सोमवार, 17 अगस्त 2020

जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण पोर्टल–‘स्‍वास्‍थ्‍य’ का शुभारंभ

प्रविष्टि तिथि: 17 August 2020 at 4:25 PM by PIB Delhi
 राष्ट्रीय प्रवासी और राष्ट्रीय जनजातीय फैलोशिप पोर्टल भी साथ होगा 
नई दिल्ली: 17 अगस्त 2020: (पीआइबी//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
आदिवासी और जनजातीय वर्गों के लिए जो जो कदम सरकार उठाती है उनका सही विवरण आम जनता तक नहीं पहुंच पाता। परिणाम यह होता है कि इन वर्गों और इन क्षेत्रों के अम्बन्ध में एक धुंध सी पसरने लगती है। इस धुंध में सच क्या है और झूठ क्या है इसका कुछ पता ही नहीं लगता। आज इन वर्गों पर विशेष पोर्टल लांच होने से इस धुंध को हटाने में काफी सहायता मिलेगी। इस पोर्टल के लांच होने का पूरा विवरण दिया है पत्र सूचना कार्यालय ने। 
इसी पोर्टल से साभार ली गई तस्वीर
पीआईबी ने बताया कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आज कई पहलों की घोषणा की हैं जिनमें जनजातीय स्वास्थ्य एवं पोषण पोर्टल ‘स्‍वास्‍थ्‍य’ और स्वास्थ्य तथा पोषण पर ई-न्यूजलेटर ‘आलेख’, राष्‍ट्रीय प्रवासी पोर्टल और राष्‍ट्रीय जनजातीय फैलोशिप पोर्टल शामिल हैं। इस अवसर पर केन्‍द्रीय जनजा‍तीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता, कैबिनेट सचिवालय में सचिव (समन्वय), श्री वी.पी. जॉय और जनजातीय कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दीपक खांडेकर उपस्थित थे। जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव श्री नवलजीत कपूर ने मंत्रालय के डैशबोर्ड के कार्य निष्‍पादन के बारे में प्रस्‍तुति दी, जिसमें 11 योजनाओं के परिणाम संकेतक तथा मंत्रालय की पहल का प्रदर्शन किया गया। 
इस पोर्टल पर जनजातीय जीवन को दर्शाती जीवंत तस्वीरें इसे बहुत ही आकर्षक बनाती हैं। जनजातीय वर्गों के स्वास्थ्य और लाईफस्टाईल की एक झलक मिलती है इस सामग्री में। 
श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी स्वास्थ्य और पोषण पर ‘स्वास्‍थ्‍य’ नामक ई-पोर्टल का उद्घाटन किया, जो अपने किस्‍म का पहला ऐसा ई-पोर्टल है जो एक ही मंच पर भारत की जनजातीय आबादी के स्वास्‍थ्‍य और पोषण संबंधी जानकारी उपलब्ध कराता है। ‘स्‍वास्‍थ्‍य’ साक्षों, विशेषज्ञता और अनुभवों के आदान-प्रदान की सुविधा के लिए भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों से एकत्र की गई नवाचारी प्रक्रियाओं, शोध रिपोर्टों, मामला अध्‍ययनों, श्रेष्‍ठ प्रक्रियाओं को साझा करेगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण के लिए ज्ञान प्रबंधन हेतु उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र के रूप में पीरामल स्वास्थ्य को मान्‍यता दी है। यह केन्‍द्र लगातार मंत्रालय से जुड़ा रहेगा और भारत की जनजातीय आबादी के स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण से संबंधित साक्ष्‍य आधारित नीति और निर्णय लेने के लिए इनपुट उपलब्‍ध कराएगा। यह पोर्टल http://swasthya.tribal.gov.in एनआईसी क्लाउड पर होस्ट किया गया है। कुल मिला कर यह बहुत सहजता से चलने वाला आसान सा पोर्टल है जिसका संचालन बहुत ही सुगम और सहज है।
इसी पोर्टल से साभार ली गई एक अन्य तस्वीर
श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता हमारे प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। हालांकि समय के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों में काफी सुधार हुआ है लेकिन जनजातीय और गैर-जनजातीय आबादी के बीच अंतर बना हुआ है। हम इस अंतर को पाटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे खुशी है कि स्‍वास्‍थ्‍य पोर्टल बहुत अच्‍छा काम करेगा। इस पोर्टल की शुरुआत देश की जनजातीय आबादी की सेवा करने के बड़े लक्ष्‍य की दिशा में पहला कदम है। सभी हितधारकों के सहयोग से मुझे मज़बूत होने और हमारे प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने की दिशा में बेहतर सेवा करने की उम्‍मीद है।  
उन्होंने गोइंग ऑनलाइन एज लीडर्स (जीओएएल) के माध्‍यम से फेसबुक के साथ भागीदारी में मंत्रालय की पहल के बारे में भी जानकारी दी। इस जीओएएल के माध्‍यम से मंत्रालय का उद्देश्‍य देश के 5000 जनजातीय युवाओं को सलाह देना और उन्‍हें अपने समुदाय के लिए ग्राम स्‍तर के डिजिटल युवा नेता बनाने में सक्षम करना है। उन्‍होंने कहा कि हम इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। मुझे पूरी उम्‍मीद है कि यह पहल अपने उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करेगी और जनजातीय युवाओं को अपने प्रभाव क्षेत्र में अग्रणी संसाधन बनाने के लिए सशक्‍त बनाएगी। इसके अलावा, उन्‍हें नेतृत्‍व कौशल प्राप्‍त करने अपने समाज में समस्‍याओं की पहचान करने, उनका समाधान करने और समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करने में भी समर्थ बनाएगी। जीओएएल कार्यक्रम को सभी हितधारकों का भारी समर्थन मिला है। इस कार्यक्रम के तहत 5 सितम्‍बर, 2020 को शिक्षक दिवस के अवसर पर मोबाइल वितरण और कार्यक्रम लॉन्‍च करने की भी घोषणा की गई।  
