मेरे नामुराद जूनून का है इलाज कोई तो मौत है
जो दवा के नाम पे ज़हर दे उसी चारागर की तलाश है
02-08-2010 को अपलोड किया गया
चलचित्र: बरसात की रात (१९६०), गायक: मोहम्मद रफ़ी, सुधा मल्होत्रा, आशा भोंसले, मन्ना डे, एस. बी. बातिश और साथी, संगीत: रोशन, बोल: साहिर लुध्यान्वी| - integral qawwali (12 mins)
ना तो कारवा की तलाश है, ना तो हमसफ़र की तलाश है
मेरे शौक़-इ-खाना खराब को, तेरी रहगुज़र की तलाश है
मेरे नामुराद जूनून का है इलाज कोई तो मौत है
जो दवा के नाम पे ज़हर दे उसी चारागर की तलाश है
तेरा इश्क है मेरी आरज़ू, तेरा इश्क है मेरी आबरू
दिल इश्क जिस्म इश्क है और जान इश्क है
ईमान की जो पूछो तो ईमान इश्क है
तेरा इश्क है मेरी आरज़ू, तेरा इश्क है मेरी आबरू,
तेरा इश्क मे कैसे छोड़ दू, मेरी उम्र भर की तलाश है
जान्सोज़ की हालत को जान्सोज़ ही समझेगा
मे शमा से कहता हू महफ़िल से नही कहता क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
सहर तक सबका है अंजाम जल कर ख़ाक हो जाना,
भरी महफ़िल मे कोई शम्मा या परवाना हो जाये क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
वेह्शत-इ-दिल रस्म-ओ-दीदार से रोकी ना गयी
किसी खंजर, किसी तलवार से रोकी ना गयी
इश्क मजनू की वो आवाज़ है जिसके आगे
कोई लैला किसी दीवार से रोकी ना गयी, क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
वो हसके अगर मांगे तो हम जान भी देदे,
हा ये जान तो क्या चीज़ है ईमान भी देदे क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
नाज़-ओ-अंदाज़ से कहते है की जीना होगा,
ज़हर भी देते है तो कहते है की पीना होगा
जब मे पीता हू तो कहते है की मरता भी नही,
जब मे मरता हू तो कहते है की जीना होगा
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
मज़हब-इ-इश्क की हर रस्म खड़ी होती है,
हर कदम पर कोई दीवार खड़ी होती है
इश्क आज़ाद है, हिन्दू ना मुसलमान है इश्क,
आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क
जिस से आगाह नही शेख-ओ-बरहामन दोनों,
उस हकीकत का गरजता हुआ ऐलान है इश्क
इश्क न पूछे दी धर्म नु, इश्क ना पूछे जाता
इश्क दे हाथो गरम लहू विच, दूबिया लाख बरातान के
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
राह उल्फत की कठिन है इसे आसान ना समझ
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
बहुत कठिन है डगर पनघट की
अब क्या भर लॉन मे जमुना से मटकी
मे जो चली जल जमुना भरण को
देखो सखी जी मे जो चली जल जमुना भरण को
नंदकिशोर मोहे रोके झाड़ो तो
क्या भर लॉन मे जमुना से मटकी
अब लाज राखो मोरे घूंघट पट की
जब जब कृष्ण की बंसी बाजी, निकली राधा सजके
जान अजान का मान भुला के, लोक लाज को तजके
जनक दुलारी बन बन डोली, पहन के प्रेम की माला
दर्शन जल की प्यासी मीरा पि गई विश का प्याला
और फिर अरज करी के
लाज राखो राखो राखो, लाज राखो देखो देखो,
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क, ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
अल्लाह रसूल का फरमान इश्क है
याने हफीज इश्क है, कुरान इश्क है
गौतम का और मसीह का अरमान इश्क है
ये कायनात जिस्म है और जान इश्क है
इश्क सरमद, इश्क ही मंसूर है
इश्क मूसा, इश्क कोह-इ-नूर है
खाक को बुत, और बुत को देवता करता है इश्क
इन्तहा ये है के बन्दे को खुदा करता है इश्क
हां इश्क इश्क तेरा इश्क इश्क
तेरा इश्क इश्क, इश्क इश्क
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