले। इसीलिए उन का तहेदिल से धन्यवाद। आने वाली मासिक मीटिंग में कवित्रीयों को रेडियो की तरफ से प्रशंसा पत्र भी भेंट किए जाएंगे। यह इस नए प्रयोग की भी इस संस्था की तरफ से एक और उपलब्धि है।
इस कवियत्री दरबार में ट्राइसिटी की देश विदेश के अलग-अलग शहरों में बसी 30 के आस-पास कवित्रीयों ने भाग लिया। मंच की परंपरा के अनुसार प्रोग्राम का आरंभ नीरू मित्तल के सरस्वती वंदना के गायन से किया गया।
दविंदर ढिल्लो ने टप्पे गा के हिंदुस्तान की मिट्टी को याद किया:
तंद चरखे ते पाँवा,
मिट्टी ए हिंद दिए तेैनूं,
चुम मत्थे नैव लावां।
रेणु अब्बी 'रेणू' ने अपने ख्वाबों के हिंदुस्तान को इस तरह पेश किया
मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान हम सबसे ,
बड़ी मुश्किल से मिली आज़ादी ,
रखना इसे हिफाज़त से।
डेज़ी बेदी जुनेजा ने अपनी कविता के माध्यम से मातृभूमि के लिए अपना प्यार व्यक्त किया:
कोटि कोटि नमन मेरी मातृभूमि को
तीन रंगों में तिरंगा इसकी पहचान है
सबसे अच्छा, सिर्फ मेरा भारत
शैलजा पांडेय कुंद्रा ने अपने शब्दों में देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए बलिदानों का वर्णन किया:
कुछ ने मृत्युदंड की बात कबूल की है
इसलिए मुझे हवा में स्वतंत्रता मिली
इस कवि सम्मेलन में नीना सैनी, सुनीत मदान, संगीता राय, मंजू बिस्ला, संगीता कुंद्रा, मीनू सुखमणि, हरप्रीत कौर प्रीत, अनीता गरेजा, नीरजा शर्मा ,सोनिमा सतिया ,सीता श्याम, शीला गहलावत सीरत, गीता उपधयाय, रेणुका चुग मिढ्ढा, शैलजा पांडे, मोनिका कटारिया, , आभा मुकेश साहनी, संगीता गर्ग, सुधा जैन सुधीप, डेज़ी मनोरमा श्रीवास्तव और प्रभजोत ने भी हिस्सा लिया।
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