दिलचस्प बात है की जनजातीय जीवन की रिपोर्टिंग करते इस पोर्टल में जनजातीय महिलायों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन लडकियों और औरतों की तस्वीरें एक ऐसी झक दिखाती हैं कि इस जनजीवन को देखने की उत्सुकता सी भी पैदा होती है।
डीबीटी पोर्टल पर टिप्पणी करते हुए, श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अभी हाल में डीबीटी मिशन के मार्गदर्शन के अधीन आईटी सक्षम छात्रवृत्ति योजना के माध्‍यम से जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण के लिए 66वें स्कोच स्‍वर्ण पुरस्‍कार प्रदान किए हैं। यह भी जानकारी दी गई कि केपीएमजी द्वारा सामाजिक समग्रता पर केन्द्रित केन्‍द्र प्रायोजित योजनाओं के राष्‍ट्रीय आकलन ने जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण पोर्टल को मान्‍यता दी है। इस पोर्टल को ई-गवर्नेंस में श्रेष्‍ठ प्रक्रिया अनुसूचित जनजाति के छात्रों को सेवा की आपूर्ति में पारदर्शिता, जवाबदेही और मौलिक सुधार के लिए अग्रणी माना गया है। फैलोशिप और प्रवासी छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन के शुरू होने के बारे में उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय फैलोशिप और प्रवासी छात्रवृत्ति पोर्टल अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए बेहतर पारदर्शिता और आसान जानकारी उपलब्‍ध कराएगा। उन्‍होंने   प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित डिजिटल इंडिया के सपनों को साकार करने की दिशा में उनके मंत्रालय द्वारा किए जा रहे असाधारण प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के डैशबोर्ड के कार्य निष्‍पादन के बारे में उन्‍होंने कहा कि यह डैशबोर्ड अनुसूचित जनजातियों को सशक्‍त बनाने की दिशा में काम करने के लिए डिजिटल इंडिया का एक हिस्‍सा है जो सिस्‍टम में दक्षता और पारदर्शिता लाएगा। जनजातीय कार्य मंत्रालय और नीति आयोग द्वारा निर्धारित तंत्र के अनुसार एसटीसी घटक के तहत जनजातियों के कल्‍याण के लिए अपने बजट की आवंटित राशि को खर्च करने के लिए अपेक्षित 37 अन्‍य मंत्रालयों के कार्य प्रदर्शन को भी डैशबोर्ड पर विभिन्‍न पैरामीटर पर देखा जा सकता है। डैशबोर्ड को राष्‍ट्रीय सूचना केन्‍द्र के तहत सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस ऑफ डेटा एनेलिटिक्‍स (सीईडीए) संगठन द्वारा सार्वजनिक नाम http://dashboard.tribal.gov.in से विकसित किया गया है।  
श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने एक त्रैमासिक ई-न्‍यूज लेटर आलेख जारी किया। जनजातीय कार्य मंत्रालय की जनजातीय समुदायों के स्‍वास्‍थ्‍य और भलाई में सुधार के लिए प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए उन्‍होंने कहा कि मैं उन व्‍यक्तियों और संगठन के प्रति बड़ी आभारी हूं जो कोविड के दौरान अनुसूचित जनजाति के लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध कराने में विशेष रूप से समुदाय की बेहतरी के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्‍मीद है कि यह न्‍यूज लेटर हमारे सभी हितधारकों के काम का प्रदर्शन करने और उन्‍हें एक-दूसरे की सफलता और असफलताओं से सीखने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा। मुझे खुशी है कि जीओएएल कार्यक्रम के माध्‍यम से जनजातीय कार्य मंत्रालय और फेसबुक संयुक्‍त रूप से जनजातीय युवाओं विशेष रूप से लड़कियों तक पहुंच रहे हैं और डिजिटल मंच के माध्‍यम से उनमें उद्यमशीलता कौशल विकसित कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्‍वास है कि यह उन्‍हें सामाजिक और आर्थिक रूप से चैंपियन बनने हेतु सशक्‍त करेगा।
कैबिनेट सचिवालय में सचिव (समन्वय) श्री वी.पी. जॉय ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय प्रवासी और राष्ट्रीय फैलोशिप पोर्टल का शुभारंभ किया। उन्होंने डीबीटी के माध्यम से सभी छात्रवृत्ति योजनाओं के संबंध में उत्कृष्ट डेटाबेस बनाने और डैशबोर्ड के माध्‍यम से पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की।
लॉग इन और डैशबोर्ड सिस्टम से इस पोर्टल से जुड़ने वाले लोगों को एक अपनत्व का अहसास भी होगा। उन्हें यह नहीं लगेगे कि यह कोई सरकारी पोर्टल है बल्कि यूं महसूस होगा कि यह हमारा ही पोर्टल है। हमारा अपना पोर्टल। 
  इस अवसर पर पीरामल फाउंडेशन के सीईओ श्री परेश परासनिस, पब्लिक हेल्‍थ नवाचार, पीरामल स्‍वास्‍थ्‍य के उपाध्‍यक्ष श्री शैलेन्‍द्र हेगड़े और फेसबुक से श्री रजत अरोड़ा उपस्थित थे। डिजिटल तकनीक की दुनिया में यह एक ऐसा कदम जो जन जन को जोड़ने में सहायक साबित होगा। 

क्या भाजपा सरकार में हट जायेगा शराब का कारोबार या माफिया?

 हर सत्ता में मजबूत और अडिग बना रहा शराब माफिया 
* लुधियाना की सभी 6 विधानसभाओं में ज़हरीली शराब पीने से हुई सैंकड़ों मौतों के बावजूद शराब माफिया के खिलाफ  कारवाई न होने के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कैप्टन सरकार के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया
* भाजपा का यह प्रदर्शन विषैली शराब कांड के पीड़ितों को न्याय सुनश्चित करने के लिए है--पुष्पेंद्र सिंगल
लुधियाना: 17 अगस्त 2020: (प्रदीप शर्मा इप्टा//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
सरकारों को मोटी आमदन देने वाली शराब हर सत्ता में अजेय और सबसे प्रिय बनी रही। शराब का कारोबार लगातार तरक्की करता रहा। शराब के कारोबार को हर नाज़ुक समय में सुरक्षा प्रदान करने वाले लोग किसी गैंग की तरह काम करते रहे। किसी की हिम्मत न होती किसी शराब कारोबारी के खिलाफ कोई कुछ कह या कर सके। यह एक ऐसा कारोबार बन गया जो हर हाल में चलता था। सत्ता इतनी मेहरबान रहती कि देर रात तक ठेके बंद होने का नियम भी ताक पर रख दिया जाता। छोटे और आंधीं कारोबार बंद होते चले गए लेकिन शराब के ठेके बड़े बड़े डेकोरेटड शोरूम बनते चले गए। यह सारा सिलसिला अन्य सरकारों की तरह अकाली भाजपा सर्कार के समय भी जारी रहा। शराब का विरोध किसी सियासी मजबूरी या फैशन जैसा बन गया। विरोध करने वाले खुद भी शराब खरीदने/बेचने और पीने में एक दुसरे से आगे रहे। गिफ्ट के लिए शराब लोकप्रिय चीज़ बनती चली गई। इसी बीच बेलन ब्रिगेड का तूफ़ान उठा था जिसने कुछ उम्मीद दिलाई थी की शराब के इस कारोबार को बंद करवा के ही दम लेंगें लेकिन अनीता शर्मा की लाख कोशिशों के बावजूद यह अभियान भी बीच में ही दम तोड़ गया। 
भारतीय जनता पार्टी पंजाब प्रधान अश्वनी शर्मा के दिशा निर्देशों के मुताबिक ज़िला लुधियाना भाजपा के प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल के नेतृत्व में जगह जगह विरोध प्रदर्शन किये गए। प्रदेश में जहरीली शराब पीने से हुई सैंकड़ों मौतों के बावजूद शराब माफिया पर के खिलाफ बड़ी कारवाई न होने के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कैप्टन सरकार के खिलाफ ज़ोरदार गुस्से का प्रदर्शन किया।
लुधियाना की सभी 6 विधान सभाओं के अंतर्गत आते सभी क्षेत्रों में यह रोष प्रदर्शन किया गया व पंजाब सरकार के खिलाफ हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी भी की गयी। ज़िला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल ने कहा कि भाजपा का यह प्रदर्शन विषैली शराब कांड के पीड़ितों को न्याय सुनश्चित करने के लिए है और ऐसा तभी संभव है जब पीड़ितों के आरोपों के घेरे में आने वाले राजनीतिक शरण प्राप्त लोगों पर भी कड़ी कारवाई हो। सरकार केवल छोटी मछलियों पर कारवाई करके इस कांड के असली दोषियों को बचाने की फिराक में है जिसे भाजपा कतई बर्दाशत नहीं करेगी। खुद श्री सिंगल इन सभी धरनों की सफलता के लिए लगभग सभी स्थानों पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को संबोधन किया। हर जगह यह धरना प्रदर्शन कामयाब भी रहा। 
हल्का उत्तरी जालंधर बाई पास चौक में परवीन बंसल व ज़िला सचिव कांतेंदु शर्मा, हल्का केंद्रीय में आते शगुन पैलेस के बाहर शिंगार सिनेमा रोड पर गुरदेव शर्मा देबी व अश्वनी बहल व हल्का पश्चिम में पड़ते गुरुनानक भवन के बाहर पेट्रोल पंप के साथ फ़िरोज़पुर रोड पर कमल चेतली व ज़िला उपाध्यक्ष योगेंद्र मकोल, जिला महामंत्री सुनील मौदगिल की देखरेख में धरना पर्दर्शन किया गया। कुल मिलकर सारा कार्यक्रम सुनियोजित था। लेकिन किसी  नहीं दिया कि उनकी सर्कार आने पर शराब के कारोबार बंद क्र दिए जायेंगे। 
इसी तरह हल्का पूर्वी के ताजपुर मेन रोड पट्रोल पंप के पास पंजाब भाजपा के महासचिव जीवन गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष राजेश्वरी गोसाई, हल्का आत्म नगर के प्रताप चौक नज़दीक संगीत सिनेमा के पास रविंदर अरोड़ा व ज़िला सचिव डॉ.निर्मल नय्यर व हल्का दक्षिण ग्यासपूरा,स्टेडियम वाला पार्क के साथ डॉ सुभाष वर्मा व सरदार तरनजीत सिंह की देखरेख में धरने प्रदर्शन हुए। 
          धरने पर्दर्शन में भाजपा जिला सचिव यशपाल जनोत्रा,पार्षद दल के नेता सुनीता शर्मा,युवा मोर्चा के प्रधान महेश शर्मा, मंडल प्रधान रोहित सिक्का, दीपक गुप्ता, राजिंदर शर्मा, अजय गुप्ता, हरीश सग्गड़, भाजपा उद्योग प्रकोष्ट पंजाब के प्रधान दिनेश सरपाल, संतोष कालड़ा, सुनील मेहरा, इन्दर अग्रवाल, ओमप्रकाश रतड़ा, यशपाल चौधरी, भाजपा पंजाब एस सी मोर्चा पंजाब के प्रधान राज कुमार अटवाल, एस सी मोर्चा के प्रधान सुखजीव बेदी, कैलाश चौधरी, दविंदर जग्गी, हरिंदर जॉली, राजीव शर्मा, पवन शर्मा, सीमा शर्मा, सुधा खन्ना, अवतार तारी, राजिंदर हंस, तजिंदर राजा, हरबंस लाल फैंटा, हरीश शर्मा, डॉ.सतीश कुमार, अभिषेक सिंगल, नीरज वर्मा, अंकित बत्रा, विक्की सहोता, नमन बंसल पार्षद ऐनी सिका, जोगिन्दर, विजय कुमार, अजिंदर सिंह, पंजाब किशन मोर्चा के उपाध्यक्ष दविंदर सिंह घुम्मन, पार्षद मनिंदर कौर घुम्मन, मंडलों के प्रधान आकाश गुप्ता,राजेश कश्यप,राकेश जग्गी,विजय दादू,सुकेश कालिया, संदीप पूरी, डा.परमजीत सिंह, अश्वनी मरवाहा, कुशाग्र कश्यप, मंजीत कौर, भाजपा खजांची बॉबी जिंदल, नवल जैन, राजकिशोर लकी, मंडल प्रधानों में जसदेव  तिवारी, तीर्थ तनेजा, भूपिंदर राय, रोम्मी मल्होत्रा, सर्वं तिवारी,मन्नू अरोड़ा, सुरेश मिगलानी, बलविंदर गरचा, प्रार्थना तिवारी, जसवीर कौर, संतोष, परमजीत कौर, क्रांति डोगरा, दीपक गोयल, दलबीर सिंह गिल बंटी, संजीव धीमान, मनोज महन, पंजाब उद्योग प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, संतोष, विजय कुमार, निर्मल सिंह संत, राजेश पांडेय, अमित सूद, सुरिंदर शर्मा, मंडल प्रधानों में पंकज शर्मा, सुरेश अग्रवाल, केवल गर्ग, पार्षद सोनिया शर्मा, कविता, संतोष, आशा शर्मा, सुनीता, कुलदीप सिंह मल्ही, विजय पूरी, बलविंदर सिंह, घ्यान सिंह, पवन भरद्वाज, पवित्र सिंह, सुनील सिंगला, अजय दुबे आदि भाजपा कार्यकर्ता  इस पर्दर्शन में शामिल हुए। क्या अकाली भाजपा सर्कार आने पर शराब का कारोबार रुक जायेगा?

स्वतंत्रता दिवस पर हुआ ट्राई सिटी चंडीगढ़ में महिला काव्य मंच का आयोजन

 पुरुष हो कर भी नारी कलमकारों को एकजुट करने में लगे हैं नरेश नाज़ 
चंडीगढ़: 16 अगस्त 2020: (पुष्पिंदर कौर//पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)
स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर यह सारा आयोजन यूं तो पंजाबी में था लेकिन हिंदी भाषी कविता का भी गर्मजोशी से स्वागत हुआ। नामी ग्रामी सक्रिय शायरा ऐमी ह्रदय अर्थात अमरजीत कौर हिरदे के प्रयासों और नरेश नाज़ साहिब के आशीर्वाद से ही यह सब सम्भव हो सका। आरम्भ किया ऐमी हृदय ने अपनी इन पंक्तियों से जिनमें उन सपनों का ज़िक्र है जिन सपनों में उसकी चाहत का हिन्दोस्तान है---
ख्वाबां दा तू दे दे मेरा हिंदुस्तान,
भाईचारक जागीर बनाना चाहनी आं।
तिन रंग मेरे मन विच जिहड़े दमक रहे ,
आज़ादी तस्वीर बनाना चाहनी आं।
"महिला काव्य मंच मोहाली" इकाई के अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय जी के इस शेयर ने सभी कवित्रीयों के ममतामई  मन के ख्वाबों  के भावों के समुद्र को एक घड़े में समेट दिया। यह सारा आयोजन सम्भव हो सका नरेश नाज़ के कारण क्यूंकि वह देश  के साथ साथ दुनिया भर की कवियत्रिओं को भर एक मंच पर लाने के प्रयासों में लगे हैं।
वास्तव में महिला काव्य मंच संस्था के  संस्थापक श्री नरेश नाज़ जी हैं। महिला काव्य मंच की स्थापना, जिस उद्देश्य को लेकर की गई है, वह नारी भाव कवि मन द्वारा बुने गए ख्वाबों के हिंदुस्तान के साथ अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में अग्रसर हुआ है।अपने कवि मन के भावों, एहसासों, जज्बातों और  उदगारों  को 'मन से मंच तक' लेकर आने के उद्देश्य से ही महिलाओं को यह मंच प्रदान किया है। जिसके अंतर्गत पूरे देश भर की कवित्रीयों को अपने कवि मन से उठे भावों को प्रकट करने के लिए इकाईयां बनाकर इस तरह के कवित्री सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं और किये जाते रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती शारदा मित्तल जी ने की जो महिला काव्य मंच की चंडीगढ़ ट्राई सिटी की अध्यक्ष हैं।   
उन्होंने अपने अध्यक्षीय  भाषण में भारत के गौरवमई इतिहास और सभ्यता के बारे में बताते हुए कहा कि शहीदों ने अपना बलिदान देकर इस धरती की रक्षा की है और हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने सभ्याचार और संस्कारों को संभालना पड़ेगा। तभी ख्वाबों के हिंदुस्तान की बुनियाद रखी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि कवियों ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला है। अपना आशीर्वाद देते हुए, उन्होंने उपस्थित कवियों को इस तरीके से रचना जारी रखने और भारत की प्रगति और विकास के माध्यम से प्रेरित किया।
महिला काव्य मंच की मोहाली इकाई अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय ने अपनी योग्य प्रबंधन के साथ 15 अगस्त 2020  को 'मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान' शीर्षक मिसरे के लिए  विषय पर महिला काव्य सम्मेलन करवाया गया। इस कवियत्री सम्मेलन का सफल आयोजन किया।  मोहाली इकाई की तरफ से  इसमें सभी कवित्रीयों ने सचमुच ही अपने ख्वाबों के हिंदुस्तान को अपनी लेखनी के द्वारा चित्रित कर दिया। देश को स्वर्ग व परी देश जैसा, जिसमें कोई व्यक्ति भूखा, बिना घर के , नीच, पीड़ित, दलित, कशमित, दीन-हीन, ग़रीब बेरोजगार, नशेबाज शराबी कोई नहीं।  जिस उद्देश्य से शहीदों ने अपना खून बहा कर आजादी को लिया था। अध्यक्ष अमरजीत कौर हृदय जी ने अपनी ग़ज़ल में शेयरों के द्वारा एक ऐसे हिंदुस्तान की तस्वीर बनाई जिसमें धर्म नस्ल और जातिवाद भेदभाव से ऊपर उठ कर सब की  प्रगति व भाई-चारे की एकता को हमेशा रखने पर जोर दिया। उन्होंने कवित्रीयों और मानयोग मेहमानों का धन्यवाद किया। 
चडीगढ़ ट्राई सिटी की उपाध्यक्ष सुश्री राशि श्री वास्तव भी मंच पर मौजूद रही उन्होंनेे  सैनिकों के बलिदान पर कविता प्रस्तुत की: 
 देश की आन पर आए तो, पीछे नहीं हम हटते हैं,
 शेरों की ललकार है ,अब यह मुंह की खाएंगे ,
हारें गे वह हर बाजी जब जिद पर हम आ जाएंगे।
 सुनीता गर्ग   अध्यक्ष,  ट्राई सिटी पंचकुला ,गरिमा,   उपाध्यक्ष,  ट्राई सिटी पंचकुला, संगीता कुंद्रा अध्यक्ष,  ट्राई सिटी,  सुदेश नूर  जी मंच पर मौजूद रही । इस कवि सम्मेलन का मंच संचालन डॉ रुपिंदर कौर जी ने सभी कवित्रीयों की कविताओं की समीक्षा करते हुए किया। 
कारोना काल के अंतर्गत प्रचलन हो रहे कवि सम्मेलन की तरह इस प्रोग्राम को "मोहब्बत रेडियो और उनके फेसबुक पेज पर लाइव हो कर 30 के करीब कवित्रीयों को अपनी कविता प्रसारित करने  का सफल प्रयास करवाया गया। "गगन रेडियो की तरफ से भी  सहयोग मिले। इसीलिए उन का तहेदिल से धन्यवाद। आने वाली मासिक मीटिंग में कवित्रीयों को रेडियो की तरफ से प्रशंसा पत्र भी भेंट किए जाएंगे। यह इस नए प्रयोग की भी इस संस्था की तरफ से एक और उपलब्धि है।
इस कवियत्री दरबार में ट्राइसिटी की देश विदेश के अलग-अलग शहरों में बसी 30 के आस-पास कवित्रीयों ने भाग लिया। मंच की परंपरा के अनुसार प्रोग्राम का आरंभ नीरू मित्तल के सरस्वती वंदना के गायन से किया गया।  
दविंदर ढिल्लो ने टप्पे गा के  हिंदुस्तान की मिट्टी को याद किया:      
तंद चरखे ते पाँवा,
 मिट्टी ए हिंद दिए तेैनूं,
चुम मत्थे नैव लावां।
रेणु अब्बी 'रेणू'  ने अपने ख्वाबों के हिंदुस्तान को इस तरह पेश किया
मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान हम सबसे  , 
बड़ी मुश्किल से मिली आज़ादी , 
रखना इसे हिफाज़त  से।
डेज़ी बेदी जुनेजा ने अपनी कविता के माध्यम से मातृभूमि के लिए अपना प्यार व्यक्त किया:
कोटि कोटि नमन मेरी मातृभूमि को
तीन रंगों में तिरंगा इसकी पहचान है
सबसे अच्छा, सिर्फ मेरा भारत
शैलजा पांडेय कुंद्रा ने अपने शब्दों में देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए बलिदानों का वर्णन किया:
कुछ ने मृत्युदंड की बात कबूल की है
इसलिए मुझे हवा में स्वतंत्रता मिली
इस कवि सम्मेलन में नीना सैनी, सुनीत मदान, संगीता राय,  मंजू बिस्ला, संगीता कुंद्रा, मीनू सुखमणि, हरप्रीत कौर प्रीत, अनीता गरेजा, नीरजा शर्मा ,सोनिमा सतिया ,सीता श्याम, शीला गहलावत सीरत, गीता उपधयाय, रेणुका चुग मिढ्ढा, शैलजा पांडे, मोनिका कटारिया, , आभा मुकेश साहनी, संगीता गर्ग, सुधा जैन सुधीप, डेज़ी  मनोरमा श्रीवास्तव और प्रभजोत ने भी हिस्सा लिया। 

रविवार, 16 अगस्त 2020

कोरोना की सहम भरी खामोशियों को तोडा एफ आई बी ने

गैर सरकारी तौर पर केवल हमने तिरंगा लहराया--डा. भारत 
लुधियाना: 16 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
इस बार कोरोना का कहर और ऊपर से लॉक डाउन। हर तरफ एक सहम भरी चुप्पी। हर गली मोहल्ले में खामोशियों का पहरा। ऐसे में आया स्वतंत्रता दिवस पहले की तरह जोशीला नहीं था। बंदिशों के चलते बड़े आयोजन करने सम्भव भी नहीं थे। कदम कदम पर सख्ती भी थी। अगर  कोई ऐसा कदम उठाने की कोशिश भी करता तो पुलिस बड़ी सख्ती से उसे रोक देती। इस के बावजूद FIB अर्थात फस्ट इन्फर्मेशन ब्यूरो के प्रमुख डाक्टर भारत और उनकी टीम निराश नहीं हुई। हाँ पहले की तरह रौनक मेला सम्भव नहीं था लेकिन फिर भी आयोजन तो हुआ। कोरोना के बावजूद इस आयोजन का सिलसिला लगातार जारी रहा। झंडा फहराने की रस्म के अवसर पर स्थानीय पार्षद जयप्रकाश विशेष तौर पर पहुंचे। 
बेलन ब्रिगेड की प्रमुख सुश्री अनीता शर्मा ने इस बार भी इस कार्यक्रम में पहुँच कर नशे के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की।  सशक्तिकरण की बात भी ज़ोर दे कर कही। उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिले तो पूरे समाज को इसका फायदा होगा। 
भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की राज्य सचिव मैडम सुधा खन्ना ने भी इस आयोजन की सफलता में अपना योगदान दिया। उन्होंने व्यस्तताओं के बावजूद कार्यक्रम की हर गतिविधि में भाग लिया। उन्होंने आश्वासन भी दिया की समाजिक उत्थान के लिए मैं हर पल तैयार हूं। 
इंडियन पीपलज़ थिएटर एसोसिएशन की  तरफ से प्रदीप शर्मा इप्टा भी पहुंचे। इन कार्यक्रमों के शानदार इतिहास में हर बार डाक्टर भारत के सक्रिय साथी रहे 85 वर्षीय उम्र लेकिन युवायों जैसे जोशीले ओंकार सिंह पूरी भी पूरी तरह सरगर्म रहे। 
एफ आई बी के ही सोनू शर्मा और राजू सहित अन्य लोग भी शुरू से लेकर आखिर तक कार्यक्रम में हाज़िर रहे।लडडू बांटे गए और झंडा फहराया गया। 
तिरंगे के साथ इश्क करने वालों ने कोरोना के सहम से भरी खामोशियों को तोड़ते हुए देश प्रेम से भरे जानदार गीत हर दिल तक सुनवाए। इसकी आवाज़ गली मोहल्ले के हर घर तक पहुंच रही थी। 
डाक्टर भारत ने इस सारे आयोजन के इतिहास की भी चर्चा की और संकल्प भी उठाया कि हम लगातार इस सिलसिले को जारी रखेंगे। साथ ही नशे की  रोकथाम पर भी विस्तृत चर्चा हुई। दक्रतर भारत ने कहा कि इस बार लुधियाना में केवल एक तो राजकीय आयोजन  गया और दूसरा हमने झंडा लहराया। कोरोना की दहशत भी हमें रोक नहीं सकी। हमने इस बार काफी सादगी से काम लिया और नियमों की पालना करते हुए स्वतंत्रता दिवस मनाया। 
पार्षद जयप्रकाश ने कहा कि नशे के कारोबार कोई कोई भी खबर किसी के पास भी हो तो वह उन तक पहुंचाए। हम उसका नाम पता गुप्त रखेंगे। नशे को जड़ से उखाड़ना हमारी सरकार  निशाना है।
इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मैडम अनीता शर्मा ने कहा की सभजी सरकारें सिर्फ बातें ही करती हैं नशे को जड़ से उखाड़ने के लिए वास्तव में कुछ नहीं करतीं। अब भी सरकार सख्ती करे तो बहुत से घरों को बचाया जा सकता है।    
          --कार्तिका सिंह 

सेलुलर जेल–बलिदान का मूर्त रूप

Posted On: 01 August 2017 a 8:34 PM
 विशेष लेख स्‍वाधीनता दिवस 2017                                                                    *एस. बालाकृष्‍णन 
*एस. बालाकृष्‍णन
“ओ, मेरी प्रिय मातृभूमि, तुम क्‍यों आंसू बहा रही हो?
विदेशियों के शासन का अंत अब होने को है!
वे अपना सामान बांध रहे हैं!
राष्‍ट्रीय कलंक और दुर्भाग्‍य के दिन अब लदने ही वाले हैं!
आजादी की बयार अब बहने को है,
आजादी के लिए तड़प रहे हैं बूढ़े और जवान!
जब भारत गुलामी की बेडि़यां तोड़ेगा,
‘हरि’ भी अपनी आजादी की खुशियां मनायेगा!’’
यह ‘हरि’ कौन हैं, जो अपनी आजादी की खुशियां मनाने को आतुर है? श्री बाबू राम हरि पंजाब के गुरदासपुर जिले के कादियां के रहने वाले थे और ‘स्‍वराज्‍य’ के संपादक थे। उन्‍हें अपने तीन संपादकीयों को ब्रिटिश हुक्‍मरानों द्वारा ‘राजद्रोह’ करार दिये जाने के कारण अंडमान की सेलुलर जेल में 21 वर्ष की कैद हुई थी।
इस तरह भारत की आजादी का ख्‍वाब संजोने वाले लोगों को ब्रिटिश हुक्‍मरानों द्वारा ऐसे ही बेरहमी से कुचला गया था। भयानक सेलुलर जेल, बलिदान की ऐसी ही एक वेदी थी। कालकोठरी की सजा के लिए इस विशेष तरह की कोठरियों के इंतजाम वाली (इसलिए इसे सेलुलर जेल का नाम दिया गया) इस जेल का नाम भारत की आजादी के संघर्ष के साथ अमिट रूप से जुड़ा हुआ है।
भारतीय बेस्टिल
सुभाष चन्‍द्र बोस ने उचित रूप से ही इस जेल को ‘भारतीय बेस्टिल’ कहकर पुकारा था। दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान, अंडमान पर जापानियों द्वारा जीत हासिल किए जाने के बाद 8 नवंबर, 1943 को जारी वक्‍तव्‍य में नेताजी ने कहा था, ‘‘जिस तरह फ्रांस की क्रांति के दौरान सबसे पहले पेरिस के बेस्टिल के किले को मुक्‍त कराकर वहां बंद राजनीतिक कैदियों की रिहाई कराई गई थी, उसी तरह भारत के स्‍वाधीनता संग्राम के दौरान अंडमान को भी, जहां भारतीय कैदी यातनाएं भोग रहे हैं, सबसे पहले मुक्‍त कराया जाना चाहिए।’’ (हालांकि, बाद में सहयोगी देशों ने इस द्वीप पर दोबारा कब्‍जा जमा लिया था।)
कैदियों की बस्तियां
ब्रिटिश उपनिवेश भारत और बर्मा में संगीन अपराधों के लिए दोषी ठहराये गये कैदियों के लिए बैंकोलिन (सर्वप्रथम 1787 में), मल्‍लका, सिंगापुर, अराकान और तेनास्‍सेरिम में कैदियों की बस्तियां स्‍थापित की गईं। अंडमान की जेल इस श्रृंखला की आखिरी कड़ी और भारतीय सरजमीं पर स्‍थापित होने वाली अपने किस्‍म की पहली जेल थी। हालांकि, इससे काफी पहले 1789 में ही पोर्ट कॉर्नवालिस, उत्तरी अंडमान में कैदियों की बस्‍ती स्‍थापित की गई थी, लेकिन सात साल बाद उसे खाली कर दिया गया था।
ब्रिटिश हुक्‍मरानों ने आजादी के प्रथम स्‍वाधीनता संग्राम (1857), को ‘सिपाहियों की बगावत’ का नाम दिया था और इसी के मद्देनजर कैदियों की बस्‍ती का विचार पुन: जीवित हो उठा। तथाकथित बागियों, भगोड़ों और विद्रोहियों को निर्वासित और कैद करने के लिए दूर-दराज के इलाके - अंडमान का चयन किया गया। 10 मार्च, 1858 को 200 ‘गंभीर राजनीतिक अपराधियों’ के पहले जत्थे ने दक्षिण अंडमान में पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह के अंतर्गत चाथलाम द्वीप के छोर पर कदम रखा। 216 कैदियों का दूसरा जत्‍था पंजाब सूबे से आया। 16 जून, 1858 तक यहां पहुंचने वाले कैदियों की कुल तादाद 773 हो गई, 64 कैदियों ने अस्‍पताल में दम तोड़ दिया था, फरार होने और दोबारा हाथ न आने वाले कैदियों की संख्‍या 140 थी, एक कैदी ने आत्‍महत्‍या की थी, फरार होने के बाद दोबारा पकड़े जाने पर फांसी पर लटकाये गये कैदियों की संख्‍या 87 थी, यह जगह छोड़ने वाले कैदियों की संख्‍या 481 थी। 28 सितंबर, 1858 तक यहां करीब 1330 कैदी पहुंच चुके थे। 1858 और 1860 के बीच देश के कोने-कोने से लगभग 2,000-4,000 स्‍वाधीनता सेनानियों को अंडमान भेजा जा चुका था। दुखद बात यह है कि उनमें से अधिकांश ने जीने की और कार्य करने की बेहद पीड़ादायक परिस्थितियों के कारण दम तोड़ दिया। फरार होकर जंगल की ओर भागने वालों में से कोई भी जीवित न बच सका। बाद में आपराधिक मामलों में दोषी ठहराये गए लोगों को भी कड़ी सजा के लिए यहीं भेजा जाने लगा। एक सदी के बाद, 15 अगस्‍त, 1957 को पोर्ट ब्‍लेयर में ‘शहीद स्‍तम्‍भ’ प्राण न्‍यौछावर करने वाले अचर्चित और गुमनाम शहीदों को समर्पित किया गया।
सेलुलर जेल
ब्रिटिश हुक्‍मरानों को डर था कि राजनीतिक कैदी दूसरे कैदियों के बीच अपने क्रांतिकारी विचारों को फैलाने लगेंगे और उनके समूह के साथ घुलने-मिलने लगेंगे। लिहाजा, उन्‍होंने एक दूर-दराज के इलाके में कालकोठरियां बनाने का फैसला किया। इस प्रकार 1906 में कुख्‍यात सेलुलर जेल पूर्ण हो गई, जिसकी कालकोठरियों की संख्‍या बढ़कर 693 हो गई! जैसे-जैसे स्‍वाधीनता संग्राम जोर पकड़ने लगा, 1889 में पूना से 80 क्रांतिकारियों को निर्वासित कर यहां भेजा गया। जैसे-जैसे स्‍वाधीनता संग्राम में उफान आया, 132 लोगों (1909- 1921), उसके बाद (1932-38) में 379 लोगों को यहां भेजा गया। विभिन्‍न तरह के षडयंत्र के मामलों में शामिल राजनीतिक कैदियों को सेलुलर जेल भेजा गया। इनमें से कुछ मामलों में अलीपुर बम मामला (माणिकटोला षडयंत्र मामले के नाम से भी चर्चित), नासिक षडयंत्र मामला, लाहौर षडयंत्र मामला (गदर पार्टी के क्रांतिकारी), बनारस षडयंत्र मामला, चटगांव शस्‍त्रशाला मामला, डेका षडयंत्र मामला, अंतर-प्रांतीय षडयंत्र मामला, गया षडयंत्र मामला और बर्मा षडयंत्र मामला आदि शामिल हैं। इनके अलावा, वहाबी विद्रोहियों, मालाबार तट के मोपला प्रदर्शनकारियों, आंध्र के रम्‍पा क्रांतिकारियों, मणिपुर स्‍वाधीनता सेनानियों, बर्मा के थावरडी किसानों को भी अंडमान भेजा गया।
जेल में जीवन
सेलुलर जेल में जीवन विशेषकर शुरुआती कैदियों के लिए बेहद अमानवीय और बर्बर था। राजनीतिक कैदियों को बहुत कम भोजन और कपड़े दिये जाते थे और उनसे कड़ी मशक्‍कत कराई जाती थी। ऐसी कठोर मेहनत की आदत न होने के कारण वे अपना रोज के काम का कोटा पूरा नहीं कर पाते थे, जिसके कारण उन्‍हें गंभीर सजा भुगतनी पड़ती थी। ऐसे व्‍यवहार का मकसद उन राजनीतिक कैदियों को अपमानित करना और उनकी इच्‍छा शक्ति को तार-तार करना था। उन्‍हें कोल्‍हू पर जोता जाता था, उनसे नारियल छिलवाये जाते थे, नारियल के रेशों की पिसाई कराई थी, रस्‍सी बनवाई जाती थी, पहाड़ तोड़ने के लिए भेजा जाता था, दलदली जमीन की भरत कराई जाती थी, जंगल साफ कराये जाते थे, सड़कें बिछवाई जाती थी आदि। सबसे भयानक काम ‘मोटे सान की कटाई’ बहुत अधिक अम्‍लता वाली रामबन घास, ‘रस्‍सी बनाने की कला’ थी, जिसके बाद लगातार खुजली, खरोंचना और रक्‍तस्राव जैसे तकलीफें होती थीं!
भूख हड़ताल
जुलाई 1937 में जब भारत के सात सूबों में कांग्रेस मिनिस्‍ट्रीज का गठन हुआ, तो सेलुलर जेल के राजनीतिक कैदियों को मुख्‍य भूमि में भेजे जाने की मांग जोर पकड़ने लगी। जब बार-बार की अपीलों और प्रदर्शनों का कोई नतीजा न निकला तो उनमें से 183 लोग 24 जुलाई, 1937 से, 37 दिन की भूख हड़ताल पर बैठ गये। इससे उनके समर्थन की लहर उठी और मुख्‍य जेलों में बंद उनके साथियों ने भी भूख हड़ताल शुरू कर दी। देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए। आखिरकार अंग्रेजों को झुकना पड़ा और 22 सितंबर 1937 को स्‍वाधीनता से‍नानियों का पहला जत्‍था अंडमान से रवाना हुआ। आखिरी जत्‍था भी 18 जनवरी, 1938 तक अंडमान से रवाना हो गया। आपराधिक मामलों के दोषियों की वहां से रवानगी 1946 तक जारी रही, जब कैदियों की इस बस्‍ती को बंद कर दिया गया।
राष्‍ट्रीय स्‍मारक
इस जेल में अनेक करिश्‍माई हस्तियों को बंदी बनाकर रखा गया। उनमें अन्‍य लोगों के अलावा सावरकर बंधु, मोतीलाल वर्मा, बाबू राम हरि, पंडित परमानंद, लढ्डा राम, उलास्कर दत्त, बरिन कुमार घोष, भाई परमानंद, इंदु भूषण रॉय, पृथ्वी सिंह आजाद, पुलिन दास, त्रैलोकीनाथ चक्रवर्ती, गुरुमुख सिंह शामिल हैं। यह फेहरिस्‍त लंबी और विशिष्‍ट है। सेलुलर जेल में बंद रहे हमारे स्‍वाधीनता संग्राम सेनानियों के अमूल्‍य बलिदान की याद और सम्‍मान में 11 फरवरी, 1979 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई द्वारा इसे राष्‍ट्रीय स्‍मारक के रूप में राष्‍ट्र को समर्पित किया गया। वहां का संग्रहालय और साउंड एंड लाइट शो जेल के कठिन जीवन की झलक प्रस्‍तुत करते हैं, जहां उन लोगों ने सिर्फ इसलिए कुर्बानियां दी, ताकि हम आजादी और शांति के साथ जी सकें। सेलुलर जेल यूनेस्को की विश्‍व धरोहर स्‍थल की संभावित सूची में शामिल हैं, क्‍योंकि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर उसकी तुलना में कोई और स्‍थान नहीं है।
किसी जमाने में भयावह स्‍थान रही यह सेलुलर जेल, अब एक राष्‍ट्रीय स्‍मारक बन चुकी है, जो बलिदान का मूर्त रूप है, एक ऐसा स्‍थान है, जो हमें याद दिलाता है कि हमें आज़ादी बड़ी मुश्किलों से मिली है।
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*लेखक चेन्‍नई में स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।
इस लेख में व्‍यक्‍त किए गये विचार लेखक के निजी विचार हैं।  (PIB)
वीके/आरके/वीके -117//
(Features ID: 150109) 0
Posted On: 01 August 2017 a 8:34 PM

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आये

Thursday: 6th August 2020 at 6:41 PM
 नामधारी संगत ने दोनों पर किया संयुक्त उत्सव का आयोजन 
लुधियाना: 5 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्लॉग टीवी)::
जिस रूप में कोई श्रद्धा से याद करे उसी रूप में उसके पास पहुंचते हैं ठाकुर जी 
भगवान राम और उनके राज्य में आस्था रखने वालों के लिए पांच अगस्त का दिवस विशेष था। उस दिन अयोध्या में राम मंदिर का नींव पत्थर रखा गया।  वही राम मंदिर जिसका वायदा भारतीय सियासतदान लम्बे समय से करते आ रहे थे। उसी दिन उन लोगों के लिए भी विशेष सुअवसर था जो ठाकुर दलीप सिंह जी में ही भगवान राम का रूप देखते हैं क्यूंकि ठाकुर जी का जन्मदिवस भी उसी दिन था। लुधियाना की राजदीप इंजीनियर नामक फर्म में ठाकुर जी का जन्मोत्सव बहुत श्रद्धा और आस्था से मनाया गया। कोरोना का संकटकाल न होता तो शायद धूमधाम भी ज्यादा होती। इस आध्यात्मिक उत्सव के साथ ही राम मंदिर निर्माण की खुशियां भी बहुत उत्साह से मनाई गयीं।इस सुअवसर पर नामधारियों के सक्रिय और खाड़कू नेता बचित्तर सिंह भुर्जी ने तो विशेष उत्साह दिखाया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण और ठाकुर जी का जन्मोत्सव एक साथ आना हम सभी के लिए बहुत बड़ा मौका भी है और सौभाग्यशाली सुअवसर भी है। गौरतलब है कि नामधारियों ने ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व में बहुत पहले संघर्ष के दिनों में ही कह दिया था की हम राम मंदिर के निर्माण में सक्रिय सहयोग देंगें। जब भी ज़रूरत होगी हम जत्थे भेजेंगे। ठाकुर जी ने सिरसा के नज़दीक एक जन्माष्टमी मंच पर स्पष्ट कहा भी था कि राम मंदिर शक्ति से ही बनेगा। उल्लेखनीय है कि  इस मौके पर इसी मंच पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डाक्टर मोहन भागवत भी मौजूद थे। 
श्री भुर्जी ने कहा कि आज का दिन हम सभी भारतियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्यूंकि सभी  भारत वासियों ने 
अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना बहुत पहले देखा था और बार बार देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए बहुत सी कुबानियाँ भी हुईं। राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनने का सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की वजह से ही पूरा हो सका है। 
यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज ही ठाकुर दलीप सिंह जी का 67वां जन्मोत्सव भी है। ठाकुर जी को कोई भगवान कृष्ण के ूप में देखता है और कोई भगवान राम के रूप में। जिस श्रद्धा भावना से ठाकुर जी कोई कोई यद् करता है ठाकुर जी उसी रूप में उसके पास पहुँच जाते हैं। इस बात को सच होते महलों वालों ने भी देखा है और झुग्गी झौंपड़ी वालों ने भी। इस तरह के अनुभव करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं और पुरुष भी। बच्चे भी और बज़ुरग भी। इस तरह की अनगिनत सच्ची कहानियां हैं जिन्हें ठाकुर जी प्रचार का साधन नहीं बनने देते। फिर भी हम इन सभी सच्ची कहानियों को संकलित करने के प्रयास में हैं। आपके साथ भी कोई ऐसा अनुभव हुआ हो तो अवश्य बताएं।
गौरतलब है कि आज ठाकुर जी का जन्मोत्सव देश विदेश में एक जैसे उत्साह और जोश से मनाया गया। घरों में दीपमाला हुई और मिठाईयां बांटी गयीं। लडडू तो बहुत पसंद किये गए। बहुत से लोगों ने अपने तौर पर भी लडडू बांटे। इन खुशीयों पर विशेष बात यह भी थी कि ज़रूरतमंद सिखों के पास जा कर उनकी हर ज़रूरत पूरी की गई।नामधारी हरविंदर सिंह, नामधारी नवतेज सिंह, नामधारी अमरजीत सिंह, नामधारी ईशर सिंह, नामधारी प्रभजोत सिंह, नामधारी मनप्रीत सिंह, नामधारी रोहित कुमार, नामधारी सुभाष कुमार, नामधारी बलविंदर सिंह बल्लू, नामधारी जगजीत सिंह, नामधारी जरनैल सिंह और नामधारी अरविंदर सिंह लाडी भी मौजूद रहे। 
पटियाला, जालंधर, अमृतसर, नई दिल्ली और हरियाणा में ऐसे ही आयोजन हुए। इसी तरह बहुत से  पर भी इसी श्रद्धा भावना से इसी तरह के भव्य कार्यक्रम हुए।